Monthly Archives: January 2011

बेनरगट्टा राष्ट्रीय उद्यान, बैंगलोर की सैर (Banerghatta National Park)

    बेनरगट्टा राष्ट्रीय उद्यान घूमने की बहुत दिनों से इच्छा थी, फ़िर एकाएक बैंगलोर मिरर में खबर आई कि कर्नाटक के सारे राष्ट्रीय उद्यानों के प्रवेश शुल्क और सफ़ारी शुल्क १ फ़रवरी से बेइंतहां बढ़ाये जा रहे हैं, तो हमने सोचा कि चलो १ फ़रवरी के पहले ही उद्यान का भ्रमण कर आया जाये।
  बेनरगट्टा नेशनल पार्क मेरे घर से लगभग ३३ किमी है, और मैं बैंगलोर में नया नया हूँ इसलिये बस रूट्स की ज्यादा जानकारी भी नहीं थी, तो बैंगलोर महानगर परिवहन विभाग के अंतर्जाल से जानकारी ली, परंतु वहाँ पर बहुत लंबा रूट दर्शाया जा रहा था। फ़िर हमने अपने भाई की मदद ली, वह भी आजकल बैंगलोर में ही है और अभी २ सप्ताह पहले ही घूम कर आये थे।
    तो पता चला कि हम जिस रूट से जाने की सोच रहे थे वह ५५ किमी लंबा था और उन्होंने हमें ३२ किमी वाला बस रूट बताया, जिसमें हमें एक जगह बस बदलनी थी।
    सुबह लगभग सवा आठ बजे हम घर से निकल लिये, क्योंकि उद्यान का समय सुबह ९ बजे से ६ बजे तक है, हमने सोचा कि जल्दी पहुँचेंगे तो भीड़ कम मिलेगी और सुबह सुबह वैसे भी ताजगी रहती है। माराथल्ली पहुँचकर पहले सुबह का नाश्ता किया, नाश्ते में था इडली, मसाला डोसा और काफ़ी। फ़िर से वोल्वो पकड़कर पहुँचे, बीटीएम लेआऊट जहाँ से हमें बेनरगट्टा नेशनल पार्क जाने वाली बस मिलनी थी, वहाँ जब हम बस स्टॉप पर पहुँच ही रहे थे कि उस रूट की बस हमारे सामने ही निकल गई, और अब अगली बस आधा घंटे के बाद का समय था। उस समय ऐसा लग रहा था कि काश अपनी गाड़ी होती तो इतना इंतजार न करना पड़ता, परंतु जो मजा इस इंतजार में था वह अपनी गाड़ी होने पर थोड़े ही न आता।
    जब तक भ्रमण में रोमांच न हो तो यात्रा का आनंद नहीं होता है, इंतजार यात्रा के आनंद को दोगुना करता है, क्योंकि बहुत सी ऐसी चीजें और लोगों से मुलाकात होती है, जो शायद अपनी गाड़ी होने पर नहीं होती है।
     बैंगलोर में एक अच्छी बात है कि वोल्वो एसी बस में दिनभर का गोल्ड पास ८५ रुपये का बनता है जिसमें वायु वज्र जो कि अंतर्राष्टीय हवाई अड्डे की सेवा है और दैनिक बैंगलोर दर्शन बस में नहीं बैठ सकते हैं, बाकी हरेक BMTC की बस में बैठ सकते हैं। बेनरगट्टा राष्टीय उद्यान पहुँचने के लिये मेजेस्टिक बस स्टैंड से एसी वोल्वो बस 365 मिलती है, और यह सेवा लगभग हर आधा घंटे में उपलब्ध है।
    बेनरगट्टा राष्ट्रीय उद्यान पहुँचकर ऐसा लगा कि बहुत दिनों बाद साँस ले रहे हैं, इतनी शुद्ध हवा, अहा मन में ताजगी भर आई।
    सबसे पहले टिकिट खिड़की पहुँचे वहाँ वयस्क का टिकिट १६० रुपये और बच्चों का टिकिट ८५ रुपये था, जिसमें ग्रांड सफ़ारी (भालू, शेर, चीता, सफ़ेड चीता,हाथी) और चिडियाघर का शुल्क था।
    जैसे ही हम चिडियाघर में दाखिल हुए वहीं लाईन लगी हुई थी, ग्रांड सफ़ारी की, उस समय लाईन लंबी नहीं थी, क्योंकि हम जल्दी पहुँचे थे (वैसे भी जंगल में जाने का मजा सुबह ६ बजे के आसपास ही होता है, पर यहाँ सुबह ६ बजे शायद कोई नहीं होता होगा।)।
    ग्रांड सफ़ारी यात्रा शुरु हुई, पहले हाथी दिखा फ़िर चीतल, बारहसिंघा, नीलगाय इत्यादि जानवर दिखने लगे। अब बस पहुँची भालू वाले जंगल में, बहुत सारे भालू बस के पास ही बैठे हुए दिखे, काफ़ी लंबे लंबे नाखून थे। बहुत फ़ोटो खींचे गये। इसी प्रकार शेर, चीता और सफ़ेद चीते के जंगल में बस गई और बिल्कुल पास से दिखाया गया, बस के एकदम बगल में या बिल्कुल सामने, बेहद करीब।

 

 

     एक जगह तो ५-६ शेर एकसाथ बैठे थे तो लगा कि इनकी ब्लॉगरी मीट चल रही है, और वहीं एक शेर पिजरे के ऊपर चढ़ लिया था तो दूसरा शेर अपने पैर से उसकी टांग खींचकर नीचे उतारने की कोशिश कर रहा था, ऐसा लग रहा था कि जंगल में भी शेर दिल्ली वाली बातों को समझने लगे हैं।
    ग्रांड सफ़ारी के बाद हम पहुँचे तितलियों के उद्यान में, जहाँ का शुल्क २५ रुपये अलग था, तितलियों के बारे में बहुत ही अच्छी और उपयोगी जानकारियाँ मिलीं। इस उद्यान में इतनी शुद्ध हवा थी कि आत्मा प्रसन्न हो गई।
    उसके बाद फ़िर चिड़ियाघर के प्रवेश द्वार पर पहुँचे और वहाँ पहले भुट्टे खाये, फ़िर चिड़ियाघर के जानवर देखे, सबसे अच्छा लगा तेंदुआ, बिल्कुल पोज बनाकर बैठा हुआ था, जैसे उसे पता हो कि आज बहुत सारे लोग उसे ही देखने आनेवाले हैं।
   वहीं पास ही क्रोकोडायल पड़ा था, मुँह खुला है तो खुला ही है, बहुत ही आलसी जानवर जान पड़ता है, परंतु जब शिकार सामने आता है तो इससे फ़ुर्तीला भी कोई नहीं है। बहुत दिनों बाद उल्लू देखे।
    हाथी की सवारी भी थी, परंतु उन हाथियों की दुरदर्शा देखकर उन पर बैठकर देखने की इच्छा ही नहीं हुई। बिल्कुल मरियल से लग रहे थे, ऐसा लग रहा था कि जंगल विभाग ने हाथी को बंधुआ मजदूर बनाकर रखा है, वह केवल कमाऊ पूत है।
    वहीं राष्ट्रीय उद्यान में एक अच्छी बात लगी कि प्लास्टिक प्रतिबंधित थी, और अगर आप प्लास्टिक पोलिथीन में चिप्स खा रहे हैं, तो वहीं कर्मी कागज के पैकेट में आपके चिप्स करके आपको दे देंगे। पर फ़िर भी आखिर हैं तो हम भारतीय ही, अंदर जगह जगह प्लास्टिक बैग्स देखकर मन खिन्न भी हुआ।
    आखिरकार हम लोग २.३० बजे दोपहर को वापिस निकल पड़े घर के लिये। दिन भर आनंद रहा, पर शेरों के शासन से वापिस अपने मानव निर्मित शासित जगह जाने में बड़ा अजीब लग रहा था।
     इसके पहले भी हम कई राष्ट्रीय उद्यान घूम चुके हैं परंतु अब तक सबसे बढ़िया हमें सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान ही लगा है।

आओ पैसा कमायें “शेयर बाजार में निवेश” – भाग १

    जब आप निवेश करते हैं, तो उसे सरल ही रखें। वही करें जो बिल्कुल सरल और स्पष्ट है, बफ़ेट सलाह देते हैं – जटिल प्रश्नों के लिये जटिल उत्तर देने की कोशिश मत करिये।

    अधिकतर लोगों की यह धारणा है कि शेयर बाजार में निवेश करना बहुत जटिल, रहस्यों से भरा और जोखिम भरा होता है इसलिये इसे इसके पेशेवरों को ही करना चाहिये। यह हम सबकी मानसिकता और एक आम धारणा है कि आम आदमी सफ़ल निवेशक नहीं बन सकता क्योंकि निवेश में सफ़लता के लिये उन्नत व्यावसायिक डिग्री, कठिन गणितीय सूत्रों में महारत, जटिल कम्पयूटर प्रोग्राम का आपके पास होना जो कि शेयर बाजार का हाल बतायें और इतना सारा समय कि आप शेयर बाजार, चार्ट, मात्रा, आर्थिक रूझान आदि पर ध्यान दे पायें।

    वारेन बफ़ेट ने बता दिया कि यह सब मात्र मिथक है।

    बफ़ेट ने शेयर बाजार में सफ़लता के लिये जो राह खोजी वह बहुत जटिल नहीं है। कोई भी व्यक्ति जो सामान्य बुद्धि रखता हो वह सफ़ल निवेशक बनने की काबिलियत रखता है, किसी भी पेशेवर की सहायता के बिना, क्योंकि निवेश के सिद्धांत समझने के लिये बहुत ही आसान हैं।

    बफ़ेट केवल ऐसे व्यापारों के शेयरों में निवेश करते हैं, जो आसानी से समझा जा सके, मजबूत, ईमानदार और टिकाऊ व्यापार हो, जिसकी सफ़लता की व्याख्या बहुत सरल हो, और वे कभी भी ऐसे व्यापार में निवेश नहीं करते हैं जिसे वे नहीं समझते हैं।

    बफ़ेट के निवेश सिद्धांतों का सार और अच्छी बात केवल सरलता ही है।  इसके लिये आपको जटिल गणित, वित्तीय पृष्ठभूमि, अर्थव्यवस्था के बारे में जानकारी और शेयर बाजार भविष्य में कैसे होंगे, इनकी जानकारी होना आवश्यक नहीं है। यह सामान्य बुद्धि से आदर्श, धीरज और साधारण मूल्यों पर आधारित है, जो कि कोई भी निवेशक आसानी से समझ कर अपना सकता है। जबकि बफ़ेट की धारणा है कि निवेशक गणितीय सूत्रों, शार्टटर्म बाजार के भविष्य और चाल, बाजार और वोल्यूम पर आधारित चार्ट्स को देख कर अपने को ही मुश्किल में डालते हैं।

    वस्तुत:  बफ़ेट कहते हैं कि जटिलता आपको सफ़लता से दूर करती है। खुद को निवेश के नये सिद्धांतो में उलझाने की कोशिश न करें, जैसे कि ऑप्शन्स प्राईसिंग या बीटा। बहुत सारे मामलों में आप नयी तकनीकी में खुद को बेहतर स्थिती में नहीं पायेंगे। बफ़ेट ने अपने गुरु से एक बात सीखी कि “आपको असाधारण नतीजों के लिये असाधारण साहस की जरुरत नहीं होती है”।

    हमेशा खुद को साधारण रखें। लक्ष्य कैसे चुनें –  अच्छी कंपनी के शेयर खरीदें, जो कि ईमानदार और काबिल लोगों द्वारा चलायी जा रही हो। आप अपने शेयर के लिये कम भुगतान कीजिये, भविष्य में उसकी अर्जन क्षमता को पहचानें। फ़िर उस शेयर को लंबे समय तक अपने पास रखें और बाजार को आपके द्वारा किये गये निर्णय पर मुहर लगाने दीजिये।

    बफ़ेट के निवेश सिद्धांत में सबसे महत्वपूर्ण सिद्धांत “सरलता” है। जो बफ़ेट की अविश्वसनीय उपलब्धियों के बारे में बताती है। इसी से पता चलता है कि कैसे बफ़ेट ने वाशिंगटन पोस्ट शेयर के निवेश में १.६ करोड़ से १ अरब बनाये, कैसे कोका-कोला में १ अरब के निवेश से ८ अरब बनाये, और उन्होंने ४.५ करोड़ के गीको बीमा कंपनी के शेयर खरीदे और आज उसकी कीमत १ अरब से ज्यादा है।

जिस व्यापार को आप समझते नहीं है, उसमें कभी भी निवेश न करें।

बफ़ेट ने अपने साधारण नियम्र और सिद्धांतों से बार्कशायर हाथवे को १०० करोड़ से ज्यादा की कंपनी बना दिया। जब भी शेयर बाजार में निवेश करना होता, तो वे अपना धन ऐसे व्यापार में लगाते जो कि समझना आसान हो, ठोस और मजबूत व्यापार, स्थायी और नीतिपरक प्रबंधन हो। वे बहुत सारे शेयर लॉट में खरीद लेते हैं, जब बाजार में लोग सस्ते दामों में बेच रहे होते हैं। संक्षेप में कहें तो यही उनकी सफ़लता का राज है।

    शेयर का भविष्य बताने वाले सॉफ़्टवेयरों के बारे में भूल जायें जो कि शेयर की कीमतों का इतिहास, अस्थिरता और बाजार की चाल बताते हैं। बफ़ेट कम्प्यूटर का उपयोग करते हैं, परंतु ब्रिज खेलने के लिये न कि शेयर का उतार चढ़ाव देखने के लिये। आपके निवेश का लक्ष्य भी बफ़ेट के जैसा ही होना चाहिये, उन्हीं व्यापार में निवेश करना चाहिये जो कि आपको समझने में आसान हो, जिस व्यापार को आप समझते हैं, और आपको लगता हो कि भविष्य में यह कंपनी बहुत अच्छा करेगी, तो मुनसिब समय का इंतजार करें और यथोचित भाव आने पर खरीदें।

हमेशा अपने निवेश पर फ़ैसलों के लिये तीन सिद्धांतों पर चलें –

१. हमेशा निवेश सरल रखें – कभी भी अपने निवेश को जटिल न बनायें, और हमेशा अपनी जानकारी के अनुसार खरीदे गये व्यापार को ही खरीदें और उस पर अड़िग रहें। जिस निवेश में जटिलता हो, उसमें निवेश करने से बचें।

२. अपने निवेश के फ़ैसले खुद लें – अपने निवेश के सलाहकार खुद बनें। उन ब्रोकर्स और बेचने वाले लोगों से बचें जो कि किसी एक शेयर या म्यूच्यल फ़ंड को तरजीह देकर खरीदने के लिये प्रेरित करते हैं, क्योंकि उस पर उन्हें मोटी कमाई होती है। स्पष्टत: ये लोग दिल से आपको अच्छे निवेश नहीं दिलवाते हैं।

३. उसे पढ़ो जिसने बफ़ेट को पढ़ाया – वह आदमी जिसका जबरदस्त प्रभाव बफ़ेट पर है उनके पिता के अतिरिक्त, वह हैं हार्वर्ड के बेंजामिन ग्राहम, जिन्हें नीति निवेश का पितामह भी कहा जाता है। जिन्होंने वर्षों पहले बफ़ेट को पढ़ाया कि निवेश में सफ़लता सरलता में है जटिलता में नहीं। और वाकई ग्राहम को पढ़ना बहुत अच्छा है।

बफ़ेट के साधारण कूटनीतियों को मत भूलिये जो कि उन्हें असाधारण नतीजों की ओर ले गया।

बफ़ेट के निवेश सिद्धांत “जटिलता की जगह सरलता को चुनें”

     जब आप निवेश करते हैं, तो उसे सरल ही रखें। वही करें जो बिल्कुल सरल और स्पष्ट है, बफ़ेट सलाह देते हैं – जटिल प्रश्नों के लिये जटिल उत्तर देने की कोशिश मत करिये।

    अधिकतर लोगों की यह धारणा है कि शेयर बाजार में निवेश करना बहुत जटिल, रहस्यों से भरा और जोखिम भरा होता है इसलिये इसे इसके पेशेवरों को ही करना चाहिये। यह हम सबकी मानसिकता और एक आम धारणा है कि आम आदमी सफ़ल निवेशक नहीं बन सकता क्योंकि निवेश में सफ़लता के लिये उन्नत व्यावसायिक डिग्री, कठिन गणितीय सूत्रों में महारत, जटिल कम्पयूटर प्रोग्राम का आपके पास होना जो कि शेयर बाजार का हाल बतायें और इतना सारा समय कि आप शेयर बाजार, चार्ट, मात्रा, आर्थिक रूझान आदि पर ध्यान दे पायें।
 
    वारेन बफ़ेट ने बता दिया कि यह सब मात्र मिथक है।
 
    बफ़ेट ने शेयर बाजार में सफ़लता के लिये जो राह खोजी वह बहुत जटिल नहीं है। कोई भी व्यक्ति जो सामान्य बुद्धि रखता हो वह सफ़ल निवेशक बनने की काबिलियत रखता है, किसी भी पेशेवर की सहायता के बिना, क्योंकि निवेश के सिद्धांत समझने के लिये बहुत ही आसान हैं।
 
    बफ़ेट केवल ऐसे व्यापारों के शेयरों में निवेश करते हैं, जो आसानी से समझा जा सके, मजबूत, ईमानदार और टिकाऊ व्यापार हो, जिसकी सफ़लता की व्याख्या बहुत सरल हो, और वे कभी भी ऐसे व्यापार में निवेश नहीं करते हैं जिसे वे नहीं समझते हैं।
 
    बफ़ेट के निवेश सिद्धांतों का सार और अच्छी बात केवल सरलता ही है।  इसके लिये आपको जटिल गणित, वित्तीय पृष्ठभूमि, अर्थव्यवस्था के बारे में जानकारी और शेयर बाजार भविष्य में कैसे होंगे, इनकी जानकारी होना आवश्यक नहीं है। यह सामान्य बुद्धि से आदर्श, धीरज और साधारण मूल्यों पर आधारित है, जो कि कोई भी निवेशक आसानी से समझ कर अपना सकता है। जबकि बफ़ेट की धारणा है कि निवेशक गणितीय सूत्रों, शार्टटर्म बाजार के भविष्य और चाल, बाजार और वोल्यूम पर आधारित चार्ट्स को देख कर अपने को ही मुश्किल में डालते हैं।
 
    वस्तुत:  बफ़ेट कहते हैं कि जटिलता आपको सफ़लता से दूर करती है। खुद को निवेश के नये सिद्धांतो में उलझाने की कोशिश न करें, जैसे कि ऑप्शन्स प्राईसिंग या बीटा। बहुत सारे मामलों में आप नयी तकनीकी में खुद को बेहतर स्थिती में नहीं पायेंगे। बफ़ेट ने अपने गुरु से एक बात सीखी कि “आपको असाधारण नतीजों के लिये असाधारण साहस की जरुरत नहीं होती है”।
 
    हमेशा खुद को साधारण रखें। लक्ष्य कैसे चुनें –  अच्छी कंपनी के शेयर खरीदें, जो कि ईमानदार और काबिल लोगों द्वारा चलायी जा रही हो। आप अपने शेयर के लिये कम भुगतान कीजिये, भविष्य में उसकी अर्जन क्षमता को पहचानें। फ़िर उस शेयर को लंबे समय तक अपने पास रखें और बाजार को आपके द्वारा किये गये निर्णय पर मुहर लगाने दीजिये।
 
    बफ़ेट के निवेश सिद्धांत में सबसे महत्वपूर्ण सिद्धांत “सरलता” है। जो बफ़ेट की अविश्वसनीय उपलब्धियों के बारे में बताती है। इसी से पता चलता है कि कैसे बफ़ेट ने वाशिंगटन पोस्ट शेयर के निवेश में १.६ करोड़ से १ अरब बनाये, कैसे कोका-कोला में १ अरब के निवेश से ८ अरब बनाये, और उन्होंने ४.५ करोड़ के गीको बीमा कंपनी के शेयर खरीदे और आज उसकी कीमत १ अरब से ज्यादा है।
 
जिस व्यापार को आप नहीं समझते हैं, उसमें कभी भी निवेश न करें।
 
    बफ़ेट ने अपने साधारण नियम और सिद्धांतों से बार्कशायर हाथवे को १०० करोड़ से ज्यादा की कंपनी बना दिया। जब भी शेयर बाजार में निवेश करना होता, तो वे अपना धन ऐसे व्यापार में लगाते जो कि समझना आसान हो, ठोस और मजबूत व्यापार, स्थायी और नीतिपरक प्रबंधन हो। वे बहुत सारे शेयर लॉट में खरीद लेते हैं, जब बाजार में लोग सस्ते दामों में बेच रहे होते हैं। संक्षेप में कहें तो यही उनकी सफ़लता का राज है।
 
    शेयर का भविष्य बताने वाले सॉफ़्टवेयरों के बारे में भूल जायें जो कि शेयर की कीमतों का इतिहास, अस्थिरता और बाजार की चाल बताते हैं। बफ़ेट कम्प्यूटर का उपयोग करते हैं, परंतु ब्रिज खेलने के लिये न कि शेयर का उतार चढ़ाव देखने के लिये। आपके निवेश का लक्ष्य भी बफ़ेट के जैसा ही होना चाहिये, उन्हीं व्यापार में निवेश करना चाहिये जो कि आपको समझने में आसान हो, जिस व्यापार को आप समझते हैं, और आपको लगता हो कि भविष्य में यह कंपनी बहुत अच्छा करेगी, तो मुनसिब समय का इंतजार करें और यथोचित भाव आने पर खरीदें।
 
हमेशा अपने निवेश पर फ़ैसलों के लिये तीन सिद्धांतों पर चलें –
 
१. हमेशा निवेश सरल रखें – कभी भी अपने निवेश को जटिल न बनायें, और हमेशा अपनी जानकारी के अनुसार खरीदे गये व्यापार को ही खरीदें और उस पर अड़िग रहें। जिस निवेश में जटिलता हो, उसमें निवेश करने से बचें।
 
२. अपने निवेश के फ़ैसले खुद लें – अपने निवेश के सलाहकार खुद बनें। उन ब्रोकर्स और बेचने वाले लोगों से बचें जो कि किसी एक शेयर या म्यूच्यल फ़ंड को तरजीह देकर खरीदने के लिये प्रेरित करते हैं, क्योंकि उस पर उन्हें मोटी कमाई होती है। स्पष्टत: ये लोग दिल से आपको अच्छे निवेश नहीं दिलवाते हैं।
 
३. उसे पढ़ो जिसने बफ़ेट को पढ़ाया – वह आदमी जिसका जबरदस्त प्रभाव बफ़ेट पर है उनके पिता के अतिरिक्त, वह हैं हार्वर्ड के बेंजामिन ग्राहम, जिन्हें नीति निवेश का पितामह भी कहा जाता है। जिन्होंने वर्षों पहले बफ़ेट को पढ़ाया कि निवेश में सफ़लता सरलता में है जटिलता में नहीं। और वाकई ग्राहम को पढ़ना बहुत अच्छा है।
 
बफ़ेट के साधारण कूटनीतियों को मत भूलिये जो कि उन्हें असाधारण नतीजों की ओर ले गया।

सुन्दरकाण्ड से कुछ चौपाईयाँ.. (Sundarkand)

सुन्दरकाण्ड से कुछ चौपाईयाँ..

दो० – कपि के ममता पूँछ पर सबहि कहउँ समुझाइ।

तेल बोरि पट बाँधि पुनि पावक देहु लगाई॥ २४ ॥

मैं सबको समझाकर कहता हूँ कि बंदर की ममता पूँछ पर होती है। अत: तेल में कपड़ा डुबोकर उसे इसकी पूँछ में बाँधकर फ़िर आग लगा दो॥ २४ ॥

पूँछहीन बानर तहँ जाइहि। तब सठ निज नाथहि लइ आइहि॥

जिन्ह कै कीन्हिसि बहुत बड़ाई। देखउँ मैं तिन्ह के प्रभुताई॥ १ ॥

जब बिना पूँछका यह बंदर वहाँ (अपने स्वामी के पास) जायेगा, तब यह मूर्ख अपने मालिक को साथ ले आयेगा। जिनकी इसने बहुत बड़ाई की है, मैं जरा उनकी प्रभुता (सामर्थ्य) तो देखूँ ॥ १ ॥

बचन सुनत कपि मन मुसकाना। भै सहाय सारद मैं जाना ॥

जातुधान सुनि रावन बचना। लागे रचैं मूढ़ सोइ रचना॥ २ ॥

यह वचन सुनते ही हनुमानजी मनमें मुसकराये [और मन ही मन बोले कि ] मैं जान गया, सरस्वतीजी [इसे ऐसी बुद्धि देने में] सहायक हुई हैं। रावण के वचन सुनकर मूर्ख राक्षस वहीं (पूँछ में आग लगाने की) तैयारी करने लगे।

रहा न नगर बसन घृत तेला। बाढ़ी पूँछ कीन्ह कपि खेला॥

कौतुक कहँ आए पुरबासी। मारहिं चरन करहिं बहु हाँसी॥ ३ ॥

[पूँछ के लपेटने में इतना कपड़ा और घी-तेल लगा कि] नगर में कपड़ा, घी और तेल नहीं रह गया। हनुमानजी ने ऐसा खेल किया कि पूँछ बढ़ गयी (लम्बी हो  गयी) । नगरवासी लोग तमाशा देखने आये। वे हनुमानजी को पैर से ठोकर मारते हैं और उनकी बहुत हँसी करते हैं ॥ ३ ॥

बाजहिं ढोल देहिं सब तारी। नगर फ़ेरि पुनि पूँछ प्रजारी॥

पावक जरत देखि हनुमंता। भयौ परम लघुरुप तुरंता॥ ४ ॥

ढोल बजते हैं, सब लोग तालियाँ पीटते हैं। हनुमानजी को नगर में फ़िराकर, फ़िर पूँछ में आग लगा दी। अग्नि को जलते हुए देखकर हनुमानजी को तुरंत ही बहुत छोटे रुप में हो गये ॥ ४ ॥

निबुकि चढ़ेउ कपि कनक अटारीं। भईं सभीत निसाचर नारीं ॥ ५ ॥

बन्धन से निकलर वे सोने की अटारियों पर चढ़े। उनको देखकर राक्षसों की स्त्रियाँ भयभीत हो गयीं।। ५ ॥

भारत का गणतंत्र सिसक सिसक कर रो रहा है… और मैं अंदर बैठकर उसके बारे में लिख रहा हूँ (Republic India !)

आदतन आज सुबह नित्यकर्म के पहले घर का दरवाजा खोला, अखबार के लिये और जैसा कि रोज होता है अखबार नहीं आया। आदत है तब भी रोज देखने की आत्मसंतुष्टि के लिये, तो छज्जे पर थोड़ा सा बाहर निकल कर देख लिया, वहाँ किसी के सिसक सिसक कर रोने की आवाज आ रही थी, थोड़ा ध्यान से देखा तो वहीं बिजली के खंभे के पास तिरंगे में लिपटा गणतंत्र था जो कि शायद कोहरा घना होने का इंतजार कर रहा था।

मैं चुपचाप अंदर अपने घर में आ गया, कि कहीं गणतंत्र मेरे पास आकर मेरे पास आकर रोना ना सुनाना शुरु कर दे, मेरी घिग्घी बँधी हुई है, और गणतंत्र के सिसक सिसक कर रोने के कारणों के बारे में सोच रहा हूँ, अगर आप को पता चले कि भारत का बूढ़ा गणतंत्र क्यों सिसक सिसक कर रो रहा है.. तो मुझे अवश्य बताईये।

एक कहानी “दूध की बोतल” जिसने मुझे हिला दिया.. बोधिपुस्तक पर्व

    बोधिपुस्तक पर्व की एक कहानी की पुस्तक, नाम है “गुडनाईट इंडिया” और लेखक हैं प्रमोद कुमार शर्मा, इसमें लेखक ने एक से एक बढ़कर कहानियाँ दी हैं, जो कि भारत के सामाजिक तानेबाने की गहन तस्वीरें दिखाती हैं, अमूमन तो पढ़ने का समय मिल नहीं पाता, परंतु रोज घर से कार्यस्थल आते समय बस में मिलने वाला समय अब पढ़ने में लगाते हैं, पहले सोचा था कि पतली सी किताब है जल्दी ही खत्म हो जायेगी, परंतु एक कहानी के बाद दूसरी कहानी में जाना सरल नहीं, उस कहानी के मनोभाव में डूबकर नयी कहानी के मनोभावों में जाना बहुत ही कठिन प्रतीत होता है, कल यह कहानी पढ़ी थी कहने को तो छोटी कहानी है। लेखक ने अपने पात्रों को सुघड़ और सामाजिक परिवेश में रचा बसा है कि ऐसा लगता ही नहीं कि यह मुझसे दूर कहीं ओर की कहानी है।
    “दूध की बोतल” जैसा कि कहानी के नाम से ही प्रतीत होता है, कि यह कहानी दूध की बोतल पर लिखी गई है, इसमें एक छोटा सा परिवार पात्र है जो कि ग्राम्य परिवेश में रहता है और घर में बच्ची होने के बाद अपनी कुलदेवी को धोक देने कुलदेवी के स्थान जा रहा है। परिवार में माता पिता पुत्र बहू और छोटी सी पोती जो कि कुछ ही माह की है, बड़ी मुश्किल से पोती हुई है उसके लिये जातरा बोली थी, इसलिये वो कुलदेवी के स्थान जा रहे हैं।
    परिवार मध्यमवर्गीय है, पर बहू भारत की आधुनिक विचारों वाली नारी है जो कि अच्छे और बुरे का अंतर अपने हिसाब से करती है, शादी के कुछ दिन बाद ही उसके पैर भारी हो जाते हैं, तो वह अपने पति से कहती है कि वह बच्चे को दूध नहीं पिलायेगी, बच्चे को ऊपर का दूध दूँगी। नहीं तो मेरी छातियाँ लटक जायेंगी, पति उसे बहुत समझाने की कोशिश करता है कि बच्चे के लिये तो माँ का दूध अमृत समान होता है और माँ को दूध पिलाने पर अद्भुत संतोष मिलता है, परंतु वह अपने आधुनिक विचारों में पढ़े लिखे होने और अपनी परवरिश का हवाला देकर बिल्कुल जिद पकड़ लेती है, पति भी अपनी आधुनिक युग की सोच वाली पत्नी को मना नहीं पाता।
    बच्चा मुश्किल से होता है, जच्चा और बच्चा दोनों स्वस्थ हैं, पर माँ को दूध ही नहीं उतरता। कुलदेवी की जातरा जाने के लिये पिताजी ने जीप कर ली है, और चल पड़े हैं कुलदेवी को धोक देने के लिये, बीच में बच्ची रोती है तो पिताजी कहते हैं कि बेटा जरा पोती को दूध पिला दो, तो बेटा थैलों में बोतल ढूँढ़ता है पर बोतल नहीं मिली, वह कहता है कि बोतल तो घर पर ही छूट गई, तो ड्राईवर कहता है कि कुलदेवी के स्थान पहुँचने में और १ घंटा लगेगा, वहाँ कटोरी चम्मच से दूध पिला देना। पिताजी कहते हैं कि बच्ची भूख से बेहाल है और गरमी भी इतनी हो रही है, थोड़ा पानी ही पिला दो, थोड़ा पानी पिलाने के बाद बच्ची चुप हो जाती है, रास्ता खराब है, पर थोड़ी देर के बाद ही हाईवे आ जाता है, थोड़ी आगे जाने के बाद ही जीप खराब हो जाती है, और ड्राईवर और बेटा पास के गाँव में पार्ट लेकर ठीक करवाने जाते हैं। पीछे बच्ची की हालत भूख और गर्मी के मारे खराब होती जा रही थी, पर वह मन ही मन अपने को दिलासा भी देती जा रही थी कि अरे मरेगी थोड़े ही.. (माँ ऐसा भी सोच सकती है !!) तभी उसकी ममता जाग उठती है और वह जोर से अपनी छाती से बच्ची को लगा लेती है, तो उसे अचानक महसूस होता है कि उसकी छातियों में दूध उतर आया है, वह पिलाने ही जा रही होती है कि तभी उसके मन में विचार आया कि “क्या कर रही है, अभी जो बच्ची को दूध पिला दिया तो रोज की आफ़त हो जायेगी”, बच्ची रोते रोते सो गई।
    डेढ़ घंटे बाद ड्राईवर बेटे के साथ आ गया तो बोला कि बड़ी मुश्किल से बोतल मिली है, लो निपल लगाओ बच्ची के मुँह में, पर बच्ची निपल मुँह में नहीं ले रही, जबरदस्ती मुँह में निपल को ठूँसा तो देखा कि धार मुँह से बाहर निकलने लगी, पिताजी जोर से चिल्लाये कि “अरे बच्ची ठीक तो है !! देखो दूध क्यों नहीं पी रही”, अन्तत: ड्राईवर बोला “साहब वापस चलते हैं, बच्ची अब नहीं रही।” ड्राईवर की बात सुनते ही बहू चीख मारकर बेहोश हो गई। पूरा परिवार शोकाकुल हो गया, केवल ड्राईवर ही होश में था और उसे पूरा विश्वास था कि वह दुख की इस घड़ी में परिवार की मदद कर सकेगा।
संवाद जो बहुत दिन बाद पढ़े –
“प्रविसे नगर कीजै सब काजा, ह्रदय राखी कौसलपुर राजा…।”
“देखो… मैं अपने पापा के यहाँ स्वतंत्र विचारों से पली-बढ़ी हूँ। मुझे ये दकियानूसी तरीके ठीक नहीं लगते।”
    इस कहानी को पढ़ने के बाद मुझे भी अवसाद ने जकड़ लिया, और उसके बाद कुछ भी सोचने की हिम्मत ही नहीं हो रही थी, लेखक ने अपने पात्रों के साथ बराबर न्याय किया और पाठक तक बात पहुँचाने में सक्षम भी रहा। लेखक ने अवसाद को अपनी कलम से खूब लिखा है। मैंने घर पहुँचकर अपनी घरवाली को बोला कि आज एक कहानी पढ़ी थी तो उसके बाद से मुझे अवसाद ने घेर लिया, और जैसे ही मैंने कहानी का नाम लिया “दूध की बोतल”, तो बोली हाँ मैंने भी पढ़ी थी और उस कहानी के बाद उसके आगे की कहानियाँ पढ़ने की हिम्मत ही नहीं हुई, और अभी तक कोई किताब पढ़ भी नहीं पाई। लेखक के लेखन से मैं मुग्ध हूँ।
    आप भी ये किताबें मँगा सकते हैं, मात्र १०० रुपये में बोधिपुस्तक पर्व की किताबें उपलब्ध हैं, जिसमें हिन्दी की १० किताबें हैं। सब एक से बढ़कर एक।
१०० रुपये का मनीऑर्डर भेजने पर वे घर पर भेज देते हैं –
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दूरभाष – 0141 – 2503989, 98290-18087

बफ़ेट के दस निवेश सिद्धांत (10 Basic Fundamentals of Buffett)

    हम में से अधिकतर लोगों के लिये शेयर बाजार भूलभुलैया ही है। ७००० से भी ज्यादा शेयरों में से कौन से शेयर में निवेश करें जो कि फ़ायदा दें… और कैसे शेयर बाजार में निवेश करके पैसा कमाया जाये ? कौन सा शेयर खरीदें ? किसकी राय मानें ? कौन सी कूटनीति का अनुसरण करें ?

    अगर आप ऐसे निवेशक हैं जो कि शेयर ब्रोकर, सेन्सेक्स क्रेश, म्यूचयल फ़ंड्स, डे ट्रेडिंग, बाजार की टाइमिंग, मरे हुए शॆयर (Penny Stocks), ऑप्शन्स, हाईटेक, तेजी से बड़्ने वाली कंपनियों के कारण अपना धन गँवा चुके हैं, तो आपको वारेन बफ़ेट के निवेश सिद्धांत और पद्धति के बारे में जरुर जानना चाहिये।

    बफ़ेट ने निवेश में अपने सिद्धांतो पर अड़िग रहकर बीज से विशाल पेड़ बनाया। आप भी एक अच्छे निवेशक बन सकते हैं और लंबी अवधि में शेयर बाजार से धन कमा सकते हैं, लेकिन केवल तभी जब आप उनके मूल सिद्धांतों और उनके अनुशासन, धैर्य और मानसिक अवस्था को अपनायें।

    वारेन बफ़ेट को एक सेंट भी अपने परिवार से नहीं मिली। आज केवल अपने खुद के निवेश के दम पर वे अरबों डालरों के मालिक हैं। पर कभी भी किसी भी बिजनेस स्कूल में बफ़ेट के बारे में, उनके निवेश सिद्धांतो के बारे में न ही पढ़ाया गया और न ही इस बारे में बताया गया है। या यह भी कह सकते हैं कि महानतम निवेशक को शैक्षणिक विश्व ने उपेक्षित किया है।

    मुझे उम्मीद है कि आप बफ़ेट के निवेश के उदाहरणों की उपेक्षा नहीं करेंगे। मुझे लगता है कि आप लोग उनके सिद्धातों और पद्धति के बारे में सोचेंगे और अपनाने का प्रयत्न करेंगे। खासकर कि जब आपका निवेश में पुराना अनुभव अच्छा नहीं रहा हो।

    बफ़ेट के निवेश सिद्धांत में सबसे महत्वपूर्ण है कि निवेश में लंबे समय तक बने रहें। इन सिद्धांतो में हैं –

  1. जटिलता से ज्यादा सरलता को प्राथमिकता देना।
  2. धैर्य
  3. उचित मानसिक अवस्था
  4. स्वतंत्र सोच
  5. बड़ी घटनाएँ जो व्याकुल करती हैं उन पर ध्यान न देना।
  6. गैर विविधीकरण की सहजज्ञान युक्त रणनीति
  7. निष्क्रियता, ज्यादा सक्रिय नहीं
  8. शेयरों को खरीदना, और फ़िर जिंदगीभर के लिये अपने पास रखना
  9. व्यापार के परिणाम और मूल्य पर ध्यान केंद्रित करना, ना कि शॆयर के दाम पर
  10. आक्रामक अवसरवाद, हमेशा ऐसे अवसरों का फ़ायदा उठाना जो कि शेयर बाजार के मूर्खों द्वारा प्रदान की जाती हैं।

    इन सिद्धांतो के साथ ही कुछ और भी सिद्धांत हैं जो कि  आपको एक अच्छा निवेशक बना सकते हैं। आखिर अच्छे परिणाम की उपज अच्छे निवेश सिद्धांत ही होते हैं।

    बफ़ेट कहते हैं – एक अच्छे व्यापार को खोजो जिसका प्रबंधन भी अच्छा हो, और उस कंपनी के शेयर उचित दाम पर खरीदें, फ़िर उसको जीवन भर के लिये अपने पास रखें।

बैंगलोर में ४ ब्लॉगरों और एक पाठक का मिलन (4 Blogger’s and 1 Blog Reader Meet at Bangalore)

आज की ताजा खबर बैंगलोर में ४ ब्लॉगर्स और एक पाठक का मिलन हुआ ।

४ ब्लॉगर थे –

देव कुमार झा

मनीषा जी

विवेक रस्तोगी

हर्ष रस्तोगी

१ पाठक – हमारी धर्मपत्नी वाणी

बहुत सारे ज्वलंत मुद्दों पर बातें हुईं, और सौहार्दपूर्ण तरीके से बैंगलोर में ब्लॉगर मिलन संपन्न हुआ।

ज्वलंत मुद्दों में शामिल थे –

भाजपा द्वारा कर्नाटक बंद और आम जनता की तकलीफ़

भ्रष्टाचार

मुंबई

उड़नतश्तरी समीर लाल जी की कृति – “देख लूँ तो चलूँ”

दक्षिण भारत में हिन्दी

ए.टी.एम. से पैसे निकालने में हुई गड़बड़ी

ब्लॉग वार्ता

जिन ब्लॉगर्स का जिक्र हुआ इस छोटे से मिलन में वे हैं –

उड़नतश्तरी समीर लाल जी, घुघुती बासुती जी, प्रवीण पाण्डे जी, प्रशांत प्रियदर्शी जी PD, अभिषेक कुमार।

फ़ोटो कल देवकुमार झा जी द्वारा प्रकाशित किया जायेगा तब इस पोस्ट में भी लगा देंगे 🙂

भ्रष्टाचार के कारण इन्फ़ोसिस बैंगलोर से पूना (Due to corruption Infy moves to pune from bangalore)

    भ्रष्टाचार के कारण इन्फ़ोसिस अपना प्रधान कार्यालय बैंगलोर से पूना ले जा रहा है, जी हाँ कर्नाटक सरकार के भ्रष्टाचार से परेशान होकर, यह पहली बार नहीं हो रहा है, कि कार्पोरेट कंपनी अपना प्रधान कार्यालय बैंगलोर से हटा रहा है, पर जिस आईटी कंपनी के कारण बैंगलोर का नाम विश्व के नक्शे पर जाना जाता है, वही अब बैंगलोर से रवाना हो रही है।
    आज बैंगलोर मिरर में मुख्य पृष्ठ पर समाचार है, टी.मोहनदास पई जो कि इन्फ़ोसिस में मानव संसाधन प्रभाग के प्रमुख हैं, सुनकर जब मुझे इतना बुरा लग रहा है जबकि मैं बैंगलोर या कर्नाटक का निवासी नहीं हूँ, परंतु मेरे भारत में अब ऐसा भी हो रहा है यह तो बस अब हद्द ही हो गई है। क्या इसी दिन के लिये हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने अपना खून बहाया था, क्या गांधी जी ने आजाद देश का यह सपना देखा था, कि सभी लोग आजादी से भ्रष्टाचार कर सकें और मानवीय मूल्यों का हनन कर सकें।
    आज इन्फ़ोसिस जा रही है कल और भी कंपनियों के जाने के आसार हैं, कहीं भारत के भ्रष्टाचार के कारण ऐसा न हों कि ये सभी कंपनियाँ पास के किसी और देश में चली जायें जैसे कि चीन, भूटान या कहीं ओर.. क्या है भ्रष्टाचार का इलाज… कुछ है क्या…
    मेरे भारत के महान नागरिकों क्या है भ्रष्टाचार का इलाज… भ्रष्टाचार केवल बैंगलोर में है मुद्दा यह नहीं है, भ्रष्टाचार तो हर प्रदेश में है भारत देश में है, और इस कदर भारतीय तंत्र में घुलमिल गया है कि इसे अलग करना अब नामुमकिन सा लगता है, जब हमारे भारत देश के प्रधानमंत्री यह कह सकते हैं कि काले धन वाले लोगों की सूची उजागर नहीं की जा सकती तो ऐसे देश के कर्णधारों से क्या उम्मीद कर सकते हैं।
क्या ब्रिटिश शासन ही ठीक था या ये भ्रष्टाचारी स्वतंत्र भारत देश….

विश्व के महानतम निवेशक वारेन बफ़ेट (World’s Greatest Value investor Warren Buffett)

    थोड़े दिनों पहले रद्दीवाले को अखबार के लिये बोलने गया था, तो वहाँ पुरानी किताबें भी लगी रहती हैं, तो हम एक नजर देख लेते थे, और हर बार एक न एक किताब अच्छी मिल जाती थी इस बार किताब पर नजर पड़ी,

बफ़ेट

Book Name : “How Buffett does it, 24 Simple Investing Strategies from the World’s Greatest Value Investor”

Written by “James Pardoe”

Publication: Tata Mcgraw-Hill

यह एक बहुत ही पतली सी किताब है, लेखन ने वारेन बफ़ेट के सिद्धांतो को २४ कूटनितियों में विभक्त किया है, जो कि सभी निवेशकों को अवश्य पढ़ना चाहिये। अभी कुछ दिन पहले क्रॉसवर्ल्ड गया था तो वहाँ वारेन बफ़ेट की कोई मोटी सी किताब रखी थी, जो कि अभी की बेस्ट सैलर भी है, नाम भूल गया, अब अगली बार जाऊँगा तो अवश्य ही खरीदूँगा, उस समय इसलिये नहीं खरीदी क्योंकि अभी पढ़ने के लिये बहुत सारी किताबों का स्टॉक पड़ा है।

इस किताब को पढ़कर निवेश करने के बारे में बहुत कुछ जानने को मिला, सोच रहा हूँ कि इसी बारे में आगे कुछ पोस्टें लिखी जायें।

अभी जो अधूरी रखी है –

Cashflow Quadrant

अभी रखी हुई किताबों में हैं जो कि पढ़ना बाकी हैं –

Retire Young Retire Rich

The Black Swan

बोधिपुस्तक पर्व की १० किताबें

In the Wonderland of Investment

General Insurance

Life Insurance

पानीपत

सूचि बहुत लंबी है, परंतु इतनी किताबें अभी पंक्ति में हैं।