राष्ट्रीयकृत बैंकों का हाल

हर बैंक में अधिकतर एक ही सूचना चस्पा होती है प्रिंटर खराब है, पासबुक में एन्ट्री अनिश्चितकाल के लिये बंद है, या अभी बंद है, डिमांड ड्राफ्ट हो, नकदी जमा या नकदी आहरण सभी में लेटलतीफी है, उनके सूचना बोर्ड पर लिखा होता है जो समय कि किस सुविधा के लिये कितना समय बैंक ने ही सुनिश्चित करा है, परंतु वह तो कुछ मायने ही नहीं रखता, इसलिये बैंकों में कुछ ऐसी व्यवस्था होनी चाहिये कि ग्राहक को सुविधा मिले न कि परेशानी हो और अगर कार्य की समय सीमा सुनिश्चित की गई है तो उसका बैंक प्रबंधन को कड़ाई से पालन करवाया जाना चाहिये, नहीं तो ग्राहक से सेवाशुल्क नहीं लिया जाना चाहिये, ये सब केवल राष्ट्रीयकृत बैंकों में ही होता है, प्रायवेट बैंकों में नहीं वो तो ग्राहक को उसी समय में सेवा दे रहे हैं, अर्थात इसका मतलब यह है कि सरकारी तंत्र का असर यहाँ भी है, भगवान जाने ये सब कब ठीक होगा, पर बुरा है राष्ट्रीयकृत बैंकों का हाल …

One thought on “राष्ट्रीयकृत बैंकों का हाल

  1. Dear sir,
    It is nice to know that you are also keeping a close watch on outsid while your are working behind.

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