ब्रजक्षैत्र के भोजन का आनंद और बच के रहें ब्रज के ठगों से भी..

    वृन्दावन में चाट और लस्सी का स्वाद अद्वितिय है, और ब्रजक्षैत्र का भोजन आज भी बेहद स्वादिष्ट होता है। हमने तकरीबन ३-४ बार लस्सी पी, जिसमें ऊपर से मलाई भी डाली जाती है और वह भी कुल्हड़ के गिलास में।

    जब निधिवन की ओर जाते हैं तो वहीं गोल चक्कर पर बहुत से गाईडनुमा लोग मिलते हैं, जो कि आपको बोलते हुए मिलेंगे कि आपको ३० रुपये मॆं ४ मंदिरों के दर्शन करवायेंगे, जिसमें से एक मंदिर में ये ठग ले जाते हैं। टाईल्स और चारों धाम के पुण्यों के नाम पर नकली रसीद और मीरा के भजनों के नाम पर लूटते हैं, इनसे सावधान रहें। हमसे भी यही कहा गया तो हमने १०० रुपये में अपना पीछा छुड़ाया, नहीं तो उनका तो कम से कम भाव ही १५००-१६०० रुपये का है, और कहते हैं कि जीवनभर एक घंटा आपके नाम का भजन होता रहेगा, यहाँ लगभग ३००० से ज्यादा मीराबाईयाँ रहती हैं, जो गाईड हमें मिला था वह तीन मंदिरों में दर्शन के बाद हमसे पैसा मांगकर भागने के चक्कर में था तो हमने उससे कहा कि भई चार मंदिर का बोला है, और जब तक चौथे मंदिर के दर्शन नहीं करवाते हम पैसे नहीं देंगे, ऐसे धार्मिक आस्था के खिलवाड़ करने वाले लुटेरों को उज्जैन मॆं भी देखते आ रहे हैं।

दक्षिण भारतीय शैली में मंदिरसेठ द्वारा बनवाया गया मंदिर का लकड़ी नक्काशी जैसा द्वार

परकोटे में मंदिरनक्काशी द्वार पर

बैकुण्ड द्वारमंदिर का लंबा गलियारा

मंदिर का बड़ा सा गलियारायह खंबा भी सोने का है

यह भी सोने का हैये भी सोने का है

विष्णुजी के दर्शन के पश्चातसोने का हाथी

हर्ष की कुछ शैतानियाँ

    हाँ यहाँ के बात और हर बात के बाद ये लोग बोलेंगे ताली बजाकर हँसिये तो जीवन भर हँसेंगे।

    जब मंदिरों के दर्शन हो गये और वक्त लगभग ११.३० हो चुका था, दोपहर की गर्मी से बेहाल थे, इतने बेहाल थे कि पैदल चलने की सोच भी नहीं पा रहे थे। इसलिये फ़िर से रिक्शे का सवारी के तौर पर उपयोग किया गया। पूरे वृन्दावन में बंदरों से सतर्क रहें, वे जूते, चप्पल, घड़ी, चश्मा, प्रसाद किसी पर भी हमला करके उसका भरपूर आनंद लेते हैं।

    एक ढ़ाबे पर चना मसाला, दाल और तंदूरी रोटियों का आनंद लिया गया, बहुत वर्षों बाद बाहर कहीं इतना स्वादिष्ट खाना खाया था। और उसके बाद फ़िर एक एक लस्सी का आनंद लिया गया। वक्त लगभग हो चला था दोपहर के १२ । हमारा मन मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि के दर्शन करने का भी था पर १२ बजे से २ बजे तक जन्मभूमि के दर्शन बंद रहते हैं, और हमें आगरा में खरीदारी भी करनी थी और पारिवारिक मित्र के साथ मिलना भी था, तो हमने सोचा कि चलो अब सीधे आगरा चला जाये।

    गर्मी अपने भरपूर उफ़ान पर थी, और रास्ते में ऐसे बहुत सारे यातायात के साधन देखने को मिले जो वर्षों बाद देखे, जैसे कि जुगाड़, बैलगाड़ी, भैंसागाड़ी।

9 thoughts on “ब्रजक्षैत्र के भोजन का आनंद और बच के रहें ब्रज के ठगों से भी..

  1. सुंदर चित्रों व विवरण के लिए आभर. इन ठगों का ही प्रताप है कि कई लोग इनके हत्थे चढ़ने से बेहतर नास्तिक कहलाना पसंद करते हैं

  2. विवेक जी,
    ये गाईड वाले लुटेरे हमें भी मिले थे,
    लेकिन हम ठहरे दुजी किस्म के,
    गर्मी में लस्सी से बढिया कुछ नहीं है, पीते रहो,
    एक अनुरोध है कि फ़ोटो अच्छे है, बस फ़ोटो थोडा बडे कर के लगाओ, ज्यादा सुन्दर लगेंगे,
    आगरे की किस्त का इंतजार है?

  3. चलिए आपने हमारी भी तीर्थ यात्रा करा दी ..नतमस्तक
    मगर आप मजे ले रहे हैं दिल्ली में निरीह जनता पीटी जा रही है ….

  4. @संदीप पँवार जी – फ़ोटो पर क्लिक करके फ़ोटो बड़ा देख सकते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *