शहीद चंद्रशेखर आजाद से मेरा तीन वर्षीय नाता

    आज शहीद चंद्रशेखर आजाद का जन्मदिन है, यह शहीद मेरे लिये बहुत ही स्तुत्य और महत्वपूर्ण है, क्योंकि मैंने इनकी जन्मभूमि भाबरा के जिला झाबुआ में महाविद्यालयीन शिक्षा ग्रहण की है, जिसका नाम शहीद चंद्रशेखर आजाद महाविद्यालय है। महाविद्यालय के मुख्य द्वार से प्रविष्ट करते ही, बायें हाथ पर शहीद चंद्रशेखर आजाद की संगमरमर से बनी मूर्ती है जिसमें आजाद अपने प्रसिद्ध पोज में हैं, अपने हाथ मूँछ पर फ़ेरते हुए, मूर्ती देखते ही बनती है, बलिष्ठ हाथ, तेजमय चेहरा।

    रोज सुबह महाविद्यालय जाते समय आजाद को देखकर मन में नया जोश भर आना आज भी वहाँ के विद्यार्थियों के लिये कोई नई बात नहीं है।

    आज आजाद का जन्मदिन है, परंतु हमें भान ही नहीं था जब फ़ेसबुक पर देखा तो आजाद और तिलक को याद करने वालों की लाईन लगी देखी, तो सोचा कि हम भी अपने ब्लॉग पर इस याद को उतार देते हैं।

    आज झाबुआ के लिये विशेष दिन भी है, आज भाबरा जो कि शहीद चंद्रशेखर आजाद की जन्मस्थली है, वहाँ से “भीली” रेडियो शुरु किया जा रहा है जो कि भीली लोग ही संचालित करेंगे। यह रेडियोनामा ब्लॉग से पता चली।

    भील जाति के लोग आज भी बहुत बहादुर और बलशाली होते हैं, ये बहुत ही सीधे सादे लोग होते हैं, परंतु आज कल की दुनिया की चालाकी का सामना करने के लिये यह भी बहुत चालाक हो चले हैं। ये लोग आज भी टायर सोल की चप्पलें पहनते हैं, शायद कई लोग तो इसके बारे में जानते भी न हों। टायर सोल मतलब कि बड़े वाहनों के टायर काटकाटकर चप्पलें बनायी जाती हैं और उसमें रबड़ की ही बद्दी लगा दी जाती है, आज से १० वर्ष पूर्व यह चप्पल लगभग २-३ रूपयों की मिलती थी, जबकि स्लीपर चप्पल उस समय लगभग २०-२५ रूपयों की मिलती थी।

आजाद के लिये सच्ची श्रद्धांजली होगी भीलों को हर क्षैत्र में प्रोत्साहन देना।

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