मुंबई में बगीचा, ज्यूस..

    मुंबई में आये हुए आज लगभग २२ दिन पूरे हो गये, अभी तक इधर से उधर भागाभागी, आपाधापी मची हुई थी, मुंबई को समझने में ही इतना समय निकल गया । नई जगह नये लोग नया प्रोजेक्ट बहुत कुछ समझने के लिये होता है । वैसे मुंबई अपने लिये नई नहीं है, परंतु अब जिधर रहते हैं वह उपनगर नया है, आसपास के बगीचों का भी पता नहीं था।

    अब धीरे धीरे सब पता चल रहा है। अब जिस नई जगह आये हैं, वहीं सामने ही २ बगीचे हैं, एक तो बिल्कुल हाईवे पर ही है, जिसे पिछले दिनों हुए आतंकवादी हमले में शहीद पुलिस वाले के नाम पर बनाया गया है, या यूँ भी कह सकते हैं कि खाली पड़ी जगह का अच्छा सदुपयोग कर लिया गया है, बगीचे का एक चक्कर लगभग ४०० मीटर का होता है।

    कुछ दिनों से जाना शुरू किया है, अब बगीचे के भी अभ्यस्त होते जा रहे हैं, रोज ही घूमने वालों के चेहरे अब जाने पहचाने से लगते हैं, यहाँ तक कि कुछ लोग जो बस स्टॉप पर खड़े होते हैं, उनके चेहरे भी रोज ही देखने को मिलते हैं, मुंबई की यही खासियत है, सब मिनिट मिनिट के हिसाब से होता है, एक एक मिनिट कीमती है। यहाँ पर सबका अपना समय है और उनके समय के हिसाब से अपनी घड़ी मिलाई जा सकती है।

    बगीचा बढ़िया है, बैंचें भी लगी हुई हैं, घूमने के लिये फ़ुटपाथ बनाया गया है, और एक ही दिशा में चलने की इजाजत है, अगर विपरीत दिशा में घूमने लगे तो सुरक्षाकर्मी तत्काल उठकर अनुशासित कर देते हैं। बगीचे के बाहर ही एक ज्यूस वाली आंटी बैठती हैं, जिनके पास तरह तरह के डिब्बे में ज्यूस होते हैं।

    हमने पूछ ही लिया कि ये कौन से ज्यूस हैं, और इनकी क्या कीमत है, हमें बताया कि नीम, करेला, आँवला, लौकी, मौसम्बी, आम नाम तो और भी बताये थे हम भूल गये, पहले कड़वे वाले ज्यूस मिलाकर देती हैं फ़िर थोड़े से मीठे वाले ज्यूस और फ़िर १-२ चम्मच अंकुरित चना और मूँग, और कीमत मात्र १५ रूपये। सब घर का ही बना होता है, इसलिये ठीक ही लगता है।

    सेहत के लिये घूमना जरूरी है, और सुबह शाम ज्यूस पर जिंदा रहें तो शायद वजन अच्छा खासा कम हो सकता है।

3 thoughts on “मुंबई में बगीचा, ज्यूस..

  1. भोपाल में यही जूस मात्र ५/- में मिलता है गायत्री मंदिर में और अंकुरित भी

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