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महर्षि अत्रि अनुसूया गङ्गा का Time trading & Irrigation marvel

Time Trading & Irrigation Marvels

महाशिवपुराण में एक कथा है कि महर्षि अत्रि को प्यास लगती है तो वे अपनी पत्नी अनुसूया को अपना कमंडल देते है बोले कि मुझे प्यास लगी है, अनुसूया कमंडल लेकर जल लेने चल पड़ीं, अत्यंत गर्मी थी, तो आश्रम से निकलने के पहले ही अनुसूया को एक सुंदर स्त्री आती दिखाई दीं।

यह सुंदर स्त्री गङ्गा थीं जो अनुसूया के पतिव्रत धर्म व शिवजी की आराधना से प्रभावित थीं, तो उन्होंने सोचा कि ये अनुसूया कहाँ जा रही है, इसे क्या समस्या है। गङ्गा ने अनुसूया से पूछा कि आओ कहाँ जा रही हैं, अनुसूया ने परिचय पूछा और बताया कि कमंडल में पानी लेने जा रही हूँ।

Time Trading

तब गङ्गा ने बताया कि यहाँ तो कहीं दूर दूर तक पानी नहीं है, मैं एक गड्ढा खोदकर उसमें से तुम्हारे लिये पानी भर देती हूँ, तुम जल लेकर महर्षि अत्रि को पिला दो, तब अनुसूया ने कहा कि आप यहीं रुकें, अनुसूया कमंडल भरकर महर्षि अत्रि के पास गईं कर उन्हें जल पिलाया, तब अत्रि बोले कि बाहर तो गर्मी हो रखी है, कहीं दूर दूर तक जल का निशान नहीं है क्योंकि अभी तक बारिश नहीं हुई, तुम्हें इतना शीतल जल कहाँ से मिला।

तब अनुसूया ने पूरा वृतांत बताया, तब महर्षि अत्रि व अनुसूया बाहर आये व गङ्गा जी की स्तुति की, तब अनुसूया ने गङ्गा से निवेदन किया कि आप इसी गड्ढे में हमेशा हमारे पास रहें, जिससे हमेशा हमारे पास जल रहे, तब गङ्गा जी ने कहा – मैं रह सकती हूँ पर एक शर्त है कि अगर तुम मुझे अपने 1 वर्ष का पतिव्रत धर्म व शिवजी की तपस्या का पुण्य मुझे प्रदान कर दो। अनुसूया मान गईं और गङ्गा जी उस गड्ढे में प्रविष्ट कर गईं।

अनुसूया से 1 वर्ष के तप का पुण्य लेना Time Trading है, और गड्ढे में गङ्गा जी का प्रविष्ट होना Irrigation marvel है। हॉलीवुड वाले हमारे पुराणों से प्लॉट उठाकर फिल्मों की आधुनिक रूप देकर सुपर हिट बनाते हैं। और हमारे यहाँ लोग इन विषयों पर कुछ सोचते ही नहीं।

गंधर्व का अर्जुन को तपतीनंदन और तापत्य कहने की कथा –

गंधर्व व अर्जुन (Image generated by AI)

जब पांडवों ने माता कुंती की साथ पांचाल याने कि द्रुपद राज्य की ओर कूच किया, तो गन्धर्व वाली कथा तो सबको पता ही है, जब अर्जुन ने गंधर्व को हरा दिया तब गंधर्व ने अर्जुन को तपतीनंदन और तापत्य कहा जिससे अर्जुन ने पूछा कि हे गंधर्व आपने मुझे इन संबोधन से क्यों पुकारा।

तब अर्जुन को गंधर्व ने बताया कि सूर्यदेवता की एक पुत्री थीं और सावित्रीदेवी की छोटी बहन थीं। जिसका नाम तपती था और वह स्त्रियों में अनुपम सुंदरी थी, तब सूर्यदेव को उनके विवाह चिंता हुई, पर भगवान सूर्य ने तीनों लोकों में किसी भी पुरुष को ऐसा नहीं पाया, जो रूप शील गुण और शास्त्रज्ञान की दृष्टि से उसका पति होने योग्य हो।

उन्हीं दिनों महाराज ऋक्ष के पुत्र राजा संवरण कुरुकुल के श्रेष्ठ व बलवान पुरुष थे, और उन्होंने सूर्यदेव की आराधना आरंभ की, अतः राजा संवरण को ही तपती के योग्य पति माना।

अब आगे कहानी बढ़ती है कि राजा संवरण जंगल में शिकार करने जाते हैं व पर्वत पर चले जाते हैं तो राजा का घोड़ा भूख प्यास से पीड़ित होकर मर जाता है और राजा पैदल ही पर्वत शिखर पर घूमने लगते हैं, वहीं उन्होंने एक सुंदर स्त्री को विचरण करते देखा, राजा उस पर मोहित हो गये, राजा ने उससे सुंदर स्त्री अपने नयनों से अभी तक देखी नहीं थी, और कामबाण से पीड़ित हो गये। तब राजा ने लज्जारहित होकर उस लज्जाशील और मनोहारिणी कन्या से पूछा कि तुम कौन हो, राजा ने कन्या की बहुत तारीफ की, पर कन्या ने कोई जबाब नहीं दिया और वह अन्तर्धान हो गई। राजा उन्मत्त होकर इधर उधर भ्रमण करने लगे और विलाप करते हुए मूर्क्षित होकर निश्चेष्ट पड़े रहे।

तब वह तपती ने फिर से राजा संवरण के सामने मुस्कराते हुए अपने आपको प्रकट किया। तब तपती ने कहा आप सम्राट हैं आपको मोह के वशीभूत नहीं होना चाहिये, राजा ने आँखें खोलीं, पर राजा के अन्तःकरण में तो कामजनित अग्नि जल रही थी। और राजा ने कहा कि मैं काम से पीड़ित तुम्हारा सेवक हूँ, तुम मुझे स्वीकार करो अन्यथा मेरे प्राण मुझे छोड़कर चले जायेंगे, हे सुंदरी तुम्हारे लिये कामदेव मुझे अपने तीखे बाणों द्वारा बार बार घायल कर रहे हैं। मुझे कामरूपी महासर्प ने डस लिया है। अब मुझे किसी और स्त्री को देखने में रूचि भी न रही। तुम आत्मदान देकर मेरे उस काम को शांत करो। मुझसे गंधर्व विवाह करो।

तब कन्या कहती है कि मेरे पिता विद्यमान हैं, आपको उनसे मुझे मांगना पड़ेगा। हे राजन जैसे आपके प्राण मेरे अधीन हैं, उसी प्रकार आपने भी दर्शनमात्र से ही मेरे प्राणों को हर लिया है। मैं अपने शरीर की स्वामिनी नहीं हूँ, इसलिये आपके समीप नहीं आ सकती, क्योंकि स्त्रियाँ कभी स्वतंत्र नहीं होतीं। आपको पति बनाने की इच्छा कौन कन्या नहीं करेगी।

आप यथासमय नमस्कार, तपस्या, और नियम से सूर्यदेव को प्रसन्न कर मुझे माँग लीजिये। मैं उन्हीं अखिलभुवनभास्कर भगवान सविता की पुत्री और सावित्री की छोटी बहन तपती हूँ। यह कहकर कन्या चली गई। राजा फिर मूर्छित होकर गिर पड़े। फिर उनके मंत्री सेना के साथ ढूँढते हुए पहुँचे व राजा को को देखकर राजमंत्री व्याकुल हो गये, राजा को देखकर अनुमान लगाया कि वे भूख प्यास से पीड़ित और थके मांदे हैं, मुकुट छिन्न भिन्न नहीं है अतः राजा युद्ध में घायल नहीं हुए हैं। मंत्री ने राजा के मस्तक को कमल के सुगंध से युक्त ठंडे जल से सींचा। राजा को होश आया और मंत्री को रोककर सेना को वापिस लौटा दिया।

राजा संवरण व तपती, कुरु (image generated by AI)

उसके बाद राजा संवरण ने उसी पर्वत पर सूर्य की आराधना की व अपने पुरोहित मुनि वसिष्ठ का मन ही मन स्मरण किया। 12 दिन बाद वसिष्ठ आये, और राजा ने तपती को पाने के लिये सूर्यदेव से मिलने के लिये निवेदन किया, वसिष्ठ गये और सूर्यदेव से तपती को राजा संवरण के लिये ले आये। और राजा ने तपती का पाणिग्रहण किया और वशिष्ठ जी से आज्ञा लेकर उसी पर्वत पर विहार करने लगे। राजा संवरण ने 12 वर्षों तक उसी पर्वत पर विहार किया और कुरू को उत्पन्न किया था। अतः उसी वंश में जन्म लेने के कारण आप लोग तापत्य हुए।

उन्हीं कुरु से उत्पन्न होने के कारण सब लोग कौरव तथा कुरुवंशी कहलाते हैं। इसी प्रकार पुरु से उत्पन्न पौरव और अजमीढ़कुल वाले आजमीढ़ तथा भारतकुल वाले भारत कहलाते हैं।

अब मुझे ऐसा लगता है कि अपने वंश के लोगों के ऐसे कारनामे सुनकर आदमी खुश होगा या दुखी होगा, कि कैसे कामी आदमी लोग हमारे पितामह थे।

आदिपर्व सम्भवपर्व अध्याय 170, 171, 172

द्रोपदी के पाँच पति क्यों हुए

लाक्षागृह कांड के बाद जब पांडव गुप्त रूप से निवास कर रहे थे और वृकोदर भीमसेन ने बकासुर राक्षस को मार दिया, उसके बाद एक ब्राह्मण उसी जगह रुकने आया, जहाँ पाण्डु गुप्त रूप से रह रहे थे। उसने पांचाल और पांचाली की कथा उन्हें सुनाई और बताया कि पांचाल देश में पांचाली का 75 दिन बाद स्वयंवर है, व पांचाल देश बहुत अच्छा है, व रमणीय है, मतलब कुक मिलाकर बहुत तारीफ करी, तो कुंती ने पांडुओं को कहा कि हम भी इन्हीं ब्राह्मण के साथ द्रुपद चलते हैं।

चित्र AI से जनरेटेड है।

तभी सत्यवतीनन्दन व्यासजी उनसे मिलने के लिये वहाँ आये और उन्हें कथा सुनाई कि – किसी समय तपोवन में एक ऋषि की सुंदर कन्या रहती थी, परंतु दुर्भाग्य से वह पति न पा सकी। तब उसने उग्र तपस्या करके शिवजी को प्रसन्न किया व कहा कि – मैं सर्वगुणसम्पन्न पति चाहती हूँ, इस वाक्य को 5 बार कहा। तब भगवान शिव ने कहा -तुम्हारे पाँच भारतवंशी पति होंगे। तब कन्या बोली कि – मैं आपकी कृपा से एक ही पति चाहती हूँ। तब भगवान ने कहा तुमने मुझसे पाँच बार कहा है कि मुझे पति दीजिये। अतः दूसरा शरीर धारण करने पर यह वरदान फलित होगा।

वह महाराज पृषत की पौत्री सती साध्वी कृष्णा (द्रोपदी) तुम लोगों की पत्नी नीयत की गई है, अतः महाबली वीरों तुम अब पांचाल नगर में जाकर रहो, द्रोपदी को पाकर तुम सभी लोग सुखी होओगे।

पहले सब कुछ पूर्वनिर्धारित रहता था, और कुछ ही लोगों को यह जानकारी होती थी, जिससे वे उन कार्यों को सिद्ध करने में सहयोग करते थे। आजकल ऐसे कुछ लोग दुनिया में दिखते ही नहीं, इसलिये हम लोग जान ही नहीं पाते कि किसने किसके लिये तपस्या करी, इसी चक्कर में घर में शायद झगड़े भी बहुत होते हैं। इन कुछ लोगों को वापिस इस दुनिया में आकर मार्गदर्शन करना चाहिये।

आदिपर्व सम्भवपर्व अध्याय 168

गणतंत्र दिवस पर सोसायटी में कार्यक्रम

गणतंत्र दिवस पर सोसायटी में कार्यक्रम हुआ, जिसमें झंडा फहराया गया, फिर भाषणबाजी हुई, और गाने गाये गये, कविताओं का वाचन हुआ।

जब पहला गाना गाया गया – जीरो दिया मेरे भारत ने, तब हम भी साथ में ऑडिएंस में खड़े होकर पूरा ही गाना साथ में गुनगुना लिये, तो हमारे पड़ौसी पास ही खड़े थे, कहने लगे बहुत ही बढ़िया गाना है पर हमने पहली बार सुना, हमने कहा यह मनोज कुमार का गाना है और फ़िल्म पूरब और पश्चिम का है। बेटेलाल का फेवरेट गाना है, कई बरसों तक यह गाना 1 या 2 बार रोज ही हमारे घर में बजता रहा है। ये पड़ौसी विशाखापत्तनम से हैं।

फिर एक मैडम हैं वे आईं, उनकी आवाज बहुत बुलंद है और कविताओं को पढ़ने के लिये वैसी ही आवाज चाहिये। वे अधिकतर रामधारी सिंह दिनकर की कविता पढ़ती हैं, बहुत सी कविताएं उन्हें याद हैं, इस बार उन्होंने हिमालय पर लिखी गई कविता -मेरे नगपति मेरे विशाल कविता का पाठ किया। ये भोपाल से हैं तो उनका हिन्दी उच्चारण बहुत शुद्ध है। यह हमें याद नहीं थी, पर सुनकर आनंद लिया।

बाद में उन्होंने एक और कविता गाई –

हिमाद्रि तुंग श्रृंग से
प्रबुद्ध शुद्ध भारती —
स्वयं प्रभा समुज्ज्वला
स्वतंत्रता पुकारती —

जो कि जयशंकर प्रसाद ने लिखी थी, हमने यह कविता साथ में पूरी गुनगुनाई, यह चाणक्य में हमने सुनी थी, और फिर इतनी सुनी कि दिल में अंकित हो चुकी है। इस पर भी पड़ौसी बोले यह भी हमने पहली बार सुनी, इट्स लुक्स लाइक आई एम वेरी पूअर इन आल दिस, हम बकस मुस्कुरा दिए और कहा आप किसी और में अच्छे होगे।

शेयर बाजार में ट्रेडिंग की कमाई

एक हमारे बहुत ही अच्छे मित्र हैं, बढ़िया सेट हैं, शेयर बाजार में जो भी निवेश करना चाहते हैं वे हमसे पूछते रहते थे, फिर एक दिन बोले कि आप हमारे लिये एक एकाउंट में ट्रेडिंग करिये, हमने कहा हम तो ऑप्शन सेलिंग करते हैं, वे बोले तो बताइये मिनिमम कितना कैपिटल लगेगा, हमने कहा कि 1.5 लाख से शुरू कर सकते हैं, पर आपकी होल्डिंग को हम कोलेट्रोल पर लेकर मार्जिन मनी के लिये उपयोग करेंगे तो वे बोले हाँ यह भी ठीक है, तो कैश 1.5 लाख और कोलेट्रोल से लगभग 1.2 लाख मिल गया, जिसे हम केवल एडिशनल मार्जिन के लिये ही उपयोग करते हैं।

वे बोले आप अपनी फीस भी बता दो, तो हमने कहा कि हम कैपिटल का हर महीने 1% फीस ले लेंगे, पर प्रॉफिट की फुल गारंटी नहीं है, लॉस भी हो सकता है, पर हमारी फीस में कोई बदलाव नहीं होगा। हमारे मित्र ने कहा कोई नहीं जो आप कहते हैं, वह सब हम मान लेते हैं, आप बस हमारे एकाउंट में ट्रेडिंग करिये और longterm पोर्टफोलियो भी बना दीजिये। हमने अगस्त 2023 से उनके एकाउंट में काम करना शुरू किया। कैपिटल के अनुसार ही ट्रेड लिये, कभी 3% मिला तो कभी 6%, बाजार के ऊपर निर्भर करता है। सितंबर में एक ट्रेड ज्यादा drawdown दिखा रही थी, हमें पूरी उम्मीद थी कि मार्जिन नहीं भरना पड़ेगा, पर वह ट्रेड ब्रोकर ने मार्जिन न होने के कारण लॉस में स्क्वेयर ऑफ कर दी, सितंबर का महीना नुकसान में नहीं रहा पर 5% प्रॉफिट की जगह मात्र ₹480 का प्रॉफिट हुआ, तब मित्र को समझ आया कि मार्जिन की कमी के कारण गड़बड़ हुई, उन्होंने एकदम अक्टूबर की शुरुआत में ₹50,000 और डाल दिये, इस प्रकार कैश अब 2 लाख हो चुका था।

सारे चार्जेस और ब्रोकरेज के बाद प्रॉफिट अब इस प्रकार है –
अगस्त 2023 – ₹9,493
सितंबर 2023 – ₹480
अक्टूबर 2023 – ₹9,477
नवंबर 2023 – ₹8,575
दिसंबर 2023 – ₹4,593
जनवरी 2024 – ₹14,178

कुल प्रॉफिट – ₹47,685
चार्जेस व ब्रोकरेज के बाद – ₹46,638

जनवरी 2024 से अब वे हर महीने ₹50,000 इस एकाउंट में डाल रहे हैं, तो अब कैपिटल कैश का 2.50 लाख और प्रॉफिट है, तो जब भी हमें कोई बढ़िया शेयर दिखता है तो हम उसे longterm होल्डिंग में खरीद देते हैं, एक शेयर हमने उनके लिये 100 qty खरीदी थी, अब वह 40% प्रोफिट में है, वहीं एक साल में यही कमाई बढ़कर कम से कम 250% हो जायेगी। अभी यह काम हम व्यवसायिक तरीके से नहीं कर रहे हैं पर लगता है कि जल्दी ही शुरू करना चाहिये, एक हमारे मित्र हैं ब्रोकर कम्पनी में बड़ी पोज़िशन पर हैं, वे कई बार कह चुके कि आराम से इसे ₹10 करोड़ तक ले जा सकते हैं, पर हमें कोई जल्दीबाजी नहीं है, अभी नौकरी कर रहे हैं, तो घरवाली को सबकुछ सीखा दिया है, तो हम चैन से नौकरी करते हैं, और ट्रेडिंग घरवाली करती है, अगर कहीं कोई समस्या होती है, तो हम देख लेते हैं। क्योंकि मुख्य चीज है monitoring करना, तो उसके लिये हमें घरवाली की भरपूर मदद मिल जाती है, अब एक प्रकार से उनका ही यह बिजनेस है, हम केवल मेंटर हैं। अब वे चार्ट रीडिंग बेहतरीन करती हैं, ब्रेकआउट, सपोर्ट रेसिस्टेंस सब कुछ खुद निकाल लेती हैं। बस ऐसा जीवनसाथी हो तो जीवन आसान हो जाता है।

अब हमारे मित्र हमसे कई बार कह चुके हैं कि आप अपनी फीस ले लीजिये, हमने कहा जब जरूरत होगी ले लेंगे, कम से कम एक नया फोन तो सालभर की फीस से आ ही जायेगा।

ये आज इसलिये लिखा कि कई लोग चेलेंज करते हैं कि अपना प्रॉफिट दिखाओ, तो आप इसे डेमो अकॉउंट के तौर पर देख सकते हैं, क्योंकि हम आपना प्रॉफिट सार्वजनिक नहीं करना चाहते। प्रॉफिट का स्क्रीनशॉट भी लगा रहे हैं।

और ध्यान रखें कि हम अभी किसी का पैसा मैनेज कर पाने की स्थिति में नहीं हैं, हम अपने प्रॉफिट से पूर्णतया संतुष्ट हैं, हम न ट्रेनिंग देते हैं, न कोई टिप्स, बस सीखने पर जोर देते हैं, नई स्ट्रेटेजी देखते रहते हैं और अपनी स्ट्रेटेजी में और सुधार करते रहते हैं।

जो हमेशा सीखता रहेगा, वही जीवन में आगे बढ़ पायेगा। अगर आपमें पास ठीक ठाक कैपिटल है तो आप खुद अंदाजा लगा लीजिये कि आप शेयरबाजार के इस समुंदर से कितना कमा सकते हैं।

अगली पोस्ट में बेटेलाल के बारे में लिखेंगे, कि वो कितना सीखे, कैसे सीखे, और निवेश में क्या करते हैं।

NCC में ड्रिल

ड्रिल देखना मेरी मनपसंद चीजों में से एक है, इससे पहले NCC में ड्रिल करना बेहद पसंद था, और मैं सीनियर अंडर ऑफीसर हुआ करता था। कई camp मैंने NCC के दौरान किये, और सबसे बेहतरीन कैम्प मेरा रहा, आर्मी अटैचमेंट कैम्प, जबलपुर, जहाँ हमें ग्रेनेडियर रेजिमेंट अलॉट हुआ था, सेना की बैरकों में ही हमारा ठिकाना था, वहीं हमारी मेस हुआ करती थी।

रंगरूटों की जबरदस्त तबियत से रगड़ाई होते हुए हम देखते थे, वैसे हमारी जो रगड़ाई होती थी, वो उनके मुकाबले कुछ भी नहीं होती थी।

26 जनवरी और 15 अगस्त को हम हमेशा ही NCC की तरफ से समारोह में शामिल हुए। इसके लिये कुछ दिनों पहले से ही समारोह के लिये रिहर्सल करने भी जाते थे। अब तो खैर ये सब यादें ही रह गईं हैं।

हमारी बड़ी दिली इच्छा थी, सेना में भर्ती होने की, पर अपन सेना भर्ती परीक्षा निकाल लेते, उतने बुद्धिमान नहीं थे, और न ही हमारे घुटने, जो मेडिकल ही पास नहीं होने देते।

अभी tv पर परेड देखकर अपने सारे कमांड भी याद करता रहता हूँ, परेड दाहिने देख, खाली एक, परेड सामने देख, खाली एक 😀

शेयर बाजार में एक से एक गुरु आज NKStockTalk

शेयर बाजार में एक से एक गुरु हैं, पर कोई खुलकर नहीं सिखाता और जो सिखाता है और फेमस हो जाता है वो कहीं न कहीं किसी स्कैम में फंस जाता है या फंसा दिया जाता है। यह पैसा है ही ऐसी चीज। खुलकर सिखाने का मतलब बारीकी से एक एक चीज, कि कैसे चार्ट काम करता है, स्मार्ट मनी कैसे पोजिशन लेती है, और स्मार्ट मनी की तरह कैसे पोजिशन लेकर शेयर बाजार से फायदा उठाया जाये, मतलब कि कब खरीदना है ओर कब बेचना है।

इस मामले में मैं नीतीश कुमार NKStocktalk सर का फैन हूँ, प्यूर टेक्निकल बातें करते हैं, सिंपल फंडे समझाते हैं, 99% साइकोलॉजी ठीक करने की बात करते हैं। केवल 1% सिखाते हैं, क्योंकि सीखने के लिये होता ही उतना है। वे फालतू की बातें करते नहीं या ये कहें कि उनको करना नहीं आता तो ज्यादा बेहतर होगा।

मैं उनके बहुत से फंडे अपने ट्रेड्स में इस्तेमाल करता हूँ, और उन्होंने गांववालों की भाषा में अपनी शब्दावली रखी है, जैसे हवा चिप्स, हिलेगा मिलेगा, हिलेगा मिलेगा उनकी सबसे बेहतरीन स्ट्रेटेजी लगी, इस इंडिकेटर को आप अपने हिसाब से इम्प्रूव भी कर सकते हैं। cnbc में भी उनको कई बार बुलाया गया, पर उनकी भाषा व उदाहरण नहीं जमे तो उनको बैन कर दिया गया।

आजकल वे केवल बास्केट पर जोर देते हैं, बताते हैं कि कैसे बास्केट बनाई जाये, कैश स्टॉक से ही सालभर में 50% से ज्यादा कमाई कैसे की जाये, इत्यादि इत्यादि। NKStocktalk के नाम से ही सर का यूट्यूब चैनल और टेलीग्राम चैनल है।

कल fno वाली पोस्ट के बाद कई कमेंट व मैसेज आये कि उनको fno सीखना है, मैं बस इतना कहना चाहता हूँ कि रिस्क कैसे मैनेज करना है वो सीखना सबसे जरूरी है, बाजार के धुरंधर आपके पैसे पर निगाहें लगाये बैठे हैं। और वे चाहते हैं कि ज्यादा से ज्यादा रिटेलर बिना सीखे बाजार में आये। वही उनका प्रॉफिट है।जब कोई लॉस लेगा, तभी किसी का प्रॉफिट होगा। मैं सिखाना नहीं जानता, क्योंकि मैंने भी सिस्टेमेटिक ढंग से नहीं, बल्कि over the time सीखा है। इसके लिये बहुत से यूट्यूब चैनल हैं जो निस्वार्थ भाव से सिखा रहे हैं, जब आप खुद थोड़ा बहुत सीख जायेंगे, तो आपको खुद समझ आ जायेगा कि कौन सिखा रहा है और कौन बेवकूफ बना रहा है।

यह किसी की भी मार्केटिंग नहीं है, आगे भी और इसी तरह की पोस्ट लिखते रहेंगे, बस इतना ही कहना चाहते हैं कि सीखने के लिये कम से कम 2 साल पेपर ट्रेड करिये, उसके बाद पैसों से ट्रेड करिये। बस आपको सीरियसनेस समझ आनी चाहिये।

fno से बर्बादी

हमारे एक बहुत बड़े सीनियर से कल बात हो रही थी, 4 वर्ष पहले वे रिटायर हुए और उनका अच्छा खासा पोर्टफोलियो था, मतलब की शेयर भी एक से एक थे, सब टॉप के शेयर बहुत ही सस्ते भाव के, यह समझ लीजिये कि उनका 80 लाख के लगभग का पोर्टफोलियो था, और उनकी इन्वेस्टमेंट लगभग 15 लाख रही होगी, वे कल बता रहे थे कि रिटायमेंट के बाद खर्च के लिये उसमें से लगभग 20 लाख निकाल लिये।

फिर कोविड के दौरान उन्हें लगा फ़्यूचर एंड ऑप्शन में ज्यादा तेजी से पैसा बनाया जा सकता है, तो उन्होंने fno को बिना सीखे समझे, इसमें काम शुरू कर दिया, जब कुछ लॉस हुआ, तब वे मुझसे कनेक्ट हुए, मैंने उन्हें fno की बहुत सी बारीकियों को समझाया व सलाह दी कि चूँकि आप रिटायर हो चुके हैं और fno में ट्रेडिंग के लिये बहुत अनुभव की आवश्यकता होती है और सिस्टमेटिक काम करना होता है, वरना जैसे पैसा आता है, उससे डबल स्पीड से पैसा वापिस चला जाता है।

जब नया पैसा बाजार में आता है, मतलब नया नवेला ट्रेडर, तो वो दुनिया में सलाह देनेवाले को बेवकूफ समझता है, और वो सोचता है कि उसे ही सब कुछ पता है, उसे समझ तब आता है जब उसका सब कुछ बर्बाद हो गया होता है। यही सर के साथ हुआ, वे बोले अरे विवेक अब तो मैं fno में एक्सपर्ट हूँ, तुम फालतू डराते हो, मैंने उन्हें तब भी बहुत समझाने की कोशिश करी थी, पर ये को नशा है न, जो मजा देता है, वो सोचने समझने की शक्ति खत्म कर देता है। शेयर बाजार में आने के पहले हमेशा अपना मनोविज्ञान ठीक कर लेना चाहिये। सर को बिना सीखे समझे, दूसरों की टिप पर या अपनी खुद की कोई स्ट्रेटेजी से पैसे बनाने थे, कितने बनाने थे, यह उन्हें क्लियर ही नहीं था।

यह बात तो समझ लीजिये कि शेयर बाजार पैसों का समुद्र है, तो आप समुद्र को लूट नहीं सकते, किनारे लहरों की आवाजें बहुत अच्छी लगती हैं पर जब आप किनारे से लहरों के पास जाते हैं तो लहरें आपको समुद्र में खींचने का प्रयास करती हैं, जो इस स्किल को नहीं जानते वे समुद्र में अपनी जान दे देते हैं। आपको कितना पानी इस समुद्र से निकालना है, यह निश्चय कर लेना चाहिये। आप लोटा भरेंगे तो समुद्र को कोई फर्क नहीं पड़ेगा, पर अगर बाल्टी भरने जायेंगे तो निश्चित ही समुद्र आपकी बाल्टी अपने साथ ले जायेगा, या फिर बाल्टी से पानी निकालने की कला में सिद्धहस्त होना पड़ेगा।

हम लोटा भरने में विश्वास रखते हैं, हर महीने अपनी कैपिटल का 2 से 4% रिस्क मैनेजमेंट के साथ निकालते हैं। जो कि साल का एवरेज लगभग 40% से ऊपर होता है, 40% प्रॉफिट कम नहीं होता, बस संयम रखना पड़ता है।

fno में लॉस ही होता है ऐसा है, यह एक हैज़ इंस्ट्रूमेंट है और इसलिये इसे fno एक साथ कहा जाता है, फ्यूचर और ऑप्शन बहुत कमाल की चीज है, अगर बारीकियों को सीख लिया जाये, वरना तो यह ऐसी तलवार है किधर भी चलाओ, खून आपका ही बहेगा।

सर ने बस ऐसे ही अपना fno का सफर जारी रखा और कई बार या ये कहना बेहतर होगा कि लगभग रोज ही अगले दिन का प्रिडिक्शन पूछते थे, जो उनकी ट्रेड के रिलेटेड होते थे, मैंने उनको उनकी गलतियों के बारे में समझाने की कोशिश करी, और कहा कि मैं आपकी ट्रेड नहीं सुधार सकता क्योंकि मेरा ट्रेड लेने का माइंडसेट अलग है, आपका अलग, पर वही नशा उनको समझने ही नहीं देता था, लॉस से प्रॉफिट में ट्रेड जाने की संभावना हमेशा तलाशते थे। फिर कुछ दिनों बाद उन्होंने मेरे ग्रुप के कुछ और मित्रों को भी कॉल करना शुरू किया और ट्रेड पर बात करते थे, पर सबने यही समझाया कि ऐसे fno में काम नहीं किया जाता। पर उनको न समझना था, और न वे समझे।

कल जब मैंने उनका मैसेज व्हाट्सऐप पर देखा तो शाम को फोन किया और मैं यह जानकर शॉक्ड था कि उनका बचा हुआ सारा पैसा लगभग 60 लाख वे fno में गंवा चुके हैं। जबकि मैंने उन्हें कई बार कहा था कि सबसे पहले आप ये काम बंद करो, साइक्लोजी ठीक करिये, वे नहीं माने। अब उनके पास कैपिटल नहीं बचा और अपने रिटायरमेंट फंड, जो कि अलग से रखा है, उससे कुछ करना चाहते हैं, हमने कहा कि उस फ़ंड को हाथ ही न लगाना, नहीं तो आप सड़क पर आ जाओगे।

ये सब बताने का केवल यही मकसद है कि आप पहले सीखें, बाजार कहीं नहीं जा रहा, पर अगर नहीं सीखेंगे तो बर्बाद हो जायेंगे।

How to spot a bull trap?

How to spot a bull trap. A bull trap is a false signal of a market reversal. Learn how to avoid falling for this trap and protect your investments.

A bull trap is a situation where traders are misled into buying an asset that is breaking out above a resistance level, only to see the price reverse and fall below the resistance level again. This can result in losses for the buyers who entered the market too early or did not exit in time. To spot a bull trap, you can use some of the following methods:

  • Look for signs of weakening momentum in the bullish trend, such as shorter candlesticks, lower volume, or lower highs.
  • Use technical indicators such as the relative strength index (RSI) or the moving average convergence divergence (MACD) to identify overbought conditions or divergence between the price and the indicator.
  • Wait for confirmation of the breakout, such as a close above the resistance level on a higher time frame, or a retest of the resistance level as support.
  • Use stop-loss orders to protect your position in case of a reversal, and consider using trailing stops to lock in profits as the price moves in your favor.

Bull traps can be tricky to avoid, but by using these methods, you can increase your chances of identifying them and trading them successfully.

भारत में नोट छापने की प्रक्रिया

भारत सरकार जब नये नोट छापती है तो इसकी क्या प्रक्रिया होती है, इस बारे में ज्यादा जानकारी पब्लिक डोमेन में नहीं है, तो सोचा इस पर जानकारी दी जाये।

ज्यादा नए नोट छापने से भारत की अर्थव्यवस्था हिल सकती है, क्योंकि इससे मुद्रास्फीति (इन्फ्लेशन) बढ़ सकती है, जिससे चीजों के दाम बढ़ जाते हैं और लोगों की खरीदारी शक्ति कम हो जाती है। इससे आर्थिक विकास धीमा हो सकता है और देश की मुद्रा का मूल्य भी गिर सकता है।

Rs 200 Currency Printing

इसलिए, भारत की अर्थव्यवस्था को संतुलित करने के लिए, नए नोट छापने की प्रक्रिया को बहुत ही सावधानीपूर्वक और विज्ञानी तरीके से किया जाता है। नए नोट छापने का निर्णय रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया (आरबीआई) द्वारा किया जाता है, जो सरकार की सलाह भी लेता है। आरबीआई नए नोट छापने के लिए देश की आर्थिक नीतियों और लक्ष्यों के अनुसार काम करता है, जैसे कि मुद्रास्फीति को नियंत्रित करना, विदेशी मुद्रा आरक्षण को बढ़ाना, बैंकों को पर्याप्त नकदी उपलब्ध कराना और नोटों की सुरक्षा और गुणवत्ता को बनाए रखना।

आरबीआई नए नोट छापने के लिए देश की जीडीपी (ग्रोस डोमेस्टिक प्रोडक्ट), राजकोषीय घाटा (फिस्कल डेफिसिट), विकास दर (ग्रोथ रेट) और बाजार की मांग (मार्केट डिमांड) को भी ध्यान में रखता है। आरबीआई नए नोट छापने के लिए अपनी आर्थिक विश्लेषण और आंकड़ों के आधार पर एक वार्षिक योजना बनाता है, जिसे नोट छापने की आवश्यकता (इंडेंट) कहते हैं। इस योजना को सरकार के साथ समन्वय करके निर्धारित किया जाता है।

  • – नये नोट छापने के लिए जरूरी प्रिंटिंग पेपर का उत्पादन दो मिलों में होता है- होशंगाबाद (मध्यप्रदेश) और मैसूर (कर्नाटक) में। इन मिलों से प्रिंटिंग पेपर पाने के लिए 6 महीने का अतिरिक्त समय चाहिये।
  • – नये नोट छापने के लिए जरूरी स्याही के लिए 1 साल पहले आर्डर देना होता है। स्याही का उत्पादन देवलाली (महाराष्ट्र) और सालबोनी (पश्चिम बंगाल) में होता है।
  • – नये नोट छापने की पूरी प्रक्रिया के लिए 3 साल तक की एडवांस प्लानिंग की जरूरत होती है।
  • – नये नोट छापने का काम चार प्रिंटिंग प्रेसों में होता है- नाशिक (महाराष्ट्र), देवास (मध्यप्रदेश), मैसूर (कर्नाटक) और सलबोनी (पश्चिम बंगाल) में। इन प्रेसों में से दो आरबीआई के अधीन हैं और दो भारतीय सिक्का और नोट मुद्रण निगम (बीएनपीएम) के अधीन हैं।
  • – नये नोट छापने के बाद, वे आरबीआई के भंडारों में भेजे जाते हैं, जहां से वे विभिन्न बैंकों को वितरित किए जाते हैं।

यह एक बहुत ही जटिल और सुरक्षित प्रक्रिया है, जिसमें कई चरण और अधिकारियों का सहयोग होता है।

भारत में नोट की सुरक्षा प्रक्रिया बहुत ही जटिल और सटीक होती है। इस प्रक्रिया में नोटों के कागज, स्याही, डिजाइन, प्रिंटिंग और वितरण के लिए कई चरण और उपकरणों का इस्तेमाल होता है। नोटों की सुरक्षा प्रक्रिया कुछ प्रकार होती है –

  • – नोटों के कागज का निर्माण रजिस्ट्री कागज़ से होता है, जिसे अंग्रेज़ी में “Rag Paper” कहा जाता है। यह कागज़ एक खास प्रक्रिया के माध्यम से बनाया जाता है ताकि यह नकल करना मुश्किल हो।
  • – नोटों में सुरक्षा थ्रेड्स और वॉटरमार्क का इस्तेमाल होता है जो नकल करने से रोकते हैं। वॉटरमार्क नोट के कागज के अंदर विशेष प्रकार की नमी को दर्शाता है जो नकल करने से नहीं दिखती है।
  • – नोटों में विभिन्न सिक्योरिटी फीचर्स भी होते हैं, जैसे कि होलोग्राम, मैग्नेटिक इंक, और माइक्रोप्रिंटिंग, जो नकल करने को रोकते हैं।
  • – नोट के कागज को केमिकल ट्रीटमेंट के माध्यम से भी विशेष बनाया जाता है ताकि यह नकल करने से बचा जा सके।
  • – नोटों का डिजाइन भारतीय सिक्का और नोट मुद्रण निगम (बीएनपीएम) द्वारा किया जाता है, जो एक सरकारी संस्था है। नोटों का डिजाइन राष्ट्रीय गौरव, सांस्कृतिक विरासत, विकास और प्रौद्योगिकी को दर्शाता है।

उम्मीद है आपको जानकारी पसंद आई होगी।

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