आम पुराण, आम इतना स्वादिष्ट क्यों होता है?

धरती पर आम कैसे आया, क्यों आम फलों का राजा है, आम इतना स्वादिष्ट क्यों होता है?, इसके लिये यह आम पुराण हमारे मित्र देवेन्द्र कौशिक जी की अतिथि पोस्ट है।

💐💐ॐ हरि तत्सत 💐💐

द्वापरयुग और त्रेता युग के बाद धरती पर शुरू हुआ क्रेता युग…क्रेता युग में मनुष्य रस और स्वाद के लिए इतना ज्यादा ईर्ष्यालु हो गया कि स्वर्गलोक की सुख समृद्धि और ऐश्वर्य देख कर भी मनुष्य के मन में ईर्ष्या उठने लगी।
स्वर्गलोक के विरुद्ध मनुष्यों ने जगह जगह धरना प्रदर्शन शुरु कर दिया… देवताओं से ईर्ष्या के कारण धरती पर मनुष्यों द्वारा देवस्थानों के रास्ते रोकना, व्रत उपवास ना करना आदि का प्रचलन हो गया… यहाँ तक की पंडितों ने भी विधिवत पूजा के स्थान पर बिना धूप दीप की सांकेतिक पूजा करनी शुरू कर दी….

नारद जी ने धरती की ये सब बातें स्वर्ग और देवलोक में जा कर देवताओं को बताई…
नारद जी ने सभी देवताओं को समझाया की अगर धरती पर मनुष्य आप की पूजा पाठ ही नही करेंगे तो आप का देव स्थान तो स्वत छीन जाएगा।
यह सब सुन कर स्वर्ग के सभी देव,नाग,गंधर्व,और किन्नर भयभीत हो गए और भगवान ब्रह्मा के पास पहुँचे।
भगवान ब्रह्मा ने कहा कि बात तो सही है…पर मैं तो इस को ज्यादा महसूस नहीं कर पा रहा हूँ क्योंकि मेरे तो पृथ्वी पर सिर्फ इक्के-दुक्के मंदिर है आप शिव जी के पास जाइये..
देवता अपनी समस्या को लेकर भगवान शिव के पास पहुँचे, भगवान शिव ने पूरी वार्ता सुन कर कहा कि… यह महसूस तो मुझे भी हो रहा है क्योंकि आज कल शिवलिंग पर भी दुध और फूल कम चढ़ाए जा रहें है लेकिन इस विषय पर मैं कुछ नहीं कर सकता आप भगवान विष्णु के पास जाइये…
सभी देवता भगवान श्रीविष्णु के पास पहुँचे और अपना आने का कारण बताया। भगवान विष्णु पूरी बात सुनकर बोले कि हे देवताओं आप सभी स्वर्ग और देव लोक में अपने अपने स्थान पर पहुँचो,  मैं पृथ्वी पर पहुँच कर मनुष्यों से वार्तालाप कर इस समस्या का समाधान निकालता हूँ।
भगवान श्रीविष्णु ने साधु का वेश धारण किया और पृथ्वी पर पहुँचे। उन्होंने पृथ्वी पर सभी ईर्ष्यालु मनुष्यों के प्रतिनिधियों को एक जगह एकत्रित किया और कहा कि मैं देवलोक से आया हूँ, आप इन दिनों पूजा पाठ नहीं कर रहे हो इसका क्या कारण है? और आप सभी के इस आचरण के कारण सभी देवता बहुत नाराज है।
मनुष्यों ने कहा कि सभी देवताओं की हम पूजा करते हैं, आराधना करते हैं, मान सम्मान देते हैं ताकि हमारा जीवन धन्य हो.. लेकिन हमारा पूरा जीवन तो यूँ ही संघर्ष में कट जाता है और देवता वहाँ स्वर्ग में आनंद, मंगल, उत्साह,उमंग और उत्सवों में डूबे रहते हैं… यह तो बहुत बड़ा अन्याय है।
मनुष्यों ने कहा कि महात्मा सुविधाओं की इतनी असमानता तो नहीं होनी चाहिये, स्वर्ग में तरह तरह के मधुर रस और भोजन खाने को मिलते हैं और यहाँ धरती पर तो सदियों से एक ही तरह का खाना मिलता है।
तब साधु ने कहा की हमने आप को पशुधन दिया है दूध के लिये… यह तो स्वर्ग में भी लोगो के पास नही है। यह सुन मनुष्य बोले कि प्रभु यह तो हमें बहुत पहले से मिला हुआ है। दूध से तो हम नाना प्रकार के भोजन और मिठाइयाँ खा कर ऊब चुके हैं।
तब साधुरूपी भगवान विष्णु ने कहा कि आप को तो हमने चने और तरह तरह की दालें भी दी हैं… इस पर मनुष्यों ने कहा कि चने का बेसन बना कर हम सैकड़ो तरह के भोजन बना कर खा कर ऊब चुके हैं और देवों को भी तो हर अन्नकूट में यही सब खिला खिला कर उबा चुके हैं।
यह सब सुन कर भगवान साधु वेश को त्याग कर अपने असली रूप में आये और मुस्कुराते हुए उन्होंने एक फल दिया और कहा कि “हे मनुष्य अब मैं आप को एक आम नाम का फल दे रहा हूँ” इसे आप चख कर इसकी गुठली से नई उत्पत्ति करा कर पूरी पृथ्वी पर इस आम नाम के वृक्ष को विस्तार देना।
श्रीविष्णु बोले कि इस आम फल का स्वाद अद्भुत है, इस फल के रस से ज्यादा स्वादिष्ट  पूरे स्वर्गलोक, देवलोक और पाताललोक में कुछ भी नहीं है। समुन्द्र मंथन में निकले अमृत से भी मधुर है यह आम।
लालची मनुष्यों की आँखों में यह सुन कर चमक आ गई और बोले की “हे प्रभु सिर्फ एक ही तरह के फल से भला कौनसा स्वर्ग सुख हमें मिलेगा इस लिए हमें और भी कई तरह के फल दीजिये जिससे धरती स्वर्ग जैसी लगने लगे”…
यह सुनकर श्री विष्णु मुस्कुराये और बोले की ब्रह्मा जी ने जितने भी तरह के फल बनाये थे वो सब मैं आप को पहले ही दे चुका हूँ लेकिन तुम्हारी खानपान की लालसा देख मैं यह वरदान देता हूँ कि इस आम फल का जहाँ जहाँ विस्तार होगा वहाँ वहाँ नए रंग रूप और खुशबू के आम बनते जायेंगे और सदियों तक धरती पर ही मनुष्यों को देवलोक के स्वाद का आनंद मिलता रहेगा।
इतना कह कर भगवान विष्णु अंतर्ध्यान हो गए और तब से लेकर आज तक आम का फल धरती पर मनुष्य को स्वर्ग का अहसास कराता है।
यही आम फल कहीं केसर, कहीं लंगड़ा, कहीं, राजापुरी, कहीं दशहरी, कहीं हापुस और कहीं चौसा इत्यादि नामों से प्रसिद्धि प्राप्त करता रहता है।
कहते हैं ना कि हरि अनंत हरि कथा अनंता… इसी तरह मनुष्य जाति को भगवान श्रीविष्णु के द्वारा दिये गये इस आम के रंग रूप और खुशबू की कहानी भी अनंत है।
आम के इस पावन मौसम में आप सभी को खूब खूब शुभकामनाएँ 💐💐💐

 

अतिथि पोस्ट – देवेन्द्र कौशिक जी https://twitter.com/devtimes

देवेन्द्र जी आर्सेलर मित्तल स्टील कंपनी में काम करते हैं, पेशे से इंजीनियर हैं और आम के प्रेमी हैं।

8 thoughts on “आम पुराण, आम इतना स्वादिष्ट क्यों होता है?

  1. बहुत अच्छा लिखा है ऐसी जानकारी हमें मालूम नहीं थी देव बाबू और विवेक आप दोनों बहुत बहुत धन्यावाद

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