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यातायात नियमों को तोड़ने पर वाहन का बीमा प्रीमियम बढ़ सकता है

चौंकिये मत कि यातायात नियमों को तोड़ने पर बीमा प्रीमियम बढ़ सकता है, इसकी शुरूआत दिल्ली से होने जा रही है, अगर आप दिल्ली में रहते हैं और यातायात नियमों का पालन नहीं करते हैं तो आपके वाहन का बीमा प्रीमियम बढ़ सकता है। हालांकि अभी इसे लागू होने में समय है, पर यह निश्चित हो गया है कि थर्ड पार्टी बीमा पर प्रीमियम बढ़ जायेगा।इसमें यातायात नियम तोड़ने पर नेगेटिव प्वॉइंट्स दिये जायेंगे और यही प्वाईंट्स बीमा कंपनियों को बढ़ी हुई प्रीमियम के लिये बुनियादी होगा।

अभी तक बीमा प्रीमियम वाहन के इंजिन केपेसिटी व वाहन के प्रकार पर निर्भर करती है, वहीं अगर आपने कोई भी क्लेम नहीं किया है तो आपको अपने वाहन के बीमा प्रीमियम पर आकर्षक छूट भी मिलेगी। यह पायलट प्रोजेक्ट दिल्ली से शुरू हो रहे है, फिर सभी राज्यों में लागू किया जायेगा। बीमा कंपनियाँ लंबे समय से वाहन के ड्राईवरों को बीमा प्रीमियम से जोड़ने के लिये लंबे समय से लड़ाई कर रही हैं।

अगर आपने यातायात नियमों को तोड़ा तो यह मत सोचियेगा कि केवल बढ़ी हुई बीमा प्रीमियम ही देना होगी, बीमा प्रीमियम तो बढ़ी हुई देनी ही होगी साथ ही यातायात पुलिस आपका चालान भी बनायेगी व वह चालान की राशि भी भरना होगी। तो यातायात नियमों को तोड़ना अब बहुत ही महँगा होने वाला है, गाड़ी धीरे धीरे आराम से चलाईये, सारे यातायात नियमों का पालन करिये, किसी एक यातायात की लाल बत्ती पर रुकना आपके बहुत से पैसे बचा सकता है, और उससे भी अधिक कीमती किसी व्यक्ति की जान बचा सकता है।

यह सब आम जनता को परेशान करने के लिये नहीं किया जा रहा है, बल्कि बढ़ती हुई दुर्घटनाओं को कम करने के लिये किया जा रहा है। आपके 5-10 मिनिट से कीमती किसी की जिंदगी है, वहीं अगर आप पैदल यात्री हैं तो आपको भी तेज आते वाहन के सामने केवल हाथ देकर सड़क पार नहीं करनी चाहिये, नहीं तो आप अपनी जान जोखिम में डाल रहे हैं और अपने परिवार को बहुत बड़ी विपत्ती में डाल रहे हैं, अगर आपका जीवन बीमा है तो आपका परिवार फिर भी किसी प्रकार आपके बिना जी लेगा, परंतु अगर आपने जीवन बीमा भी नहीं ले रखा है तब सोचिये कि अगर कमाने वाले आप अकेले हैं तो आपके परिवार का क्या होगा। आपकी क्षति कितनी भी बड़ी रकम पूरी नहीं कर सकती।

नियमों को तोड़ने के पहले केवल एक बार अपने परिवार को अपनी आँखों के सामने रखियेगा, आप कभी भी नियम नहीं तोड़ पायेंगे। ध्यान रखें चार पहिये के वाहन चलाते समय हमेशा ही सीट बैल्ट बाँधें और दो पहिया वाहनों को चलाते समय हमेशा ही हेलमेट लगायें।

नियम का पालन और पहरेदार

नियम एक ऐसी चीज है जो हर व्यक्ति को पसंद होती है, बस उसकी परिभाषा सबकी अपनी अलग होती है। सब अपनी पसंद से नियम को अपने अनुकूल बना लेते हैं और दूसरों पर थोपने की कोशिश करते हैं। सरकार इन्हीं नियम को कानून का रूप देती है और नियम पालने के लिये पहरेदार भी बैठा देती है।

सरकार की देखा देखी हरेक जगह नियम बनाये गये और उन पर पहरेदार भी लगा दिये गये परंतु कभी आम आदमी से उन नियम के बारे में पूछने की जहमत नहीं उठाई गई, क्या वाकई आम आदमी उन नियमों का पालन करना चाहता है या नहीं ।

नियम तोड़कर भागने की प्रवृत्ति ज्यादा देखने में आती है, कोई भी आदमी नियम तोड़कर खुद पहरेदार के पास नहीं जायेगा, बल्कि पहरेदार को उस नियम तोड़कर  भागने वाले व्यक्ति को ढूँढ़ना होगा, अगर सभी नियम का पालन करने लगे तो पहरेदार की आवश्यकता ही खत्म हो जायेगी।

हो सकता है जो आपका या मेरा मन नियम मानता हो परंतु कानून उस नियम को बुरा मानता हो तो अधिकतर कानून के नियम मानना चाहिये और जो नियम बुरे लगते हों, कोशिश करना चाहिये उन नियमों को मानने की नहीं तो उन कानूनों को तोड़कर पहरेदारों से बचना चाहिये।

बचना भी एक कला है, कुछ लोग इतने माहिर होते हैं कि नियम भी तोड़ते हैं और ऊपर से दादागिरी भी करते हैं, उल्टा चोर कोतवाल को डांटे, परंतु जब तक अनुभव ना हो, इन चीजों को आजमाना नहीं चाहिये।

खैर यह बात और है कि कुछ लोग नियम तोड़ने में ही अपनी हेकड़ी समझते हैं, और नियम तोड़ना अपनी शान याने कि कानून को अपने हाथ में लेना। तो ऐसे लोग मानसिक रूप से विकृत होते हैं, और कुछ लोग होते हैं जो समय और परिस्थितियों के अनुसार नियम का पालन करते हैं, अगर अन्य लोग हैं तो नियम का पालन किया जायेगा नहीं तो नियम उनके लिये कोई मायने नहीं रखता। तो ऐसे लोग अवसरवादी कहलाते हैं और कभी खुदा न खास्ता किसी पहरेदार ने पकड़ भी लिया तो इनकी घिग्गी बँध जाती है, मिल गई इज्जत मिट्टी में।

नियम बनते ही लोग नियम को तोड़ने के रास्ते ढूँढ़ लेते हैं और नियम को कानूनन तरीके से तोड़ते हैं। हमारे यहाँ कुछ लोग हैं जो कि खुद को नियम के ऊपर समझते हैं और पहरेदार उनके लिये नियम को शिथिल कर देते हैं, यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। नियम सबके लिये एक होना चाहिये और पहरेदारों को इसके प्रति सतर्क रहना चाहिये।

पहरेदार चाहे कितनी कोशिश कर लें, नियम तो तब तक टूटते रहेंगे जब तक कि नियम का पालन करने वाले नियम को ना मानें, तो पहरेदार और नियम पालने वालों को संस्कारित होना होगा। किसी एक के सुधरने से बात नहीं बनेगी।

नियम तोड़ने पर सजा का कड़ा प्रावधान होता है और नियम लागू करने वालों को यह सुनिश्चित करना चाहिये कि वे बिना किसी दबाब के नियम को सख्ती से लागू करें, फ़िर वह राजा हो या रंक।

वर्ष २०११ में जिंदगी जो सीख सिखा गई ।

वैसे तो जिंदगी सीखने का नाम है और सीख कभी भी ली जा सकती है, उम्र का कोई बंधन नहीं होता । सीख किसी भी उम्र के व्यक्ति से ली जा सकती है जो कि जीवन में आगे बड़ते हुए हमेशा शिक्षा का काम करती है। कुछ सीखें जो इस वर्ष सीखीं –

अपने आप को हमेशा तैयार रखो, कभी भी बाजार जाना पड़ सकता है।

कभी भी अपनी तरफ़ से कोई भी बात किसी को भी ज्यादा न बताओ, जितना पूछा जाये केवल उतना ही बताओ।

किसी पर भी आँख मूँदकर भरोसा मत करो।

पहली बार में किसी भी व्यक्ति से मत खुलो, पता नहीं वह किस गुट का हो।

बुरा समय हो तो गधे को भी बाप बनाना पड़ता है।

किसी पर भी अपनापन मत लादो, सबको अपने हिसाब से जिंदगी जीने दो।

समय बलवान हो तो कोई भी पहलवान बन सकता है।

कभी किसी से भी ज्यादा की उम्मीद मत करो।

जब भी किसी से प्यार करो ये जरूर सोच लो कि बस अब वह जाने वाला है।

जिस चीज से भागोगे, वह तुमसे दूर नहीं होगी और तेजी से नजदीक आ जायेगी। इसलिये बेहतर है कि दो दो हाथ कर लिया जाये।

किसी भी ईमेल भेजने से पहले एक बार पढ़ लिया जाये।

जो भी हो, खरी खरी आमने सामने बात कर लेनी चाहिये।

सारी बातें जो सीखी हैं वे कहीं न कहीं लिखी हुई मिल ही जायेंगी, परंतु कभी ध्यान नहीं दिया, पर वो एक कहावत है ना कि “ठोकर खाकर ही ठाकुर बनते हैं”, तो इतनी बातों के लिये तो ठाकुर बन ही गये हैं। और भी बहुत सारी सीखें हैं पर उन्हें लिखने के लिये शब्द नहीं मिल रहे।

ऐसे ही एक पोस्ट बहुत पहले लिखी थी, यह भी देखिये –

जिंदगी जीने के ये ३० नियम पिछले साल कहीं से मिले थे पर अब भी कुछ ही नियमों को धारण कर पाये हैं, बचे हुए नियम इस वर्ष पूरे करने की तमन्ना है, देखिये..

नववर्ष की शुभकामनाएँ ।