जय महाकाल बाबा हिन्दी के जालस्थानों पर जा जाकर चिठ्ठाकारों के चिठ्ठे पढ़ पढ़कर मेरा सोया हुआ साहित्यिक कीड़ा जागृत हो गया और मैंने सोचा कि चलो अपनी लेख और कविताएँ कोई कोई अखबार कभी कभी ही छापता था अब अपना जालस्थान ब्लागर डॉट कॉम की कृपा से बना लिया है तो अब कुछ न कुछ लिखकर खुद ही छापा जा सकता है। हनुमान जी की कृपा से तख्ती भी जालस्थान से उठा लिया है, उठा लिया है मतलब चोरी नहीं की हनुमान जी ने कहा वत्स इसका एक संस्करण तुम भी रख सकते हो तो हमने हनुमान जी के आदेश का पालन कर महाकाल बाबा का आशीर्वाद लिया और शुरु होने जा रहे हैं। वैसे तो चिठ्ठाकारी जगत में हम बिल्कुल नये प्राणी हैं पर अगर आप सभी चिठ्ठाकारों का सहयोग रहा तो हम हमारी चिठ्ठाकारी कला को उत्कृष्ट कर सकेंगे।