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जीवन बहुत अनिश्चितताओं से भरा है और मृत्यु अटल है

जीवन बहुत अनिश्चितताओं से भरा है, कब जीवन की साँस रुक जाए और स्वर्गीय हो जायें पता ही नहीं।

इस जीवन को भरपूर ऊर्जा के साथ जियें और अच्छे लोगों में अपना नाम दर्ज करवायें कि लोग आपसे मिलना पसन्द करें।

एक बार इस दुनिया से चले गए तो कोई याद करने वाला भी नहीं होता। बस जब तक इस जहान में उपस्थिति है, तब तक ही लोग पूछ रहे हैं।

गाड़ी घोड़ों, घरबार, धन्धापानी का ज्यादा टेंशन न पालें, कुछ समय आत्मकेंद्रित भी रहें, स्वार्थी बनें, और केवल अपने लिये कुछ समय अपने आपको और अपने परिवार को दें।

न किसी को बुरा बोलें और न ही ऐसे बोल बोलें कि किसी का दिल दुखे। बस इस बात का ख्याल करें, अच्छी बातें बच्चों को पढ़ायें, बच्चे बात सुने न सुने, पर उन्हें टोका मारना न भूलें, एक दिन आयेगा, वे जरूर सुनेंगे।

ऐसे ही दिलोदिमाग में कुछ विचार घुमड़ आये जिनका शब्दांकन यहाँ कर दिया।

ध्यान रखिये कि –

मृत्यु अटल है
यकीन मानिये
जीवन इसीलिये ही आह्लादित है।

जब तक साँसें चल रही हैं तब तक आनंदित रहें, प्रसन्न रहें, स्वस्थ रहें। भरपूर जीवन का मजा लें।

उपरोक्त पैरा पर फेसबुक पर सुरेश चिपलूनकर जी ने टिप्पणी दी थी कि –

आज श्मशान घाट गए थे क्या??

ऐसे विचार वहीं पर आते हैं…
और घर आते ही खत्म भी हो जाते हैं… 😀

और हमने प्रतिउत्तर में कहा –

नहीं चक्रतीर्थ और ओखलेश्वर के अलावा शायद कहीं और जाना ही नहीं हुआ। परन्तु आज मन खिन्न था और मैं उसकी गहराई में उतरा हुआ था, एक 7 साल पहले के किसी के दर्दनाक स्टेटस को पढ़कर। और भी बहुत से कारण थे।

उदासी के बहुत से कारण होते हैं, व्यक्ति कब दार्शनिक हो जाये कुछ पता नहीं, कब किस बात से मन खिन्न हो जाये, उसका भी पता नहीं। बस किसी भी दशा में हमें नकारात्मक नहीं होना है, हमेशा ही सकारात्मक ऊर्जा से जीवन में आगे बढ़ते जाना है। अपनी दृष्टि हमेशा ही ऐसे लक्ष्य पर रखना है जिसे सुनकर दुनिया आप पर हँसे, ऐसे स्वप्न देखिये, तभी आप इस दुनिया में कोई चमत्कार कर पायेंगे। मन में बस बातों को ठान लें और उसके लिये जी जान लगा दें, रात दिन एक कर दें तो आप भी देखेंगे कि वह लक्ष्य आपके लिये कोई बहुत ज्यादा कठिन नहीं होगा।

अच्छी सेहत के लिये कम से कम १०,००० कदम चलिये, पैर में तकलीफ न हो तो धीरे धीरे दौड़िये, जब पसीन बहेगा तो उसका आनंद केवल आप उठा पायेंगे, उस पसीने के सुख की अनुभूति के लिये आप दौड़िये। रक्तचाप, मधुमेह और मोटापा तो अपने आप ही भाग जायेंगे। पर यह सब करने के पहले आप मन से स्वस्थ रहें।

रोज एक घंटा अच्छी किताब पढ़ने की आदत डालें, या आजकल तो बहुत अच्छे पॉडकॉस्ट आ रहे हैं, उन्हें सुनें, वे भी किताबों के समान ही हैं। बस जीवन को सरल और सरस रखें।

भारत में संसद और विधानसभा के सत्र

हर देश के विकास में संसद और विधानसभा का बहुत महत्व होता है, वैसे ही भारत में संसद और विधानसभा के सत्र का महत्व है। सांसद १५ लाख लोगों का प्रतिनिधित्व करता है, और वैसे ही विधायक अपने क्षैत्र का प्रतिनिधित्व करता है।
हमारी संसद ३६५ दिन में केवल ७० दिन कार्य करती है, और कई रिकमंडेशंस में कहा गया है कि कम से कम संसद को १२० दिन कार्य करना चाहिये। हम इस मामले में बहुत पीछे हैं, अमेरिका में संसद १५० दिन और कई यूरोपीय देशों में संसद का औसत १३५ दिन है।
 
हमारे यहाँ भारत में किसी भी मुद्दे पर गहन विश्लेषण और बहस नहीं की जाती है, भले ही एक राजनैतिक दल की बहुमत वाली सरकार हो।
 
वैसे ही राज्य की विधानसभा ३६५ दिन में मात्र ३० दिन कार्य करती है, और कई कई रिकमंडेशंस में कहा गया है कि इन्हें कम से कम ७० दिन तो कार्य करना ही चाहिये, जिससे मुद्दों पर अच्छे से बातें हो सकें।
 
हालांकि संसद में कई समितियाँ होती हैं जो कोई भी प्रस्ताव संसद में आने के पहले बहस और गहन विश्लेषण करती हैं, पर वह सारा डिस्कसन ऑफ द रिकॉर्ड होता है, संसद में बहस न होने के कारण कई अच्छी राय आने से रह जाती हैं।
 
अगर आपकी भी राय है कि किसी विधेयक पर, तो आप भी ईमेल करके राय व्यक्त कर सकते हैं। PRS नाम का छोटा सा एप है, जहाँ सरकार के सारे कार्य की जानकारी आपको इस छोटे से एप पर मिल जाती है, और यह किसी भी प्रकार की निजी जानकारी नहीं माँगती है।
 
आपका सांसद कितना काम का है, वह आप MPTRACK वेबसाईट पर जाकर देख सकते हैं, कि उसने कितने दिन संसद की कार्यवाही में हिस्सा लिया है और कितने प्रश्न पूछे हैं, व कितने मुद्दों पर अपनी राय दी है।
 
सांसद या विधायक का कार्य सड़कों को ठीक करवाना या बिजली नहीं आ रही है तो ठीक करवाना नहीं है, बल्कि भारत के विकास में किये जाने वाले कार्यों पर सतत अपनी राय देना और चल रहे कार्यों को कैसे और अच्छे से किया जा सकता है, उसको अच्छे से सदन में उठाना है।
 
तो देर किस बात की है, PRS एप डाऊनलोड कीजिये और नये विधेयकों पर अपनी राय देना शुरू कीजिये। हम घोड़े को पानी तक लेकर जा सकते हैं, परंतु पानी तो घोड़े को खुद ही पीना होगा।
 
MPTRACK वेबसाईट पर जाकर आप अपने MP के बारे में जानकारी देखिये और अगर वह सतत योगदान नहीं कर रहा है तो आप उन्हें अपनी राय बताईये, जो कि वे संसद सदन में रख सकते हैं।

मुझे मेरी चुनी हुई सरकार से क्या चाहिये

सरकार हर ५ वर्ष में बनती है, और सारे राजनैतिक दल अपने अपने घोषणा पत्र लेकर जनता के सामने आते हैं, परंतु कोई भी जनहित वाले वायदे नहीं करता। मेरी तरफ से कुछ बिंदु हैं, जिन पर राजनैतिक दलों को ध्यान देना चाहिये और भारत के विकास की बातें न करके अलसी विकास करना चाहिये, ये सारी बातें बहुत ही बुनियादी हैं, जो कि हर भारतीय को मिलनी चाहिये और यह चुनी हुई सरकार का प्राथमिक कर्त्तव्य होना चाहिये।

मुझे मेरी चुनी हुई सरकार से क्या चाहिये –
1. सर्वसुविधायुक्त स्वास्थ्य सुविधाओं वाले क्लिनिक और अस्पताल (सरकारी)
2. सर्वसुविधायुक्त विद्यालय जहाँ शिक्षक भी उपलब्ध हों (सरकारी)
3. सर्वसुविधायुक्त महाविद्यालय जहाँ शिक्षक भी उपलब्ध हों (सरकारी)
4. सार्वजनिक परिवहन के साधन (अभी हैं पर उसमें तो पैर रखने की हिम्मत नहीं पड़ती)(सरकारी)
5. सड़कें अच्छी हों, व नालियाँ साफ हों।
6. स्वच्छ भारत कागज से निकलकर बाहर आये।
7. किसी का भी ऋण माफ न करें, किसानों और लघु उद्योगों की दशा सुधारने की दिशा में ठोस कदम उठाये जायें, विलफुल डिफॉल्टर और अमीर लोगों के NPA तुरत वसूल किये जायें।
8. युवाओं को भविष्य के मार्गदर्शन के लिये शैक्षणिक संस्थानों का गठन किया जाये। जब स्किल होगा तो नौकरी और व्यापार अपने आप कर लेंगे।
9. सरकार में हर मंत्री को सम्बंधित विभाग की परीक्षा करवानी चाहिये, जिससे यह तय हो कि मंत्री अच्छे से विभाग संभाल पायेंगे।
10. जनता को उपरोक्त सुविधाएँ न दे पाने की दशा में, लिए गये सारे प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष करों को जनता को रिफंड करना चाहिये।

आने वाले दिनों में और भी बिंदुओं को जोड़ा जा सकता है, आपके पास भी ऐसे कोई बिंदु हैं तो टिप्पणी में बताईये, हम जोड़ देंगे।

ब्लॉग लेखन के लिये मेकबुक एयर लेपटॉप को चुनने की प्रक्रिया

ब्लॉग लिखते हुए १२ वर्ष से ज्यादा हो गये, परंतु अब मेकबुक एयर खरीदा है, शुरूआत में मेरे पास डेस्कटॉप था, फिर मेरा पहला लेपटॉप सोनी वायो था, और उसके बाद लेनेवो का लेपटॉप, जिसे अभी लगभग ३ वर्ष ही हुए हैं। लेनेवो के लेपटॉप में ऐसी कोई बड़ी समस्या नहीं है, अभी तक चल रहा था, विन्डोज १० का कोई एक अपडेट २३ महीने पहले आया, जिसके कारण मेरा लेपटॉप हैंग होने लग गया। क्योंकि मेरे लेपटॉप में ४ जीबी रैम और ५०० जीबी की हार्डडिस्क है, तो पता चला कि कोई प्रोसेस ही ज्यादा मैमोरी ले रही है और इसके कारण हमारा लेपटॉप बहुत धीमा चल रहा है। तब तक मैं वीडियो भी केमेस्टेशिया पर बनाता था। जो कि विन्डोज के लिये एक बेहतरीन उपलब्ध सॉफ्टवेयर है।

लाईनिक्स मैं हालांकि बहुत वर्षों से उपयोग कर रहा हूँ, परंतु वीडियो बनाने के लिये लाईनिक्स का उपयोग करने की शुरूआत मैंने अभी पहली बार की, सबसे पहले उबन्टू 16.04 LTE का इंस्टालर डाऊनलोड किया जो कि पेनड्राईव पर लोड करके, पेनड्राईव से बूट किया और फिर उबन्टू संस्थापित किया। Ubuntu 16.04 तक मिनिमाईज, मैक्जिमाईज और क्लोज का बटन उल्टे हाथ की तरफ था, जिससे विन्डोज को उपयोग करने वाले लोगों के लिये बहुत परेशानी थी। २४ दिन बाद ही Ubuntu 18.04 LTE के अपग्रे़ड उपलब्ध होने का मैसेज आया। हमने हाथों हाथ अपग्रेड कर लिया, यहाँ Ubuntu ने विन्डोज वाले लोगों के लिये मिनिमाईज, मैक्जिमाईज और क्लोज का बटन सीधे हाथ की ओर दे दिया, तो अब सबसे ब़ड़ी परेशानी खत्म हो चुकी थी।

अब विन्डोज १० केवल हमारे लिये प्रिंट निकालने के लिये ही काम आने लगा, वह भी कई बार रिस्टार्ट करने के बाद, हमने अपने लेपटॉप का १८० जीबी लाईनिक्स को दिया और बाकी का विन्डोज के पास ही रहने दिया, लाईनिक्स ने ऑटोमेटिक प्रिंटर तो संस्थापित कर लिया, परंतु प्रिंट नहीं निकला, प्रिंट निकालने की समस्या खड़ी हो गई, बहुत बार गूगल किया और प्रिंटर संस्थापित किया, परंतु सफलता नहीं मिली। टर्मिनल में कमांड लिखने में बहुत परेशानी होती है, परंतु हमें उतनी परेशानी महसूस नहीं होती है। हमने बहुत कोशिश की, परंतु कुछ हुआ नहीं। उल्टा गड़बड़ ये हो गई कि लेपटॉप का माइक और स्पीकर चलना बंद हो गया।

वीडियो रिकार्डिंग के लिये हम लाईनिक्स में काजम Kazam का उपयोग करते हैं, जो कि सीधे ही .mp4 फार्मेट में वीडियो फाईल सेव कर देता है, और वीडियो की रेन्डरिंग भी नहीं करनी पड़ती। इसी से ही स्क्रीनशॉट भी ले सकते हैं, या फिर Screenshot सॉफ्टवेयर का उपयोग भी किया जा सकता है। अब बहुत परेशना की बात हो गई थी, क्योंकि हमारा फाईनेंशियल बकवास यूट्यूब चैनल है और इस चैनल पर हम हर सप्ताह २ वीडियो डालते हैं, एक रविवार को और एक बुधवार को। लेपटॉप बहुत भारी भी है, साथ ही बैटरी लाईफ भी कम है। हमने बहुत शोध किये और अंतत: पाया कि हमारी सारी समस्याओं का एक ही समाधान है, कि हम या तो लाईनिक्स बेस्ड लेपटॉप पर शिफ्ट हो जायें या फिर एप्पल के मेकबुक एयर पर। इस लेपटॉप में एक और समस्या हुई कि स्क्रीन पर ब्लैक डॉट्स आ गये हैं, तो स्क्रीन ज्यादा दिन नहीं चलेगी, और न ही यह लेपटॉप एक्सचेंज में जायेगा, क्योंकि यह फिजिकल डैमेज माना जाता है।

लाईनिक्स के लेपटॉप भी SSD HDD के साथ 42 हजार के आसपास पड़ रहा था, और उसकी बैटरी लाईफ भी कम थी, ज्यादा से ज्यादा ३४ घंटे, परंतु वहीं मैक एयर की बैटरी लाईफ १२ घंटे और वजन १ किलो कम याने कि १.३९ किेलो, जबकि लाईनिक्स वाले लेपटॉप का वजन २.६ किलो। फेसबुक पर स्टेटस डालकर अपने मित्रों से राय ले ली गई, और जीत मैकबुक एयर की ही हुई, क्योंकि मैकबुक की लाईफ भी अच्छी है, और हमारे सारे काम भी हो जायेंगे, तो फ्लिपकार्ट पर आखिरी दिन की सैल में हमने मैकबुक एयर खरीद लिया, एप्पल स्टोर पर ६३ हजार का था, और फ्लिपकार्ट पर ५५ हजार का और क्रेडिट कार्ड का १०% इंस्टेंट डिस्काऊँट मिलाकर हमें लगभग ५१ हजार का पड़ा, अभी लेपटॉप को आने में २ सप्ताह हैं। फ्लिपकार्ट की डिलिवरी बहुत देरी से होती है, पर और कोई चारा ही नहीं था। अब हमारा मैकबुक एयर आ जाये, फिर हम उसके अनुभव भी साझा करेंगे।

सोशल मीडिया में होने वाला है ऐतिहासिक सामाजिक युद्ध और राजनैतिक जोंबी

आने वाले चुनाव के मद्देनजर यह तय है कि सोशल मीडिया में ऐतिहासिक सामाजिक युद्ध छिड़ने वाला है, जिसके साक्षी हम सभी होंगे और लगभग सभी को जाने अनजाने ही इसमें भाग लेना होगा। सोशल मीडिया में जितने भी जाने पहचाने दोस्त हैं उनमें से अधिकतर का पता है कि उनकी प्रतिक्रिया क्या होगी और कितनी तल्ख होगी। परंतु कई लोग जो बीच बीच में छुपकर घुस आये हैं, वे इस युद्ध के विभीषण होंगे, वे यहाँ से वहाँ तक सारे रिश्तों की बखिया उधेड़ेंगे। Continue reading सोशल मीडिया में होने वाला है ऐतिहासिक सामाजिक युद्ध और राजनैतिक जोंबी

अभिवादन हमारी संस्कृति हमारी परंपरा

रोज सुबह घूमने निकलता हूँ तो कई जाने जाने पहचाने चेहरे रोज ही दिखते हैं, पर कुछ ही लोग गुड मॉर्निंग कह कर अभिवादन करते हैं। हमारी परंपरा रही है कि सुबह हम लोग जय श्री कृष्णा करते थे, जय श्रीराम कहा करते थे। Continue reading अभिवादन हमारी संस्कृति हमारी परंपरा

TVS Jupiter की फेक्टरी विजिट “ज्यादा का फायदा”

बेटा बड़ा हो रहा है और घरवाली को भी आजकल बाहर जाने के लिये किसी साधन की जरूरत महसूस होती है, क्योंकि पहले तो हम हर जगह ले जाते थे, पर अब हमारा समय ऑफिस में ज्यादा निकलता है तो अब एक दोपहिया वाहन की जरूरत महसूस जरूर होती है, जिसे बेटा और घरवाली दोनों चला सकें, सारे दोपहिया वाहन देखे, पसंद आया TVS Jupiter।

तभी हमें इंडीब्लॉगर की तरफ से TVS Jupiter की फेक्टरी में जाने के लिये मौका भी मिल गया, जिसमें केवल हिन्दी और अन्य भारतीय भाषाओं के ब्लॉगरों को बुलाया गया था। हम बैंगलोर के प्रसिद्ध ट्रॉफिक से होते हुए TVS Jupiter की फेक्टरी होसुर पहुँचे। जब हम फेक्टरी पहुँचे तो वहाँ की हरियाली देखकर मंत्रमुग्ध हो गये, चारों तरफ फेक्टरी की इमारतों के बीच जगह जगह कतार से लगे पेड़ और लंबे फैले घास के मैदान।

Bloggers in BUS

 

 

 

 

 

 

 

 

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लोग आत्महत्या क्यों करते हैं

आत्महत्या क्यों करते हैं और हम उन्हें कैसे बचा सकते हैं, इसके लिए समाज को अथक प्रयास करना होंगे। अब हम किसी भी मुख्य समाचार को ऐसे ही पढ़कर नहीं जाने देंगे। पहले एक जवान लड़का जिसके लिए कहा गया कि उसने UPSC एग्जाम में फेल होने पर आत्महत्या कर ली, फिर उसके बाद एक फैशन डिजाइनर। हमें पता नहीं है कि आत्महत्या करने के पीछे किस तरह की मानसिकता काम करती है, जैसे कि एक व्यक्ति जिसको व्यापार में बहुत घाटा हो गया हो, शराब पीने की भी लंबी आदत रही हो, अपनी पत्नी से समस्या हो, तो जब वे लोग ज्यादा सोचते हैं, तो वह अपनी जिंदगी खत्म करने के बारे में सबसे पहले सोचते हैं। Continue reading लोग आत्महत्या क्यों करते हैं

परीक्षा में असफल होना भी ठीक है

अभी दसवीं और बारहवीं के परीक्षा परिणाम आ चुके हैं और जिन बच्चों के 99% या उससे ज्यादा हैं, हम उनके परीक्षा परिणामों पर उत्सव भी मना चुके हैं। उनकी सफलता के लिए उनको बधाई का हक तो है ही, पर ऐसे बहुत सारे बच्चे भी हैं जो इतने नंबर नहीं ला सके और कुछ बच्चे ऐसे भी हैं जिन्हें उम्मीद से कम नंबर मिले, और कुछ बच्चे परीक्षा में असफल भी हुए हैं। परीक्षा परिणाम कुछ भी रहा हो, परंतु यह समय है अपने दिमाग को शांत और स्थिर रखने का और आगे बढ़ने के लिए तैयार होने का। Continue reading परीक्षा में असफल होना भी ठीक है

जब समाचार आपको नकारात्मक बना दे

हमारे दिन की शुरुआत किसी समाचार पत्र को पढ़कर ही होती है और जब तक हम समाचार पत्र नहीं पढ़ लेते, तब तक पूरा दिन ऐसा लगता है कि आज शुरुआत ही नहीं हुई। परंतु आजकल जब कोई मुझे कहता है कि तुमने तो आज अपने आसपास के समाचार देखना ही बंद कर दिया तो मैं उसे थोड़ा पर्सनल ही लेता हूँ क्योंकि मैं अपने आसपास की सारी नकारात्मक खबरें नहीं पड़ना चाहता, आज की कहावत है कि अगर आप समाचार नहीं देख रहे तो, आपके पास जानकारी नहीं है, परंतु अगर आप समाचार देख रहे हैं तो आपके पास गलत जानकारी है। Continue reading जब समाचार आपको नकारात्मक बना दे