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खोह, वीराने और सन्नाटे

    जिंदगी की खोह में चलते हुए वर्षों बीत चुके हैं, कभी इस नीरव से वातावरण में उत्सव आते हैं तो कभी दुख आते हैं और कभी नीरवता होती है जो कहीं खत्म होती नजर नहीं आती। कहीं दूर से थोड़ी सी रोशनी दिखते ही लपककर उसे रोशनी की और बढ़ता हूँ, परंतु वह रोशनी पता नहीं अपने तीव्र वेग से फ़िर पीछे कहीं चली जाती है।

खोह १

    इस खोह में साथ देने के लिये न उल्लू हैं, न चमगादड़ हैं, बस सब जगह भयानक भूत जो दीवालों से चिपके हुए कहीं उल्टॆ टंगे हुए हैं, और मैं अब इन सबका आदी हो चुका हूँ, कभी डर लगता है तो भाग लेता हूँ पर आखिरकार थककर वहीं उन्हीं भूतों के बीच सोना पड़ता है।

लटकते भूत

    शायद मैं भी इन भूतों के लिये अन्जान हूँ, और ये भूत मेरे लिये अन्जान हों, इस अंधेरी खोह में चलना मजबूरी सी जान पड़ती है, कहीं सन्नाटे में, वीराने में कोई हिटलर हुकुम बजा रहा होता है, कहीं कोई सद्दाम अपनी भरपूर ताकत का इस्तेमाल करने के बजाय किसी ऐसी ही खोह में छुप रहा होता है।

अँधेरा १

    इन वीरानों में उत्सवों की आवाजें बहुत ही भयानक लगती हैं, शरीर तो कहीं अच्छी ऊँचाईयों पर है, परंतु जो सबके मन हैं वे ही तो भूत बनकर इन खोह में लटकते रहते हैं, सबके अपने अपने जंगल हैं और अपनी अपनी खोह, वीराने और सन्नाटे सबके अपने जैसे हैं, किसी के लिये इनका भय ज्यादा होता है और किसी के लिये इनका भय कुछ कम होता है।

वीरान जंगल

    बाहर निकलने का रास्ता बहुत ही आसान है, परंतु बाहर निकलते ही कमजोर लोगों को तो दुनिया के भेड़िये और चील कव्वे नोच नोच कर खा जाते हैं, उनके मांस के लोथड़ों को देखकर ही तो और लोग बाहर निकलने की हिम्मत नहीं करते।

खोह की दीवालें

    कुछ बहादुर भी होते हैं जो इस आसान रास्ते को आसानी से पार कर लेते हैं और जिंदगी के सारे सुख पाते हैं, जब मन में करूणा और आत्म की पुकार होगी, तभी यह भयमुक्त वातावरण और जीवन उनके लिये नये रास्ते बनाता है।

निवेश कब और कहाँ करना चाहिये ? निवेश के लिये सबसे अच्छी क्या है ? (Where and how to Invest ? what is the best investment ?)

निवेश कब और कहाँ करना चाहिये ? निवेश के लिये सबसे अच्छी क्या है ?

इस तरह के बहुत सारे प्रश्न मन में घुमड़ते रहते हैं और हम यही चीज हमेशा ढूँढ़ते रहते हैं।

    निवेश सभी जगह करना चाहिये और कहाँ और कैसे करना चाहिये यह पूर्णतया: व्यक्तिगत होता है, यह निर्भर करता है कि निवेशक की उम्र क्या है, उसकी क्या वित्तीय और पारिवारिक जिम्मेदारियाँ हैं और निवेशक की जोखिम लेने की क्षमता ।

    जैसे हमें भोजन में रोज अलग अलग व्यंजन चाहिये कोई एक व्यंजन जो हमें अच्छा लगता है उसे हम लगातार नहीं खा सकते, अगर खा भी लिया तो एक समय के बाद उसी प्रिय व्यंजन से चिढ़ हो जाती है, इसलिये सभी व्यंजन का उपभोग करते हैं, वैसे ही निवेश है, अगर कोई एक निवेश की जगह पसंद है तो ये हो सकता है कि आपका जोखिम ज्यादा हो और फ़ायदे की जगह नुक्सान ज्यादा हो जाये या फ़िर साधारण फ़ायदा भी न हो। एक अंग्रेजी की कहावत है कि अपनी फ़लों की डलिया में सभी प्रकार के फ़ल रखें।

    उम्र के अनुसार निवेशक को निवेश करना चाहिये, उम्र निवेश के लिये एक बहुत बड़ा कारक है। साधारण सिद्धांत यह है कि जितनी उम्र है उतना प्रतिशत निवेश हमेशा सुरक्षित जमा में करें, जैसे कि पी.पी.एफ़. (PPF), एफ़.डी. (FD), किसान विकास पत्र और इसी प्रकार के अन्य निवेश, इसमॆं अपना पी.एफ़. (PF) भी जोड़ें क्योंकि यह भी एक सुरक्षित निवेश ही है। अपनी उम्र को १०० में से घटा लें, अब जितनी उम्र है उतना निवेश तो सुरक्षित निवेश में ही करना है और बाकी का बचा हुआ अपने जोखिम और जानकारी के अनुसार निवेश करना है, जैसे कि शेयर (Equity), म्य़ूचयल फ़ंड (Mutual Fund), कमोडिटी (Commodity), Metal (सोना, चांदी), जमीन इत्यादि।

    अगर एक २२ वर्षीय युवक / युवती कहे निवेश के लिये तो उसे सलाह होगी कि वे अपनी बचत का २२ % निवेश सुरक्षित जमा में करे । और बाकी का ८८ % बाजार में निवेश करे।

    परंतु ध्यान रखें व्यक्ति खासकर नौकरी पेशा व्यक्ति को जोखिम ४५ वर्ष तक की आयु तक ही लेना चाहिये उसके बाद उसे अपना निवेश सुरक्षित जगह में ही करना चाहिये, क्योंकि जो जोखिम वाले निवेश हैं उनकी समय सीमा कम से कम १० वर्ष माननी चाहिये तभी ये निवेश अच्छे रिटर्न दे सकते हैं।

व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा, क्या आपके साथ दुर्घटना नहीं हो सकती [Personal Accident Insurance Policy]

    शर्मा साहब ३४ वर्ष के हैं, हँसता खेलता परिवार है उनका, प्यारी सी पत्नी और प्यारे प्यारे दो बच्चे हैं। भविष्य की सारी योजनाओं के लिये शर्मा साहब ने बराबर वित्तीय प्रबंधन कर रखा है। और सभी चीजों का ध्यान रखा हुआ था, बीमा से लेकर बाकी सभी सही वित्तीय उत्पादों में उन्होंने निवेश किया हुआ है। शर्मा साहब पेशेवर सॉफ़्टवेयर इंजीनियर हैं, और बाकी लोगों की तरह अपने ऑफ़िस रोज आते जाते हैं। वे मुंबई के बाहरी उपनगर में रहते हैं, जहाँ परिवार के लिये सभी तरह की सुविधाएँ उपलब्ध हैं। पर रोज अपने ऑफ़िस जाना उनके लिये सबसे बड़ा सरदर्द है। उनको रोज लोकल ट्रेन से अपने ऑफ़िस आना जाना होता, और भीड़ इतनी होती कि कई बार तो लोकल ट्रेन के पायदान पर खड़े होकर यात्रा करना होती। एक दिन रोज की यात्रा के दौरान शर्मा साहब चलती लोकल ट्रेन से गिर पड़े, अब शर्मा साहब शारीरिक और मानसिक रुप से स्वस्थ्य नहीं थे, उन्होंने अपने दोनों पैर इस दुर्घटना में गँवा दिये, और अपने ऑफ़िस जाने की स्थिती में भी नहीं थे, स्वास्थ्य के खर्चे इतने बढ़ गये कि वे होमलोन में डिफ़ाल्टर हो गये। और जितना पैसा उन्होंने बचाया था वह बहुत तेजी से खर्च होने लगा।

    शर्मा साहब का जीवन बहुत ही बुरी स्थिती में पहुँच गया। तो आपको क्या लगता है ? कि इस स्थिती से निपटने के लिये वे क्या कर सकते थे ? खैर अगर वे मात्र ५०० से १००० रुपये की कोई दुर्घटना बीमा योजना अपने लिये ले लेते तो इस तरह से उन्हें वित्तीय प्रबंधन में असफ़लता नहीं होती।

    शर्मा साहब की कहानी केवल एक उनकी ही नहीं है, हम लोग रोज यात्राएँ करते हैं इतने जोखिम हमेशा आसपास रहते हैं, पर यह सोचते हैं कि हमारे साथ दुर्घटनाएँ हो ही नहीं सकती हैं। असल में जिंदगी जीने का एक तरीका वह है। अगर कुछ हो जाये……. तो उसके लिये एक अच्छी रणनीति बनायें अपने लिये व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा योजना लें।

जोखिम क्यों लेना ?

    थोड़ा सा ऐसे समझें कि अपने परिवार के सुरक्षा के लिये आपने मृत्यु के जोखिम से बचाने के लिये जीवन बीमा लिया है। यह समान तर्क अपने लिये दें तो, कि अगर आपकी आय बंद हो जाये, आपके साथ घटी भयानक दुर्घटना के कारण अगर आप अपने कार्य पर जाने में सक्षम नहीं हैं तो ….? आपकी आय बंद हो जायेगी। इस तरह के स्थिती से बचने के लिये व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा योजना लिया जाना चाहिये। अगर आप अस्थायी या स्थायी विकलांग होने की स्थिती में अपने वित्तीय जोखिम को हस्तांतरित कर सकते हैं, तो आप क्यों नहीं करते ?

किन लोगों को इसकी जरुरत है ?

    व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा योजना से आप किसी अनचाही दुर्घटना से अस्थायी या स्थायी विकलांग होने की स्थिती में हो सकने वाले वित्तीय जोखिम से सुरक्षित रह सकते हैं। तो हर उस  व्यक्ति को यह दुर्घटना बीमा योजना लेना चाहिये जो अपने आपको और अपने परिवार को ऐसी किसी भी स्थिती से होने वाले वित्तीय जोखिम से बचाना चाहता है। और अगर केवल आप ही अपने परिवार में कमाने वाले हैं तब तो यह बहुत ही जरुरी है। व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा योजना १८ से ७० वर्ष के किसी भी व्यक्ति द्वारा ली जा सकती है।

क्या सुरक्षा मिलती है ?

    व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा योजना से आपको सुरक्षा मिलती है, नॉमिनी को दुर्घटना से होने वाली आकस्मिक मौत की स्थिती में बीमा धन, संपूर्ण या आंशिक विकलांगता या अस्थायी विकलांगता की स्थिती में कुछ निश्चित बीमा धन की सुरक्षा मिलती है। बीमित राशि का भुगतान आंशिक हो सकता है या पूर्ण भी हो सकता है यह दुर्घटना की गंभीरता पर निर्भर करता है।

    उदाहरण के लिये – यूनाईटेड इंडिया इंश्योरेन्स की व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा योजना में आकस्मिक मृत्यु या स्थायी पूर्ण अशक्तता  या कोई दो अंग (या दोनों आँखें) न रहने की स्थिती में बीमित राशि का १००% भुगतान होगा। पर आंशिक विकलांगता की स्थिती में याने कि किसी भी एक अंग या एक आँख के नुक्सान होने पर बीमित राशी के ५०% का भुगतान किया जाता है। अस्थायी पूर्ण अशक्तता की स्थिती में बीमा कंपनी बीमित रकम का १% का भुगतान हर सप्ताह करती है जो कि अधिकतम ३००० रुपये और अधिकतम ५२ सप्ताह के लिये दिया जाता है। स्थायी आंशिक विकलांगता के मामले में भुगतान बीमित रकम का कुछ भाग होगा जो कि योजना के नियम और शर्तों के मुताबिक होगा। प्रीमियम की राशि आपके बीमित रकम की राशी पर निर्भर करती है। अतिरिक्त प्रीमियम भुगतान करने पर स्वास्थ्य व्यय के जोखिम से भी सुरक्षा पा सकते हैं। लगभग सभी कंपनियों की योजनाओं के मानक समान ही होते हैं पर सभी कंपनियों की बीमा शर्तें अलग हो सकती हैं। हालांकि व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा योजना एक करार जैसा होता है, आप अगर किसी अंग का ज्यादा रकम का बीमा करवाना चाहते हैं तो करवा सकते हैं। योजना में शर्तें बिल्कुल साफ़ शब्दों में लिखी होती हैं।

    फ़िर भी आपको योजना के नियम और शर्तें पूरी तरह से पढ़ लेना चाहिये कि उसमें किस अंग की कितनी बीमा धन से सुरक्षा है।

स्वास्थय, जीवन बीमा और दुर्घटना बीमा में क्या संबंध है ?

    आपमें से कुछ लोगों ने स्वास्थ्य बीमा, जीवन बीमा, अपने वाहन का बीमा तो ले रखा है और आप सोचते हैं कि मुझे व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा योजना की कोई जरुरत नहीं हैं। आपके बीमा एजेन्ट ने जीवन बीमा बेचते समय आपको बताया था कि इसमें दुर्घटना बीमा से भी सुरक्षा है, बीमा एजेन्ट की कही गई बातों पर आँख बंद करके विश्वास मत कीजिये और जीवन बीमा योजना के दस्तावेजों को ध्यान से पढ़िये। शायद ही कोई जीवन बीमा योजना दुर्घटना के जोखिम से सुरक्षा देती है, आमतौर पर ऐसा नहीं होता है और जोखिम से पर्याप्त सुरक्षा भी नहीं होती है। तो इसलिये यह मेरी सलाह है कि अलग से व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा योजना जरुर लें जो कि आपके जीवन में होने वाली आकस्मिक स्थिती में वित्तीय जोखिम से सुरक्षा प्रदान करे। भारत में दुर्घटना बीमा योजना के लिये  प्रीमियम की राशि पूरे विश्व में सबसे कम है। जो कि १५०-१८० रुपये प्रति लाख रुपये के लिये होती है। अब सोच क्या रहे हैं जल्दी से व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा योजना लीजिये और अपने को और अपने परिवार को सुरक्षित कीजिये या इंतजार कर रहे हैं किसी आकस्मिक दुर्घटना का ….।