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किसी भी सोफ़्टवेयर को पोर्टेबल कैसे बनाये और पेनड्राईव से सीधे चलायें। (How to convert any application portable and run from a USB drive)

पोर्टेबल उत्पाद मुझे बहुत ही अच्छे लगते हैं क्योंकि उन्हें संस्थापित (Installation) करने की जरुरत नहीं पड़ती है। ये उत्पाद आपके विन्डोज की रजिस्ट्री में दर्ज नहीं होते और सबसे बड़ी बात आप इन पोर्टेबल उत्पादों को अपने साथ पेनड्राईव पर ले जा सकते हैं। पोर्टेबल उत्पाद केवल पोर्टेबल चीजों के लिये नहीं आप इसे पीसी पर भी उपयोग कर सकते हैं, ओर जैसा मैंने पहले बताया है बिना संस्थापित किये। केवल हार्डडिस्क पर कापी कीजिये और चलाइये। बहुत सारे उत्पाद अपने पोर्टेबल रुप में उपलब्ध हैं, लेकिन सारे नहीं। इसलिये मैं आपको बताने जा रहा हूँ कि कैसे किसी भी सोफ़्ट्वेयर उत्पाद को पोर्टेबल उत्पाद में बदल सकते हैं। माइक्रोसोफ़्ट ऑफ़िस २००३ के साथ यह समझते हैं कि कैसे पोर्टेबल उत्पाद में बदला जाता है।


पोर्टेबल उत्पाद में बदलने के लिये हम लोग उपयोग करेंगे एक सोफ़्टवेयर जो कि वीएमवेयर थिन (VM Ware Thin) के नाम से जाना जाता है। वीएमवेयर थिन एक ऐसा सोफ़्टवेयर उत्पाद है जो कि किसी भी सोफ़्टवेयर को एक EXE फ़ाईल में बदल देगा जिसे आप बिना संस्थापन के सीधे चला सकते हैं और कहीं से भी किसी भी मीडिया से पेनड्राईव, सीडी, डीवीडी, हार्डडिस्क इत्यादि। यह एक वर्चुअल ओपरेटिंग उत्पाद बनाता है एवं वीएमवेयर थिन उत्पाद खुद की रजिस्ट्री और फ़ाईल सिस्टम उस EXE में शामिल कर लेता है।

वीएमवेयर थिन मे सब कुछ अच्छा है केवल इसके दाम को छोड़कर, इसका दाम है $8,187 (लगभग साढ़े चार लाख रुपये, पता नहीं उन्होंने क्या सोचकर इतने दाम रखे हैं!) । लेकिन वे उपलब्ध करवाते है एक पूर्ण उपयोगी उत्पाद ६० दिन के ट्रायल वर्शन पर, ओर यह डाउनलोड रिक्वेस्ट पर उपलब्ध है।

वीएमवेयर थिन को जरुरत होती है एक साफ़ पीसी, जिस पर फ़्रेश विन्डोज संस्थापित किया गया हो, ओर वो उत्पाद जिसे आप पोर्टेबल उत्पाद में बदलना चाहते हैं, संस्थापित हों। लेकिन चिंता करने की कोई बात नहीं है यह पुराने संस्थापित विन्डोज पर भी समान रुप से कार्य करता है। (EXE वायरस मुक्त हो इसलिये ये सुझाव दिया गया था)| मेरे पीसी पर माइक्रोसोफ़्ट ऑफ़िस उपलब्ध था जिसे मैंने इस प्रक्रिया को करने से पहले हटा दिया जो कि बिल्कुल ठीक काम कर रहा था। लेकिन इस बात का मैं कह नहीं सकता कि यह सभी उत्पादों के लिये ठीक होगा। इसके लिये निम्नलिखित तरीके को अपनायें –

१. वीएमवेयर थिन संस्थापित कर सेटअप केप्चर चलाइये। (वीएमवेयर थिन का मुख्य फ़ाईल) स्टार्ट पर क्लिक करें।

२. चुनिये सी ड्राइव (C Drive) एवं कोई अन्य ड्राइव जहाँ पर आप माइक्रोसोफ़्ट संस्थापित करना चाहते हैं, अगर आप
ऑफ़िस सी ड्राइव पर ही संस्थापित करना चाहते हैं तो केवल सी ड्राइव ही चुनिये।

३. प्री-इंस्टाल स्केन पर क्लिक करें और प्रोग्राम को चुनी हुई ड्राईव की पूरी स्केनिंग करने दें।

४. स्केनिंग पूरी होने के बाद ऑफ़िस को वापस से अपने पीसी पर संस्थापित कर लें, जैसे कि साधारणतया: करते हैं।

५. ऑफ़िस संस्थापित होने के बाद क्लिक करें पोस्ट-इंस्टाल स्केन को और फ़िर से इंतजार करें इस स्केन के खत्म होने का।

६. अब यह उत्पाद आप से पूछेगा कि कौन सी चलने वाली (executables) फ़ाईलों का पोर्टेबल उत्पाद बनाना है। दी गई
सूची में से चुन लीजिये व कन्टीनय़ू पर क्लिक करें।

७. अब आप से पूछा जायेगा कि इन फ़ाइलों को कहाँ पर स्टोर करना है।

८. जहाँ फ़ाईलों को आपने स्टोर किया है उस फ़ोल्डर को खोलकर बिल्ड.बेट (build.bat) चलाइये।

वीएमवेयर थिन अब पोर्टेबल फ़ाईल बनाकर उसी फ़ोल्डर में बिन नामक फ़ोल्डर बनाकर सेव कर देगा। बिन फ़ोल्डर में आपको exe ऑफ़िस की फ़ाईल मिल जायेंगी। इस फ़ोल्डर को आप अपनी पेनड्राईव पर कापी कर लीजिये और अपनी पेनड्राईव से सीधे ऑफ़िस चलाइये।

पोर्टेबल माइक्रोसोफ़्ट ऑफ़िस २००७ (Portable MS Office 2007)

आपकी पेनड्राईव के लिये अब लीजिये पोर्टेबल माइक्रोसोफ़्ट एन्टरप्राइज ऑफ़िस २००७। इसके लिये आपको ऑफ़िस २००७ का संस्थापन नहीं करना पड़ेगा, केवल .exe फ़ाइल से चल जायेगा।

इस पेनड्राईव (यू.एस.बी.) में निम्न सोफ़्टवेयर उपलब्ध हैं –

१. वर्ड २००७
२. एक्सेल २००७
३. पावरपाइंट २००७
४. ऑफ़िस पिक्चर मैनेजर
५. क्लिप ऑरगेनाइजर
६. ऑफ़िस डायगोनेसटिक २००७

आप यहाँ से डाउनलोड कर सकते हैं |

चेतावनी – इस Download साइट पर अश्लील (porn) विज्ञापन हैं, कृप्या ध्यान रखें। इससे मेरा व मेरे ब्लाग का कोई संबंध नहीं है।

दिल्ली को इन चरसियों से मुक्त करवाने के लिये कृप्या सहयोग करें और दिल्ली को सुँदर बनाने में योगदान दें।

मैं रोज आटो से करोलबाग से कनाटप्लेस अपने ओफ़िस जाता हूँ तो पंचकुइयां रोड और कनाटप्लेस की रोड जहाँ मिलती है, उसके थोड़े पहले ही चरसियों की भीड़ फ़ुटपाथ पर लगी रहती है। खुलेआम भारत की राजधानी दिल्ली में चरस का सेवन कर रहे हैं पर कोई भी किसी भी तरह की कार्यवाही करने को तैयार नहीं, कारण शायद यह कि उनसे कमाई नहीं हो सकती !!

वैसे तो रास्ते में बहुत सारी ओर भी चीजें पड़ती हैं रास्ते में, हनुमानजी का बहुत बड़ा मंदिर, थोड़ी ओर आगे जाने पर कबूतरों को दाने खिलाते लोग और कोने में श्मशानघाट और भी बहुत कुछ। पर बरबस ही निगाहें रुक जाती हैं चरसियों को देखकर जब कनाटप्लेस की रेडलाईट पर आटो रुकता है। ये लोग भिखारी, कचरा बीनने वाले जैसे लगते हैं, परंतु ये खुलेआम चरस का सेवन करते हुए दिख जायेंगे कानून का मजाक बनाते हुए। किसी भी कानून पालन करवाने वाले व्यक्ति को ये लोग नहीं दिखते ?

ये लोग वहाँ मैली कुचैली चादर ३-४ के झुँडों में ओढ़कर चरसपान करते रहते हैं और जैसा कि आटो वाले बताते हैं कि यही लोग रात के अँधेरे का फ़ायदा उठाकर लूटपाट भी करते हैं और पुलिस वाले इनको इसलिये पकड़ के नहीं ले जाते हैं कि इनसे उन्हें कोई भी (धन संबंधी) फ़ायदा नहीं होता है। उल्टा उनकी सेवा करना पड़ती है।

दिल्ली को इन चरसियों से मुक्त करवाने के लिये मेरा ब्लाग पढ़कर कोई बंधु जो यह अधिकार रखता हो या मीडिया में हो तो कृप्या सहयोग करें और दिल्ली को सुँदर बनाने में योगदान दें।

मन का ब्लागर होना बहुत जरुरी है ब्लाग लिखने के लिये, ब्लागर मन आखिर क्या चाहता है कुछ विश्लेषण

अब तो मेरा मन भी ब्लागर हो चला है, क्योंकि मन का ब्लागर होना बहुत जरुरी है ब्लाग लिखने के लिये, ब्लागर मन आखिर क्या चाहता है कुछ विश्लेषण –

१.आज कौन से नए विषय पर लिखा जाये कि पाठकों का असीम स्नेह मिले और ब्लागर मन की तड़पन को शांति मिल सके।
२.आसपास और अपनी जिंदगी में झांककर, घटी हुई घटनाओं को शब्दों के जादू से बुनकर अपनी जिंदगी के रंग सब को दिखा
दूँ।
३.साहित्यिक भाषा का उपयोग करुँ, जिससे ब्लागर मन के किसी कोने में बैठे साहित्यकार को दुनिया को दिखा सकूँ। (पहले
मैं कविताएँ लिखता था परंतु कार्य की व्यस्तता में सब खत्म हो गया।)
४.तंत्रजाल पर बहुत कुछ नया उपलब्ध है उसके बारे में खोजबीन कर अपने ब्लाग पर जानकारी प्रकाशित करुँ।
५.हिन्दी में अपने प्रोफ़ेशन के बारे में कुछ लिखूँ । ( लिखा था पर न ज्यादा हिट्स आये और न ही प्रतिक्रिया)
६.घरवाली ब्लाग लिखने पर काश झगड़ा न करे और यह भी सुनने को न मिले कि तुम मेरा समय चिठ्ठाकारी को दे देते हो।
(कई बार तो बड़े और तगड़े झगड़े हो चुके हैं। अब घरवाली को भी चिठ्ठाकारी के लिये राजी कर लिया है। अब वह भी जल्दी
ही चिठ्ठाजगत में प्रवेश करने वाली है।)
७.रिटायरमेंट के बाद फ़ुल टाईम ब्लागिंग करुँ।

भारत के नौजवानों को मेरा सलाम उनके जवानी से लबालब भरे खून के जोश को मेरा सलाम।

आखिरकार जवानी से लबालब भरे खून ने जोश दिखाया। कांग्रेस ने सपने में भी इतनी बढ़ी जीत का अहसास नहीं किया होगा पर जवानी से लबालब भरे खून ने जोश दिखाया और वो कर दिखाया जो शायद सपने में भी कोई नहीं सोच सकता था। कांग्रेस में युवा चेहरे ने कमाल दिखाया है २० साल बाद। २० साल बाद कांग्रेस में युवा चेहरा आया है और उसने राजनीति के मैदान में ऐसे पत्ते फ़ेंके जो बीजेपी समझ ही न पायी।

दिल्ली सुधारो पर पहले दिल्ली वालों को सुधारो

अभी हाल ही में अविनाशजी की एक पोस्ट आयी थी दिल्ली सुधारो। पर हमें लगता है कि उसे होना चाहिये दिल्ली वालों को सुधारो। उस पोस्ट में अविनाशजी ने बताया था कि कैसे दिल्ली के आटो वालों से निपटा जाये मतलब ज्यादा किराया मांगने पर उनकी शिकायत कहाँ की जाये।

अब हमें तो रोज कनाट प्लेस से आटो चालकों से झिकझिक करनी पड़ती है, क्योंकि कोई भी मीटर से चलने को तैयार नहीं होता और अगर मीटर से चलने को कहो तो इस अजीब तरह से हमें देखेगा कि जैसे हम अजायबघर से आये हों, फ़िर वही मोलभाव करो। अब कल का किस्सा बतायें आटो चालकों से झिकझिक कर रहे थे समय था रात के ११.२५ बजे का चूँकि आखिरी मेट्रो जा चुकी थी इसलिये आटो से ही जान पड़ेगा, जितने भी आटो वाले थे सब पूरे डबल पैसे माँग रहे थे और हम वीरता के साथ ईमानदारी (ज्यादा रुपये न देने के लिये) का झंडा लिये करीबन ३०-४० आटो वालों से पूछ चुके थे।

वहाँ पर दिल्ली पुलिस की पीसीआर वैन खड़ी थी, उस पर लिखा था दिल्ली पुलिस की चलती फ़िरती पुलिस चौकी और वो किन बातों पर एक्शन लेते हैं वो तीन बातें क्रमबद्ध तरीके से लिखी हुई थीं। हमने उनसे मदद लेने की कोशिश की तो जबाब मिला ये हमारा काम नहीं है ये ट्राफ़िक पुलिस का काम है। अरे भाई पुलिस तो होती है कानून का पालन करवाने के लिये पर यहाँ तो मामला ही उलट था, हमने भी उनसे पूछा कि देखो भाई वो एक्शन में तीसरे नंबर पर लिखा है कि क्राइम होने पर आप काम आयेंगे तो जबाब मिला कि अरे भाई ये भी कोई क्राइम है तब हमें आभास हुआ कि क्राइम का मतलब भी अलग हो गया है या हमने शायद उनके कार्यकौशलता पर संदेह किया है वे लोग तो वहाँ बंदूकवाले आतंकवादियों से लड़ने के लिये बैठे हैं न कि अपने देश के अंदर होने वाले इस तरह की छोटी छोटी मानसिक आतंकवादी गतिविधियों से लड़ने के लिये।

फ़िर याद आया कि अरे अविनाश भाई ने एक नंबर दिया था ट्राफ़िक पुलिस का, हमने मोबाईल से नंबर डायल किया और उसे शिकायत की तो उसका जबाब सुनकर हमें लगा कि हमारा फ़ोन लगाना उसे पसंद नहीं आया और गलती से फ़ोन उठा लिया है। हमने बताया कि कोई भी आटो वाला तय किराये पर जाने को तैयार नहीं है क्या किया जाये। ज्यादा हील हौल करने पर उधर से डिमांड आयी कि आटो का नंबर बता दीजिये कार्य़वाही की जायेगी तो हमने एक बचकानी सी बात पूछी “तो क्या ३०-४० आटो के नंबर आपको देने पड़ेंगे यहां पर तो कोई भी तय भाव से जाने को तैयार ही नहीं है”, तो उधर से जबाब आया तो क्या हरेक आटो वाले पर कार्यवाही करें क्या, अब मैं क्या जबाब देता क्योंकि वो खुद ही असहाय नजर आया। हमने फ़ोन काट दिया फ़िर १५-२० आटो वालों से पूछा और तय भाव से थोड़ा ज्यादा देकर, मोलभाव कर अपने गंतव्य पहुँच गये।

तो हमें लगा कि दिल्ली सुधारो पर पहले दिल्ली वालों को पहले सुधारो, पुलिस वालों को उनके कार्यक्षैत्र का पता होना चाहिये, खुलेआम लूट को रोकना चाहिये जैसे कि कोल्ड ड्रिंक या बोतलबंद पानी पर पूरे कनाट प्लेस में २ से ३ रुपये ज्यादा लिये जाते हैं, झिकझिक करो तो वो हाकर कहता है कि ये पुलिस वालों को चार्ज देना पड़ता है यहाँ खड़े होने के लिये।

शैतान मन ने एक सेकंड में इस जुऎं को इन्वेस्टमेन्ट का नाम दे दिया और 5 मिनिट में 60 रुपये फ़ूँके ।

कल रात को ऐसे ही टीवी के रिमोट पर चैनल को बदलते हुए हम पहुँच गये न्यूज चैनल E-24 पर, वहाँ पर एक एँकर काफ़ी लुभावने अंदाज में बोल रहा था तो हमारा हाथ जड़ हो गया, क्योंकि वो रुपये जीतने की बातें कर रहा था। स्क्रीन पर कुछ छ: पंक्तियों में अलग अलग रुपये लिखे थे, १०,००० से ६०,००० तक और एँकर पूछ रहा था कि बताइये हीरो या हीरोइनों के नाम जिनका नाम ए(A) पर खत्म होता हो और अगर वो उस लिस्ट में होंगे तो आपको उतनी ही रकम इनाम में मिलेगी। पहले तो हम देखते रहे कि यह क्या बला है, क्या आज हम पर किस्मत मेहरबान होकर कुछ हजारों रुपये चंद मिनिटों में ही जितवा देगी, आखिर हरेक आदमी यही सोचता है कि बिना काम करे किस तरह से ज्यादा से ज्यादा धन कमाया जाये।

कितने ही फ़ोन आये जा रहे थे और स्क्रीन के सीधे तरफ़ टाईमर चल रहा था, ओर एँकर बारबार जबाब सुनकर कह रहा था “ओह गलत जबाब”, कुछ दो लोगों का सही जबाब था तो उन्हें बताया गया कि १०,००० व ५०,००० रुपयों का इनाम जीत गये हैं। वह बारबार उकसा रहा था फ़ोन करने के लिये कि देखिये कितने आसान तरीके से आप इतने सारे रुपये जीत सकते हैं केवल २ मिनिट बचे हैं, हमने अपने मन को संयमित रखा और चुपचाप देखते रहे। कितने ही फ़ोन आये और कितने ही हीरो, हीरोईनों के नाम सुनने को मिले जो भूले बिसरे से हमारे मन में थे।

यह सवाल खत्म होने के बाद दूसरा सवाल आया कि पहचानिये आँखें किस हीरोईन की हैं, नाम बताइये और जीतिये २०,००० रुपये अब शर्त एक ओर कर दी गई कि हरेक कालर के गलत जबाब के बाद इनाम की रकम १,००० रुपयों से बड़ा दी जायेगी और कालर को १५०० रुपयों का इनाम मिलेगा, जबाब भले ही सही हो या गलत। अब भी हम अपने मन को संयमित रख कर चुपचाप देख रहे थे, पर हमारा मोबाईल हमारे हाथों में नाचने लगा था। हम अब चुपचाप उस नंबर की ओर देख रहे थे जिस पर डायल करना था, 5664424 अब नंबर न तो मुंबई का लगा न दिल्ली का तो हमने नोएडा का कोड मिलाकर डायल करने की कोशिश की परंतु असफ़ल। हम हताश हो रहे थे कि देखो केवल काल करने पर १,५०० रुपयों की कमाई हमारे हाथ से जा रही है। तभी एँकर ने टाईम खत्म करने की बात की (हम रुँआसे हो गये कि हाय फ़्री में १५०० रुपये का नुक्सान हो गया, जो जीते होंगे वो कितने किस्मत वाले होंगे), ओर कहा कि अब तक सही जबाब नहीं मिला है अब इनाम की रकम ५०,००० की जाती है और अब हर कालर को १५०० की जगह मिलेंगे २५०० रुपये और समय १० मिनिट और बढ़ा दिया गया है।

हमारी आँखों में चमक आ गई और हाथों में पड़ा मोबाईल बैचेन होने लगा हमारे मन जैसा पहले सोचा छोड़ो यह जुँआ है और हम जुँआ नही खेलते तो शरारती मन ने किसी कोने से निकलकर कहा अरे काल करने में क्या जाता है केवल एक मिनिट के १२ रुपये तो लगेंगे और अगर काल लग गया उत्तर गलत भी हुआ तब भी २,५०० रुपये मिलेंगे।

१२ रुपये प्रति मिनिट का खुलासा तब हुआ जब हमने ध्यान से एक छोटी सी पट्टी स्क्रीन पर चलती हुई पायी और काल डाइरेक्ट मोबाईल से ही करनी थी कोई कोड पहले नहीं लगाना था। वहाँ कार्यक्रम में तो धड़ाधड़ काल आये जा रहे थे और हमारा दिल भी धाड़ धाड़ कर सोच रहा था कि बस केवल काल लग जाये तो २,५०० रुपये अंटी हो जायेंगे। इन्वेस्टमेन्ट तो केवल कुछ रुपयों का ही है हमारे शैतान मन ने एक सेकंड में इस जुऎं को इन्वेस्टमेन्ट का नाम दे दिया और झट से हमने फ़ोन मिला दिया, मधुर आवाज महिला की आयी और हमारा स्वागत किया और कहा गया कि कृपया इंतजार करें किसी भी क्षण आपका काल स्टूडियो में ट्रांसफ़र किया जा सकता है। उधर से मधुर आवाज में वह यही निवेदन करती रही और हम बारबार अपने मोबाईल की स्क्रीन पर बड़ते हुए टाइम को देख रहे थे। कुछ ५ मिनिट के पहले ही काल अपने आप ही कट गई। हमारा ६० रुपये का नुक्सान हो गया, और चैनल वाले का फ़ायदा।

थोड़ी देर और वह कार्यक्रम देखा तो समझ में आ गया कि ये चैनल वाले बेवकूफ़ बना रहे हैं और केवल रुपये एंठने का काम कर रहे हैं। अपने उपर बहुत शर्मिंदगी महसूस हुई, कि काश इस शैतान मन की बात न मानी होती।

मुफ्त ऑनलाइन पीडीएफ़ से एक्सेल कनवर्टर सही और आसान तरीके से xls फ़ाइलों को संपादित करने के लिए।


अधिकांश पीडीएफ से एक्सेल कन्वर्टर तालिकाओं और गैर सारणीबद्ध सामग्री का पता नहीं लगा पाते हैं और केवल एक्सेल में पीडीएफ़ फ़ाइल की सामग्री को बदल देते हैं। उसके बाद आपको अवांछित डेटा को नष्ट करने की आवश्यकता होती है इस गतिविधि में ने केवल आपका समय लगता है बल्कि खीज भी होती है। ऑनलाइन पीडीएफ़ से एक्सेल कनवर्टर सही स्वरूपण और मूल सारणियां और स्प्रैडशीट्स के स्वरूप और, किसी अन्य उपकरण से अधिक xls फ़ाइलों को संपादित करने के लिए साफ सटीक और आसान बना देता है। उसके बाद आप इन तालिकाओं और स्प्रैड्शीट्स को पुनः माइक्रोसॉफ्ट एक्सेल, ओपनआफ़िस, गूगल डॉक्यूमेन्ट्स और वर्डपरफ़ेक्ट आफ़िस में उपयोग कर सकते हैं

पीडीएफ से एक्सेल कनवर्टर स्वरूपण (format) का ख्याल रखता है| यह स्वतः ही फ़ॉन्ट शैली, आकार एवं रंग PDF फ़ाइल से ले लेता है और रंग और सीमाओं के साथ तालिका स्वरूप, सेल रंग, और पंक्ति/स्तंभ की ऊंचाई और चौड़ाई का भी ख्याल रखता है।

पीडीएफ फाइल को एक्सेल में कैसे कन्वर्ट करें ?
1. पीडीएफ़ टू एक्सेल वेबसाईट पर चटका लगाइये और पीडीएफ कन्वर्ट करने के लिए चुन लीजिये।
2. आपका वैध ईमेल पता लिखें और कन्वर्ट बटन पर चटका लगाइये।
3. परिवर्तित फ़ाइल डाउनलोड करने के लिए अपने इनबॉक्स की जाँच करें।

नीचे नमूने की पीडीएफ़ और परिवर्तित xls फ़ाइल जिसके लिए मैं परीक्षण कर रहा था। परिणाम बहुत बढ़िया थे। सभी स्वरूपण सुविधाओं को अच्छे से कन्वर्ट किया गया। मुफ़्त पीडीएफ से एक्सेल कनवर्टर स्वच्छ और साफ फ़ाइल का उत्पादन करने के लिए अच्छा है।

दिल्ली मेट्रो (Delhi Metro) में सभ्य तरीके से सौन्दर्यपान

कल जब हम मेट्रो में मण्डी हाऊस से आ रहे थे तो हम बैठे हुए थे और वो तीन लड़्कियाँ अपनी अलहड़ जवानी में मस्त राजीव चौक से मेट्रो में आयी और हमारे सामने ही खड़ी हो गयीं जिसमें से दो ने जीन्स टीशर्ट और एक ने काटन का बरमूडा मिलेट्री वाला और काली टीशर्ट बिना स्लीवस की पहनी हुई थी, तभी इस लड़की ने अपनी सहेली को मेरी पैरों की तरफ़ इशारा करके कुछ कहा, तो पास वाले अंकल ने भी मेरे पैरों की तरफ़ देखा, चूँकि मेरी गोद में मेरा लेपटाप बेग था इसलिये मैं देख नहीं पाया कि वे क्या देख रहे हैं, फ़िर वह लाल टीशर्ट वाली लड़की मेरे पैरों की तरफ़ झुकी और मेट्रो का टोकन उठाया जो कि शायद चढ़ते समय गिर गया होगा और फ़िर वो काली वाली लड़की मेरी आँखों में देखकर हँस दी। एक पल तो लगा कि पता नहीं ये लोग किस कार्य को अंजाम देने की कोशिश कर रहे हैं पर पल भर में मेट्रो के टोकन ने सब साफ़ कर दिया।

मेट्रो में एसी अपनी फ़ुलस्पीड में चल रहा था हमें भी भरी गर्मी में मेट्रो में ठंड लग रही थी, हालांकि कुछ देर पहले ही दिल्ली में बारिश हुई थी और साथ में ओले भी गिरे थे पर मौसम गरम था सुहाना नहीं था। और वह बरमूडे वाली लड़की जो अपनी अलहड़ता में डूबी हुई थी उसके हाथ के रोएँ एसी के ठंडक के कारण खड़े हो गये थे, जो कि कोई भी दूर से देख सकता था। वह हँस रही थी तो उसके गाल में गड्डे पड़ रहे थे बहुत ही मासूम और खूबसूरत लग रही थी। सभ्य तरीके से हम सौन्दर्यपान कर रहे थे कि तभी हमारा स्टेशन आ गया और हम अपनी सीट से खड़े हो गये तो हमारी सीट पर कब्जा करने के लिये पास में खड़े लड़्के लपके और वो तीनों लड़कियाँ भी, दोनों एक एक सीट पर कब्जा करने में कामयाब हो गये और हम मेट्रो से निकल लिये।

हालांकि हमारे मन और दिल में कोई गंदगी नहीं है, पर सुन्दरता किसी भी रुप में आपके सामने आ सकती है चाहे वह आदमी, औरत या बच्चा हो। वैसे तो हमें इस जहान में अपनी घरवाली और अपना बच्चा ही सबसे सुन्दर लगते हैं पर कभी कभी बाहरी सौन्दर्य भी दिख जाता है जिसमें हमारी सहमति नहीं होती पर देखना पड़ता है। लालसा सभी के मन में होती है पर हमारे सामाजिक बंधनों ने सभी को सभी प्रकार से मुक्त होने के लिये जकड़ रखा है। कोई भी सौन्दर्यपान करने से नहीं चूकता है भले ही वह बच्चा, बच्ची, जवान लड़का, लड़की या बूढ़ा हो, जीवन का सत्य है।