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ब्लॉगवाणी वापिस शुरु हिन्दी ब्लॉगरों को शुक्रिया अदा करना चाहिये…. धन्यवाद मैथिलीजी

आज सुबह मैं अपने ब्लॉग पर ही विचरण कर रहा था कि एकाएक ब्लॉगवाणी का कोड वापिस से नजर आ गया और फ़िर ब्लॉगवाणी साईट खोली तो वापिस से वह अपनी जगह पर अपनी नई पोस्टों के साथ हमारा मुस्कराकर अभिवादन कर रही थी।

बधाई हो ब्लॉगवाणी के संचालको आपको कि आपने हिन्दी के प्रति प्रेम और सम्मान प्रदर्शित किया और हिन्दी ब्लॉगजगत के आव्हान पर आप वापिस से ब्लॉगवाणी को ले आये। आपको बहुत बहुत धन्यवाद।
एक विनम्र निवेदन है कि ऐसे बुरा न मानें यह तो समाज है और इसमें हरेक तरह के लोग होते हैं अगर गुण्डे न होंगे तो पुलिस की जरुरत ही न होगी उससे पता नहीं कितने लोगों की रोजी रोटी पर असर पड़ेगा। कृप्या अपना बड़्प्पन बनाये रखें।

ब्लोगवाणी का ब्लॉग पढ़ें।


ओहो ब्लॉगवाणी बंद हो गया पर हमारी क्या गलती थी….

                   आज सुबह उठकर ब्लॉगवाणी साईट खोली, नये हिन्दी चिट्ठे पढ़ने के लिये पर ये क्या ये तो अलविदा का सन्देश ब्लॉगवाणी के तंत्रजाल पर। कल ही किसी महाशय की पोस्ट पढ़ी थी जिसमें ब्लॉगवाणी  की कार्य प्रणाली पर सवाल उठाये गये थे, पोस्ट पढ़कर बुरा तो लगा कि इन महाशय को शायद ब्लॉगवाणी का हिन्दी चिट्ठों के प्रति योगदान पता नहीं होगा इसलिए यह उसके और उसके पीछे जुड़ी टीम की मेहनत को नजर अंदाज कर रहे हैं। ब्लॉगवाणी साईट के मालिकों ने कभी भी इसका उपयोग अपने व्यावसायिक गतिविधियों के लिये नहीं किया, केवल हिन्दी के प्रति प्रेम और हिन्दी के प्रति सम्मान और जन जन ब्लॉगरों के बीच में से एक लेखक का निकालना ही उनका यह हिन्दी एग्रीगेटर चलाने का उद्देश्य था। पर कुछ नासमझ हमारे ही भाई बंद लोग उनकी गतिविधियों के पीछे पड़ गये जैसे वे उनके घर की मुर्गी हो जिसे कुछ भी बोल सकते हों या उनका चिट्ठे को कुछ व्यावसायिक नुकसान हो रहा हो।
                अब इन नासमझ लोगों को क्या कहें कि वाणी से कुछ भी किया जा सकता है अगर मीठी होगी तो सब आपके पास आयेंगे और बुरी होगी तो सब दूर भागेंगे। केवल शब्द की जादूगरी से बनती हुई बात को बनाया जा सकता है और बिगाड़ा भी जा सकता है। मेरा ब्लॉगवाणी के संचालकों से विनम्र निवेदन है कि इन जैसे ब्लॉगरों को नजरअंदाज कर अपने हिन्दी के प्रति प्रेम और सम्मान को बनाये रखें और इस बेहतरीन हिन्दी ब्लॉग एग्रीगेटर को शुरु कर इसे इतिहास का पन्ना न बनने दें।

alvidablogvaani

मेरा नया चिठ्ठा blog.co.in पर और मेरी परेशानी

मैंने अपना नया चिठ्ठा blog.co.in पर http://bankgyan.blog.co.in एड्रेस पर बनाया है क्योंकि यहां पर कमाई की कुछ उम्मीद है वह भी भारत की मुद्रा में, जैसा कि ब्लोग के शीर्ष पेज पर जानकारी दी गई है।

मेरे इस ब्लोग पर बैंकों के बारे में छोटी बड़ी जानकारियां होंगी। सभी को किसी न किसी तरह की परेशानी का सामना बैंक में करना पड़ता है, मेरा यह प्रयास है कि इससे वह कम से कम बैंको एवं उपभोक्ताओं के अधिकारों से परिचित हों।
मेरी परेशानी –
मैंने अपना नया चिठ्ठा चिठ्ठाजगत और ब्लोगवाणी पर लिंक के लिये भेजा था, जिसमें से चिठ्ठाजगत से तो ईमेल आ गया, पर ब्लोगवाणी के ईमेल का इंतजार है।
चिठ्ठाजगत से ईमेल में ३ तरह से अधिकृत करने की प्रक्रिया दी गई है, जिसमें पहली प्रक्रिया से में चिठ्ठे को चिठ्ठाजगर पर दिखा तो पाया पर html कोड मेरी पोस्ट के साथ दिख रहा है।
दूसरी प्रक्रिया में साईड बार में विजेड पर ये लिक लगाना है पर blog.co.in पर शायद यह सुविधा नहीं है अगर किसी ब्लोगर को पता हो तो कृप्या मार्गदर्शन करें।
तीसरी प्रक्रिया में चिठ्ठे के html में कोड पेस्ट करना है पर blog.co.in पर कैसे करेंगे, यह पता नहीं लग पाया, अगर किसी ब्लोगर को पता हो तो कृप्या मार्गदर्शन करें।
या फ़िर मैं इसे blogger.com पर ले आऊँ, बताएँ।