NDTV बड़ा ही देशद्रोही चैनल है, भले हिंदी वाला हो या अंग्रेजी वाला, आज अभी थोड़ी देर पहले अंग्रेजी वाले चैनल पर झारखंड में भूख से हुई कुछ मौतों पर कार्यक्रम आ रहा था, जिसमें सरकार से जुड़ा हर आदमी बेशर्मी से कह रहा था, कि सब प्राकृतिक मौत हैं। और मरने वाले ने दाल भात भी खाया व परिवार के लोग 2-3 हजार महीना कमाते हैं, लोगों का कहना है कि आधार कार्ड लिंक नहीं हुआ है तो उन्हें राशन की दुकान से राशन नहीं मिल रहा। इस पर भी केंद्र और राज्य के बयान विरोधाभासी हैं।
किसी को कोई क्लिएरिटी नहीं है, गरीब मर रहे हैं, देखकर मन अजीब सा हो रहा है। मानवीयता को शर्मसार करने वाले लोग आज भी हैं।
बेटेलाल साथ बैठकर देख रहे थे, वे ख़ुद ये सब देखकर द्रवित थे, उनको राशन कार्ड के बारे में नहीं पता, तो उनको बताया कि राशन कार्ड से क्या होता है और क्यों जरूरी है। ये भी बताया कि जितने रूपये चॉकलेट और आइस्क्रीम एक महीने में खर्च कर देते हो, उतने में तो एक परिवार का महीने भर का राशन आ जाता है।
हर वर्ष अप्रैल या मई में ही घर जाने का कार्यक्रम होता है, हम हमेशा ही कोशिश करते हैं कि लगभग सभी से मिल लें, समय हमेशा ही कम होता है, परंतु फिर भी उसी समय में सब जगह जाना, सबसे मिलना और साथ ही थोड़ा बहुत घूमना भी करना होता है। इस वर्ष भी हम दिल्ली, धौलपुर, उज्जैन और इंदौर गये थे, साथ ही धौलपुर के पास मुरैना में ही चौंसठ योगिनी का मंदिर और बहुत पुराने मंदिरों की श्रंखला पढ़ावली और बटेश्वर भी गये थे। इन मंदिरों के बारे में और यात्रा के बारे में विस्तार से लिखने का सोचा था, बहुत सारे फोटो खींचे थे, जो कि हमने इंस्टाग्राम पर शेयर भी किये थे। अब थोड़ा थोड़ा समय निकाल कर लिखेंगे।
जब इस बार हम उज्जैन पहुँचे तो मम्मी जी और पापा जी अच्छे से चल फिर रहे थे और अपने लगभग सारे कार्य सामान्य रूप से ही कर रहे थे, अपने आप में पूरे आत्मविश्वास से लबरेज थे। जब आप अपने आधारस्तंभों को आत्मविश्वास से लबरेज देखते हैं तो अपने आप ही हमारे अंदर बेहद आश्चर्यजनक रूप से बहुत सी शक्ति, ऊर्जा के संचार होने लगता है। मम्मी जी की तबियत कई दिनों से खराब चल ही रही थी Continue reading मम्मी जी की असामान्य स्वास्थ्य की बातें (Unusual Health problems)→
पहला स्मार्टफोन होना ही अपने आप में बड़ी बात होती थी, मुझे याद है कि मैंने पहला स्मार्टफोन केवल इसलिये लिया था कि मुझे भी टच स्क्रीन वाला फोन का अनुभव लेना था, तो मैंने अपने कीबोर्ड वाले मोबाईल को स्टोर पर ही बॉय बैक में दे दिया था।
अब तक उसके बाद मैं कई बार अपने फोन बदल चुका हूँ, इस वर्ष भी मात्र 7 दिन पहले ही फोन बदला है। मेरे पास एक पुराना 7 इंच का टचस्क्रीन फोन था, जिसका मैं अधिकतर उपयोग केवल किताबों को पढ़ने के लिये करता था, फिर मैंने किताब पढ़ने के लिये अमेजन किंडल का उपयोग करना शुरू कर दिया और यह 7 इंच का टैब मेरे पास फ्री हो गया। मैंने सोचा कि चलो इसको बेच देते हैं, क्योंकि अब वह टैब मेरे किसी काम नहीं आने वाला था। पर मैं निश्चय ही नहीं कर पा रहा था कि यह फोन बिकेगा भी या नहीं, क्योंकि टैब की तकनीक 3 वर्ष पुरानी हो चुकी थी, पर किताब पढ़ने के लिये ठीक था। मैंने ऑनलाईन स्टोर पर इस टैब को बेचने के लिये फोटो के साथ इसकी कीमत भी डाल दी।
सबसे आश्चर्य की बात है कि मेरे पास कई लोगों के चैट पर मैसेज आये और फोन आये, परंतु एक बंदा जो था वह बहुत ही जल्दी में था और उसको भी केवल किताब पढ़ने के लिये ही टैब चाहिये था, मैंने कहा कि आप पहले टैब देख लो और फिर निर्णय ले लो कि आपको यह टैब चाहिये या नहीं, वह बंदा राजी हो गया। हमने एक कॉमन जगह पर मिलने का समय निश्चित किया, जिससे वह बंदा टैब देखकर अपनी तसल्ली कर ले और मुझे मेरी लगाई गई कीमत दे दे। मैंने टैब को फॉर्मेट भी नहीं किया था और फेक्टरी रीसेट भी नहीं किया था, उसमें सारी किताबें वैसी की वैसी ही डाउनलोडेड थीं।
हम निश्चित समय पर मिले और उस बंदे ने लगभग 5-10 मिनिट तक टैब को अपने हाथ में लेकर देखा परखा और बोला कि मुझे या टैब पसंद है, हमने कहा ठीक है, हम इसे फेक्टरी रीसेट कर देते हैं, क्योंकि इसमें हमारे सारे लॉगिन वगैरह सुरक्षित हैं और कुछ निजी जानकारी भी है। उसने भी हामी भरी और कहा कि जो किताबें आपके पास हैं वे ईमेल कर दें, तो मैंने कहा कि वो किताबें मैं बाद में ईमेल कर दूँगा। हमने सेटिंग्स में जाकर टैब को फेक्टरी रीसेट कर दिया। अब यहाँ से समस्या की शुरूआत हुई कि जैसे ही हमने फैक्टरी रीसेट किया और वापिस से सेट करने लगे, तो कुछ ऑपरेटिंग सिस्टम की एरर आ गई, हमें लगा कि हो सकता है कि कुछ समस्या हो गई हो, तो हमने वापिस से रिसेट किया और फिर से इंतजार करने लगे, इसी बीच बातों ही बातों में हम पास की कॉफी शॉप पर चले गये और कॉफी का ऑर्डर कर दिया, पता चला कि हम दोनों एक ही फील्ड से हैं और शौक भी बहुत से मिलते जुलते हैं। टैब रिसेट होकर वापिस से शुरू हुआ तो हमने देखा कि फिर से वही एरर आ रही है, हमने उस बंदे से कहा कि लगता है इस टैब को हमें छोड़ने के मन ही नहीं है, देखना घर पहुँचते ही ठीक हो जायेगा, वह बंदा भी हँसने लगा और कहने लगा कि दो बार देख लिया है, एक बार और रिसेट करके देख लो। हमने कहा यह भी सही है, कि एक बार और रिसेट करके देख लें। इसी बीच हमारी एक कॉफी खत्म हो चुकी थी, और रिसेट के बाद वापिस से तीसरी बार भी वही एरर आने लगी।
हमने उस बंदे से कहा कि एक काम करो, आप इस टैब को ले जाओ और जब आपको तसल्ली हो जाये तब आप इसके पैसे हमारे एकाऊँट में ट्रांसफर कर देना, उस बंदे ने कहा कि नहीं, जब तक टैब सही हालत में नहीं होगा वह लेकर नहीं जायेगा। नहीं तो उसके ऊपर टैब खरीदने का दबाब होगा। हमने कहा चलो ठीक है, हम घर जाकर फिर से कोशिश करेंगे, हो सकता है कि हो जाये और फिर हम आपको बता देंगे कि आप इस टैब को कब ले सकते हैं।
हम टैब लेकर घर चले आये, परंतु जितनी बार रिसेट किया, उतनी बार ही एरर आई, कुछ दिन हमने बहुत ट्राय किया परंतु कुछ नहीं हुआ, फिर वही हुआ कि हमने उस टैब को अपने ड्रॉअर के हवाले कर दिया और वह आज तक हमारे ड्रॉअर में ही है, और घर में पहली बार हमारे पास एक पुराना टैब फोन पड़ा ही रह गया।
अब इसके लिये कैशिफाई का ऑप्शन भी उपलब्ध है। जहाँ केवल 60 सेकंड में फोन बेचा जा सकता है। जो #CleanUpCashOut के काम आता है।
अगर आप भी कैशिफाई पर कुछ पुराना गैजेट बेचते हैं और CLEANCASH कोड का उपयोग करते हैं तो आपके Rs.250 ज्यादा मिलेंगे।