Monthly Archives: November 2009

मुंबई के ब्लॉगर बंधु ध्यान दें – ब्लॉग मीटिंग के लिये आज मेरी बात अविनाश वाचस्पति जी से हुई …

आज मेरी बात अविनाश वाचस्पति जी से हुई, वे शनिवार ५ दिसंबर को मुंबई पहुँच रहे हैं। मुझे हालांकि लगभग ४ वर्ष मुंबई में रहते हुए हो गये हैं परंतु किसी भी मुंबई के ब्लॉगर से मुलाकात नहीं हुई है या यह कह सकते हैं कि कभी कोशिश नहीं की, पर अब अविनाश जी आ रहे हैं यही कड़ी जोड़ने के लिये। हमारी भी कोशिश है कि अधिक से अधिक ब्लॉगर मिलें और भौतिक रुप से उपस्थिती दर्ज करवाकर ब्लॉगर परिवार को परिचित करवाना है।

कृप्या बतायें कि कहाँ मिलना अच्छा रहेगा, मैं कांदिवली में रहता हूँ, सभी ब्लॉगर्स अलग अलग जगह पर रहते होंगे, इसलिये किसी ऐसी केन्द्रीय जगह का चुनाव कर लिया जाये जहाँ सबको आने जाने में सुविधा हो। जैसे कि दादर का शिवाजी पार्क, चर्च गेट, फ़ोर्ट में किसी बगीचे या कैफ़े में, मरीन ड्राईव कहीं भी बस ज्यादा से ज्यादा ब्लॉगर्स आ पायें यही कोशिश है।

ऐसे ही समय भी पक्का कर लिया जाये अभी हमारे पास ४ दिन हैं और हम कार्यक्रम निश्चित तौर पर अच्छी तरह से कर पायेंगे।

उम्मीद है सभी से सहयोग की।

मुझे आप ईमेल कर सकते हैं और अपना व्यक्तिगत मोबाईल नंबर भी, संपर्क करने का उचित समय भी दें तो बहुत ही अच्छा होगा तो हम आपस मैं बात कर सकते हैं।

विवेक रस्तोगी

मेरी तस्वीर जो केवल मेरे मन के आईने में नजर आती है….मेरी कविता ….. विवेक

image

मेरी तस्वीर जो केवल,

मेरे मन के आईने में नजर आती है,

दुनिया को कुछ ओर दिखता है,

पर अंदर कुछ ओर छिपा होता है,

मेरा स्वरुप पारदर्शी है,

पर आईने को सब पता होता है,

जैसा मैं हूँ वैसा मैं ,

तत्व दुनिया को दिखाता नहीं हूँ,

आईना आईना होता है,

पर वो अंतरतम में कहीं होता है,

तस्वीर चमकती रहती है,

जिसे दुनिया तका करती है।

आज मन धीर है, गंभीर है…… मेरी कविता…..विवेक

आज मन धीर है,

गंभीर है,

भविष्य के गर्भ में,

क्या है,

वो जानने के लिये,

अधीर है,

कोई चिंता नहीं है,

फ़िर भी,

बहुत ही बैचेन है,

जाने क्यों,

जिंदगी की धार में,

बहते हुए,

जिंदगी की धार पर,

चलते हुए,

आज मन धीर है,

गंभीर है।

क्या आपने कभी गूगल की ट्रांसलेटेड सर्च(अनुवादित खोज, 翻译搜索) का उपयोग किया है, दूसरी भाषाओं में लिखा गया अपनी भाषा में पढ़ें…

     मैं अक्सर गूगल की ट्रांसलेटेड सर्च का उपयोग करता हूँ। बहुत ही काम की चीज है यह, आप लोग शायद गूगल ट्रांसलेट के बारे में तो जानते ही होंगे जिसमें आप कोई भी टेक्सट को कापी करके वहाँ मनचाही भाषा में उसका ट्रांसलेशन देख सकते हैं, पहले इसके लिये ट्रांसलेट का बटन दबाना होता था, पर आजकल बस आप टाईप करते जाईये गूगल एकदम उसका ट्रांसलेशन करके नीचे दिखाता जायेगा।

    इसमें ट्रांसलेट फ़्राम लेंग्वेज से ट्रांसलेट इनटू लेंग्वेज चुन लीजिये। जैसे कि अगर आप अंग्रेजी से हिन्दी में कुछ ट्रांसलेट करना चाहते हैं तो आप दिये गये बॉक्स में अंग्रेजी में लिख दीजिये या फ़िर कापी कर दीजिये और देखिये फ़टाफ़ट गूगल महाराज उसका ट्रांसलेट आपको हिन्दी में कर देंगे।

अब आते हैं ट्रांसलेटेड सर्च पर याने कि अनुवादित खोज, कई बार इच्छा होती है कि ये चीन भारत के बारे में बहुत कुछ कह रहा है पर हमारे पास कोई खबर नहीं आती है, जिसके बहुत सारे कारण होते हैं या फ़िर खबर गलत है या सही, इसके लिये आप सीधे अपनी हिन्दी भाषा में लिखकर चाईनीज भाषा के वेबपेजों पर उससे संबंधित क्या लिखा है, ढूँढ़ सकते हैं जब आप ट्रांसलेट वेबपेज पर होते हैं वहीं पर एक ओर लिंक होता है, ट्रांसलेटेड सर्च। उपयोग करके देखें, हालांकि अनुवाद का स्तर बहुत अच्छा नहीं है हाँ पर आप लेख की मूल भावना तक जा सकते हैं,  कि लेखक क्या कहना चाहते हैं, और फ़िर आप अगर टिप्पणी देना चाहें तो वो भी दे सकते हैं, वो भी उसी की चीनी भाषा में, अरे ट्रांसलेट सुविधा से।

अनुवादित भाषा में लेख पहले देख सकते हैं और मूल भाषा में लिखा गया लेख उसके सामने ही देख सकते हैं।

كيف حصلت على وظيفة

你怎样得到我的职务

बताईये ये मैंने क्या लिखा है और कौन सी भाषा है। अरे ट्रांसलेट पेज पर जाईये न। और आकर टिप्पणी कीजिये।

हाँ तुमने आकर, मेरी जिंदगी सँवार दी है …

तुमने मेरे अंदर,
प्रेम पल्लवित किया है,
तुमने मेरे अंदर्,
ऊष्मा भर दी है
तुमने जिंदगी को नये,
तरीके से जीना सिखाया है
हाँ तुमने आकर,
मेरी जिंदगी सँवार दी है

अब तुम,
मुझसे अलग नहीं हो,
तुम मुझमें इस तरह,
सम्मिलित हो गयी हो
इसलिये तुम्हरा,
अहसास ही नहीं होता
अहसास तो उसका होता,
है जो अपने मैं नहीं होता
हाँ तुमने आकर,
मेरी जिंदगी सँवार दी है ।

खबरों का जिक्र जिसमें २६/११, गूगल, सुखोई, हार्मोन हैं सफ़ल शेयर ट्रेडर बनने का राज और एक महिला मलेशिया में मुस्लिम से हिन्दु धर्म परिवर्तन करना चाहती है पर बहुत मुश्किल राहें हैं..

     आज सुबह सोच रहा था कि क्या लिखूँ, फ़िर बिस्तर से उठने के पहले ही एक अभिव्यक्ति आ गई जो कि मैंने कविता के रुप में अभिव्यक्त कर दी। फ़िर अखबार पढ़ रहा था, तो वही कल का टाईम्स ऑफ़ इंडिया देखा, तो पाया कि इन्होंने प्रिंट मीडिया से २६/११ का अनूठा विरोध किया था, कि पूरा अखबार श्वेत-श्याम था, रंग गायब थे। जैसे २६/११ को हमारी जिंदगी से इन राक्षसों ने हमारी जिंदगी के रंग उड़ा दिये थे। कल हमने जगह जगह २६/११ के श्रद्धांजलि कार्यक्रम देखे, सुबह ऑफ़िस जाते समय हीरो हांडा की टीशर्ट पहने हुए कुछ तख्ती लिये हुए करीबन २०-२५ बाईक्स पर लड़कों को, देखा तख्तियां थी श्रद्धांजलि की। दो बसों में बच्चे २६/११ पर शान्ति का संदेश दे रहे थे। कुछ लोगों ने टीशर्ट पहन रखीं थीं “पीस इंडिया, वन मुंबई” ऐसा ही कुछ था अब स्लोगन कुछ याद नहीं आ रहा है।

    ३१ करोड़ का खर्चा कर चुकी है सरकार कसाब को जिंदा रखने में, हम सोचते हैं कि वाकई सरकार जहाँ खर्चा करना चाहिये वहाँ नहीं करती है। जहाँ से नहीं कमाना चाहिये वहाँ से कमायेंगे, वो तो बस ये समझ लो कि बांद्रा वर्ली सी लिंक बन गया नहीं तो हमें खुशदीप सहगल जी की पोस्ट बरबस याद आ जाती है ठाठ-बाट का राज़…

   राष्ट्रपति महोदया प्रतिभा पाटिल ने फ़ाईटर प्लेन सुखोई में उड़ान भरकर इतिहास रच दिया। उन्होंने बता दिया कि इच्छाशक्ति होनी चाहिये फ़िर भले ही वह नारी हो वह कुछ भी कर सकती है। सलाम है मेरा उनको… और उनकी भावनाओं को… जो कि नारी की भावनाओं से ऊपर उठकर हैं… देश के लिये.. All set for Prez’s Sukhoi sortie

   भारत में गूगल  गाँव मिला कर्नाटक के रायचूर जिले में पर आप उसे गूगल पर नहीं ढूँढ़ पायेंगे। गूगल रायचूर से लगभग ५१० किलोमीटर दूर है, पूरी खबर आप यहाँ पढ़ सकते हैं – Google search ends in Raichur‎  ।

   सही हार्मोनों का मिश्रण ही सफ़ल शेयर ट्रेडर बनाता है, प्रॉफ़िट की भूख भी इसमें सहभागी होती है, पूरा समाचार आप यहाँ देख सकते हैं Perfect trader a mix of hormones & drive‎  ।

   मलेशिया कुआलालंपुर से एक खबर है कि एक महिला मुस्लिम से हिन्दु धर्म परिवर्तन करना चाहती है परंतु वहाँ के दोगुला कानून के कारण उन्हें अड़चनों का सामना करना पड़ रहा है। २७ वर्षीय महिला  ७ वर्ष की उम्र में मुस्लिम बना दी गई थी पर उसने नहीं अपना मुस्लिम धर्म, खबर पढ़ें Malaysian woman tries to reverse Muslim conversion

लगभग १० साल बाद वापिस से कविता लिखी है, “इंतजार है उस दिन का”… इंतजार है आपकी प्रतिक्रियाओं का

इंतजार है उस दिन का

जब तुम अपनी बाँहों मॆं

भरकर मुझे गर्मजोशी से

प्यार से दिल से मन से

मुझे अलसुबह उनींदे बिस्तर से

उठाओगी, और हल्के से कहोगी

प्रिये सुप्रभात, तुम्हारे लिये

मैंने नई दुनिया गढ़ी है

वो तुम्हारा इंतजार कर रही है…

क्या आप रोज दाढ़ी बनाते हैं या फ़िर कभी कभी.. ये आपके व्यक्तित्व को प्रभावित करती है..

   जो व्यक्ति रोज दाढ़ी बनाते हैं उनमें दूसरे को प्रभावित करने की क्षमता ज्यादा होती है बनस्बत उनके जो कि कभी कभी दाढ़ी बनाते हैं। एक तो क्लीन शेव होने से व्यक्ति अच्छा साफ़ सुथरा दिखने लगता है मतलब क्लीन शेव। जब भी वह आईना देखता है तो उसे अपने आप पर अभिमान होता है कि वाह मैं कितना अच्छा लग रहा हूँ।

    जब कभी किसी व्यक्ति से आप मिलेंगे तो क्लीन शेव का भी बहुत फ़र्क पड़ता है कि हाँ यह व्यक्ति साफ़ सुथरा है और नियम से रहता है क्योंकि जो लोग क्लीन शेव रखते हैं वे या तो रोज शेविंग करते हैं या फ़िर एक दिन छोड़कर ये अपनी अपनी शेविंग पर निर्भर करता है।

   क्लीन शेव होने से व्यक्ति अपनी उम्र से छोटा भी लगता है और उसकी उम्र पता लगाना मुश्किल होता है, जबकि मूँछ रखने से उम्र ज्यादा लगने लगती है, दाढ़ी रखने वाले व्यक्ति को दाढ़ी संभालना भी एक चैलेन्ज होता है। बाल सफ़ेद होने पर क्लीन शेव वाले व्यक्ति को तो कोई समस्या नहीं क्योंकि उसके सफ़ेद बाल शेव हो गये परंतु मूँछ और दाढ़ी रखने वाले के साथ समस्या है या तो वह अपने बाल सफ़ेद ही रखे या फ़िर नियमित अंतराल पर रंगता रहे।

    कल ही एक सर्वे की रिपोर्ट प्रकाशित हुई है चाहिए स्मूच? उड़ा दीजिए दाढ़ी, मूंछ! | जहाँ बताया गया है कि क्लीन शेव पुरुषों को महिलाएँ ज्यादा पसंद करती हैं और जिनकी हल्की दाढ़ी होती है उनमें महिलाओं को ज्यादा सेक्स अपील दिखती है। ये बात तो शायद सही है कि पुरुष हल्की दाढ़ी में अच्छे लगते हैं और खुद भी अपने आप को सेक्सी लुक देने से नहीं रोक पाते हैं, हल्की दाढ़ी क्लीन शेव मैन से ज्यादा सेक्सी होता है। पर यह अपने अपने सोच पर निर्भर करता है।

आप भी बताईये कि आप इस बारे में क्या सोचते हैं…

IRCTC.CO.IN के साथ आज सुबह का हमारा बहुत बुरा अनुभव – किसे शिकायत करें इनके पास इन्फ़्रास्ट्रक्चर ना होने की…

     आज सुबह सात पचपन से ही हम irctc पर हम तत्काल का रिजर्वेशन करवाने के लिये बैठ गये और क्विक बुक विकल्प से हम जाते हैं क्योंकि वहाँ से सीधे पेमेन्ट गेटवे पर जा सकते हैं। पर जैसे ही आठ बजे  irctc  की साईट Service Unavailable का बोर्ड दिखाने लगी, हम परेशान कि हमें पता ही नहीं चल पा रहा था कि हमें टिकिट मिल पायेगा या नहीं  और irctc की साईट को कई बार रिफ़्रेश किया परंतु नतीजा वही। आखिरकार हमें सफ़लता मिली ८.२८ मिनिट पर और हमारा टिकिट बुक हो गया तब मात्र ११ सीटें उपलब्ध थीं। वो तो हमारी किस्मत अच्छी थी कि हमें टिकिट मिल गई नहीं तो मात्र ५ मिनिट में ही सारी टिकिट साफ़ हो जाती हैं।

इस विषय पर हम पहले भी लिख चुके हैं –

irctc.co.in रेल्वे का मिला जुला खेल या इस सरकारी तंत्र के पास संसाधनों Infrastructure की कमी

     अब आज हमने सोचा कि इनका क्या किया जाये कहाँ शिकायत की जाये तो हमें पता चला कि इनका कोई नियामक ही नहीं है, जैसे बैंक, टेलीकॉम, इंश्योरेन्स आदि संस्थाओं के लिये नियामक हैं पर रेल्वे  का कोई नियामक नहीं है।

     क्या इनके पास infrastructure की वाकई कमी है या उसे लागू करने की इच्छाशक्ति की कमी है, अगर ये लोग बोलते हैं कि हमारे पास ट्रान्जेक्शन बहुत ज्यादा होते हैं तो यह गलत है क्योंकि अगर बड़े बैंकों से बराबरी की जाये तो कहीं न कहीं उसमें भी समानता मिल जायेगी। पर बैंकों के Infrastructure में कभी समस्या नहीं आती, क्योंकि वे लोग अपने को समय के अनुरुप अपडेट रखते हैं या फ़िर सब कुछ आऊटसोर्स कर देते हैं। भारतीय रेल्वे को भी इस पर कुछ ऐसा ही कदम उठाना चाहिये।

     हम अब ये बात रेल्वे के उच्चाधिकारियों तक कैसे पहुंचायें अब यह जानने की कोशिश करते हैं और उन तक अपनी बात पहुंचाते हैं। अगर कोई इस बारे में हमारी सहायता कर सकता है तो जरुर बताये।

ब्लॉगिंग के कीड़े के कारण अपने सारे कमिटमेंन्ट्स की वाट लग गई…

     ब्लॉगिंग के कीड़े ने ऐसा काटा है कि अपने सारे कमिटमेंन्ट्स की वाट लग गई है। कुछ दिन पहले जिम शुरु किया था मतलब दिवाली के एक महीने पहले तक तो हम सुबह या शाम कभी भी समय निकालकर चले जाया करते थे,  फ़िर एक महीने के लिये बीबी बच्चे उज्जैन चले गये तो हम भी आराम से बेचलर लाईफ़ जीने लगे और मजे में रहने लगे। अब तो न बीबी के ताने का डर था और न ही जिम न जाने पर किसी से नजरें भी नहीं चुरानी थी, बस जितना समय मिलता अपनी किताबें पढ़ने के शौक में निकल जाता या ब्लॉगिंग में।

   पर जबसे हमने जिम शुरु किया था तो हमारा ब्लॉगिंग का प्राईम टाईम उसी में निकल जाता था और हम हमारा ब्लॉग लिखने का शौक पूरा नहीं कर पा रहे थे। फ़िर बेशर्म होकर हमने जिम न जाने फ़ैसला कर लिया, थोड़े दिन बीबी ने भी ताने मारे फ़िर चिकना घड़ा समझकर बोलना छोड़ दिया कि बोलने का कुछ फ़ायदा नहीं। हाँ खर्चा जरुर ज्यादा हो गया, शौक में हम २-३ हजार की एसेसरीज ले आये और कभी कभी उनकी नजरों से तानों का एहसास होता है, क्योंकि अब वो हमारी आदत से परिचित हो गई हैं।

   हमने हमारे स्वास्थ्य के लिये अपने से कमिटमेन्ट किया था कि अब कुछ वजन कम करेंगे और नियमित व्यायाम करेंगे। पर ब्लॉगिंग के कीड़े ने ऐसा काटा कि अपने सारे कमिटमेंन्ट्स की वाट लग गई।

   और जब से हमारे घर में नया इंटरनेट कनेक्शन लगा है तो हमारी श्रीमती जी के तेवर भी बदल गये हैं कि आ गई मेरी सौत। अब हैं तो हम चिकने घड़े ही…. देखते हैं कि भविष्य में हम कैसे अपने कमिटमेन्ट्स पूरे कर पायेंगे।