मेरे बेटे की खराब तबियत में मेरे विचार और घटनाक्रम। क्या डॉक्टर एकाधिक व्यक्तित्व विकार के शिकार होते हैं ? [ Doctor’s with Multiple Disability Disorder ?]

    कल मेरे बेटे की तबियत कुछ ज्यादा ही खराब हो गयी, जैसे ही शाम को मैं घर पहुँचा तो पता चला कि ये दोपहर से सो ही रहा है और कुछ खाया भी नहीं है। आज लगातार पाँचवा दिन है जबकि बुखार कम नहीं हुआ है और १०२ चल रहा है। मैंने तुरन्त ही बच्चे के विशेषज्ञ डॉक्टर को फ़ोन लगाया और पूछा कि कब कहाँ मिलेंगे। और तुरन्त ही उनके नर्सिंग होम लेकर चल दिये।

    इन डॉक्टर के यहाँ हमारा बेटे को हम लगातार दिखाते रहे हैं, उन्होंने अपनी जाँच पूरी की और तुरन्त ही रक्त और मूत्र जाँच के आदेश दे दिये। और लेब को तुरन्त रिपोर्ट देने का बोला। हम कुछ समयांतरल के बाद वापिस डॉक्टर के पास पहुँचे तो वो बोले कि WBS कम है, और टायफ़ाईड होने की संभावना है, कमजोरी बहुत ज्यादा है। इसलिये इसी समय बालक को भर्ती करवा दीजिये।

    उनका बोलना था कि हमारा कलेजा मुँह को आ गया कि जरा सी जान और अस्पताल में भर्ती, हमने कहा क्या घर पर रहकर चिकित्सा नहीं हो सकती है, डॉक्टर बोले हो सकती है पर क्यों जोखिम लें, पहले ही इतनी कमजोरी है और ज्यादा कमजोरी हो गयी तो। हम क्या बोल सकते थे। चुपचाप अपनी गर्दन हिलाई और घर पर फ़ोन लगाया कि तैयार हो जाओ, अस्पताल में भर्ती करवाना है।

   जब हमें डॉक्टर ने बोला था कि भर्ती करवा दो तो हमें डॉक्टर का चेहरा शैतान को होता दिखा था कि उसके मुँह पर अचानक बोलते बोलते ही कान बड़े हो गये हैं, मुँह बड़ा हो गया है, सिर पर दो सींग उग आये हैं, नाक बड़ी हो गयी है और दाँत बाहर को राक्षस जैसे निकल आये हैं।

    हम तो हमेशा से डॉक्टर को भगवान का रुप मानते हैं, परंतु कभी कभी लगता है कि नहीं ये लोग एकाधिक व्यक्तित्व विकार का शिकार होते हैं, तभी तो पल में अपनी बातों से मरीज और मरीज के परिवार का विश्वास जीत लेते हैं और फ़िर उनकी जेब काटने लगते हैं।

    हमारे जो डॉक्टर हैं, वे लगभग हमारी ही उम्र के होंगे, और अभी अभी नया नर्सिंग होम खोला है, और मुंबई में दो जगह नर्सिंग होम हैं। घरवाले भी सोचते होंगे कि वाह हमारे बेटे ने क्या व्यवसाय जमाया है। मुझे लगता है कि मेरा डॉक्टर पर ज्यादा विश्वास है और भगवान पर तो अटूट विश्वास है। और ये सब बातें न जाने क्यों मेरे दिलोदिमाग में आ गई हैं।

    शायद एकदम से मेरी पितृग्रंथी को चोट लगी हो, या फ़िर अस्पताल में खराब अनुभवों से। उम्मीद है कि इलाज कर रहे डॉक्टर हिन्दी ब्लॉग नहीं पढ़ते होंगे और उन्हें बुरा भी नहीं लगेगा। अब हम जा रहे हैं हमारे बेटॆ के पास कल से उसे दो इंजेक्शन और १ सिलाइन चढ़ चुकी है, हमारी घरवाली रातभर से सोई नहीं है, अब हम जा रहे हैं अपने लख्तेजिगर के पास…

29 thoughts on “मेरे बेटे की खराब तबियत में मेरे विचार और घटनाक्रम। क्या डॉक्टर एकाधिक व्यक्तित्व विकार के शिकार होते हैं ? [ Doctor’s with Multiple Disability Disorder ?]

  1. विवेक जी , आपकी भावनाओं को समझ सकता हूँ । बच्चे के बीमार होने पर बच्चे से ज्यादा मात पिता को तकलीफ़ होती है । लेकिन घबराइए नहीं , बेटा जल्दी ठीक हो जायेगा ।

  2. बेटा जल्दी स्वस्थ हो!
    डाक्टरों के बारे में वैसे ही बहुत कुछ कहता रहा हूँ, अभी कहना उचित नहीं। पर इतना अवश्य कि डाक्टर अपनी शपथ लेते ही विस्मृत कर देते हैं। ठीक झूठा बयान देने वाले गवाह की तरह।

  3. आपका बेटा जल्‍दी स्‍वस्‍थ हो जाएगा। फिक्र मत कीजिए। कोई ज़रूरत हो तो बेहिचक बताएं। डिस्‍चार्ज की क्‍या ख़बर है।

  4. आपने याद दिला दी, जब मेरे बच्चों को स्वाईन फ्लू हुआ था और में न्यू योर्क में था , मेरी पत्नी अकेली दोनों बच्चों को शिकागो में manage कर रही थी और रात दिन हम दोनों परेशान थे,

    आप चिंता ना करें, डॉक्टर पर विश्वास रखें और सब लोग खुस रहे ….जल्दी ही ठीक होगा अपना लख्तेजिगर

  5. बेशक आजकल इस पेशे मे जो चल रहा है वो सब सही नही मगर जब बच्चे की बीमारी का सवाल है और सामने दिख रही है तो डाक्टर पर विश्वास रखें।
    बेटा शीघ्र स्वस्थ हो मंगलकामनाएँ. आशीर्वाद

  6. डाक्टर पर यकीन रखें , अपना जेब भरेगें, बच्चे को स्वस्थ्य करेगें .wbc सही करने के लिए मेथी, सेब खिलाए . इधर मेरी बेटी तीन दिन के तेज बुखार में ऐसी दिख रही है जैसे महीनों से अंन के दर्शन नहीं हुए ,क्या करें 🙂

  7. बेटे के जल्दी स्वस्थ होने की शुभकामनाएं ..
    मुंबई में जरा सी बीमारी में एडमिट करने की सलाह देना आम बात है….मैं भी ऐसे ही चौंकी थी,डॉक्टर की सलाह पर क्यूंकि दिमाग में यही बात थी कि हॉस्पिटल में एडमिट होना,मतलब कोई सीरियस बीमारी है…पर चिंता मत कीजिये…जल्दी ही ठीक हो जायेगा.

  8. विवेक जी !
    किसी होमिओपैथ से तुरंत सलाह लें , किसी अच्छी होमिओपैथी की दूकान से यूपेटोरियम पेंटार्कन ( मेड इन जर्मनी ) खरीद कर, हर घंटे १० बूँद पानी में डालकर पिलायें , आराम मिलने पर दावा कम करते जाएँ !

  9. बेटा शीघ्र स्वस्थ हो, हमारी शुभकामनाये है आप किसी दुसरे डा० से भी सलाह ले सकते है, लेकिन सभी एक जेसे ही है, डा० जिन्हे हम भगवान समझते है क्या सच मै वो इस काबिल है????

  10. विवेक जी आजकल हॉस्पिटल में एडमिट कर लेना आम हो गया है ..आप चिंता न करें बेटा बहुत जल्दी ही ठीक हो जायेगा.
    हम सब कि मंगल कामनाएं हैं.

  11. अस्‍पताल में भर्ती के नाम पर इतना घबराते क्‍यों हैं? बच्‍चा पाँच दिन से बुखार में है तो उसे अधिक देखरेख की आवश्‍यकता है। डॉक्‍टर और रोगी का सम्‍बन्‍ध विश्‍वास पर टिका होता है तो इसे विश्‍वास पर ही रहने दें। आपका बेटा शीघ्र ही ठीक हो जाएगा।

  12. विवेक जी, आदमी हर दुख-दर्द बर्दाश्त कर सकता है, लेकिन बच्चों की तकलीफ नहीं देख सकता…

    बाप होने के नाते आपके दर्द को बखूबी समझ सकता हूं…चिंता मत कीजिए, बेटा जल्दी ही स्वस्थ होकर आपके साथ खेलेगा…

    बाकी बाज़ारशास्त्र से चलने वाली इस दुनिया में आज हर चीज़ पैसे से ही तौल कर देखी जाती है…और शायद यही वो डॉक्टर आपके साथ कर रहा है…लेकिन हाथ की जैसे पांचों उंगलियां बराबर नहीं होतीं, ऐसे ही सब डॉक्टर भी नहीं होते…

    जय हिंद…


  13. मैं आपकी व्यथा समझ सकता हूँ, विवेक जी ! बदलते वक़्त के साथ नज़रिया भी बदल गया है, लोग भी इलाज़ से अधिक सुविधाओं को तवज़्ज़ों देने लगे हैं । ताज़्ज़ुब होता है, कि जब एक मर्ज़ का इलाज़ भी एक ही होता है, फिर लोग प्राइवेट, ए.सी. किचनेट जैसी अपेक्षायें क्यों रखने लगे हैं ? लिहाज़न ऊँची दुकान की ऎसी ललक का फायदा उठाने में डॉक्टर एक व्यापारी की तरह पेश आने लगता है, उसके दिमाग में इलाज़ शुरु करने से पहले ही ख़र्चों की गणना, बैंक की किश्त, कर्मचारियों का बोनस इत्यादि घूमने लगते हैं । बड़ा घालमेल है, अब तो कॉरपोरेट अस्पतालों के आने से ऎसे दवाब और भी बढ़ गये हैं ।

    राज भाटिया जी,
    प्रश्न : डा० जिन्हे हम भगवान समझते है क्या सच मै वो इस काबिल है????
    उत्तर : कतई नहीं.. उसे भगवान समझा जाना ही गलत है और मैं इसे सिरे से ख़ारिज़ करता आया हूँ ।
    तरस तो उन गधों पर भी आता है, जो इँसान से यह नहीं पूछ पाते कि, श्रीमान आप मुसीबत के समय मुझे बाप क्यों बना लेते हैं ?
    दिनेश जी,
    सँदर्भ : झूठा बयान देने वाले गवाह की तरह ।
    उत्तर : बहुधा यह बयान उसे किसी कानूनवेत्ता ने ही रटाया होता है, और मैं समझता हूँ कि अदालत में शपथ लेने के लिये गीता का उपयोग उस ग्रँथ की अस्मिता के साथ खिलवाड़ है.. और यह तथ्य अदालत में उपस्थित सभी जन जानते समझते हैं !

    मानवीय मूल्यों में लगातार होते जाते गिरावट का यूँ सामान्यीकरण उचित नहीं !
    विवेक जी, ऎसे में एक सेकेन्ड ओपीनियन अवश्य ले लेनी चाहिये ।

  14. Wishing your son to be fit and fine soon.

    Kindly write a post on the doctor, who is treating your son after his recovery as a gesture of thanks.

    Why a doctor's concern for his/her patient is seen as his selfishness?

    A patient gets better care when admitted in hospital or nursing home and it becomes easy for the doctor to monitor the patient.

    If a doctor doesn't show his concern, then he will be accused for his negligence.

    If he advises to get admitted, then he is accused for his greed for money.

    If by chance some mishap happens, he will be dragged to consumer forum without delay.

    Health is wealth ! But unfortunately a doctor will never get the credit for saving someone's health, instead he will accused for sucking money from the needy.

    If a gynecologist decides for an elective surgery, she will be accused for being money minded, but only a doctor knows how critical a patient is and what the requirements are. Only a doctor is capable of taking right decision in such crisis.

    So have faith in your doctor. Faith pays !

    Some doctors are indeed criminals like any other professionals . So kindly do not generalize and have mercy of poor doctors.

    again with best best wishes to dear son .

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