दलालों का शहर मुंबई (City of Brokers, Mumbai)

मुंबई छोड़े अब १ साल से अधिक हो गया है कुछ बातों में मुंबई की बहुत याद आती है और कुछ बातों से मुंबई से कोफ़्त भी होती है, जैसे कि दलालों का शहर मुंबई है। मुंबई देश की आर्थिक राजधानी है और रियल इस्टेट में हर जगह ब्रोकर याने कि दलालों का बोलबाला है। आजकल क्या मैं तो बरसों से मुंबई में देख रहा हूँ मुंबई में दल्लों का धंधा चोखा है।
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आपको फ़्लेट किराये पर लेना हो या खरीदना हो हरेक जगह ब्रोकरों का राज है। मुझे अच्छे से याद है जब मैंने मुंबई आखिरी बार फ़्लेट किराये पर लिया था तब तक ब्रोकर लोग किरायेदार से एक महीने का किराया ब्रोकर के रूप में लेते थे और ११ महीने का कान्ट्रेक्ट होता है। ११ महीने बाद अगर उसी फ़्लेट को रिनिवल करवाना है तो उसके लिये भी एक महीने का किराया ब्रोकरेज के रूप में देना पड़ता था।
आज ही छोटे भाई से बात हो रही थी तो पता चला कि अब ब्रोकरेज याने कि दलाली फ़्लेट लेने के लिये दो महीने की लेने लगे हैं और रिनिवल पर एक महीने का किराया ब्रोकरेज के रूप में लिया जा रहा है। वहाँ मुंबई में आम आदमी तो कमाने के लिये गया है और ये ब्रोकर बैठे हैं लूटने के लिये। प्रशासन भी आँख मूँदे पड़ा है। बेचारा बाहर का आदमी आयेगा तो उसे तो परिवार के रहने के लिये घर चाहिये ही, और सब अपने परिवार को अच्छी जगह पर रखना चाहते हैं, तो मजबूरी में ब्रोकरेज भी देते हैं।
अगर बात अब आंकड़ों में की जाये, १ बीएचके याने कि लगभग ४६५ स्क्वेयर फ़ीट का फ़्लेट का किराया कांदिवली पूर्व में लगभग १८,००० से २१,००० रूपये है, अब किरायेदार को ब्रोकरेज के तौर पर कम से कम ३६,००० रूपया तो ब्रोकर को ही देना है और यह एग्रीमेंट मकान मालिक के साथ ११ महीने का होता है, और एग्रीमेंट रजिस्टर्ड होता है, उस रजिस्ट्रेशन का खर्च आधा आधा मकान मालिक और किरायेदार को वहन करना होता है जो कि ब्रोकर लगभग ७,००० रूपया लेते हैं। तो आधा हो गया ३,५००। ११ महीने के बाद फ़िर से बड़े किराये के साथ ब्रोकर का ब्रोकरेज भी बढ़ जाता है।
और ब्रोकर तो मुंबई में कुकुरमुत्ते की तरह हैं, हर गली हर चौराहों पर ब्रोकर मिलेंगे, ये ब्रोकर हरेक तरह का सहारा लेते हैं और गुंडई करने से भी बाज नहीं आते।
हमने अनुमान लगाया था कि अगर ब्रोकर के पास कम से कम ऐसे १०० ग्राहक भी हैं तो उसकी वर्ष भर की कमाई कम से कम १८ लाख रूपये है, और अधिक तो अब क्या बतायें ये तो आप खुद अनुमान लगा लें।
पता नहीं कब सरकार चेतेगी और आम आदमी को मुंबई से ब्रोकर से मुक्ति मिलेगी। वैसे अब बैंगलोर में भी ब्रोकरों का धंधा काफ़ी अच्छा हो चला है, धीरे धीरे मुंबई की बयार यहाँ पर भी बह रही है। इसलिये हम तो ब्रोकरों का शहर कहते हैं मुंबई को।
ऐसे बहुत ही कम मकान मालिक हैं जो कि अपने फ़्लेट बिना किसी ब्रोकर की सहायता के देते हैं, ऐसे फ़्लेट सुलेखा.कॉम, मैजिकब्रिक्स.कॉम, ९९एकर्स.कॉम और ओएलएक़्स.इन पर ढूँढे जा सकते हैं, अगर किस्मत अच्छी हुई तो जिस समय आप फ़्लेट ढूँढ़ रहे हैं उस समय आपको कोई फ़्लेट इन वेबसाईट पर मिल जाये और आप अपनी गाढ़ी कमाई का कुछ हिस्सा बचा सकें।

9 thoughts on “दलालों का शहर मुंबई (City of Brokers, Mumbai)

    1. पैसा तो फ़ेंकना ही पड़ेगा, पर है तो वो अपनी गाढ़ी कमाई का ना !

  1. यहाँ चेन्नई का भी यही हाल है.. मगर इतना बुरा होने में वक्त लगेगा.

    1. हाँ चैन्नई में भी कम लूट थोड़े ही है। साऊथ इंडिया का दिल्ली है ।

  2. .

    सुना तो यही है , जैसा आपने कहा …
    🙁
    लेकिन घर में बैठा तो कोई क्यों ठगाएगा , वे भी तो हम-आप जैसों के भरोसे ही हैं न! :))

    शुभकामनाओं सहित…
    -राजेन्द्र स्वर्णकार

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