मुंबई की बारिश, जीवन अस्त व्यस्त है, बारिश बड़ी मस्त है, बारिश के बहाने जीवन की कुछ बातें.. (Rain in Mumbai)

    मुंबई में आज लगातार तीसरा दिन है बारिश का, वो भी झमाझम बारिश का। पारिवारिक मित्रों के साथ सप्ताहांत पर बाहर जाने का कार्यक्रम बनाया गया था परंतु बारिश ने सब चौपट कर दिया सुबह से ही बारिश ऐसी जमी कि सब चौपट हो गया। जाना भी दूर था सोचा कि अगर अकेले होते तब तो कोई बात ही नहीं थी, परंतु साथ में बीबी और बच्चा हालत खराब कि कहीं कोई विकेट डाउन न हो जाये, क्योंकि अगले दिन बेटे को स्कूल भी जाना था।
    बारिश भी ऐसी की छतरी भी फ़ेल है, इस बारिश के सामने !! बारिश की फ़ुहारें कभी हल्की कभी तेज और हवा चारों तरफ़ से चलती हुई, छतरी होते हुए भी पूरे भीगे हुए, और जब ऑफ़िस पहुँच जायें तो एक दूसरे को देखें कि “अरे सूखे कैसे आ गये !”
    आज सुबह की ही बात थी, ऑफ़िस पहुँचे वो भी पूरे हल्के से गीले, भीगे हुए, धीमी धीमी बौछारों से, छतरी भी पूरी तरह से बारिश के पानी से तरबतर, लिफ़्ट में गये तो लिफ़्ट में भी ऐसा लगा कि आधा इंच पानी भरा हुआ है, वैसे तो हम रोज ही सीढ़ियों का उपयोग करते हैं, परंतु बारिश में जोखिम नहीं ले सकते क्योंकि सभी जगह फ़िसलन होती है, कब कहाँ रपट जायें कुछ कहा नहीं जा सकता।
    वैसे आजकल मोबाईल पर एस.एम.एस. आ जाते हैं कि फ़लाने समय पर हाईटाइड है, कभी मुंबई पोलिस से कभी हिन्दुस्तान टाईम्स से, पर मुंबई को बारिश से कोई फ़र्क नहीं पड़ता, मुंबई की रफ़्तार कम नहीं होती, तभी तो कहते हैं, “ई है मुंबई नगरिया तू देख बबुआ”।
    बारिश की बात की जाये और गाना न हो तो मजा ना आये, ये देखिये “आज रपट जायें तो हमें न उठइयो”।
    शाम घर के लिये निकलते समय फ़िर बारिश जोरों से आ गई वो भी चारों तरफ़ हवाओं के साथ, बारिश में मुंबई के ट्राफ़िक की हालत बिल्कुल खराब होती है, बड़ी मुश्किल से २५-३० मिनिट बाद ऑटो मिला, सड़क पर गड्डे जिनमें बारिश का शुद्ध पानी भरा हुआ था, पता ही नहीं चलता कि वाहन निकल जायेगा या फ़ँस जायेगा। रास्ते में एक जगह ऐसी पड़ती है जहाँ सड़क के बीचों बीच में सीवर का ढ़क्कन है, और दो दिनों से उसमें से पानी निकलता हुआ देख रहा हूँ, ऐसा लगता है कि जमीन में से फ़व्वारा फ़ूटा हुआ है। वाह रे दरिया से घिरे हुए मुंबई जिसके चारों ओर दरिया हो और अब बीच शहर में भी दरिया जैसा ही हो रहा है।
    घर आकर फ़िर बाजार जाना हुआ तो सड़क की दुर्दशा देखकर मन बैचेन हो गया और कुछ कविता करने को मन मचलने लगा, दो ही पंक्ति बन पाईं, और भी बनी थीं पर घर आते आते भूल गया –
“जीवन अस्त व्यस्त है
बारिश बड़ी मस्त है”
    सड़क पर बने गड़्ड़ो को लांघते हुए निकल रहे थे, तो ऐसा लग रहा था कि ऐसे ही जाने कितने गड्ड़े अपने जिंदगी में भी बने हुए हैं जिनको लांघकर हम निकल लेते हैं और जब वह गड्ड़ा बड़ा होता है तो उसमें पैर रखकर आगे बढ़ना ही होता है बस वैसे ही जिंदगी की कुछ मुश्किलें जिन्हें हम लांघ नहीं पाते, उन मुश्किलों में से निकलना ही पड़ता है। और एक बार जब जूता गीला हो जाता है फ़िर हम बारिश के पानी से भरे गड्ड़ों की परवाह न करते हुए फ़टाफ़ट अपनी मंजिल पर पहुँच जाते हैं वैसे ही जिंदगी के साथ भी होता है, मुश्किलें सहते सहते हमें उनकी आदत पड़ जाती है और हम अपनी जिंदगी में उन मुश्किलों की परवाह किये बिना आगे बड़ते रहते हैं, कभी बुझे मन से कभी प्रफ़ुल्लित होकर अच्छे मन से, केवल समय का फ़र्क होता है।
    एक मुहावरा जो कि पत्नी जी के मुँह से कई बार सुन चुके थे आज फ़िर से सुना “ऐसा लगा कि कोई आज खरहरी खाट से सोकर उठा है”।

14 thoughts on “मुंबई की बारिश, जीवन अस्त व्यस्त है, बारिश बड़ी मस्त है, बारिश के बहाने जीवन की कुछ बातें.. (Rain in Mumbai)

  1. एक हेलीकॉप्‍टर मंगवा लीजिए या हमारी दिल्‍ली की बारिश गायब हो गई है, उसे तुरंत वापिस भिजवा दीजिए। यहां कॉमनवेल्‍थ गेम्‍स का कार्य जांच रही थी, आयोजकों/ठेकेदारों ने मिलीभगत से मुंबई दौरे पर भेज दिया है। आज आपने खबर दी है। आप ही इस संबंध में कार्रवाई कीजिए।

  2. भईया दिक्की वाले उदास हो गये बरखा रानी के बिना इसे जल्दी से जल्दी वापिस दिल्ली भेज दो. धन्यवाद

  3. वाकई ज़बरदस्त है मुम्बई की बरसात……….

    कल मैं भी फंस गया था………..

    दादर से बोरीवली आते आते पानी पानी हो गये……

  4. @ अविनाश जी – कोई दिल्ली का सियासी तस्कर बोरी में भरकर बारिश को मुंबई छोड़ गया है।

    @राज जी – सब दिल्ली में बैठे बड्डे लोगों की करतूत है..

    @ अलबेला जी – अगर बता दिया होता तो मुलाकात हो जाती।

  5. सही कहा जी कल और आज दो दिन की बारिश ने बुरा हाल किया है पार्किंग में पानी भरा है कार की चिंता लगी है सब्जी लने की भी मोहलत नहीं दी बारिश ने डिनर बिना सब्जी के करना पड़ा | किया क्या जाये बारिश हो तो मुसीबत ना हो तो मुसीबत |

  6. बारिश का तो वो हाल है कि आज शाम छह बजे सीप्झ इलाके से निकला तो रात साढे नौ बजे घर पहुँचा हूँ। जबकि साढे सात या आठ तक पहुंच जाना चाहिए था 🙂

    ये गाना तो अपने भी पसंद का है।

  7. बरसात का वर्णन अच्‍छा लगा .. पूरी बरसात गुलर गयी .. झारखंड में बारिश ही नहीं हुई .. हमलोग गर्मियों सा ही व्‍यतीत कर रहे हैं !!

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