जीवन एक अनंत यात्रा है
जिसे हम खुद ही खोदकर
और कठिन करते जा रहे हैं
अपने अंदर खोदने की आदत
विलुप्त होती जी रही है
हर किसी नाकामी के लिये
आक्षेप लगाने के लिये
हम तत्पर होते हैं
यह गहनतम जंगल है
जिसमें आना तो आसान है
निकलना उतना ही कष्टकारी है
पीढ़ी दर पीढ़ी कठिनाईयों के दौर
खुद ही बढ़ाते जा रहे हैं
न सादगी रही
न संयम रहा
बस अतिरेक का दावानल है
गुस्से की ज्वाला है
जीवन अमूल्य है
जिसे हम बिसार चुके हैं।