900रू. के मोबाईल से 9 लाख रू. की गाड़ी चोरी से बचाई

   हम जीवन में मेहनत करते हैं, आगे बढ़ते हैं और अपने यत्नों से प्रगति पथ पर अग्रसर होते हैं। कार हमारे जीवन की एक मूलभूत सुविधाओ में शामिल हो जाती है, जब हम कार को अफोर्ड कर सकते हैं। कई बार दोपहिया वाहन हमारे दैनिक आवाजाही के लिये उपयुक्त नहीं होता है, क्योंकि कई बार हमें हाईवे पर ही सफर करना पड़ता है, कार जीवन में एक महँगा साधन है, और हर कोई कार को अपने सपनों की कार मानकर ही लेता है, जब हम अपना सपना सच कर लेते हैं, तो हमें यह भी ध्यान रखना चाहिये कि हमारे सपनों में कोई सेंध न लगा दे, कोई कार या गाड़ी को चुरा न ले। हालांकि गाड़ी चोरी के लिये बीमा होता है, परन्तु अगर हम ध्यान रखें और सावधानी बरतें तो हम सेंध लगाने से रोक सकते हैं।

   अभी गुड़गाँव में ही एक केस हुआ था और अपनी सूझबूझ से उसने अपनी कार को वापस पा लिया। कुछ दिनों पहले ही उन्होंने होंडा की मोबिलिय कार 9 लाख रूपये की खरीदी थी और उनके एक मित्र ने उन्हें एक मशविरा दिया कि आप अपनी कार में एक मोबाईल में सिम डालकर वाइब्रेट मोड में रख दें,तो उन्होंने भी उनके मित्र की राय मान ली, और एक 900 वाला मोबाईल लिया उसमें सिम डालकर कार में छिपाकर रख दिया। हर दूसरे तीसरे दिन चार्ज भी कर देते थे, जिससे मोबाईल डिस्चार्ज न हो पाये।

   शाम को ऑफिस से आने के बाद जब इन भाईसाहब ने रात को अपने घर के सामने अपनी हाँडा मोबिलिया खड़ी की, और अगले दिन सुबह जब उन्होंने देखा कि उनकी गाड़ी गायब तो उनके तो होश फाख्ता हो गये, उन्होंने तत्काल ही पुलिस को फोन किया और थोड़ी ही देर में पुलिस उनके घर पर थी, और इन भाईसाहब ने सबसे बड़ी गलती यह की कि गाड़ी के कागज भी गाड़ी में ही छोड़ दिया थे। पुलिस भी मुँह लटकाकर केस लिख रही थी, पर जैसे ही इन्होंने बताया कि गाड़ी में एक मोबाईल रखा छोड़ दिया है तो पुलिस वाले खुश हो गये और बोले कि आप हर 10-15 मिनिट में एस.एम.एस. करिये और हर 30 मिनिट में कॉल करते रहिये, पुलिस ने अपनी साईबर टीम की मदद ली और मोबाईल को ट्रेस कर 3-4 घंटे में ही गाड़ी ढ़ूँढ़ ली गई।

   तो केवल 900 रू. के मोबाईल रखने की होशियारी से उनकी 9 लाख की गाड़ी चोरी होने के बाद मिल गई। जब गाड़ी मिली तो उसका इग्निशियन लॉक और गियर लॉक दोनों ड्रिल करे हुए मिले, पर सबसे बड़ा संतोष यह था कि गाड़ी वापिस मिल गई। गाड़ी तो गाड़ी होती है और चोर चोर होते हैं, उन्हें 4 लाख या 9 लाख से कोई अंतर नहीं पड़ता है, तो बेहतर है कि हम भी गाड़ी में एक 900-1000 वाला मोबाईल जिसका बैटरी बैकअप अच्छा हो, छिपाकर रख दें, मुझे सबसे बेहतरनोकिया 105 लगा, जो कि फ्लिपकार्ट पर केवल 1085 रू. में उपलब्ध है।

6 thoughts on “900रू. के मोबाईल से 9 लाख रू. की गाड़ी चोरी से बचाई

  1. हनुमान जयन्ती की हार्दिक मंगलकामनाओं के आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा कल रविवार (05-04-2015) को "प्रकृति के रंग-मनुहार वाले दिन" { चर्चा – 1938 } पर भी होगी!

    सादर…!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

  2. कार के लिये (और बाइक के लिये भी) GPS ट्रैकिंग किट आती हैं जिन्हें आप कार में फिट कर सकते हैं। ईबे. इन पर ये चार-पाँच हजार से शुरु होकर मिल जायेंगी। GPS vehicle tracker लिख कर खोजें। इनमें से कुछ तो ऐसी हैं जिन्हें उसी कम्पनी के सॉफ्टवेयर से प्रयोग किया जा सकता है और मासिक/वार्षिक शुल्क चुकाना होता है। ऐसे वाली नहीं लेनी चाहिये। दूसरों में आप सिम लगाकर अपनी इच्छा से प्रयोग कर सकते हैं। उस किट के नम्बर पर एक कॉल करके वो उत्तर में SMS द्वारा अपने निर्देशांक भेज देगी जिससे आप उसे मैप पर लॉकेट कर सकते हैं। कुछ किट शायद सीधे मैप पर रियल टाइम लोकेशन भी दिखा सकती हैं। इनमें इनबिल्ट बैट्री लगी होती है जो चार्जिंग के लिये गाड़ी के अन्दर ही कनैक्ट कर दी जाती हैं। कुछ में आप SMS भेजकर गाड़ी का अलार्म भी बजा सकते हैं, पेट्रोल व बैट्री की सप्लाइ काट सकते हैं।

    मेरे विचार से गाड़ी जैसी कीमती चीज के लिये पाँच-सात हजार की ऐसी किट कोई महँगी नहीं। हाँ खरीदने से पहले उसके बारे में अच्छी तरह पता कर लेना चाहिये। खासकर उसकी GSM कनैक्टिविटी बैंड भारत के अनुकूल हो और उस कम्पनी विशेष के साथ आवधिक शुल्क वाला चक्कर न हो।

    इस पोस्ट में बताया गया तरीका भी बढ़िया सस्ता जुगाड़ है। बस यह है कि इस मामले में आप पुलिस के सहयोग पर ही निर्भर होंगे जबकि GPS किट के मामले में खुद ट्रेस करने में सक्षम हैं। गुड़गाँव, बंगलुरू सरीखे शहरों की पुलिस सहयोगी होगी, हमारे जैसे छोटे शहरों की पुलिस ऐसे वाहन चोरी के मामलों में रिपोर्ट लिखकर इतिश्री कर लेती है। मोबाइल चोरी के मामलों में (चाहे महँगे से महँगा हो) कोई ट्रेसिंग वगैरह नहीं की जाती, किसी के पास कोई तगड़ी सिफारिश हो तो अलग बात है। एक मित्र के रिश्तेदार CID विभाग में थे तो वे अपना फोन ट्रेस करवाकर वापस पाने में सफल हुये थे।

    मेरे ख्याल से नोकिया 1100 जैसे पुराने लम्बी बैट्री बैकअप वाले फोन इस काम के लिये अच्छे हैं। श्वेत-श्याम स्क्रीन, कोई फालतू फंक्शन न होने के कारण इनकी बैट्री हफ्ते भर चल जाया करती थी, बिना कोई फोन किये तो शायद और लम्बी चल जाय। कहीं से पुराना मिल जाय तो उसे इस कार्य के लिये उपयोग में लिया जा सकता है।

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