जुहु पटाटी !!

हमने अपने परिवार के साथ जुहु चौपटी घूमने जाने का कार्यक्रम बनाया और साथ मै अपने मित्र से भी पूछा और वे भी हमारे साथ आ गये। हमारे बेटेलाल की जबान पर चौपाटी शब्द चढ़ नहीं रहा था वो बार-बार पटाटी बोल रह था। हमें भी उसकी ये नई शब्दावली अच्छी लगी, कि जुहु

पटाटी कब चलेंगे

पहले हमने विले पार्ले से एक स्पोर्ट शूज लेने का फ़ैसला लिया और् फ़िर चल पड़े जुहु पटाटी की ओर। पर जाते जाते हमारे पुराने जूते ने जवाब दे दिया, हो सकता है कि नया जूता आने का गम नहीं झेल नहीं पाया होगा बेचारा और शहीद हो गया।
जब हम जुहु पटाटी पहुँचे तो बस सूर्यास्त होने ही वाला था और समुद्र का पानी आज बीच के काफ़ी पास था, बस फ़िर क्या था हम सबने अपने जूते चप्पल अपने बैग में डाले और पैंट ऊपर करके चल दिये समुद्र की लहरों से मिलने, बहुत मस्ती की और हमारे बेटेलाल तो पूरे भीग चुके थे। फ़ोटो भी लिये बहुत सुहानी हवा चल रही थी। हम अपने साथ लायी फ़ुटबाल  से खेलना शुरु किया तो बस हमारे बेटेलाल, हमारा छोटा भाई, हमारे दोस्त की पुत्री खेलने में मस्त हो गये। फ़ुटबाल खेलते खेलते हम बीच के किनारे तक पहुँच गये और फ़िर वहाँ हमने स्वादिष्ट  मीठा भुट्टा खाया, नारियल पानी पिया। और बैठकर हम लोग बात ही कर रहे थे कि इस्कॉन की यात्रा आ गई वे महामंत्र जप करते हुए बीच पर आत्मीयता के साथ चल रहे थे और सबसे निवेदन कर रहे थे कि वे भी महामंत्र का जाप करें। बहुत आनंद आया। फ़िर थोड़ी देर में निकलने के समय बहुत जोर से भूख लगने लगी तो मैकडोनल्डस पर वेज मील से तृप्ती की। हमारे पुराने जूते की समाधी वहीं जुहु पटाटी पर बनाकर हम अपने नये जूते पहन कर आये।
तो कैसी लगी आपको जुहु पटाटी की सैर, जरुर बताईयेगा।

4 thoughts on “जुहु पटाटी !!

  1. भाई आप के चित्र तो बहुत सुंदर लगे, लेकिन चित्रो से सुंदर लगा जुहु पटाटी आप के बेटे के दुवारा बोला यह शव्द, बेटे को बहुत बहुत प्यार.
    धन्यवाद

  2. मुझे ठीक इसी उम्र का वह दिन याद आ गया जब मै अपने मामा के यहाँ माटुंगा गया था और हम लोग जुहु चौपाटी गये थे और मुह मे नमकीन पानी भर जाने के कारण मै देर तक रोता रहा था ..जुहू पटाटी .. नही जाऊंगा .. ।

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