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About Vivek Rastogi

मैं २००६ से हिन्दी ब्लॉगिंग कर रहा हूँ, और वित्त प्रबंधन मेरा प्रिय विषय है। मेरा एक यूट्यूब चैनल भी है जिसे आप https://youtube.com/financialbakwas देख सकते हैं।

महर्षि अत्रि अनुसूया गङ्गा का Time trading & Irrigation marvel

Time Trading & Irrigation Marvels

महाशिवपुराण में एक कथा है कि महर्षि अत्रि को प्यास लगती है तो वे अपनी पत्नी अनुसूया को अपना कमंडल देते है बोले कि मुझे प्यास लगी है, अनुसूया कमंडल लेकर जल लेने चल पड़ीं, अत्यंत गर्मी थी, तो आश्रम से निकलने के पहले ही अनुसूया को एक सुंदर स्त्री आती दिखाई दीं।

यह सुंदर स्त्री गङ्गा थीं जो अनुसूया के पतिव्रत धर्म व शिवजी की आराधना से प्रभावित थीं, तो उन्होंने सोचा कि ये अनुसूया कहाँ जा रही है, इसे क्या समस्या है। गङ्गा ने अनुसूया से पूछा कि आओ कहाँ जा रही हैं, अनुसूया ने परिचय पूछा और बताया कि कमंडल में पानी लेने जा रही हूँ।

Time Trading

तब गङ्गा ने बताया कि यहाँ तो कहीं दूर दूर तक पानी नहीं है, मैं एक गड्ढा खोदकर उसमें से तुम्हारे लिये पानी भर देती हूँ, तुम जल लेकर महर्षि अत्रि को पिला दो, तब अनुसूया ने कहा कि आप यहीं रुकें, अनुसूया कमंडल भरकर महर्षि अत्रि के पास गईं कर उन्हें जल पिलाया, तब अत्रि बोले कि बाहर तो गर्मी हो रखी है, कहीं दूर दूर तक जल का निशान नहीं है क्योंकि अभी तक बारिश नहीं हुई, तुम्हें इतना शीतल जल कहाँ से मिला।

तब अनुसूया ने पूरा वृतांत बताया, तब महर्षि अत्रि व अनुसूया बाहर आये व गङ्गा जी की स्तुति की, तब अनुसूया ने गङ्गा से निवेदन किया कि आप इसी गड्ढे में हमेशा हमारे पास रहें, जिससे हमेशा हमारे पास जल रहे, तब गङ्गा जी ने कहा – मैं रह सकती हूँ पर एक शर्त है कि अगर तुम मुझे अपने 1 वर्ष का पतिव्रत धर्म व शिवजी की तपस्या का पुण्य मुझे प्रदान कर दो। अनुसूया मान गईं और गङ्गा जी उस गड्ढे में प्रविष्ट कर गईं।

अनुसूया से 1 वर्ष के तप का पुण्य लेना Time Trading है, और गड्ढे में गङ्गा जी का प्रविष्ट होना Irrigation marvel है। हॉलीवुड वाले हमारे पुराणों से प्लॉट उठाकर फिल्मों की आधुनिक रूप देकर सुपर हिट बनाते हैं। और हमारे यहाँ लोग इन विषयों पर कुछ सोचते ही नहीं।

मैं ठीक नहीं हूँ

मैं ठीक नहीं हूँ

ऐसा जीवन में कई बार, बार बार किसी न किसी दिन होता रहता है।

पर इस ठीक नहीं हूँ के पीछे क्या है, इसका कोई डॉक्टर नहीं होता।

हमें अकेले ही मैं ठीक नहीं हूँ, समस्या से उस समय को निकालना होता है।

इस ठीक नहीं हूँ का, हमारे पास कोई समाधान भी तो नहीं होता।

अगर ठीक नहीं हूँ का, समाधान पता होता तो मैं ठीक ही होता।

ठीक नहीं होने से ठीक होने के सफर में, खुद ही ठीक होना होता है।

गंधर्व का अर्जुन को तपतीनंदन और तापत्य कहने की कथा –

गंधर्व व अर्जुन (Image generated by AI)

जब पांडवों ने माता कुंती की साथ पांचाल याने कि द्रुपद राज्य की ओर कूच किया, तो गन्धर्व वाली कथा तो सबको पता ही है, जब अर्जुन ने गंधर्व को हरा दिया तब गंधर्व ने अर्जुन को तपतीनंदन और तापत्य कहा जिससे अर्जुन ने पूछा कि हे गंधर्व आपने मुझे इन संबोधन से क्यों पुकारा।

तब अर्जुन को गंधर्व ने बताया कि सूर्यदेवता की एक पुत्री थीं और सावित्रीदेवी की छोटी बहन थीं। जिसका नाम तपती था और वह स्त्रियों में अनुपम सुंदरी थी, तब सूर्यदेव को उनके विवाह चिंता हुई, पर भगवान सूर्य ने तीनों लोकों में किसी भी पुरुष को ऐसा नहीं पाया, जो रूप शील गुण और शास्त्रज्ञान की दृष्टि से उसका पति होने योग्य हो।

उन्हीं दिनों महाराज ऋक्ष के पुत्र राजा संवरण कुरुकुल के श्रेष्ठ व बलवान पुरुष थे, और उन्होंने सूर्यदेव की आराधना आरंभ की, अतः राजा संवरण को ही तपती के योग्य पति माना।

अब आगे कहानी बढ़ती है कि राजा संवरण जंगल में शिकार करने जाते हैं व पर्वत पर चले जाते हैं तो राजा का घोड़ा भूख प्यास से पीड़ित होकर मर जाता है और राजा पैदल ही पर्वत शिखर पर घूमने लगते हैं, वहीं उन्होंने एक सुंदर स्त्री को विचरण करते देखा, राजा उस पर मोहित हो गये, राजा ने उससे सुंदर स्त्री अपने नयनों से अभी तक देखी नहीं थी, और कामबाण से पीड़ित हो गये। तब राजा ने लज्जारहित होकर उस लज्जाशील और मनोहारिणी कन्या से पूछा कि तुम कौन हो, राजा ने कन्या की बहुत तारीफ की, पर कन्या ने कोई जबाब नहीं दिया और वह अन्तर्धान हो गई। राजा उन्मत्त होकर इधर उधर भ्रमण करने लगे और विलाप करते हुए मूर्क्षित होकर निश्चेष्ट पड़े रहे।

तब वह तपती ने फिर से राजा संवरण के सामने मुस्कराते हुए अपने आपको प्रकट किया। तब तपती ने कहा आप सम्राट हैं आपको मोह के वशीभूत नहीं होना चाहिये, राजा ने आँखें खोलीं, पर राजा के अन्तःकरण में तो कामजनित अग्नि जल रही थी। और राजा ने कहा कि मैं काम से पीड़ित तुम्हारा सेवक हूँ, तुम मुझे स्वीकार करो अन्यथा मेरे प्राण मुझे छोड़कर चले जायेंगे, हे सुंदरी तुम्हारे लिये कामदेव मुझे अपने तीखे बाणों द्वारा बार बार घायल कर रहे हैं। मुझे कामरूपी महासर्प ने डस लिया है। अब मुझे किसी और स्त्री को देखने में रूचि भी न रही। तुम आत्मदान देकर मेरे उस काम को शांत करो। मुझसे गंधर्व विवाह करो।

तब कन्या कहती है कि मेरे पिता विद्यमान हैं, आपको उनसे मुझे मांगना पड़ेगा। हे राजन जैसे आपके प्राण मेरे अधीन हैं, उसी प्रकार आपने भी दर्शनमात्र से ही मेरे प्राणों को हर लिया है। मैं अपने शरीर की स्वामिनी नहीं हूँ, इसलिये आपके समीप नहीं आ सकती, क्योंकि स्त्रियाँ कभी स्वतंत्र नहीं होतीं। आपको पति बनाने की इच्छा कौन कन्या नहीं करेगी।

आप यथासमय नमस्कार, तपस्या, और नियम से सूर्यदेव को प्रसन्न कर मुझे माँग लीजिये। मैं उन्हीं अखिलभुवनभास्कर भगवान सविता की पुत्री और सावित्री की छोटी बहन तपती हूँ। यह कहकर कन्या चली गई। राजा फिर मूर्छित होकर गिर पड़े। फिर उनके मंत्री सेना के साथ ढूँढते हुए पहुँचे व राजा को को देखकर राजमंत्री व्याकुल हो गये, राजा को देखकर अनुमान लगाया कि वे भूख प्यास से पीड़ित और थके मांदे हैं, मुकुट छिन्न भिन्न नहीं है अतः राजा युद्ध में घायल नहीं हुए हैं। मंत्री ने राजा के मस्तक को कमल के सुगंध से युक्त ठंडे जल से सींचा। राजा को होश आया और मंत्री को रोककर सेना को वापिस लौटा दिया।

राजा संवरण व तपती, कुरु (image generated by AI)

उसके बाद राजा संवरण ने उसी पर्वत पर सूर्य की आराधना की व अपने पुरोहित मुनि वसिष्ठ का मन ही मन स्मरण किया। 12 दिन बाद वसिष्ठ आये, और राजा ने तपती को पाने के लिये सूर्यदेव से मिलने के लिये निवेदन किया, वसिष्ठ गये और सूर्यदेव से तपती को राजा संवरण के लिये ले आये। और राजा ने तपती का पाणिग्रहण किया और वशिष्ठ जी से आज्ञा लेकर उसी पर्वत पर विहार करने लगे। राजा संवरण ने 12 वर्षों तक उसी पर्वत पर विहार किया और कुरू को उत्पन्न किया था। अतः उसी वंश में जन्म लेने के कारण आप लोग तापत्य हुए।

उन्हीं कुरु से उत्पन्न होने के कारण सब लोग कौरव तथा कुरुवंशी कहलाते हैं। इसी प्रकार पुरु से उत्पन्न पौरव और अजमीढ़कुल वाले आजमीढ़ तथा भारतकुल वाले भारत कहलाते हैं।

अब मुझे ऐसा लगता है कि अपने वंश के लोगों के ऐसे कारनामे सुनकर आदमी खुश होगा या दुखी होगा, कि कैसे कामी आदमी लोग हमारे पितामह थे।

आदिपर्व सम्भवपर्व अध्याय 170, 171, 172

द्रोपदी के पाँच पति क्यों हुए

लाक्षागृह कांड के बाद जब पांडव गुप्त रूप से निवास कर रहे थे और वृकोदर भीमसेन ने बकासुर राक्षस को मार दिया, उसके बाद एक ब्राह्मण उसी जगह रुकने आया, जहाँ पाण्डु गुप्त रूप से रह रहे थे। उसने पांचाल और पांचाली की कथा उन्हें सुनाई और बताया कि पांचाल देश में पांचाली का 75 दिन बाद स्वयंवर है, व पांचाल देश बहुत अच्छा है, व रमणीय है, मतलब कुक मिलाकर बहुत तारीफ करी, तो कुंती ने पांडुओं को कहा कि हम भी इन्हीं ब्राह्मण के साथ द्रुपद चलते हैं।

चित्र AI से जनरेटेड है।

तभी सत्यवतीनन्दन व्यासजी उनसे मिलने के लिये वहाँ आये और उन्हें कथा सुनाई कि – किसी समय तपोवन में एक ऋषि की सुंदर कन्या रहती थी, परंतु दुर्भाग्य से वह पति न पा सकी। तब उसने उग्र तपस्या करके शिवजी को प्रसन्न किया व कहा कि – मैं सर्वगुणसम्पन्न पति चाहती हूँ, इस वाक्य को 5 बार कहा। तब भगवान शिव ने कहा -तुम्हारे पाँच भारतवंशी पति होंगे। तब कन्या बोली कि – मैं आपकी कृपा से एक ही पति चाहती हूँ। तब भगवान ने कहा तुमने मुझसे पाँच बार कहा है कि मुझे पति दीजिये। अतः दूसरा शरीर धारण करने पर यह वरदान फलित होगा।

वह महाराज पृषत की पौत्री सती साध्वी कृष्णा (द्रोपदी) तुम लोगों की पत्नी नीयत की गई है, अतः महाबली वीरों तुम अब पांचाल नगर में जाकर रहो, द्रोपदी को पाकर तुम सभी लोग सुखी होओगे।

पहले सब कुछ पूर्वनिर्धारित रहता था, और कुछ ही लोगों को यह जानकारी होती थी, जिससे वे उन कार्यों को सिद्ध करने में सहयोग करते थे। आजकल ऐसे कुछ लोग दुनिया में दिखते ही नहीं, इसलिये हम लोग जान ही नहीं पाते कि किसने किसके लिये तपस्या करी, इसी चक्कर में घर में शायद झगड़े भी बहुत होते हैं। इन कुछ लोगों को वापिस इस दुनिया में आकर मार्गदर्शन करना चाहिये।

आदिपर्व सम्भवपर्व अध्याय 168

महर्षियों का वीर्य स्खलन

महाभारत पढ़ते पढ़ते बहुत से ऐसे वृत्तांत मिलते हैं, जो शायद फेसबुक पर लोग पचा न पायेंगे तो सोचा कि इसे अब ब्लॉग पर लिखा जायेगा, क्यों लोगों का जायका खराब किया जाये।

अब आदिपर्व सम्भवपर्व के 129 वें अध्याय में कृप और कृपी का जन्म बताया गया कि महर्षि गौतम ने एक वस्त्र धारण करने वाली अप्सरा को देखा जिसे इन्द्र ने महर्षि के तप में विघ्न डालने भेजा था, तो महर्षि के मन में विकार आ गया और उनका वीर्य स्खलित हो गया और उन्हें इसका पता भी नहीं चला, उनका वीर्य सरकण्डे पर गिर पड़ा और उससे इनका जन्म हुआ।

वैसे ही महर्षि भारद्वाज नदी पर स्नान करने गए तो एक अप्सरा पहले ही स्नान करके वस्त्र बदल रही थी, उसका वस्त्र खिसक गया और ऋषि के मन में कामवासना जाग उठी और उनका वीर्य स्लखित हो गया। ऋषि ने उस वीर्य को द्रोण(यज्ञकलश) में रख दिया, उस कलश से जो पुत्र उत्पन्न हुआ, उसका नाम द्रोण रखा गया क्योंकि वह द्रोण से जन्मा था।

अब इन दो वृत्तांतों से यह फंतासी जरुर लगता है, पर मुझे ऐसा लगता है कि उस समय की तकनीक किसी ओर तरीके से समृद्ध थी, जिसमें यह सब आसानी से हो जाता होगा।

जैसे आज से 30-40 साल पहले किसी को कहते कि मोबाइल जैसे चीज है जिससे तुम बेतार बात कर सकते हो, और फेसबुक से पूरी दुनिया से जुड़ सकते हो, लोग अपने फोटो डालेंगे और तुम उन्हें देख सकते हो, इत्यादि इत्यादि, उस समय ही लोग कहने वाले को फंतासी समझते, तो यह तो बहुत पुराने वृत्तांत हैं। हो भी सकता है कि ये सही भी हों।

गणतंत्र दिवस पर सोसायटी में कार्यक्रम

गणतंत्र दिवस पर सोसायटी में कार्यक्रम हुआ, जिसमें झंडा फहराया गया, फिर भाषणबाजी हुई, और गाने गाये गये, कविताओं का वाचन हुआ।

जब पहला गाना गाया गया – जीरो दिया मेरे भारत ने, तब हम भी साथ में ऑडिएंस में खड़े होकर पूरा ही गाना साथ में गुनगुना लिये, तो हमारे पड़ौसी पास ही खड़े थे, कहने लगे बहुत ही बढ़िया गाना है पर हमने पहली बार सुना, हमने कहा यह मनोज कुमार का गाना है और फ़िल्म पूरब और पश्चिम का है। बेटेलाल का फेवरेट गाना है, कई बरसों तक यह गाना 1 या 2 बार रोज ही हमारे घर में बजता रहा है। ये पड़ौसी विशाखापत्तनम से हैं।

फिर एक मैडम हैं वे आईं, उनकी आवाज बहुत बुलंद है और कविताओं को पढ़ने के लिये वैसी ही आवाज चाहिये। वे अधिकतर रामधारी सिंह दिनकर की कविता पढ़ती हैं, बहुत सी कविताएं उन्हें याद हैं, इस बार उन्होंने हिमालय पर लिखी गई कविता -मेरे नगपति मेरे विशाल कविता का पाठ किया। ये भोपाल से हैं तो उनका हिन्दी उच्चारण बहुत शुद्ध है। यह हमें याद नहीं थी, पर सुनकर आनंद लिया।

बाद में उन्होंने एक और कविता गाई –

हिमाद्रि तुंग श्रृंग से
प्रबुद्ध शुद्ध भारती —
स्वयं प्रभा समुज्ज्वला
स्वतंत्रता पुकारती —

जो कि जयशंकर प्रसाद ने लिखी थी, हमने यह कविता साथ में पूरी गुनगुनाई, यह चाणक्य में हमने सुनी थी, और फिर इतनी सुनी कि दिल में अंकित हो चुकी है। इस पर भी पड़ौसी बोले यह भी हमने पहली बार सुनी, इट्स लुक्स लाइक आई एम वेरी पूअर इन आल दिस, हम बकस मुस्कुरा दिए और कहा आप किसी और में अच्छे होगे।

शेयर बाजार में ट्रेडिंग की कमाई

एक हमारे बहुत ही अच्छे मित्र हैं, बढ़िया सेट हैं, शेयर बाजार में जो भी निवेश करना चाहते हैं वे हमसे पूछते रहते थे, फिर एक दिन बोले कि आप हमारे लिये एक एकाउंट में ट्रेडिंग करिये, हमने कहा हम तो ऑप्शन सेलिंग करते हैं, वे बोले तो बताइये मिनिमम कितना कैपिटल लगेगा, हमने कहा कि 1.5 लाख से शुरू कर सकते हैं, पर आपकी होल्डिंग को हम कोलेट्रोल पर लेकर मार्जिन मनी के लिये उपयोग करेंगे तो वे बोले हाँ यह भी ठीक है, तो कैश 1.5 लाख और कोलेट्रोल से लगभग 1.2 लाख मिल गया, जिसे हम केवल एडिशनल मार्जिन के लिये ही उपयोग करते हैं।

वे बोले आप अपनी फीस भी बता दो, तो हमने कहा कि हम कैपिटल का हर महीने 1% फीस ले लेंगे, पर प्रॉफिट की फुल गारंटी नहीं है, लॉस भी हो सकता है, पर हमारी फीस में कोई बदलाव नहीं होगा। हमारे मित्र ने कहा कोई नहीं जो आप कहते हैं, वह सब हम मान लेते हैं, आप बस हमारे एकाउंट में ट्रेडिंग करिये और longterm पोर्टफोलियो भी बना दीजिये। हमने अगस्त 2023 से उनके एकाउंट में काम करना शुरू किया। कैपिटल के अनुसार ही ट्रेड लिये, कभी 3% मिला तो कभी 6%, बाजार के ऊपर निर्भर करता है। सितंबर में एक ट्रेड ज्यादा drawdown दिखा रही थी, हमें पूरी उम्मीद थी कि मार्जिन नहीं भरना पड़ेगा, पर वह ट्रेड ब्रोकर ने मार्जिन न होने के कारण लॉस में स्क्वेयर ऑफ कर दी, सितंबर का महीना नुकसान में नहीं रहा पर 5% प्रॉफिट की जगह मात्र ₹480 का प्रॉफिट हुआ, तब मित्र को समझ आया कि मार्जिन की कमी के कारण गड़बड़ हुई, उन्होंने एकदम अक्टूबर की शुरुआत में ₹50,000 और डाल दिये, इस प्रकार कैश अब 2 लाख हो चुका था।

सारे चार्जेस और ब्रोकरेज के बाद प्रॉफिट अब इस प्रकार है –
अगस्त 2023 – ₹9,493
सितंबर 2023 – ₹480
अक्टूबर 2023 – ₹9,477
नवंबर 2023 – ₹8,575
दिसंबर 2023 – ₹4,593
जनवरी 2024 – ₹14,178

कुल प्रॉफिट – ₹47,685
चार्जेस व ब्रोकरेज के बाद – ₹46,638

जनवरी 2024 से अब वे हर महीने ₹50,000 इस एकाउंट में डाल रहे हैं, तो अब कैपिटल कैश का 2.50 लाख और प्रॉफिट है, तो जब भी हमें कोई बढ़िया शेयर दिखता है तो हम उसे longterm होल्डिंग में खरीद देते हैं, एक शेयर हमने उनके लिये 100 qty खरीदी थी, अब वह 40% प्रोफिट में है, वहीं एक साल में यही कमाई बढ़कर कम से कम 250% हो जायेगी। अभी यह काम हम व्यवसायिक तरीके से नहीं कर रहे हैं पर लगता है कि जल्दी ही शुरू करना चाहिये, एक हमारे मित्र हैं ब्रोकर कम्पनी में बड़ी पोज़िशन पर हैं, वे कई बार कह चुके कि आराम से इसे ₹10 करोड़ तक ले जा सकते हैं, पर हमें कोई जल्दीबाजी नहीं है, अभी नौकरी कर रहे हैं, तो घरवाली को सबकुछ सीखा दिया है, तो हम चैन से नौकरी करते हैं, और ट्रेडिंग घरवाली करती है, अगर कहीं कोई समस्या होती है, तो हम देख लेते हैं। क्योंकि मुख्य चीज है monitoring करना, तो उसके लिये हमें घरवाली की भरपूर मदद मिल जाती है, अब एक प्रकार से उनका ही यह बिजनेस है, हम केवल मेंटर हैं। अब वे चार्ट रीडिंग बेहतरीन करती हैं, ब्रेकआउट, सपोर्ट रेसिस्टेंस सब कुछ खुद निकाल लेती हैं। बस ऐसा जीवनसाथी हो तो जीवन आसान हो जाता है।

अब हमारे मित्र हमसे कई बार कह चुके हैं कि आप अपनी फीस ले लीजिये, हमने कहा जब जरूरत होगी ले लेंगे, कम से कम एक नया फोन तो सालभर की फीस से आ ही जायेगा।

ये आज इसलिये लिखा कि कई लोग चेलेंज करते हैं कि अपना प्रॉफिट दिखाओ, तो आप इसे डेमो अकॉउंट के तौर पर देख सकते हैं, क्योंकि हम आपना प्रॉफिट सार्वजनिक नहीं करना चाहते। प्रॉफिट का स्क्रीनशॉट भी लगा रहे हैं।

और ध्यान रखें कि हम अभी किसी का पैसा मैनेज कर पाने की स्थिति में नहीं हैं, हम अपने प्रॉफिट से पूर्णतया संतुष्ट हैं, हम न ट्रेनिंग देते हैं, न कोई टिप्स, बस सीखने पर जोर देते हैं, नई स्ट्रेटेजी देखते रहते हैं और अपनी स्ट्रेटेजी में और सुधार करते रहते हैं।

जो हमेशा सीखता रहेगा, वही जीवन में आगे बढ़ पायेगा। अगर आपमें पास ठीक ठाक कैपिटल है तो आप खुद अंदाजा लगा लीजिये कि आप शेयरबाजार के इस समुंदर से कितना कमा सकते हैं।

अगली पोस्ट में बेटेलाल के बारे में लिखेंगे, कि वो कितना सीखे, कैसे सीखे, और निवेश में क्या करते हैं।

NCC में ड्रिल

ड्रिल देखना मेरी मनपसंद चीजों में से एक है, इससे पहले NCC में ड्रिल करना बेहद पसंद था, और मैं सीनियर अंडर ऑफीसर हुआ करता था। कई camp मैंने NCC के दौरान किये, और सबसे बेहतरीन कैम्प मेरा रहा, आर्मी अटैचमेंट कैम्प, जबलपुर, जहाँ हमें ग्रेनेडियर रेजिमेंट अलॉट हुआ था, सेना की बैरकों में ही हमारा ठिकाना था, वहीं हमारी मेस हुआ करती थी।

रंगरूटों की जबरदस्त तबियत से रगड़ाई होते हुए हम देखते थे, वैसे हमारी जो रगड़ाई होती थी, वो उनके मुकाबले कुछ भी नहीं होती थी।

26 जनवरी और 15 अगस्त को हम हमेशा ही NCC की तरफ से समारोह में शामिल हुए। इसके लिये कुछ दिनों पहले से ही समारोह के लिये रिहर्सल करने भी जाते थे। अब तो खैर ये सब यादें ही रह गईं हैं।

हमारी बड़ी दिली इच्छा थी, सेना में भर्ती होने की, पर अपन सेना भर्ती परीक्षा निकाल लेते, उतने बुद्धिमान नहीं थे, और न ही हमारे घुटने, जो मेडिकल ही पास नहीं होने देते।

अभी tv पर परेड देखकर अपने सारे कमांड भी याद करता रहता हूँ, परेड दाहिने देख, खाली एक, परेड सामने देख, खाली एक 😀

रोज महाकाल की संध्या आरती में जाना

हम जब उज्जैन रहने पहुँचे तो दोस्त लोग शाम को घूमने जाते थे, पर हम कुछ दोस्तों ने थोड़े दिनों बाद इधर उधर जाने की जगह रोज शाम को 7 बजे महाकाल मंदिर में आरती में जाने का निर्णय लिया और नंदी जी के पीछे उस समय तीन बड़ी घंटियाँ हुआ करती थीं, तो वहाँ एक बड़ा लंबे से पटरे पर खड़े होकर हम तीन दोस्त कई बार पूरी आरती में घंटियाँ बजाते थे। अगर कोई और भक्त आकर निवेदन करता था, तो उनको भी मौका मिलता था। पर लगातार हाथ ऊपर करके घंटियाँ बजाना भी आसान काम नहीं, हाथ दुख जाते थे, पर धीरे धीरे आदत पड़ गई, उस समय डमरू और झांझ मंजीरे भी हाथ से ही बजाये जाते थे, फिर डमरू और झांझ मजीरे की मशीन आ गई।

महाकाल की संध्या आरती के बाद हम महाकाल परिसर में स्थित बाल विजयमस्त हनुमान जी की आरती में शामिल होते थे, वहाँ एक आरती रोज पढ़ी जाती थी, जो हमें नहीं आती थी, और वह आरती हमने घर पर भी रोज पढ़ना शुरू की तो हमें कंठस्थ हो गई, अब भी कंठस्थ है। वह है श्रीराम स्तुति – सुनने में ही इतनी मोहित करने वाली और और जब आप डूबकर भक्तों के साथ स्तुति करते हैं तो एक अलग ही दुनिया में होते हैं।

श्रीराम स्तुति (Shri Ram Stuti)

श्रीरामचंद्र कृपालु भजु मन

हरण भव भय दारुणम्।

नवकंजलोचन, कंज-मुख

कर-कंज पद-कंजारुणम्।।……

…..

बाल विजयमस्त हनुमानजी की आरती के बाद महाकाल परिसर में स्थित 84 महादेव व उज्जैन के हर मंदिर की छोटी प्रतिकृति भी वहाँ है, उनके दर्शन के बाद, माँ हरसिद्धि पहुँच जाते थे, कई बार वहाँ आरती मिलती कई बार नहीं।

इस प्रकार अपने जीवन के कुछ 2 वर्ष शाम को यही दिनचर्या रही। बाबा महाकाल मेरे जीवन के अभिन्न अंग हैं। और आज यह बातें अयोध्या में राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा पर याद आ गईं।

शेयर बाजार में एक से एक गुरु आज NKStockTalk

शेयर बाजार में एक से एक गुरु हैं, पर कोई खुलकर नहीं सिखाता और जो सिखाता है और फेमस हो जाता है वो कहीं न कहीं किसी स्कैम में फंस जाता है या फंसा दिया जाता है। यह पैसा है ही ऐसी चीज। खुलकर सिखाने का मतलब बारीकी से एक एक चीज, कि कैसे चार्ट काम करता है, स्मार्ट मनी कैसे पोजिशन लेती है, और स्मार्ट मनी की तरह कैसे पोजिशन लेकर शेयर बाजार से फायदा उठाया जाये, मतलब कि कब खरीदना है ओर कब बेचना है।

इस मामले में मैं नीतीश कुमार NKStocktalk सर का फैन हूँ, प्यूर टेक्निकल बातें करते हैं, सिंपल फंडे समझाते हैं, 99% साइकोलॉजी ठीक करने की बात करते हैं। केवल 1% सिखाते हैं, क्योंकि सीखने के लिये होता ही उतना है। वे फालतू की बातें करते नहीं या ये कहें कि उनको करना नहीं आता तो ज्यादा बेहतर होगा।

मैं उनके बहुत से फंडे अपने ट्रेड्स में इस्तेमाल करता हूँ, और उन्होंने गांववालों की भाषा में अपनी शब्दावली रखी है, जैसे हवा चिप्स, हिलेगा मिलेगा, हिलेगा मिलेगा उनकी सबसे बेहतरीन स्ट्रेटेजी लगी, इस इंडिकेटर को आप अपने हिसाब से इम्प्रूव भी कर सकते हैं। cnbc में भी उनको कई बार बुलाया गया, पर उनकी भाषा व उदाहरण नहीं जमे तो उनको बैन कर दिया गया।

आजकल वे केवल बास्केट पर जोर देते हैं, बताते हैं कि कैसे बास्केट बनाई जाये, कैश स्टॉक से ही सालभर में 50% से ज्यादा कमाई कैसे की जाये, इत्यादि इत्यादि। NKStocktalk के नाम से ही सर का यूट्यूब चैनल और टेलीग्राम चैनल है।

कल fno वाली पोस्ट के बाद कई कमेंट व मैसेज आये कि उनको fno सीखना है, मैं बस इतना कहना चाहता हूँ कि रिस्क कैसे मैनेज करना है वो सीखना सबसे जरूरी है, बाजार के धुरंधर आपके पैसे पर निगाहें लगाये बैठे हैं। और वे चाहते हैं कि ज्यादा से ज्यादा रिटेलर बिना सीखे बाजार में आये। वही उनका प्रॉफिट है।जब कोई लॉस लेगा, तभी किसी का प्रॉफिट होगा। मैं सिखाना नहीं जानता, क्योंकि मैंने भी सिस्टेमेटिक ढंग से नहीं, बल्कि over the time सीखा है। इसके लिये बहुत से यूट्यूब चैनल हैं जो निस्वार्थ भाव से सिखा रहे हैं, जब आप खुद थोड़ा बहुत सीख जायेंगे, तो आपको खुद समझ आ जायेगा कि कौन सिखा रहा है और कौन बेवकूफ बना रहा है।

यह किसी की भी मार्केटिंग नहीं है, आगे भी और इसी तरह की पोस्ट लिखते रहेंगे, बस इतना ही कहना चाहते हैं कि सीखने के लिये कम से कम 2 साल पेपर ट्रेड करिये, उसके बाद पैसों से ट्रेड करिये। बस आपको सीरियसनेस समझ आनी चाहिये।