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निवेशको के हित में सेबी और AMFI का EUIN

    सेबी के परिपत्र CIR/IMD/DF/21/2012 दिनांक १२ सितंबर २०१२ के अनुसार एवं AMFI के विभिन्न दिशानिर्देशों के अनुसार अब म्यूचयल फ़ंड खरीदते समय निवेशक को आवेदन पत्र / ट्रांजेक्शन रिक्वेस्ट पर Employee Unique Identification Number (EUIN) और डिस्ट्रीब्यूटर एवं सबडिस्ट्रीब्यूटर का AMFI Registration Number (“ARN”) क होना सुनिश्चित कर लेना चाहिये।

    EUIN को लागू करने का उद्देश्य है कि निवेशक के हित की रक्षा करना, यह म्यूचयल फ़ंड के गलत जानकारी देकर बेचने पर पर रोक लगाने के लिये कारगार कदम होगा, EUIN से किस व्यक्ति ने म्यूचयल फ़ंड उत्पाद निवेशक को बेचा है, उसकी जानकारी दर्ज हो जायेगी और निवेशक की शिकायत की स्थिती में किस कर्मचारी ने उत्पाद बेचा था, पता लग सकेगा।

whichmutualfund

    EUIN ७ नंबर का एक विशिष्ट नंबर होगा, जो कि AMFI द्वारा दिया जायेगा, और यह उन हरेक संबंधित कर्मचारी / रिलेशनशिप मैनेजर / सैल्स वाले के लिये दिया जायेगा, जो भी निवेशक से म्यूचयल फ़ंड उत्पाद को बेचने की बातें करते हैं / बेचते हैं । EUIN का होना अब जरूरी हो गया है, जब भी निवेशक म्यूचयल फ़ंड उत्पाद खरीदें, हमेशा EUIN का ध्यान रखें।

    निवेशकों को नया आवेदन पत्र का उपयोग करना चाहिये जिस पर ARN Code / Sub Brocker ARN Code / EUIN, Sub broker code (as allotted by ARN holder) उपलब्ध हो। नये आवेदन पत्र अगर आपके ब्रोकर के पास उपलब्ध नहीं हैं तो आप उन्हें कहिये कि म्यूच्यल फ़ंड की वेबसाईट पर उपलब्ध हैं, वहाँ से प्रिंट निकाल लें।

EUIN के बारे में मुख्य बातें –

१. ट्रांजेक्शन जिनके लिये EUIN होना चाहिये –

Purchases, Switches, and for Fresh Registrations of SIP / STP / Trigger STP / Dividend Transfer Plan.

२. ट्रांजेक्शन जिनके लिये EUNI की जरूरत नहीं है –

Ongoing SIP/ STP / SWP / STP Triggers (registered prior to June 1, 2013), Dividend Reinvestments, Bonus Units, Redemption, SWP Registration, Zero Balance Folio creation and installments under Dividend Transfer Plans .

३. उपरोक्त १ नंबर में बताये गये ट्रांजेक्शन EUIN के लिये १ जून २०१३ से प्रभावकारी हैं, जिसमें किसी भी मोड से ट्रांजेक्शन किया गया हो केवल निम्न प्रकार के ट्रांजेक्शनों को छोड़कर, जिनके लिये यह १ अगस्त २०१३ से प्रभावकारी होगा –

  • Mobile / SMS based transactions.
  • Transactions received through the Stock Exchange Platform.

अगर इसके बारे में और ज्यादा जानकारी चाहिये तो आप अपनी म्यूचयल फ़ंड कंपनी की वेबसाईट और उनके टोलफ़्री नंबरों पर संपर्क कर सकते हैं।

बैंक ने क्रेडिट रेटिंग के कारण गृहऋण देने से मना किया (Bank rejected Home loan due to Credit rating..)

कुछ दिनों पहले अपने एक सहकर्मी से बात हो रही थी, वे अपने लिये एक फ़्लैट ढूँढ़ रहे थे, अब वे किसी क्रेडिट कार्ड कंपनी और बैंक से बात कर रहे थे। उनसे पूछा कि क्या बात है – तो पता चला कि क्रेडिट रेटिंग के कारण गृह ऋण में बहुत परेशानी आ रही है।
हमारे सहकर्मी की तन्ख्वाह भी अच्छी खासी है, जिसे देखकर शायद ही कोई बैंक उन्हें ऋण देने से मना करे। परंतु उनकी क्रेडिट रेटिंग याने कि क्रेडिट स्कोर काफ़ी कम था, क्रेडिट रेटिंग सिबिल (CIBIL) द्वारा प्रदत्त की जाती है। सिबिल आपके सभी तरह के वित्तीय लेनदेन पर नजर रखता है, और लेनदेन के स्वभाव पर भी नजर रखता है और क्रेडिट रेटिंग के लिये उनका खुद का फ़ोर्मुला है, जिससे किसी भी व्यक्ति विशेश का क्रेडिट रेटिंग पता चल जाता है। आजकल किसी भी बैंक या वित्तीय संस्थान में ऋण लेने जायें तो सबसे पहले वह क्रेडिट रेटिंग देखते हैं।
हमारे सहकर्मी को बैंक ने बताया कि आपकी क्रेडिट रेटिंग बहुत कम है और बावजूद आपकी अच्छी तन्ख्वाह होने के, आपको ऋण देना बहुत मुश्किल है, आप क्रेडिट कार्ड कंपनी से बात करें और देखें तो शायद आपकी क्रेडिट रेटिंग थोड़ी अच्छी हो जाये और हमें ऋण देने में आसानी हो।
उन्होंने पहले ५-६ क्रेडिट कार्ड ले रखे थे, परंतु कभी बकाया नहीं रखते थे, और केवल शौक के लिये ५-६ क्रेडिट कार्ड ले रखे थे, क्योंकि इन कार्डों की कोई सालाना फ़ीस नहीं थी। फ़िर बाद में उन कार्डों की बराबर से मैनेज नहीं कर पाते थे, तो उन्होंने एक क्रेडिट कार्ड छोड़कर बाकी सभी क्रेडिट कार्ड सरेंडर कर दिये। इसी में से एक सिटीबैंक का एक क्रेडिट कार्ड भी था, और उन्होंने उसका भी पूरा बकाया भर दिया था परंतु फ़िर भी उनकी क्रेडिट रेटिंग रिपोर्ट में सैटलमेंट लिखा हुआ था, उस समय हमारे सहकर्मी ने पूछताछ नहीं की थी, कि सैटलमेंट क्यों लिखा है, और न ही उन्हें इसका मतलब पता था।
अब जब बैंक वालों ने ऋण देने में नाटक किये तो इन्हें पता चला कि सैटलमेंट मतलब कि जब आप आखिरी भुगतान कर रहे हैं, तो आपने क्रेडिट कार्ड कंपनी या ऋण प्रदाता के साथ आखिरी भुगतान में कुछ मोलभाव किया तो उसे सैटलमेंट कहा जाता है। और इस सैटलमेंट शब्द के कारण क्रेडिट रेटिंग पर बुरा असर पड़ता है।
जब आप अपना खाता बंद करवा रहे होते हैं तो कई बार कई क्रेडिट कार्ड कंपनियाँ और ऋण प्रदाता कंपनी बदमाशी करती हैं, और साधारण भुगतान को सैटलमेंट कहकर दर्शाती हैं, ध्यान रखें साधारण भुगतान सैटलमेंट नहीं कहलाता है, इसके लिये जरूरी हो तो कानून का भी सहारा लिया जा सकता है।
आज हमारे सहकर्मी को इतनी परेशानी आ रही है, केवल एक छोटे से क्रेडिट कार्ड के सैटलमेंट शब्द से, ध्यान रखें सावधानी रखें जब भी क्रेडिट कार्ड या ऋण खाता बंद करें।
अगर ध्यान नहीं दिया तो आपके क्रेडिट रेटिंग की हालत खराब होगी और बैंक गृह ऋण क्या कोई भी ऋण देने से मना कर सकती है।

म्यूचल फ़ंड क्या करें, क्या न करें ? (Mutual Funds DOS and DON’TS)

म्यूचयल फ़ंड क्या करें, क्या न करें ?

Grow your investment

एकदम कमाई की उम्मीद न करें। अपने निवेश को बढ़ने के लिये समय दीजिये। यह बिल्कुल ऐसा है जैसे कि एक पौधा लगाया फ़िर उसकी सिंचाई की और जब तक बड़ा ना हो जाये तब तक इंतजार किया, पौधे को भी पेड़ बनने में समय लगता है, वैसे ही निवेश से कमाई के लिये भी वक्त लगता है। रातों रात कहीं से भी निवेश में कमाई नहीं होती है। साथ ही आपको पर्याप्त अनुमान होना चाहिये कि आपके निवेश कैसा प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन अपने फ़ंड स्कीम के एन.ए.वी. को रोज न देखिये, रोज एन.ए.वी. देखने से अच्छा है कि कुछ समय अंतराल में देखा जाये।

अपने निवेश की सारी जानकारी एक डायरी में लिखें जिसमें कि म्यूचयल फ़ंड स्कीम नाम, फ़ोलियो नंबर इत्यादि सब दर्ज करें।

यह भी सुनिश्चित कर लें कि फ़ंड हाऊस के पास आपके सारे संपर्कों की जानकारी होनी चाहिये, जैसे कि पत्राचार का पता, मोबाईल नंबर, ईमेल पता। अगर इनमें से कुछ भी बदलता है तो फ़ंड हाऊस को एकदम सूचना देनी चाहिये।

अपने सारे निवेशों में नामांकन जरूर करें, साथ ही यह पूरी तरह आप पर निर्भर करता है कि नामिनी को निवेश के बारे में बतायें या ना बतायें।

Mutual Fund Investment म्यूचयल फ़ंड में निवेशक होने से आप अपने निवेश का स्टेटमेंट प्रथम बार निवेश करने के बाद प्राप्त करने के पात्र हैं, और उसके बाद नियमित रूप से कम से कम छ: महीने की अवधि में मिलना चाहिये। अगर आपको कोई स्टेटमेंट नहीं मिला है तो फ़ंड हाऊस के ग्राहक संबंध केन्द्र से थोड़ी पूछताछ करने की चेष्टा करें । आपको स्टेटमेंट आराम से मिल जायेगा।

एक बार फ़ंड हाऊस से मिलने वाले सारे पत्राचार को जरूर देख लें। अगर आपको लगता है कि स्कीम अपने निवेश के मूल रूप से कुछ अलग कर रही है तो अपने वितरक या सलाहकार से विचार विमर्श करके देख लें कि यह बदलाव आपके निवेश के उद्देश्य के अनूकूल है या नहीं। अगर नहीं, तो तुरंत किसी और स्कीम में निवेश करें और जो कि आपके लक्ष्य को पूर्ण करती दिखे और स्कीम बदल लें।

अगर आपके निवेश अपने लक्ष्य प्राप्त कर लें, तो अपने निवेश को निकाल लें, यहाँ तक कि आपको लगे कि आगे आने वाले वर्षों में निवेश काफ़ी अच्छा हो जायेगा तब भी निकाल लें। हमेशा याद रखें कि आप अपने निवेश के प्रति भावुक रहें ना कि अपने स्टॉक और फ़ंड स्कीम के लिये।

यस बैंक ने बचत खाते की ब्याज दर ६% की (Yes Bank Saving Interest Rate increased to 6%)

यस बैंक ने बचत खाते की ब्याज दर ६% की, भारतीय रिजर्व बैंक ने बचत खातों में ब्याज दरों को नियंत्रण मुक्त किया और अगले ही दिन यस बैंक ने अखबार में २% ब्याज दर बढ़ाने का विज्ञापन भी दे दिया।
जबकि और किसी बैंक ने अभी बचत खाते पर ब्याज दर बढ़ाने का फ़ैसला नहीं लिया है, अगर जल्दी ही मुख्य बैंकों ने बचत खाते पर ब्याज दर बढ़ाने का फ़ैसला नहीं किया तो उनके पास से कारपोरेट सैलेरी के एकाऊँट तो जाने की संभावना ज्यादा है ही और उस सैलेरी एकाऊँट के कारण जो व्यापार बैंकों को मिलता है वह भी उनसे छिन जायेगा।
क्योंकि आमतौर पर सैलेरी एकाऊँट जहाँ होता है वहीं पर सब अपनी बचत जमा करते हैं, फ़िर भले ही वह एफ़.डी. हो या म्यूचयल फ़ंड और वहीं से ॠण भी लेते हैं, लोग किसी और बैंक जाना पसंद नहीं करते हैं। २% ब्याज दर का बढ़ना मतलब अभी जितना ब्याज मिल रहा है उससे आधा ब्याज ज्यादा मिलेगा।
अब इंतजार है और भी बैंकों के बचत खाते पर ब्याज दर बढ़ाने का, नहीं तो ग्राहक तो वहीं जायेगा जहाँ पर उसे ज्यादा फ़ायदा होगा।

इकोनोमिक टॉइम्स (Economics Times) और टॉइम्स ऑफ़ इंडिया (Times of India) में वित्तीय प्रबंधन पर लिखी जाती है ब्लॉगों से चुराई हुई सामग्री ?

    इकोनोमिक टॉइम्स (Economics Times) और टॉइम्स ऑफ़ इंडिया (Times of India) बहुत सारे लोग पढ़ते होंगे। सोमवार को इकोनोमिक टॉइम्स में वेल्थ (Wealth) और ऐसे ही टॉइम्स ऑफ़ इंडिया (Times of India) में भी आता है, जिसमें वित्तीय प्रबंधन के बारे में बताया जाता है, पिछले दो महीनों से लगातार इन दोनों अखबारों को पढ़ रहा हूँ, तो देखा कि वित्तीय प्रबंधन पर लिखी गई सारी सामग्री वित्तीय ब्लॉगों से उठायी गई है, और ब्लॉगों पर लिखी गई सामग्री को फ़िर से नये रूप से लिखकर पाठकों को परोसा गया है।

    अखबार को सोचना चाहिये कि पाठक वर्ग बहुत समझदार हो गया है, और अगर उनके लेखक अपनी रिसर्च और अपने विश्लेषण के साथ नहीं लिख सकते तो उनकी जगह ब्लॉगरों को ही लेखक के तौर पर रख लेना चाहिये। शायद अखबार के मालिकों और उनके संपादकों को यह बात पता नहीं हो।

    पर यह कितना सही है कि मेहनत किसी और ने की और उसके दम पर इन अखबार के लेखक अपनी रोजीरोटी चलायें। कहानी को थोड़ा बहुत बदल दिया जाता है, पर जो सार होता है वह वही होता है जो कि असली लेख में होता है।

    जो पाठक वित्तीय ब्लॉग पढ़ते होंगे, वे इसे एकदम समझ जायेंगे। इस बारे में मेरी चैटिंग भी हुई एक वित्तीय ब्लॉगर से तो उनका कहना था कि “ब्लॉगर क्या करेगा, ये तो अखबार को सोचना चाहिये, विषय कोई मेरी उत्पत्ति तो है नहीं, कोई भी लिख सकता है, बस मेरी ही पोस्ट को अलग रूप से लिख देया है”।

    कुछ दिन पहले मेरी बात एक वित्तीय विशेषज्ञ और  वित्तीय अंतर्जाल चलाने वाले मित्र से हो रही थी, उनसे भी यही चर्चा हुई तो वो बोले कि उन्होंने मेरे ब्लॉग कल्पतरू पर जो लेख पढ़े थे और जिस तरह से लिखा था, बिल्कुल उसी तरह से अखबार ने लिखा था, और आपकी याद आ गई। तो मैंने उनसे कहा कि ब्लॉगर कर ही क्या सकता है, यह तो इन बेशरम अखबारों को सोचना चाहिये, और उन लेखकों को जो चुराई गई सामग्री से अपनी वाही वाही कर रहे हैं।

    पहले बिल्कुल मन नहीं था इस विषय पर पोस्ट लिखने का परंतु जब मेरी कई लोगों से बात हुई तो लगा कि कहीं से शुरूआत तो करनी ही होगी, नहीं तो न पाठक को पता चलेगा और ना ही अखबारों के मालिकों और संपादकों को, तो यह पोस्ट लिखी गई है उन अखबारों के लिये जो चुराई हुई सामग्री लिख रहे हैं और उनको पता रहना चाहिये कि पाठक प्रबुद्ध है और जागरूक भी।

गोल्ड लोन के बारे में कुछ छोटी छोटी जरुरी बातें

    अभी मैंने गोल्ड लोन के बारे में लिखा तो पाठकों की प्रतिक्रिया कुछ इस प्रकार थीं कि लोन लेना अच्छी बात नहीं है, इससे बचना चाहिये मैं भी व्यक्तिगत रुप से इस बात पर सहमत हूँ कि लोन लेना बिल्कुल अच्छी बात नहीं है और जो एक बार अगर लोन के जाल में फ़ँस गया उसका भँवर से निकलना बहुत ही मुश्किल हो जाता है।

    पर लोन लेना न लेना पूरा व्यक्तिगत निर्णय होता है जो कि परिस्थितियों पर निर्भर करता है। वैसे अगर लोन लेने वाले की मानसिकता को देखें तो आप पायेंगे कि व्यक्ति जो कि लोन लेता है वह अपनी किसी ख्वाईश को पूरा करने लिये ही लेता है। लोन आपके सामाजिक प्रतिष्ठा को बदल देता है, जैसे कि घर के लिये लोन या फ़िर कार लोन या फ़िर किसी और महँगे इलेक्ट्रानिक उपकरण के लिये लोन, ये लोन मजबूरी में नहीं लिये जाते हैं ये लोन लिये जाते हैं, ये लोन आपके अपने वित्तीय लक्ष्य को पूरा करने में मदद करते हैं। अगर आज बात करें कि घर लेना है तो शायद ही किसी नौकरीपेशा व्यक्ति के पास एकमुश्त इतना पैसा हो कि वह घर नकद में ले सके, तो लोन वह अपने सपने को पूरा करने के लिये लेता है।

    हाँ शायद अन्य लोन लेना इतने जरुरी नहीं, आम व्यक्ति शायद उन्हें नकद ले सकता है परंतु सब अपना बजट बना कर चलते हैं और नकद न लेकर लोन लेना सुविधाजनक लगता है, क्योंकि हर माह एक निश्चित रकम निकालना ज्यादा आसान लगता है और नकद अपने पास भी रहता है जो कि किसी भी आपातकालीन परिस्थिती में काम आ सकता है।

    लोन पूर्णतया: व्यक्तिगत फ़ैसला होता है, अब बात करें लोन की अवधि की तो वह भी हर व्यक्ति का अपना खुद का निर्णय होता है, जो कि कमाई पर निर्भर करता है। बड़े लोन जैसे कि घर या कार के लोन को लंबे समय तक रखना चाहिये और छोटे लोन जल्दी ही चुका देना चाहिये। अब अगर किसी को १५ दिन से ३ माह के लिये ही लोन चाहिये और जल्दी लोन चाहिये तो केवल गोल्ड लोन ही एकमात्र सहारा है और अगर इस बात पर यकीन नहीं है तो खुद ही किसी भी बैंक में जाकर परख लीजिये लोन लेने के लिये इतनी औपचारिकताएँ होती हैं कि कम से कम १० दिन तो लग ही जाते हैं।

    अब गोल्ड बेचना तो हल नहीं है ना अगर किसी को केवल १५ दिन के लिये कुछ ज्यादा रकम चाहिये तो मैं नहीं समझता कि गोल्ड लोन में कोई बुराई है, अगर गोल्ड बेचेंगे तो उसमें कटौती ही इतनी हो जायेगी कि आपको उसमें ज्यादा नुक्सान हो जायेगा और हो सकता है कि उन गहनों के साथ आपका भावनात्मक लगाव भी हो।

    और अगर आपने लोन के कागज जो कि लोन लेते वक्त हस्ताक्षर करना होते हैं, पढ़ लिये तो फ़िर तो शायद ही कभी लोन लें। लोन न लेना ठीक है परंतु उसके बारे में जान लेना बहुत जरुरी है, वह जानकारी शायद आपके ही किसी परिचित के काम आ जाये।

सुरक्षित निवेश मासिक आय योजना (म्यूचयल फ़ंड) के संग (Secured Investment through MIPs [MF])

    मासिक आय योजना (म्यूचयल फ़ंड) मुख्यत: डेब्ट उत्पादों पर आधारित योजना है, जिसमें आमतौर पर कोष का ८०% तक डेब्ट उत्पादों में और बाकी का इक्विटी उत्पादों में निवेश किया जाता है।

    मासिक आय योजना (म्यूचयल फ़ंड) का मुख्य उद्देश्य निवेशकों को नियमित रुप से लाभांश के रुप में भुगतान करना होता है, हालांकि यह अनिवार्य नहीं होता है, लाभांश का वितरण फ़ंड हाउस के विवेक और वितरण योग्य धन होने पर निर्भर करता है।

निवेश के उद्देश्य –

    मासिक आय योजना (म्यूचयल फ़ंड) का मुख्य उद्देश्य निवेशकों को नियमित रुप से लाभांश प्रदान करना है जो कि ज्यादातर डेब्ट उत्पादों और एक छोटा हिस्सा इक्विटी में निवेश किया जाता है। ये मुख्यत: यील्ड ब्याज दर के डेब्ट उत्पादों (कमर्शियल पेपर्स, सर्टिफ़िकेट ऑफ़ डिपोजिट, गोवरमेंट सिक्योरिटिज और ट्रेजरी बिल्स) में निवेश करते हैं। डेब्ट उत्पाद पोर्टफ़ोलियो को स्थिरता और निरंतर वापसी की सुनिश्चितता प्रदान करते हैं, जबकि इक्विटी उत्पाद  ज्यादा वापसी के लिये सहायक होता है। मासिक आय योजना (म्यूचयल फ़ंड) बाजार से जुड़े रहते हैं (केवल उतने हिस्से के लिये जितने कि इक्विटी में निवेश है)।

जोखिम –

    पोर्टफ़ोलियो में डेब्ट उत्पादों के होने से, मासिक आय योजना (म्यूचयल फ़ंड) अर्थव्यवस्था में होने वाले ब्याज दर परिवर्तन प्रभावी होते हैं (क्योंकि अधिकतर उत्पाद डेब्ट उत्पाद होते हैं) ।

    जब अर्थव्यवस्था में ब्याज दरों में कमी आती है तब मासिक आय योजना (म्यूचयल फ़ंड) की एन.ए.वी. बड़ जाती है (बॉन्ड की कीमतों में वृद्धि के कारण)।

    और अगर ब्याज दर बढ़ती है तो मासिक आय योजना (म्यूचयल फ़ंड) की एन.ए.वी. कम हो जाती है, इस समय  तब अच्छी वापसी के लिये इस उत्पाद को इक्विटी पर निर्भर रहना पड़ता है।

    पोर्टफ़ोलियो में इक्विटी उत्पाद शामिल से : चूँकि मासिक आय योजना (म्यूचयल फ़ंड) बाजार से जुड़े हैं (जो कि आमतौर पर १५-२०% तक रहता है) । ये बैलेन्सड फ़ंड से कम जोखिम वाले होते हैं (इसमें ६०-७०% तक इक्विटी में निवेश होता है)  लेकिन शुद्ध डेब्ट फ़ंडों से थोड़ा जोखिम वाले होते हैं (शुद्ध डेब्ट फ़ंड केवल डेब्ट प्रतिभूतियों में निवेश करते हैं)।

    कोई भी सही सही भविष्यवाणी तो कर नहीं सकता कि कब शेयर बाजार और डेब्ट बाजार अपने उतार चढ़ाव पर होंगे। यह निवेशको के लिये पूँजी कटाव और लाभांश का भुगतान न होने का जोखिम पैदा करता है। अधिकांश मासिक आय योजना (म्यूचयल फ़ंड) के फ़ंड मैनेजर अतीत में कुख्यात रह चुके हैं, डेब्ट निवेश में से ३०% तक का निवेश इक्विटी बाजार में निवेश करने के बाद और बाजार का पूरा मजा लेते हैं जब बाजार अपने पूरे जलवे पर होता है, जिससे इस शेयर बाजार के चढ़ाव का फ़ायदा निवेशक को होता है और एन.ए.वी. काफ़ी बड़ जाता है, पर इसके उलट अगर उतार हो एन.ए.वी. कम हो जाता है यानि के निवेशक को नुकसान।

    निवेशक को इक्विटी पोर्टफ़ोलियो का मूल्यांकन कर लेना चाहिये और जोखिम स्वीकार्य होने के बाद ही निवेश करना चाहिये।

रिटर्न – मासिक आय योजना (म्यूचयल फ़ंड) सीमित अस्थिरता के साथ  स्थिर रिटर्न देता है, पिछले तीन वर्षों में, अधिकतर मासिक आय योजना (म्यूचयल फ़ंड) ने १२-१३% का औसत रिटर्न दिया है।

अवधि – मासिक आय योजना (म्यूचयल फ़ंड) को कम से कम ३-५ वर्ष के लिये निवेश करना चाहिये।

कर कितना लगेगा – मासिक आय योजना (म्यूचयल फ़ंड) डेब्ट फ़ंड है, पर लाभांश पर लाभांश वितरण कर (१२.८६७%) है।

    अगर एक वर्ष के पहले फ़ंड की यूनिट बेचते हैं और उस पर अगर कुछ लाभ है तो उस पर शार्ट टर्म कैपिटल गैन कर लागू होता है, शुद्ध लाभ को आपकी करयोग्य आय में जोड़ दिया जायेगा और जो भी व्यक्तिगत आयकर की स्लैब लागू होगी। और अगर एक वर्ष के बाद बेचते हैं, और लाभ होता है तो लांग टर्म कैपिटल गैन कर लगेगा जो कि १०% होता है (इंडेक्सेशन के बिना) और २०% इंडेक्सेशन लाभ के साथ, जो भी कम हो।

निवेश किसे करना चाहिये –

    ज्यादा जोखिम न उठाने वाले निवेशक जो कि बैंक सावधि जमा से ज्यादा अच्छे और सुरक्षित रिटर्न चाहते हैं, उनके लिये मासिक आय योजना (म्यूचयल फ़ंड) अच्छा विकल्प है। हालांकि मासिक रिटर्न की गारंटी नहीं है, स्थिर आय के लिये बैंक के जैसे नहीं है।

स्कीम नाम एन.ए.वी. १ वर्ष के रिटर्न ५ वर्ष के रिटर्न
HDFC MIP Long Term 21.997 14.6 13
Reliance MIP 20.947 14.6 12.9
Canara Robeco 28.43 10.4 13.7

NAV as on 22 July 2010

मासिक आय योजना (म्यूचयल फ़ंड) के विकल्प –

    मासिक आय योजना (म्यूचयल फ़ंड) के विकल्प हैं बैंक की सावधि जमा योजना, पोस्ट ऑफ़िस एम.आई.पी., फ़िक्स्ड मैच्योरिटी प्लान्स।

निष्कर्ष –

    मासिक आय योजना (म्यूचयल फ़ंड) आपको हर माह निश्चित राशि नहीं मिलती है। हर मासिक लाभांश ब्याज दर के उतार चढ़ाव और बाजार के उतार-चढ़ाव पर निर्भर रहता है। लेकिन मासिक आय योजना (म्यूचयल फ़ंड) “नियमित आय उत्पाद” की श्रेणी में सबसे ज्यादा रिटर्न देने के कारण सबसे अच्छॆ हैं और कर में भी।

    नियमित आय के लिए म्युचुअल फंड की एमआइपी पर या किसी एक ही उत्पाद पर ही निर्भर नहीं होना चाहिये । अपने निवेशों को हमेशा अलग अलग जगह करना चाहिये जिससे हानि कम से कम हो।

स्विप या सिप में क्या सारा पैसा एक ही फ़ंड में लगाना उचित है ? (Investment should be in 1 fund ?? in SIP or SWP)

    पिछली पोस्ट [स्विप (SWP) क्या है, और ये कैसे सेवानिवृत्ति के बाद के लिये अच्छा उत्पाद है ? (What is Systematic Withdraw Plan)] पर डॉ. महेश सिन्हा जी ने सवाल किया था, क्या सारा पैसा एक ही फ़ंड में लगाना उचित है।

    मेरा जबाब है नहीं, अगर सारा पैसा एक ही फ़ंड में लगा दिया और वो अपना प्रदर्शन नहीं कर पाया फ़िर आपके भविष्य का क्या ?

    आपका पैसा कम से कम ५ म्यूचुयल फ़ंडों में निवेशित होना चाहिये, जिसमें लार्जकैप डाईवर्सिफ़ाईड फ़ंड, बैलेन्स्ड फ़ंड,स्माल एवं मिडकैप फ़ंड सबमें आपका निवेश होना चाहिये। हाँ आज से ५ वर्ष पहले तक ज्यादा तरीके के म्यूच्यल फ़ंड उपलब्ध नहीं थे, परंतु अब तो जैसा म्यूच्यल फ़ंड चाहिये वैसा मिलता है।

    हम पिछले १ वर्ष के रिटर्न की गणना करें स्विप की तो पायेंगे – निवेश तिथि ९ जुलाई २००९ निवेशित रकम १,००,००० रुपये, जिसमें आप अपनी निवेशित रकम में से १२,००० रुपये १२ महीने में निकाल भी चुके हैं, और आज मूल रकम ८८ हजार रुपये है।

कुछ लार्जकैप म्यूचयल फ़ंड –

फ़ंड का नाम वर्तमान रकम वापसी
रिलायंस ग्रोथ – ग्रोथ 1,33,234.41 51.4%
रिलायंस विजन – ग्रोथ 1,26,728.40 44.1%
एच.डी.एफ़.सी. टॉप २०० 1,25,214.84 42.29%
डी.एस.पी. ब्लेकरॉक टॉप १०० 1,18,900.61 35.11%

कुछ बैलेन्स्ड म्यूचयल फ़ंड –

फ़ंड का नाम वर्तमान रकम वापसी
डी.एस.पी. ब्लेकरॉक बेलेन्स्ड फ़ंड – ग्रोथ 1,21,010.33 37.51%
बड़ौदा पायोनियर बैलेन्स्ड 1,06,911.12 21.49%
केनरा रोबेको बेलेन्स 1,20,934.93 37.43%
एच.डी.एफ़.सी.बेलेन्स्ड फ़ंड 1,30,369.77 48.15%

कुछ स्मॉल मिडकैप फ़ंड –

फ़ंड का नाम वर्तमान रकम वापसी
डी.एस.पी. ब्लेकरॉक 1,58,195.10 79.77%
एच.एस.बी.सी. मिडकैप 1,34,062.97 52.34%
आई.डी.एफ़.सी. 1,40,779.75% 59.98%
डी.एस.पी. ब्लेकरॉक माइक्रो कैप फ़ंड 1,77,672.85 101.9%

    जो म्यूचयल फ़ंड आज अच्छा प्रदर्शन कर रहा है इसका मतलब यह नहीं है कि भविष्य में भी अच्छा प्रदर्शन करेगा, इसके लिये बाजार का ज्ञान होना भी बहुत जरुरी है।

    म्यूच्यल फ़ंड हमेशा अपने वित्तीय सलाहकार से सलाह करके ही खरीदें, आप ऊपर दी गई तालिका में देख सकते हैं, एक गलत निर्णय और आपके निवेश का सत्यानाश, बहुत सारे फ़ंड ऐसे भी हैं जो प्रदर्शन नहीं कर पाये, इससे बेहतर है कि अपने वित्तीय सलाहकार को शुल्क देकर सलाह लेना, तो आप अपने निवेश का बेहतर प्रदर्शन पा सकते हैं।

स्विप (SWP) क्या है, और ये कैसे सेवानिवृत्ति के बाद के लिये अच्छा उत्पाद है ? (What is Systematic Withdraw Plan)

    स्विप (SWP – Systematic Withdraw Plan) ऐसी योजना है जो कि निवेशक अपने म्यूचयल फ़ंड में से कुछ पैसा नियमित अंतराल से निवेश में से निकालने देती है। निकाला गया पैसा किसी ओर योजना में निवेश किया जा सकता है या फ़िर कुछ ओर खर्चों के लिये इसका उपयोग कर सकते हैं। साधारणतया: स्विप को सेवानिवृत्ति के बाद होने वाले नियमित खर्चों को पूरा करने के लिये अच्छे से उपयोग किया जा सकता है।

    स्विप से नियमित अंतराल के बाद कुछ नियत राशि या फ़िर variable राशि निकाल सकते हैं। निकासी स्विप से मासिक, तिमाही, छ:माही या वार्षिक कर सकते हैं। इस योजना में समय अंतराल निवेशक को अपनी जरुरत और प्रतिबद्धताओं के अनुसार चुनना चाहिये।

    साधारणतया: स्विप में कई लाभ हैं, यह आपके निवेश से एक नियमित समय अंतराल के बाद आपको आपकी चाही गई रकम तो देते ही हैं, साथ में आपकी मूल निवेश की गई रकम सीधे बाजार में निवेश रहती है, तो निवेश पर वापसी बहुत अच्छी होने की उम्मीद होती है, आपका मूल निवेश मुद्रास्फ़ीति से भी दो-दो हाथ करता रहता है और स्विप आपका भविष्य सुरक्षित करने में मददगार साबित होता है।

    स्विप में आप शेयर बाजार के उतार चढ़ाव को भी झेल सकते हैं। नियमित अंतराल के बाद रकम निकासी से औसत मूल्य अच्छा मिलता है और निवेशक बाजार के उतार चढ़ाव का आनंद ले सकता है।

स्विप कैसे कार्य करती है – (How SWP working ?)

    स्विप म्यूचयल फ़ंड में ही एक योजना है, जिसमें नियमित अंतराल के बाद यह आपको अपने निवेश में से कुछ रकम निकासी की सुविधा देती है।

    अब म्यूचयल फ़ंड खरीदते हैं, तो उसे स्विप में ले सकते हैं, जिसमें आपको बताना होता है कि कितना रुपया हर महीने/तिमाही में कौन सी तारीख को चाहिये। जिस दिन म्यूचयल फ़ंड खरीदा जाता है, उस दिन की एन.ए.वी. से आपको आपके निवेश की यूनिट मिल जाती हैं। और फ़िर अगले महीने से आपकी चाही गई रकम उन यूनिटों में से बेचकर आपको दे दी जाती हैं। इससे फ़ायदा यह है कि अगर लंबी अवधि में देखें तो हम बाजार के उतार चढ़ाव बहुत ज्यादा पायेंगे और ये उनसे लड़ने में सक्षम हैं।

    एक उदाहरण देखते हैं – एक व्यक्ति वर्ष २००२ में सेवानिवृत्त हुए, उन्होंने वित्तीय विशेषज्ञ की सेवाएँ ली और अपनी सेवानिवृत्ति राशि का २० लाख रुपया स्विप में लगाने का निर्णय लिया। और उन्होंने ९ जुलाई २००२ को रिलायंस ग्रोथ ग्रोथ म्यूचयल फ़ंड लिया। ९ जुलाई २००२ की एन.ए.वी. ३१.१८५ रुपये थी, और उन्हें ६४,१३३.३९७५ यूनिट मिलीं।

    अब हर माह उन्हें शुरु की २ तारीख को ही २०,००० रुपये मिल जाते थे, और उन्होंने उसे आज तक जारी रखा है, जैसा कि आप सभी ने देखा है कि इन पिछले आठ वर्षों में बाजार ने अपने कई उतार चढ़ाव देखें हैं और कई बने हैं और कई बर्बाद हुए हैं, आज अगर उनके फ़ंड की उन्नति को देखा जाये तो आप पायेंगे कि पिछले आठ वर्षों में उन्होंने स्विप से १९.२० लाख रुपये तो निकाले ही हैं और आज उनके पास ४५,५७७.८७९२ यूनिट उपलब्ध हैं जिसकी एन.ए.वी.  ४५९.८४६८ है, और कुल निवेश की राशि आज हो गई है २ करोड़ से भी ज्यादा जी हाँ बिल्कुल सही पढ़ा आपने उनकी आज की रकम है २,०५,६९,६०२.२५ रुपये। जी २५,६१२% की वापसी।

    दूसरा उदाहरण देखिये – एक और व्यक्ति थे उन्होंने अपने राशि बैंक में मासिक आय योजना में रखी थी, और उन्हें ब्याज उस समय मिला लगभग १२% पर आज उनकी मूल राशि तो २० लाख रुपये ही है, जो कि आज की मुद्रास्फ़ीति से लड़ने में असक्षम है।

इस तालिका में देखिये –

निवेश योजना दिनांक रकम आहरित रकम वर्तमान राशि
रिलायंस ग्रोथ – ग्रोथ म्यूचयल फ़ंड स्विप योजना ९ जुलाई २००२ २०,००,००० १९,२०,००० २,०५,६९,६०२.२५
ग्रोथ – २५,६१२%
बैंक में सावधि जमा मासिक आय योजना ९ जुलाई २००२ २०,००,००० १९,२०,०० २०,००,०००
ग्रोथ – ० %

तो अब आप ही समझ सकते हैं कि निवेश में किसका निर्णय सही था।

    कर कितना देना पड़ता है – (Income Tax !!!)

    अभी तक कर का प्रावधान इस प्रकार था –

    पहले वर्ष शार्ट टर्म कैपिटल गैन टैक्स देना होता था, जितनी यूनिट आपकी बाजार में बिकी हैं, उस हर यूनिट पर होने वाले फ़ायदे पर और एक वर्ष के बाद लांग टर्म कैपिटल गैन टैक्स से मुक्त था, पर इंडेक्सेशन से कर लगता था।

    अब नये कर प्रस्ताव में लांग टर्म कैपिटल गैन टैक्स की फ़िर से बहाली की गई है, जिसमें निवेशक को अब हर यूनिट पर होने वाले फ़ायदे पर अब एक वर्ष की अवधि के बाद भी कर देना होगा और इंडेक्सेशन के ऊपर भी कर देय होगा।

    इतने कर देने के बाबजूद भी यह योजना बहुत ही अच्छी है, जोखिमपूर्ण भी है। पर इसकी वापसी की तुलना किसी और वित्तीय उत्पाद से करना बहुत ही मुश्किल है।

वित्तीय विशेषज्ञ की सेवाएँ – ( Services of Financial Planner !!!)

    मेरी राय है कि जब आप बाजार आधारित कोई भी उत्पाद खरीदते हैं, और अगर खुद विशेषज्ञ नहीं हैं तो वित्तीय विशेषज्ञ की समय समय पर सेवाएँ जरुर लें जो आपके धन को सुरक्षित रखने में आपकी मदद करेगा।

    जैसे पहले उदाहरण में वित्तीय विशेषज्ञ की सेवाएँ केवल निवेश के समय ही ली गईं, अगर नियमित रुप से लेते, तो यही रकम लगभग ४ करोड़ हो गई होती। वित्तीय विशेषज्ञ अपनी सेवाओं के लिये कुछ मामुली सा शुल्क लेते हैं परंतु हमें वह शुल्क ज्यादा लगता है, अगर थोड़ा सा शुल्क देकर आपको अपने निवेश से ज्यादा बेहतर वापसी मिल रही है तो हर्ज ही क्या है।

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स्वास्थ्य के लिये शुल्क बिना सोचे समझे और वित्तीय प्रबंधन के लिये सोच समझकर ? [ Fees for Health and Wealth]

    आपमें से कितने लोग ऐसे हैं जो कि स्वास्थ्य के लिये शुल्क सोच समझकर देते हैं, अगर शुल्क ज्यादा होता है तो तकाजा करते हैं या डॉक्टर को बिना दिखाये वापिस आ जाते हैं, एक भी नहीं ? आश्चर्य हुआ !!! आखिर आप अपने स्वास्थ्य के लिये कोई जोखिम नहीं लेना चाहते हैं, आप हमेशा अच्छे डॉक्टर को ही चुनेंगे, भले ही उनके यहाँ कितनी भी भीड हो, नहीं, पर क्यों ??

    जब स्वास्थ्य प्रबंधन के लिये आप इतना खर्च कर सकते हैं तो अपने वित्तीय प्रबंधन के लिये क्यों नहीं ?? ओह मुझे लगता है कि यहाँ आपको लगता है कि आप बहुत ही विद्वान हैं और अपने धन को बहुत अच्छे से प्रबंधन कर रहे हैं, आपसे अच्छा प्रबंधन कोई कर ही नहीं सकता है, ये वित्तीय प्रबंधन करने वाले लोग तो फ़ालतू का शुल्क ले लेते हैं, या फ़िर अगर कोई वित्तीय प्रबंधक ज्यादा शुल्क लेता है तो कम शुल्क वाले वित्तीय प्रबंधक को ढूँढ़ते हैं। नहीं ??

जैसे स्वास्थ्य के लिये कोई समझौता नहीं करते हैं फ़िर वित्तीय प्रबंधन के लिये कैसे करते हैं ?

जैसे स्वास्थ्य के लिये कोई तकनीकी ज्ञान आपके पास नहीं है, वैसे ही वित्तीय प्रबंधन के लिये है ?

जैसे स्वास्थ्य के लिये आप अपने चिकित्सक को सभी परेशानियाँ बता देते हैं, क्या वैसे ही वित्तीय प्रबंधक को अपनी सारी आय, खर्च, जमा और ऋण बताते हैं ?

क्या आपने कभी सोचा है कि कम शुल्क देकर आप अपने पैर पर ही कुल्हाड़ी मार रहे हैं, जी हाँ, क्यों ?

अगर वित्तीय प्रबंधक ने गलत सलाह दे दी तो ? आपके वित्त की ऐसी तैसी हो जायेगी ।

    और अगर ज्यादा शुल्क वाला अच्छा वित्तीय प्रबंधन करता है तो शुल्क थोड़ा ज्यादा लेगा परंतु आपको वित्तीय रुप से सुरक्षित कर देगा, और यकीन मानिये कि आप सोच भी नहीं सकते आपके वित का इतनी अच्छी तरह से प्रबंधन कर देगा। क्योंकि आपको आज के बाजार के बहुत सारे उत्पाद पता ही नहीं होंगे और होंगे भी तो कैसे कार्य करते हैं, उसका पता नहीं होगा।

एक छोटी सी बात –

    अगर आपके शहर में ४ चिकित्सक हैं, और आपके घर में कोई बीमार पड़ गया, तो आप किस चिकित्सक को दिखायेंगे, आप शहर में नये हैं, तो दवाई की दुकान पर पूछेंगे या फ़िर अपने आस पड़ौस में पूछताछ करेंगे। आपको पता चलेगा कि ३ चिकित्सक तो ऐसे ही हैं पर जो चौथा चिकित्सक है, उसके हाथ में जादू है, उसकी फ़ीस भले ही ज्यादा है परंतु उसका ईलाज बहुत अच्छा है। तो आप उस ज्यादा फ़ीस वाले चिकित्सक के पास जाना पसंद करेंगे।

    परंतु वित्तीय प्रबंधक चुनते समय ऐसा बिल्कुल नहीं है, क्योंकि सब कहीं न कहीं पढ़ लिखकर अपने आप को ज्ञानी समझने लगते हैं, कि हमें वित्तीय प्रबंधक की कोई जरुरत ही नहीं है, और खुद ही प्रबंधन करके अपने वित्त को बढ़ने में बाधा बन जाते हैं। पहले पता कीजिये कि कौन अच्छा प्रबंधन करता है, शुल्क कितना है ये आप मत सोचिये क्योंकि अगर वित्तीय प्रबंधन अच्छे से हो गया तो शुल्क बहुत भारी नहीं होता है। 

    वित्तीय प्रबंधन के लिये सर्टिफ़ाईड फ़ाईनेंशियल प्लॉनर को बुलायें, जैसे हमारे देश में सी.ए., सी.एस. होते हैं वैसे ही सी.एफ़.पी. होते हैं, जो कि भारत सरकार द्वारा अंतर्राष्ट्रीय मापद्ण्डों पर दिया जाने वाला सर्टिफ़िकेट है। ये लोग वित्तीय प्रबंधन में विशेषज्ञ होते हैं, और भारत में यह तीन वर्ष पहले ही शुरु हुआ है। इसमें भविष्य बहुत ही अच्छा है इसके बारे में तो बहुत से लोगों को पता ही नहीं है, और तीन वर्ष में केवल १००४ सी.एफ़.पी. (CFP) ही बाजार में आ पाये हैं।

सी.एफ़.पी. (CFP) के अंतर्जाल के लिये यहाँ चटका लगाईये।

    तो अब आपको फ़ैसला करना है कि आपको अपने वित्त का प्रबंधन वित्तीय चिकित्सक से करवाना है या फ़िर जैसा अभी तक चल रह है वैसे ही करना है। अपनी सोच बदलिये और जमाने के साथ नये उत्पादों में निवेश कर अपने वित्त को नई उँचाईयों पर पहुँचाइये।