नारियाँ वस्तुत: आभूषणों से बहुत प्रेम करती हैं। हमारे शास्त्रों ने भी नारियों के लिये विविध प्रकार के रत़्नाभूषणों आदि की व्यवस्था की है, पर प्रत्येक आभूषण के अन्तर्गत एक गुण, सन्देश छिपा है। प्रत्येक भारतीय नारी को चाहिये कि आभूषण धारण करने के साथ – साथ आभूषण के अन्तर्गत निहित अर्थ संदेश को भी ह्र्दयंगम करे, ताकि उस आभूषण का नाम सार्थक हो सके –
मिस्सी – मिस अर्थात बहाना बनाना छोड़ दें। पान या मेंहदी – लाज की लाली बनायें रखें।
काजल – शील का जल नयनों में रखें।
नथ – मन को नाथे अर्थात नियन्त्रित रखें, जिससे नाक ऊँची रहे।
बेंदी – बदी (बुराई) छोड़ दें।
टीका – ध्यान रखें यश का टीका लगे – कलंक का नहीं।
वंदनी – पति एवं गुरुजनों की वन्दना करें।
पत्ती – अपनी तथा परिवार की पत (लाज) रखें।
कर्णफ़ूल – कानों से दूसरों की प्रशंसा सुनें।
हँसली – हमेशा हँसमुख रहें।
मोहनमाला – सद़्गुणों से सबका मन मोह लें।
कण्ठहार – पति के कण्ठ का हार बनें।
कड़े – किसी से कड़ी बात न बोलें।
छल्ले – किसी से छल न करें।
करघनी या कमरबंद – सत्कर्मों के लिये हमेशा कमर बाँध कर तैयार रहें।
पायल – सभी बड़ी बूढ़ी औरतों के पाँव (चरण) स्पर्श करें।