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नये और अशिक्षित कम्पयूटर उपयोगकर्ताओं के कारनामे

नये और अशिक्षित (so called trained computer operateor) कम्पयूटर उपयोगकर्ता क्या कारनामे करते हैं, उन्हें क्या कहो और वो क्या करते हैं । उसकी कुछ बानगियाँ आपके सामने प्रस्तुत करता हूँ पर उससे पहले उन उपयोगकर्ताओं से उनके गुप्त रहस्यों को उजागर करने की माफी चाहता हूँ, कृपया बुरा नहीं माने और माने तो भी क्या …. ये तो मेरा Hindi Blog है मैं तो लिखूँगा ।

ये की तो कीबोर्ड पर मिलती ही नहीं है।
एक महाशय का फोन आया कि विवेक भाई एक की तो कीबोर्ड पर मिलती ही नहीं है कम से कम दसियों बार कीबोर्ड देख चुका हूँ और आपका साफ्टवेयर आदेश कर रहा है कि वही की दबानी है, मैंने उनसे पूछा सर बताओ तो सही कि कौन सी की दबाने का आदेश आपको मेरा साफ्टवेयर दे रहा है, तब वो महाशय बोले “प्रेस एनी की टू कन्टीनयू” “Press any key to continue”।

माऊस का उपयोग
एक नये क्लाईंट ने हमारा साफ्टवेयर उपयोग करना शुरु किया हमारी टीम ने पूरे स्टाफ को साफ्टवेयर उपयोग करने संबंधित जानकारी दी और उसके बाद केवल फोन पर तकनीकी सहयोग देते हैं एक बार हमारे पास फोन आया कि फाईल सेव हो गई है अब उसे देखेंगे कैसे, तो हमने उनसे कहा कि सर् “माई कम्प्यूटर” ( My Computer) पर माऊस ले जाकर डबल क्लिक करें, वो बोले ठीक है फिर
उसके बाद, हमने कहा पहले क्लिक तो कीजिये और बताइये स्क्रीन पर क्या दिख रहा है तो वो बोले कि बस एक मिनिट …… और हम उनके एक मिनिट का इंतजार करने लगे जब पाँच मिनिट से ऊपर हो गये तो हमने पूछा क्या हुआ, तो जबाब आया ये “माई कम्प्यूटर” ( My Computer) कहाँ मिलेगा, हमने कहा सामने डेस्कटाप पर उल्टे हाथ की तरफ मिलेगा तो वे बोले ह‍ मिल गया हमने कहा अब डबल क्लिक करें वे बोले ठीक हैं फिर १ मिनिट २ मिनिट … ६ मिनिट हो गये तो फिर हमने पूछा अब क्या हुआ, उनका जबाब आया “कुछ हो नहीं रहा है” हमने कहा ऐसा तो हो ही नहीं सकता वो बोले नहीं नहीं वाकई में कुछ नहीं हो रहा है। फिर हमने पूछा आपने क्या करा बोले जैसा आपने कहा “माई कम्प्यूटर” ( My Computer) पर माऊस ले जाकर डबल क्लिक करें” तो हम परेशान कि ऐसा कैसे हो सकता है मैने पूछा माऊस कहाँ रखा है वो बोले स्क्रीन पर डेस्कटाप पर “माई कम्प्यूटर” ( My Computer) के ऊपर रख कर क्लिक कर रहा हूँ।…… हा हा हा हा हा हा ….

नया चिठ्ठाकार

जय महाकाल बाबा हिन्दी के जालस्थानों पर जा जाकर चिठ्ठाकारों के चिठ्ठे पढ़ पढ़कर मेरा सोया हुआ साहित्यिक कीड़ा जागृत हो गया और मैंने सोचा कि चलो अपनी लेख और कविताएँ कोई कोई अखबार कभी कभी ही छापता था अब अपना जालस्थान ब्लागर डॉट कॉम की कृपा से बना लिया है तो अब कुछ न कुछ लिखकर खुद ही छापा जा सकता है। हनुमान जी की कृपा से तख्ती भी जालस्थान से उठा लिया है, उठा लिया है मतलब चोरी नहीं की हनुमान जी ने कहा वत्स इसका एक संस्करण तुम भी रख सकते हो तो हमने हनुमान जी के आदेश का पालन कर महाकाल बाबा का आशीर्वाद लिया और शुरु होने जा रहे हैं। वैसे तो चिठ्ठाकारी जगत में हम बिल्कुल नये प्राणी हैं पर अगर आप सभी चिठ्ठाकारों का सहयोग रहा तो हम हमारी चिठ्ठाकारी कला को उत्कृष्ट कर सकेंगे।

छाप

दो दोस्त एक रेगिस्तान से गुजर रहे थे। बीच रास्ते में उनके बीच बहस छिड़ गई और पहले दोस्त ने दूसरे को थप्पड़ लगा दिया। जिसे थप्पड़ पड़ा उसने बिना कुछ कहे रेत पर लिखा, आज मेरे सबसे अच्छे दोस्त ने मुझे थप्पड़ मारा। ऐसा लिखकर वे दोनों साथ चल दिए। रास्ते में नदी आई, दूसरा दोस्त उसमें नहाने के लिए उतरा और डूबने लगा। पहले दोस्त ने तुरंत नदी में कूद कर उसकी जान बचा ली। इस बार उस दोस्त ने पत्थर पर लिखा, आज मेरे सबसे अच्छे दोस्त ने मेरी जान बचाई। पहले ने उससे रेत और पत्थर पर लिखने का कारण पूछा तो उसने जवाब दिया, जब कोई तकलीफ पहुँचाए तो उसे रेत पर लिखना चाहिए, ताकि क्षमा की हवा उसे मिटा सके लेकिन यदि कोई अच्छा करे तो उसे पत्थर पर लिखना चाहिए, जिससे कोई भी उस छाप को मिटा न सके।
दुख भुलाना और सुख को याद रखना, खुद अपने हाथ में है।