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नामांकन आपके परिवार के लिये बहुत जरूरी है.. (Nomination is very important for your family)

    अपने निवेश और संपत्ति के लिये उत्तराधिकारी की घोषणा आपके जीवन में महत्वपूर्ण कार्यों में से एक होता है। इसके बारे में कुछ ही लोगों, निवेशकों को पता है, नामांकन के ना होने (उत्तराधिकारी घोषित ना होने की दशा में) किन किन समस्याओं का सामना करना पड़ता है यह भी बहुत कम लोगों को पता है। यहाँ पर कुछ अच्छी बातें उन निवेशकों के लिये जो अपने निवेशों के लिये उत्तराधिकारी घोषित कर अपनी और अपने प्यारों की जिंदगी को बेहतर बनाना चाहते हैं।
    जिंदगी अनिश्चितताओं पर चलती है और इसी कारण नामांकन आपके अपने परिवार के लिये आराम है, जिससे ऐसी किसी भी परिस्थिती के बाद परिवार आपके निवेशों को आराम से पा सके, जो निवेश आपने अपने प्यारों दुलारों के लिये किया है, वह निवेश आराम से उन तक पहुँच भी सके। नामांकन उनके लिये केवल अच्छा ही नहीं बहुत अच्छा होगा, जब उनको आपके निवेश की अधिक आवश्यकता होगी, या खर्चे के लिये पैसों की या फ़िर आपके प्यारों के लिये उस धन / रकम को अपने नाम पर करना होगा, तो नामांकन होने की दशा में उनको बहुत ही कम यानि कि ना के बराबर औपचारिकता निभाना होगी। नामांकन ना होने की दशा में आपके निवेशों तक पहुँचने के लिये आपके अपने परिवार को पूरी कानूनी कार्यवाहियों से गुजरना पड़ेगा। जो कि उनके लिये सिरदर्द तो होगा ही, साथ में उतना ही परेशानी वाला रास्ता भी होगा। और जब आपके परिवार को धन की आवश्यकता होगी तो वे धन होने की स्थिती में भी इसका उपयोग नहीं कर पायेंगे।
nomination    नामांकन बहुत आसान प्रक्रिया है, नामांकन प्रपत्र लगभग हर दस्तावेज के अंत में होता है, जिसमें निवेशक को अपने उत्तराधिकारी की जानकारी भरना होती है जैसे कि नाम, रिश्ता, पता, फ़ोन नंबर, कई जगह एक गवाह की जरूरत होती है, पर आजकल अधिकतर आप सीधे नामांकन कर सकते हैं, एक प्रतिलिपी आप अपने पास रख सकते हैं या फ़िर अपनी निवेश डायरी में नोट कर लें। जिन लोगों ने यह सुविधा नहीं ली है, वे लिखित में एक पत्र देकर नामांकन करवा सकते हैं। नामांकन करना बहुत ही सरल कार्य है।
    याद रखें, आपके लिये नामांकन करने का प्रावधान हमेशा खुला हुआ है, आप कभी भी नामांकन कर सकते हैं, आप विशेषकर इन निवेशों में जरूर नामांकन का उपयोग करें –
१. बैंक में बचत खाता / सावधि जमा खाता ( Saving Account/ Fixed Deposit)
२. बीमा  (Insurance Policy)
३. शेयर एवं म्यूचयल फ़ंड (Shares and Mutual Funds)
४. अन्य जमा जैसे कंपनी डिपोजिट, पीपीएफ़., पीएफ़ (Company Fixed Deposit, Public Provident Fund, Provident Fund)
    वैसे तो साधारणतया: खाता खोलते समय नामांकन की औपचारिकताunomination को पूरा करवा लिया जाता है, परंतु अगर खाता खोलते समय नामांकन नहीं कर पाये हों तो नामांकन बाद में कभी भी किया जा सकता है। आप बाद में नामांकन को बदल भी सकते हैं और हटा भी सकते हैं। और यह केवल वही निवेशक कर सकता है, जिसने नामांकन किया था ।
    अगर आप नामांकन में एक से ज्यादा उत्तराधिकारी बनाना चाहते हैं तो यह भी संभव है, केवल उन उत्तराधिकारियों के सामने उनके हिस्से के प्रतिशत को बता दीजिये।
नाबालिग, ट्रस्ट, सरकार, स्थानीय अधिकारी, गैर निवासियों को भी उत्तराधिकारी बनाया जा सकता है।
उत्तराधिकारियों को धन प्राप्त करने के लिये क्या करना होगा ?
१. सभी बैंकों एवं संस्थाओं में मृत्यु प्रमाण पत्र की एक मूल और एक जेरॉक्स दें ।
२. केवायसी के लिये सही उत्तराधिकारी के प्रमाण पत्र प्रस्तुत करें।
३. अगर निवेश की रकम एक लाख रूपये से ज्यादा है तो संस्था इन्डिमिनिटी बांड की मांग कर सकती हैं।
४. नामांकन ना होने की दशा में संस्थाओं द्वारा वसीयत मांगी जा सकती है, उत्तराधिकार प्रमाणपत्र, अन्य वारिसों से अनापत्ति प्रमाण पत्र की जरूरत होगी।

घर बैठे, शेयर बाजार से कमायें २५००० से ७५००० रूपये–क्या है यह !! (Earn 25000 to 75000 per month from Share Market, How ?)

    बाजार में कई वर्षों से देख रहे हैं, लोग / कंपनियाँ आती हैं और दावा करती हैं कि एस.एम.एस. और ईमेल के द्वारा हम दिन में इतने कॉल देंगे, और इससे आप शेयर बाजार से बहुत सारा धन कमा सकते हैं । शेयर बाजार में लोग इनके चंगुल में फ़ँस भी जाते हैं, क्योंकि सभी लोग जल्दी से जल्दी धन कमा लेना चाहते हैं। पर अगर किसी से पूछो कि धन कमाकर क्या करेंगे तो उनके पास केवल जबाब होता है कि ऐश करेंगे, ऐश में क्या करेंगे वे नहीं बता पाते हैं।
    हम अपने मुख्य बिंदु पर बात करते हैं, क्या वाकई एस.एम.एस. / ईमेल पर आई टिप्स से पैसा कमाया जा सकता है ? शायद हाँ भी और नहीं भी !! इसका जबाब वाकई बहुत मुश्किल है, बाजार में सबसे मुख्य होता है समय के साथ चलना, जिसने जरा सी भी चूक की, फ़िर भले ही वह एक मिनिट की ही हो, उसे भरपूर घाटा उठाना पड़ सकता है और हो सकता है कि इस गलती से उसे भरपूर फ़ायदा भी मिल जाये।
    एस.एम.एस. में मुख्यत: इक्विटि (Equity) के नाम के साथ खरीदने या बेचने का रेट भेजा जाता है, टार्गेट भेजा जाता है और स्टॉप लॉस भेजा जाता है। लोग केवल टार्गेट पर ध्यान देते हैं स्टॉप लॉस कभी भी नहीं लगाते हैं, कम से कम मैंने तो बहुत ही कम लोगों को स्टॉप लॉस का उपयोग करते देखा है। जो समझदार होते हैं वे इन एस.एम.एस. टिप्स को लेते जरूर हैं, परंतु अपने अनुभव से अपने पैसे को बाजार में लगाते हैं। क्योंकि ये एस.एम.एस. भेजने वाली कंपनियाँ बहुत छोटे छोटॆ अक्षरों में अपने दस्तावेजों में लिखती हैं, कि होने वाली लाभ या हानि की जिम्मेदारी कंपनी की नहीं होगी, यह निवेशक (Investor) का व्यक्तिगत निर्णय है। कंपनी लीगल तरीके से साफ़ बच निकलती हैं।
    आजकल कई कंपनियाँ ट्विटर और फ़ेसबुक पर भी अपडेट कर रही हैं, परंतु जरूरत है अपने अनुभव से ही निवेश करने की, ये कंपनियाँ तो निवेशक (Investor) से मोटी रकम (Charges) वसूलती हैं और अलग हो जाती हैं, परंतु निवेशक (Investor) इनके बिछाये जाल में फ़ँस जाता है। कई समाचार पत्रों में हमने विज्ञापन देखा है कि “घर बैठे, शेयर बाजार से कमायें २५००० से ७५००० रूपये” (Earn 25000 to 50000 per month from Share Market, How ?), परंतु यह इतना आसान भी नहीं है, जितना कि विज्ञापन पढ़ने के बाद लगता है।
    सेबी को अब इन कंपनियों के मोबाईल कॉल और एस.एम.एस. खंगालने की आजादी मिली है, अब देखते हैं कि सेबी कैसे बहुत सारी छद्मवेशी कंपनियों पर क्या कार्यवाही करती है, जो कि बिना किसी विश्लेषण (Analysis) के निवेशकों (Investors) को चूना लगा रही हैं, वैसे भी अगर इन कंपनियों को बाजार की इतनी जानकारी होती है तो खुद ही फ़्यूचर ऑप्शन (Future Options) में पैसा (Fund) लगाकर धन कमा लें, क्यों बाजार में जानकारी बेचें ? कुछ लोग फ़ँस जाते हैं और कुछ लोग इनके चंगुल से बचे रहते हैं ।
    आगे इस बारे में कोई भी कदम उठायें तो सोच समझ कर उठायें, किसी की कॉल १०० प्रतिशत सही नहीं हो सकती, क्योंकि वह बाजार में इतना सारा धन लगाकर किसी भी एक शेयर को ऊपर नीचे नहीं कर सकता है यह केवल और केवल व्यक्तिगत निवेशक (Investor) के लिये जोखिम (Risk) है।

NRN की Infosys में दूसरी पारी

    अभी कुछ दिनों पहले मुंबई आने के पहले एक दिन के लिये बैंगलोर में था तब नारायण मूर्ती जी को जिन्होंने बहुत करीब से देखा था, उनसे मुलाकात हुई, हालांकि यह मुलाकात व्यक्तिगत नहीं व्यावसायिक थी । उन्होंने बताया कि वे NRN को भगवान का दर्जा देते हैं, क्योंकि उनकी किसी से भी तुलना करना, अपमान करने जैसा है, किसी भी व्यक्ति द्वारा डेढ़ लाख कर्मियों में अपने खुद के गुणों को पोषित करना और उनके ऊपर कंपनी चलाना आज के इस युग में बहुत ही कठिन है, परंतु NRN ने करके बताया । उनकी बातों में ही समझ में आया कि वे नारायण मूर्ती जी को छोटे नाम NRN से बात कर रहे हैं ।

NRN

    उन्होंने बताया कि जब NRN ने सेवानिवृत्ति ली थी, उस समय बोर्ड मीटिंग में उन्होंने मुख्य रूप से तीन बातें कहीं थीं –

१. सेवानिवृत्ति की आयु ६५ होनी चाहिये और इसके बाद कोई भी व्यक्ति इन्फ़ोसिस में कार्य नहीं करना चाहिये, हालांकि बोर्ड ने NRN पर ७० वर्ष तक की उम्र के लिये काम करने के लिये दवाब बनाया था।

२. NRN ने कहा कि वे कामथ को अपनी जगह लेकर आ रहे हैं और वे उनसे भी ज्यादा प्रभावशाली साबित होंगे, उन्हें कामथ से कई उम्मीदें हैं और इन्फ़ोसिस को कामथ एक नई दिशा देंगे और नई ऊर्जा के साथ कंपनी बाजार का प्रतिनिधित्व करेगी ।

३. इन्फ़ोसिस को कतई पारिवारिक कंपनी नहीं बनने देंगे और मैं अपने परिवार के किसी भी सदस्य को इन्फ़ोसिस में आने के लिये प्रेरित नहीं करूँगा।

     अब जब बोर्ड ने नया प्रस्ताव लाकर NRN को वापिस Infosys में बुलाया है, कि Infosys को NRN की बहुत जरूरत है तो NRN मना नहीं कर सके, कौन अपने सीचें हुए पौधे को जो बड़ा होकर विशाल वृक्ष बन चुका है, उसे सूख जाने देगा । मैं कुछ बोल ही रहा था तो उन्होंने टोक दिया और कहा कि ना हम NRN के खिलाफ़ कुछ बोलते हैं, ना बोल सकते हैं और ना ही हम दूसरों को इसके लिये बढ़ावा देंगे ।

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     फ़िर उन्होंने बोलना शुरू किया कि एक तरह से NRN का वापिस Infosys आना डेढ़ लाख कर्मियों के लिये बहुत अच्छा है, परंतु NRN के खुद के लिये वाकई बहुत कठिन होगा क्योंकि जो तीन बातें उन्होंने खुलेआम कहीं थीं और वे लगभग हर जगह दस्तावेजों में उपलब्ध हैं, अगर वे ही अपने पुराने ईमेल देखेंगे तो शायद उन्हें अच्छा नहीं लगेगा। जो तीन बातें उन्होंने कहीं थीं, वे तीनों ही NRN के लिये उलट पड़ीं, हालांकि NRN इन सबसे इतने ऊपर हैं कि कोई शायद ही कभी कुछ उन्हें कहेगा परंतु  NRN बहुत अच्छा महसूस नहीं कर रहे होंगे, हालांकि बाजार का रूख भी अभी साफ़ नहीं है कि NRN की Infosys में वापसी को बाजार कैसे लेगा, NRN आज बाजार के ब्रांड हैं, उनके दम पर ही Infosys इतना बड़ी कंपनी  बन पायी है। परंतु फ़िर भी जो भी NRN अब करना चाहते होंगे वह योजना अब आकार नहीं ले पायेगी क्योंकि उनके द्वारा उपजाया हुआ पौधा जो विशाल वृक्ष बन चुका है उन्हें बुला रहा है।

     अब NRN को Infosys में अंतरिम विश्लेषण के बाद ढूँढ़ना होगा कि उनके दिये हुए मूल्यों में कितनी हानि हुई है और उन मूल्यों को कंपनी में वापिस से स्थापित करने के लिये कितना समय लगेगा, यह तो आगे वक्त ही बतायेगा । Infosys में कितना इन्टर्नल डेमेज हुआ है यह भी वक्त के साथ पता चलेगा, बाजार भी NRN और Infosys को कैसे देखेगा और अब Infosys कैसे वापिस से नई ऊँचाईयों पर पहुँचेगी, यह भी भविष्य के गर्भ में है।

     हमारी NRN और Infosys दोनों को भविष्य के लिये मंगलकामनाएँ हैं, यही वह कंपनी है जिसने भारत में तकनीक के नये युग की शुरूआत की थी ।

*फ़ोटो इकोनोमिक टाइम्स एवं इंडिया आजतक से साभार लिया गया है ।

एक साथ पूरी रकम किधर और कैसे निवेश करूँ ? (How to Invest and where to invest lump sum money)

    अधिकतर निवेशक इस द्वन्द से गुजरते हैं कि एक-मुश्त रकम (Lump sum amount) को कहाँ और कैसे निवेश (How to Invest) करें। जिन निवेशकों ने निवेश के लिये योजना (Planning for Investment) बना रखी है और योजनाबद्ध तरीके से निवेश (Planned Investment) कर रहे हैं उनके लिये कोई परेशानी नहीं है, परंतु परेशानी उन निवेशकों (Hassle for Investors) के लिये है जिनके पास योजनाबद्ध निवेश  की कोई योजना नहीं है। ऐसे निवेशक बाजार की चाल में आकर (Markets up and down), बाजार की परिस्थितियों (Sentiments of Markets) में घिर जाते हैं और अच्छी योजना में निवेश (Investment in Good Plan) नहीं कर पाते हैं एवं आश्चर्य नहीं है कि असावधानीवश किसी गलत निवेश योजना (Wrong Investment Plan) में निवेश कर बैठते हैं, या फ़िर निर्णय ही नहीं ले पाते हैं।
    वहीं अस्थिर एवं घबराये हुए बाजार में निवेशक सुरक्षा के लिहाज से पारम्परिक निवेश उत्पादों में ही निवेश करते हैं लेकिन वहीं दूसरी तरफ़ चढ़े हुए बाजार निवेशक को अपने निवेश में आक्रामक होने के लिये प्रोत्साहित करते हैं। और ये दोनों ही तरीके निवेशक के लिये लंबे समय में हानिकारक हो सकते हैं। अत्यधिक रूढिवादी तरीके भी निवेशक को  मुद्रास्फ़ीति की मार से नहीं बचा पाते, वहीं आक्रामक निवेश योजना से निवेशक के मूलधन में ही हानि होने की संभावना ज्यादा होती है।
    इसलिये नये निवेशकों को पहले अपने निवेश के लक्ष्य बनाना चाहिये और कितने लंबे समय के लिये निवेश करना है, यह निर्णय लेना चाहिये  और फ़िर  अपनी निवेश योजना बनानी चाहिये। निवेशक को अपने निवेश के प्रारंभिक दौर में पहले उन डाईवर्सीफ़ाईड फ़ंडों पर ध्यान देना चाहिये जो कि लंबे समय से बाजार में अच्छे लाभ दे रहे हैं और बाजार में जम चुके हैं।
    अब बात करें एक मुश्त रकम को कैसे निवेश करें और निवेश की योजना कैसे बनायें तो अगर आप एक साथ एक-मुश्त रकम को निवेश करना चाहते हैं तो सबसे बढ़िया होगा कि आधी रकम एक साथ किसी अच्छे म्यूचयल फ़ंड (Mutual Fund) MF में लगायें और बाकी की आधी रकम सिस्टमेटिक ट्रांसफ़र प्लॉन (Systematic Transfer Plan) [STP] के जरिये निवेश करें।  सिस्टमेटिक ट्रांसफ़र प्लॉन STP में किसी भी अल्पकालिक डेब्ट म्यूचयल फ़ंड में निवेश किया जा सकता है और फ़िर पूर्वनिर्धारित अंतराल याने कि मासिक या त्रैमासिक से पूर्वनिश्चित फ़ंड में ट्रांसफ़र कर सकते हैं। तो इससे निवेशक को फ़ायदा होता है कि बाजार के अलग अलग स्तर पर वह अपनी रकम निवेश कर सकता है। एक साथ बाजार के एक ही स्तर पर उसका निवेश नहीं होता है।
    फ़िर भी अगर आप सोचते हैं कि आप समझदारी से नियमित रूप से नियमित अंतराल पर इक्विटी फ़ंड में निवेश कर सकते हैं तो बाजार के किसी भी स्तर पर बड़ी रकम को भी नियमित अंतराल पर निवेश किया जा सकता है, फ़िर बाजार के स्तरों की फ़िक्र करने की जरूरत नहीं है। वैसे ही अगर आपका इरादा डेब्ट य डेब्ट आधारित फ़ंडों में निवेश करने का है तो आप किसी भी समय बड़ी रकम भी इन फ़ंडों में निवेश कर सकते हैं। नि:सन्देह सफ़लता की कुँजी है सही फ़ंडों का चुनाव जैसे कि अल्ट्रा शॉर्ट, शॉर्ट टर्म या इन्कम फ़ंड, यह आपके निवेश की अवधि पर निर्भर करता है।
    सबसे महत्वपूर्ण बात याद रखें कि आप अपने निवेशित पोर्ट्फ़ोलियो से यथार्थ और कम रिटर्नों की अपेक्षा रखें, इसलिये अपने निवेश में सभी तरह के निवेश उत्पादों का उपयोग करें, जिससे आपके निवेश में जोखिम और लाभ का संतुलन बराबर रहेगा।

म्यूचयल फ़ंड में घाटा हुआ है.. क्यों.. कैसे निवेश करें..

आज की जटिल वित्तीय दुनिया में, निवेश के लिये निर्णय लेना भी बहुत बड़ी चुनौती बन चुकी है। दुर्भाग्यवश से एक अच्छा निवेश का विकल्प म्युचयल फ़ंड भी व्यक्तिगत निवेश के जगत में स्थाई जगह नहीं बना पाया है। वस्तुत: म्यूचयल फ़ंड स्कीमों में निवेश के विभिन्न विकल्प विभिन्न आवश्यकताओं के अनुसार उपलब्ध होते हैं । इसलिये यह सही समय है निवेशक के लिये, म्यूचयल फ़ंड के बारे में सोच बदलने का और म्यूचयल फ़ंड को अपने निवेश का अविभाज्य अंग बनाना चाहिये।

अधिकतर जिससे भी बात करो वह यही कहता है कि हमने पहले म्यूचयल फ़ंड में निवेश किया था और उसमें हमें घाटा हुआ, फ़िर से म्यूचयल फ़ंड में निवेश करना चाहिये ?

अगर वाकई आप भी उन निवेशकों में से एक हैं जिन्होंने पूर्व में म्यूचयल फ़ंड में घाटा खाया है और अब म्यूचयल फ़ंड से दूर रहते हैं, तो आपको वापिस से सोचने की जरूरत है। नि:सन्देह बहुत सारे निवेशक पिछले कुछ वर्षों में बाजार से उम्मीद के मुताबिक नतीजे नहीं मिले हैं, म्यूचयल फ़ंड के खराब प्रदर्शन से, मिस सैलिंग से, एवं निवेश को बढ़ने के लिये उचित समय नहीं दिये जाने से बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं । फ़िर भी वास्तविकता में म्यूचयल फ़ंड के जरिये निवेश करना एक बेहतरीन तरीका है, और खासकर उन निवेशकों के लिये जो सीधे शेयर बाजार / डेब्ट बाजार को नहीं समझते हैं । मुद्दे की बात यह है कि सही म्यूचयल फ़ंडों का चयन किया जाये और अनुशासित तरीके से निवेश किया जाये।

इसके अतिरिक्त भी सभी निवेशित परिसंपत्तियों से अच्छा रिटर्न पाने के लिये विविध तरीके अपनाये जाने चाहिये। उदाहरणार्थ – इक्विटी में निवेश लंबे समय के लिये होता है, और इसके लिये बाजार के अशांत समय में धीरज रखने की आवश्यकता होती है । इक्विटी बाजार को टाईम करना व्यर्थ है। अधिकतर निवेशक जिन्होंने प्रयास भी किया उन्होंने पारम्परिक भूल दोहराई है महँगा खरीदा और सस्ता बेचा। ध्यान रखिये निवेश को लंबे समय अवधि रखने का दृष्टिकोण अपनायें इससे आपकी जिंदगी भी आसान होगी।

तो आगे बढ़िये और आज से ही एस.आई.पी. SIP में निवेश करें और अपना भविष्य सुरक्षित करें।

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स्विप या सिप में क्या सारा पैसा एक ही फ़ंड में लगाना उचित है ? (Investment should be in 1 fund ?? in SIP or SWP)

राजीव गांधी इक्विटी सेविंग स्कीम (RGESS) में निवेश

RGESS राजीव गांधी इक्विटी सेविंग स्कीम में आप टैक्स बचत का फ़ायदा ले सकते हैं अगर आपने अभी तक शेयर बाजार में निवेश नहीं किया है। इस स्कीम में आप म्यूचयल फ़ंड में भी निवेश कर सकते हैं इसमें ओपन एन्डेड और क्लोज एन्डेड दोनों स्कीम पिछले वर्ष आयी थीं ।

RGESS राजीव गांधी इक्विटी सेविंग स्कीम  में आप जिस वर्ष में निवेश करते हैं केवल उसी वर्ष के लिये टैक्स का फ़ायदा होगा, हालांकि आपका निवेश आप अगले तीन वर्ष तक नहीं निकाल सकते हैं, और ना ही आपको टैक्स पर अगले तीन वर्ष तक छूट मिलेगी । केवल पहली बार ही टैक्स का फ़ायदा होगा ।

पहले एक वर्ष तक कोई ट्रांजेक्शन नहीं किया जा सकता है, पहले एक वर्ष में ट्रांजेक्शन लॉक इन होता है, परंतु अगले दो वर्षों में आप उसी पोर्टफ़ोलियो में किसी और स्कीम में ट्रांसफ़र कर सकते हैं, ट्रेडिंग कर सकते हैं, परंतु बेच नहीं सकते। तीन वर्ष के लॉक इन के बाद ही आप RGESS राजीव गांधी इक्विटी सेविंग स्कीम में किये गये निवेश को बेच सकते हैं।

RGSS  राजीव गांधी इक्विटी सेविंग स्कीम स्कीम नये निवेशक के लिये भारत सरकार द्वारा लायी गई है।

डीमैट के जरिये म्यूचयल फ़ंड में निवेश करने के फ़ायदे..

डीमैट के जरिये म्यूचयल फ़ंड में निवेश करने का सबसे बड़ा फ़ायदा होता है कि आपको किसी भी पेपर पर हस्ताक्षर नहीं करने होते हैं, जब आप ऑफ़लाईन याने कि किसी ब्रोकर या सीधे कंपनी से म्यूचयल फ़ंड लेते हैं तो उसमॆं आपको बहुत सारे पेपर पर हस्ताक्षर करना पड़ते हैं, और नये निवेश के लिये, स्थानांतरण और निवेश निकालने के लिये भी पेपर का ही उपयोग करना पड़ता है।

डीमैट के जरिये निवेश करने से आपको किसी भी पेपर का सहारा नहीं लेना पड़ेगा, निवेश संबंधित सारे लेने देन बिना किसी पेपर के कर सकते हैं । डीमैट में निवेश लेने से ऐसा कोई फ़ायदा नहीं है कि आपको रिटर्न ज्यादा मिल सके, क्योंकि इसका आपके निवेश पर कोई असर नहीं होने वाला है। डीमैट के जरिये निवेश करने से केवल आपको निवेश करने की सुविधा अच्छी हो जाती है, आप आराम से निवेश कर सकते हैं।

बस यहाँ पर आपको डीमैट के शुल्क जो भरने पड़ते हैं वे तो लगेंगे ही उसके अलावा आपको म्यूचयल फ़ंड खरीदने और बेचने का ब्रोकरेज भी देना पड़ेगा जो कि अलग अलग ब्रोकरेज कंपनियों के अलग अलग होते हैं। बस इससे निवेश की सुविधा अच्छी हो जाती है, आप ऑनलाईन खरीद सकते हैं, ब्रोकरेज हाऊस की ब्रांच में डीलर को फ़ोन करके भी खरीद सकते हैं ।

भारतीय मानसिकता घाटे में बाहर निकलने की नहीं है

हाल ही में ऐसे बहुत सारे लोगों से मिलना हुआ जो कि शेयर बाजार की समझ नहीं रखते परंतु फ़िर भी शेयर बाजार में अपना निवेश कर बैठे थे, वह भी तब मतलब कि २००८ – २००९ जब बाजार अपनी उच्च अवस्था पर था। उस समय हालात यह थे कि जिसको कुछ पता नहीं था वह भी शेयर बाजार में रूचि लेने लगा था और अपना निवेश बाजार में करके उस रैली का फ़ायदा उठाना चाहता था, परंतु उसे शेयर बाजार के मुगलों की जानकारी नहीं थी, जैसे ही आम आदमी का पैसा शेयर बाजार में आया, मुगलों ने अपनी कारीगरी दिखाई और बाजार को आसमान से उठाकर जमीन पर पटक दिया।

और ये नये निवेशक केवल बाजार को औंधे मुँह गिरते देखते रहे, चूँकि इन्होंने अपने गाढ़ी कमाई का पैसा लगाया था तो सोचा कि घाटा लेने से अच्छा है कि थोड़ा इंतजार कर लिया जाये और जब अपने भाव मिल जायेंगे तब बाजार से बाहर हो जायेंगे, परंतु उनका दुर्भाग्य कि वह दिन कभी नहीं आया। क्योंकि उन दिनों अच्छी कंपनियों के साथ साथ बेकार कंपनियों के भाव भी आसमान छू रहे थे, ये नवागत निवेशक अपने आप को उस बाजार में शामिल कर अपने आप को फ़न्ने खाँ समझ रहे थे। आज की हालात में भी उनके पोर्टफ़ोलियो ७०% घाटा दर्शा रहे हैं, हम तो उन्हें अब भी यही सलाह दे रहे हैं कि ३०% जो मिल रहा है उसे निकालकर किसी अच्छी म्यूचयल फ़ंड में डाल दो, तो अगले कुछ अरसे में कम से कम आपने जितना पैसा लगाया था उतना तो हो ही जायेगा।

किंतु भारतीय मानसिकता घाटे में बाहर निकलने की नहीं है, हमें तो बस सुनहरे स्वप्न देखने को चाहिये, जब घाटा होता है तो कहते हैं कि अपनी तो किस्मत ही खराब थी, और जब मुनाफ़ा होता है तो कहते हैं देखा अपनी अक्ल का कमाल, हारना किसी को अच्छा नहीं लगता । परंतु निवेश जो कि आम इंसान अपनी गाढ़ी कमाई से करता है उसे अपने निवेश को हमेशा व्यावसायिक नजरिये से देखना चाहिये।

हमेशा निवेश करते समय अपना घाटा सहने की शक्ति का आकलन कर लें, हमेशा स्टॉप लॉस लगाकर बाजार में निवेश करें, अगर अच्छी कंपनी में निवेश कर रहे हैं तो उसके अच्छे परिणामों का इंतजार भी करें। परंतु हमारे भारतीय निवेशक करते हमेशा उल्टा हैं। बाजार में निवेश का कोई समय बुरा नहीं होता, फ़िर भले ही इन्डेक्स कम हो या ज्यादा । केवल निवेशक को अपनी रकम ऐसी कंपनी में निवेश करनी चाहिये जो उस समय कम भाव पर हो, और इसके लिये तगड़े विश्लेषण और अपने कुछ अच्छे जानकारों की सलाह लेनी चाहिये।

जैसे कि घाटे के लिये आकलन करना चाहिये बिल्कुल वैसे ही मुनाफ़े का भी पहले से आकलन करना चाहिये, अगर १०% के मुनाफ़े की उम्मीद कर रहे हैं तो बेहतर है कि उतने पर ही मुनाफ़ा लेकर बाहर हो जायें, परंतु हमारे यहाँ के निवेशक इस पर भी ध्यान नहीं देते, हमारे यहाँ के निवेशक को जरूरत है बेहतर विश्लेषण की जो कि उसे खुद करना चाहिये, हमेशा ध्यान रखें अगर कोई निवेशक को टिप दे रहा है कि फ़लाना शेयर खरीद लें या बेच दें तो उसमें कहीं ना कहीं उसका निजी स्वार्थ है। कार्य हमेशा वही करना चाहिये जिसमें आपको खुद ज्ञान हो, दूसरों के भरोसे दुनिया में कभी नहीं चला जाता, दूसरों के भरोसे चलने वाले हमेशा धोखा ही खाते हैं। बेहतर है कि पहले सीखें और फ़िर कुछ करें ।

आज फ़िर भारतीय बाजारों के लिये काला सोमवार है (Today again a Black Monday for Indian Share Market..)

काला सोमवार     आज फ़िर से भारतीय बाजारों के लिये काला सोमवार है, आज सेन्सेक्स कितना नीचे जाता है यह तो बाजार खुलने के बाद ही पता चलेगा, मगर शेयर बाजार के विशेषज्ञों के अनुसार सेन्सेक्स १५,००० का लेवल तोड़ सकता है। शनिवार और रविवार यूरोप और भारत के बाजार बंद रहते हैं, परंतु मिडिल ईस्ट के बाजार खुले होते हैं और वहाँ भारी गिरावट देखने को मिली है। मसलन सऊदी अरब, UAE, इस्राइल, कुवैत यहाँ के बाजारों में ७% तक की गिरावट दर्ज की गई है।

काला सोमवार बम     दरअसल शुक्रवार को बाजार बंद होने के बाद स्टैंडर्ड् एन्ड पूअर्स (Standard and Poor’s) ने अमेरिका की डेब्ट रेटिंग AAA से AA+ कर दी, अमेरिका की रेटिंग कम होने से उन संस्थाओं पर अब अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर दबाब पढ़ने लगा है जो कि केवल AAA रेटिंग वाले देशों में ही निवेश कर सकते हैं, इसका मतलब यह हुआ कि अब अमेरिका से निवेश निकलकर AAA रेटिंग वाले देशों में याने कि जर्मनी, फ़्रांस, कनाडा और ब्रिटेन में जायेगा। यहाँ तक कि स्टैंडर्ड और पूअर्स ने अमेरिका को यह भी चेताया है कि  अगले कुछ दिनों में अगर अमेरिकी अर्थव्यवस्था नहीं सुधरी तो अमेरिका की डेब्ट रेटिंग AA+ से घटाकर AA की जा सकती है।

आज के परिदृश्य में भारतीय अर्थव्यवस्था पर वैश्विक परिस्थितियों का गहन असर पड़ता है। इसलिये आने वाला समय बाजारों के लिये ठीक नहीं है, शेयर बाजार विशेषज्ञों की राय में अभी बाजार में निवेश करने से बचें और निचले लेवलों पर धीरे धीरे निवेश करते रहें, एकसाथ निवेश न करें।

अमेरिका देश की साख दाँव पर लगी है, अब देखते हैं कि ओबामा सरकार इससे कैसे निपटती है या अपने देश की डेब्ट रेटिंग AA या AA- पर आने देती है।

एक बात और स्टैंडर्ड और पूअर्स के चैयरमैन हैं देवेन शर्मा जो कि झारखंड के जमशेदपुर से हैं, और उन्होंने अपनी टीम के साथ ओबामा की छुट्टी कर दी।

स्टैंडर्ड और पूअर्स के बारे में ज्यादा जानने के लिये क्ल्कि करें।

अक्षय तृतिया सोना चाँदी कैसे खरीद रहे हैं, डीमैट में या ईंट ? (Purchasing Gold Silver in which form dMat or Physical on Akshay Tritiya)

    अक्षय तृतिया आ रही है, और यह सोना खरीदने के लिये जानी जाती है, इसी दिन बड़ी संख्या में विवाह भी होते हैं, इस दिन कोई भी शुभ काम बिना मुहुर्त के शूरु किया जा सकता है।

    अक्षय तृतिया आते ही सोने चांदी के व्यापारियों ने अपने विज्ञापन बड़े बड़े होर्डिंग पर लगाने शुरु कर दिये हैं, कोई नकद पर ५% वापसी का लालच दे रहा है तो कोई कार ईनाम में दे रहा है। सोना चांदी खरीदने के लिये  तरह तरह के लुभावने ऑफ़र बाजार में दिये जा रहे हैं। अब क्या खरीदना है वह तो जरूरत पर निर्भर करता है।

    वैसे तो अक्षय तृतिया पर सोना ही खरीदा जाता है, परंतु इस एक वर्ष में चाँदी ने इतनी तेजी दिखाई कि एक वर्ष में १३५ प्रतिशत बढ़ गई और सोना १०-२० प्रतिशत तक ही बढ़ा। जानकारों का कहना है कि अगले वर्ष के लिये सोना खरीदने पर १५-२० प्रतिशत और चाँदी खरीदने पर ३०-४० प्रतिशत तक मुनाफ़ा हो सकता है।

    अगर जरुरत गहने पहनने की है तो कुछ कहने की जरूरत ही नहीं, परंतु अगर गहने की जरूरत नहीं है तो फ़िर इसे डीमैट में खरीदें, इससे गहने बनने की लागत भी बचेगी और बेचने पर सुनार द्वारा काटे जाने वाला प्रतिशत भी बचेगा।

    एन.एस.ई. पर ईसिल्वर और ईगोल्ड दोनों ही मौजूद हैं, ईसिल्वर १०० ग्राम के और ईगोल्ड १ ग्राम के मूल्य वर्ग में उपलब्ध हैं, बस खरीदते और बेचते समय ब्रोकरेज लगेगा।