किसी भी कार्य को शुरु करने के पहले अपने अवयवों की ऊर्जा को एकत्रित करना होता है।

   मानव ऊर्जा हम जब भी कोई नया कार्य शुरु करते हैं, तो उसके बारे में अच्छे और बुरे दोनों विचार हमारे जहन में कौंधते रहते हैं, हम उस कार्य को किस स्तर पर करने जा रहे हैं और उस कार्य में हमारी कितनी रुचि है, इस बात पर बहुत निर्भर करता है। सोते जागते उठते बैठते कई बार केवल कार्य के बारे में ही सोचना उस कार्य के प्रति रुचि दर्शाता है।

     नया कार्य शुरु करने के पहले अपने सारे अवयवों की ऊर्जा एकत्रित करना पड़ती है, और फ़िर कार्य के प्रति ईमानदार होते हुए उस कार्य से जुड़े सारे लोगों के बारे में और उसके प्रभावों के बारे में निर्णय लेकर कार्य को शुरु करना चाहिये।

    हरेक कार्य के सामाजिक प्रभाव होते हैं, और हरेक कार्य के तकनीकी पहलू होते हैं जो कि मानव जीवन पर बहुत गहन प्रभाव डालते हैं।

    पर सबसे जरुरी चीज है अपने अवयवों की संपूर्ण ऊर्जा एकत्रित करके कार्य की शुरुआत अच्छे से की जाये और उसके अंजाम तक पहुँचाने के लिये भी अपनी संपूर्ण ऊर्जा का उपयोग करना चाहिये।

8 thoughts on “किसी भी कार्य को शुरु करने के पहले अपने अवयवों की ऊर्जा को एकत्रित करना होता है।

  1. यकीनन उपयोगी और प्रेरक पोस्ट
    समस्त ऊर्जा के संचयन के बिना कार्य करने पर कार्य के सम्यकता में अंतर आता ही है

  2. बेहतर है, इसलिए एक साथ दो काम करना कुछ भी नहीं करने के बराबर माना जाता है

  3. @ मनोहर जी – धन्यवाद

    @ वर्मा जी – कार्य को पूर्ण करने के लिये ऊर्जा का संचयन बेहद जरुरी है।

  4. @ लर्न बाय वाच – दो या ज्यादा कार्य भी किये जा सकते हैं, बस ध्यान से किया जाये, कार्य कितने भी हों उससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता है।

    @ प्रवीण जी – आपसे सहमत

  5. पर सबसे जरुरी चीज है अपने अवयवों की संपूर्ण ऊर्जा एकत्रित करके कार्य की शुरुआत अच्छे से की जाये
    सही कहा।

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