कुछ लाईनें जो ट्विटर पर लिख दी थीं, तो सोचा कि अपने ब्लॉग पर लिख दें ताकि सनद रहे कि हमने ही लिखी थीं –
ये भी मत सोचकर मतवाला होना कि,
हवा तुम्हारे कहने से ही चलेगी,
कभी हमारे बारे में भी सोचना,
कि तुम्हें पता न हो हम तूफानों में ही खेलते हैं।
जब से मैं जंगली जैसा रहने लगा हूँ,
मेरे नाखून ही मेरे हथियार हैं,
अब मुझपे झपट्टा मारने के पहले,
सौ बार सोच जरूर लेना।
तेरे हर सवाल का जबाब हम देंगे,
तेरे हर दर्द का जबाब हम देंगे,
जब हम तुझे दर्द देंगे तो निशां रह जायेंगे,
दर्द से सारी जिंदगी तड़पते रहोगे।
जख्म इतना भी गहरा न दिया करो कि,
हम खुद ही कुरेद के नासूर बना लें,
ताकि याद रख सकें कि,
एक दिन तुमसे बदला लेना है।
वक्त का क्या है,
वक्त की अपनी चाल है,
हमारा क्या है,
हमारी चाल वक्त बिगाड़ता है।
अभी मैं भले तुम्हें कोयला लगता हूँ पर,
ध्यान रखना हीरा कोयला ही बनता है।