सिंहपुरी के पास मित्र से वार्तालाप

दृश्य – हम घर से महाकाल अपनी बाईक पर जा रहे थे, गोपाल मंदिर से निकलते ही सिंहपुरी के पास हमारे एक पुराने मित्र मिल गये जो हमारे साथ एम.ए. संस्कृत में पढ़ते थे, अब पंडे हैं ।

मित्र – और देवता क्या हाल चाल हैं ?

हम – ठीक हैं, आप बताओ कैसे क्या चल रिया है ?

मित्र – बस भिया महाकाल की छाँव में गुजार रिये हैं.

हम – अरे भिया असली जीवन के आनंद तो नी आप लूट रिये हो, अपन तो बस झक मार रिये हैं, इधर उधर दौड़ के, रोटी के चक्कर में निकले थे.. और चक्कर बढ़ता ही जा रिया है।

मित्र – अरे देवता असली मजे तो जिंदगी के आप ले रिये हो, कने कहां कहां घूम रिये हो, बड़ी सिटी में रह रिये हो, और अपने को तो ऐसे दृश्य स्वप्न में भी नी दिखाई दे, ऐसे दृश्यों में रह रिये हो

हम – अरे नहीं भई ! बस देखने में लगता है, कम से कम आप महाकाल की छाँव में तो मजे से रह रिये हो, और महाकाल रोजी रोटी का इंतजाम भी कर ही रिये हैं, आपके लिये, अपना क्या है, यहाँ आके तो बेरोजगार ही हैं, आपके जैसे कोई अपण मंत्र थोड़े ही फ़ूँक सकें हैं।

मित्र – हा हा, अरे देवता सबको दूसरे की थाली में ही घी ज्यादा लगे है, आओ कभी घर पर आओ, इतमिनान से बातें होंगी, अब नये घर में शिफ़्ट हो गये हैं, वहीं पुराने घर के पास है, और पुराना घर ठीक करवा दिया है तो अब यजमान वहीं रुकते हैं, तो यजमानों को परेशानी भी नी होती।

हम – सही है, आपका कार्यक्रम

मित्र – किधर जा रिये हो ?

हम – महाकाल जा रिये हैं, सोचे जितने दिन हैं बाबा के दर्शन रोज कर लें, मन को तृप्त कर लें

मित्र – चलो मैं भी उधर ही जा रिया हँ, वो पंडित गुरू से मिलवा दूँगा तो दर्शन में कोई समस्या नहीं होगी, रोज वीआईपी जैसे आओ और वीआईपी जैसे ही निकल जाओ

हम – मित्र हम वीआईपी नहीं हैं, भगवान के सामने तो सब एक जैसे हैं, ये ऊआईपी और वीआईपी तो अपण लोग माने हैं, जब भगवान के घर जाने का नंबर आये नी तो ये ही वीआईपी लोग लाईन तोड़कर पीछे भागेंगे कि अभी इतनी जल्दी भगवान के घर नी जाना

मित्र – देवता तुम सुधरोगे नी.. देख लो भीड़ ज्यादा है

हम – जय महाकाल !! जैसी बाबा की इच्छा.. फ़िर मुलाकात होगी

और हम बाईक चालू करके फ़िर निकल लिये ।

———————————————————————————

सिंहपुरी – उज्जैन में एक स्थान जहाँ अधिकतर कट्टर ब्राह्मण रहते हैं और धर्म की रक्षा के लिये तन मन धन से समर्पित हैं ।

देवता – संबोधन है, सम्मान के लिये

4 thoughts on “सिंहपुरी के पास मित्र से वार्तालाप

  1. महाकाल और उज्जयनी
    मन को छूता हुआ लिखा है आपने
    बधाई

    आपके विचार की प्रतीक्षा में
    आग्रह है मेरे ब्लॉग में भी सम्मलित हों
    jyoti-khare.blogspot.in
    कहाँ खड़ा है आज का मजदूर——?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *