आज सुबह यह गाना किशोर कुमार की सदाबहार आवाज में सुना, इस गाने में देवानंद और हेमामालिनी की अदाएँ देखते ही बनती हैं, गाने की पंक्तियों में कहा खटमल के लिये गया है और हेमामालिनी शरमा रही हैं।
हमारे एक मित्र हैं जो कि उम्र में हमसे बहुत बड़े हैं, वे लगभग पुराने हर गाने का पोस्टमार्टम कुछ ऐसे अंदाज में करते हैं कि आज की पीढ़ी पुराने सारे गाने पसंद करने लगे, ऐसे लोगों की बहुत जरूरत है।
खटमलों को समर्पित पहला गीत होगा संभवतः।
अब खटमल नहीं मिलते..मच्छरों का आतंक है। यह गीत युवाओं के गले नहीं उतरेगा।
अरे आज तो आपके दु:स्वप्न का ही हंगामा है बरपा …इस पर लिखिए कुछ महराज —आप तो अतीन्द्रिय बोध वाले निकले ….श्री विवेकानन्दों महराज !
इस पोस्ट के लिए आपका बहुत बहुत आभार – आपकी पोस्ट को शामिल किया गया है 'ब्लॉग बुलेटिन' पर – पधारें – और डालें एक नज़र – कब तक अस्तिनो में सांप पालते रहेंगे ?? – ब्लॉग बुलेटिन
मस्त गीत है … एस डी साहब का गाया .. धीरे से जाना बगियाँ में भँवरे ..
चाक्षुष आनन्द उपलब्ध कराने के लिए धन्यवाद।