मोबाईल की आत्मकथा – निबंध

मैं मोबाईल हूँ आज मैं आपको अपनी आत्मकथा सुनाता हूँ, बहुत लंबी यात्रा करके आज मैंने वर्तमान युग को आधुनिक सुविधाओं से युक्त कर दिया है। आज दुनिया में कोई भी मेरे बिना अपने दैनिक कार्यों की कल्पना नहीं कर सकता है, मैं आज की दुनिया का सबसे तेज संचार व्यवस्था का माध्यम हूँ।

मेरा अविष्कार  वर्ष १९७३ में मोटोरोला के अनुसंधानकर्ता मार्टिन कूपर ने किया था, मार्टिन कूपर को “मोबाईल का पितामह” भी कहा जाता है। मार्टिन कूपर ने ३ अप्रैल १९७३ को बेल प्रयोगशाला के प्रतिद्वन्दी डॉ. एंगेल से पहली बार मोबाईल से फ़ोन पर बात की थी। १९७९ में एन.टी.टी. ने जापान में अपना पहला वाणिज्यिक सेलुलर नेटवर्क स्थापित किया था। १९८१ में पूर्णत: स्वचलित मोबाईल प्रणाली डेनमार्क, फ़िनलैंड, नार्वे और स्वीडन में शुरू हुई थी। फ़िर तो १९८० के मध्य से कई देशों ने मेरी शुरूआत की जैसे ब्रिटेन, मेक्सिको और कनाडा।

वर्ष १९८३ में मोटोरोला ने अमेरिका में 1G नेटवर्क स्थापित किया। उस समय मेरी क्षमता केवल ३० मिनिट बात करने तक ही सीमित थी उसके बाद मुझे १० घंटे चार्ज करना पड़ता था। उस समय बाजार में मेरी बहुत जबरदस्त माँग थी जबकि बैटरी बहुत कम चलती थी, मेरा वजन ज्यादा था और बैटरी कम चलने के कारण बात भी कम हो सकती थी, परंतु फ़िर भी हजारों खरीददार मेरे इंतजार में थे।

वर्ष १९९१ में फ़िनलैंड के रेडियोलिंजा 2G नेटवर्क की शुरूआत की थी, मोबाईल पर एस.एम.एस की शुरूआत वर्ष १९९३ में फ़िनलैंड से हुई थी,  2G सेवा के दस वर्ष बाद 3G सेवा एन.टी.टी. डोकोमो ने जापान में शुरूआत की थी। अब 4G भी सेवा में आ चुका है और 5G परीक्षण के दौर में है।

मोबाईल  से बात की जा सकती है, एस.एम.एस. भेजे जा सकते हैं और अब तो मोबाईल से क्या क्या नहीं किया जा सकता है, अब स्मार्ट फ़ोन का दौर है, अब टच स्क्रीन फ़ोन से संगीत सुन सकते हैं, कैमरे का उपयोग कर सकते हैं, इंटरनेट का उपयोग कर सकते हैं।

अभी मोबाईल बनाने में मुख्य छ: कंपनियाँ हैं सेमसंग, नोकिया, एपल, ZTE, एल.जी., हुवाई ।

आज के इस आधुनिक दौर में मैंने सारी सुविधाएँ दे दी हैं, अब बैंक से पैसे ट्रांसफ़र करने हो तो मोबाईल से किये जा सकते हैं, किसी भी बिल का भुगतान करना हो या ट्रेन, प्लेन का टिकट बुक करना हो वह भी मोबाईल से किये जा सकते हैं। मेरी सुविधाओं में दिन प्रतिदिन उन्नति हो रही है, और नई नई सुविधाओं का उपयोग दुनिया कर पायेगी।

10 thoughts on “मोबाईल की आत्मकथा – निबंध

  1. आतंकियों का रिमोट बन गया हूँ में . अब चांदनी रात में छुपके छुपके प्रेमी से मिलने की ज़रुरत नहीं है मैं डेट फिक्स करता हूँ . आबालवृद्ध मुझपे झुके रहते हैं गलियों बाज़ारों में किसी को कोई सुध नहीं कौन कहाँ जा रहा है .बाह्र बादल का रंग कैसा है . बहु आयामी मोबाइल कल को नवजात के हाथ में होगा प्रसव के फ़ौरन बाद वरना वह चुप ही नहीं होगा . संक्षिप्त और सुन्दर पोस्ट . इस श्रृंखला को आगे ले जाएं .

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