१५ अगस्त के संदर्भ में – वन्दे मातरम और स्वतंत्रता दिवस के सही मायने क्या हम नई पीढ़ी तक पहुँचा पा रहे हैं ? [On the occasion of 15th August….]

    आज स्वतंत्रता दिवस है, भारत को आजाद हुए आज ६३ वर्ष हो चुके हैं, पर महत्वपूर्ण और ज्वलंत प्रश्न यह है कि क्या हम वन्दे मातरम और स्वतंत्रता दिवस के सही मायने नई पीढ़ी तक पहुँचा पा रहे हैं ?

    जब बच्चे स्कूल में १५ अगस्त को स्कूल में भारत का तिरंगा नहीं फ़हरायेंगे और साथ में देशभक्ति से ओतप्रोत गीत और माहौल नहीं मिलेगा तो कैसे उम्मीद करेंगे कि ये भारत की नई पीढ़ी तक देशभक्ति का संदेश पहुँच रहा है। जब तक स्कूल की रैली में झंडे पकड़कर “वन्दे मातरम” “भारत माता की जय” नहीं बोलेंगे, तब तक कैसे ये हमारी नई पीढ़ी स्वतंत्रता और वन्दे मातरम  के सही मायने कैसे सीख पायेगी।

    मुझे याद है कि मैंने जब से होश सम्हाला है तब से कॉलेज से बाहर निकलने के बाद भी जब भी मौका मिलता तो हमेशा परेड ग्राऊँड पर जाकर स्वतंत्रता दिवस के मौके पर राष्ट्र के सम्मान में समारोह में शरीक होता रहा हूँ।

    क्या उम्मीद रखें हम अपनी नई पौध से, किस देशभक्ति की उम्मीद रखें हम इस नई पीढ़ी से, जबकि आज के स्वतंत्रता के मायने नई पीढ़ी के लिये “इंडिपेन्डेन्स डे” की ५० % से ७०‍ % तक की सेल होती है। सारे अखबारों में पन्ने “इंडिपेन्डेन्स डे सेल” से अटे पड़े हैं, परंतु कहीं भी यह नहीं मिलेगा कि हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने कैसे ये स्वतंत्रता पाई और कैसे वे लोग ये स्वतंत्र आकाश में रह पा रहे हैं।

    जिस तेजी से हमारी नई पौध वापिस से पाश्चात्य संस्कृति की ओर अग्रसर है तो उनसे देशभक्ति की उम्मीद लगाना गलत है। जिस तेजी से पाश्चात्य देशों से आ रही वस्तुएँ हमारी दैनिक उपभोग में आती जा रही हैं और हम हमारी दैनिक उपभोग की वस्तुओं को भूलते जा रहे हैं। जो बच्चे बचपन से जैसा परिवार में देखते आते हैं, उनके संस्कार भी वैसे ही होते हैं।

    आईये हम अपनी नई पीढ़ी को देशभक्ति के सही मायने समझायें और आजादी की कीमत बतायें, नहीं तो वो दिन दूर नहीं जब हमारी नई पौध की ऊँगली हमारे ऊपर होगी। उन्हें पता होना चाहिये कि शहीद चंद्रशेखर आजाद ने खुद को गोली क्यों मारी थी, क्या जज्बा था उनका खुद को गोली मारने की पीछे…., उन्हें पता होना चाहिये कि महात्मा गांधी और सरदार पटेल का क्या योगदान था, नई पौध को आजादी के लिये योगदान देने वालों के बारे में पता होना चाहिये ।

जय हिंद !!!

ये गीत सुनिये मेरा पसंदीदा – “दिल दिल हिन्दोस्तां” फ़िल्म “यादों के मौसम”

21 thoughts on “१५ अगस्त के संदर्भ में – वन्दे मातरम और स्वतंत्रता दिवस के सही मायने क्या हम नई पीढ़ी तक पहुँचा पा रहे हैं ? [On the occasion of 15th August….]

  1. विचारणीय लेख -हमें स्वाधीनता के व्यापक अर्थों को लेना होगा -इस अवसर पर आपको भी बहुत बढ़ायी और शुभकामनाएँ !

  2. स्वतंत्रता दिवस के मौके पर आप एवं आपके परिवार का हार्दिक अभिनन्दन एवं शुभकामनाएँ.

    सादर

    समीर लाल

  3. बच्चों को आज़ादी कैसे हासिल हुई …आजकल सुनाता ही कौन है ..
    कितना जोश भर जाता है उनमे …देखे तो कभी भगत सिंह , आज़ाद की कथा सुना कर ..!

  4. अब घर की मुर्गी दाल बराबर हो गई है आज़ादी. …ये तो भला हो पाकिस्तान का कि गाहे-बगाहे हमें आज़ादी के मायने याद दिलाता रहता है..

  5. vivek ji aap shi hen logon ko yeh bhi ptaa nhin he ke svtntrtaa divs pr raashtrgaan jngn mn raashtrgit vnde maatrm or dhvj git sbse pyaara tirnga haaraa yeh git gaayn chvj git kisne likhe tirnge ki mhimaa kyaa he yeh sb siyaast ki bhent cjdh gye tirngaaa kongres ne apni bpoyi smjhi to vnde maatrm bhaajpaa ne desh men vemnsytaa felaa kr raajnitik saazish men istemal men liyaa. akhtar khan akela kota rajsthan

  6. अरे विवेक भैया अब क्या कहें हम…मेरे रूम के बगल में कुछ नए लड़के आये हैं रहने को…सुबह से अंग्रेजी गाना जोर जोर से बाजा रहे हैं…इसका क्या करें??

    आप ज़रा पूछ के देखिये नयी पीढ़ी के सो काल्ड मोडर्न लड़कों से सरदार वल्लभ भाई पटेल, बिस्मिल, बाल गंगाधर तिलक के बारे में, कितने लोग बता पायेंगे इससे ही आप समझ जाएँ..

    खैर,

    फ़िलहाल आपको भी जश्ने आजादी मुबारक 🙂

  7. जब बच्चे स्कूल में १५ अगस्त को स्कूल में भारत का तिरंगा नहीं फ़हरायेंगे और साथ में देशभक्ति से ओतप्रोत गीत और माहौल नहीं मिलेगा तो कैसे उम्मीद करेंगे कि ये भारत की नई पीढ़ी तक देशभक्ति का संदेश पहुँच रहा है।
    ..स्कूलों में तो आज भी 15 अगस्त जोर-शोर से मनाया जाता है. कहाँ नहीं मनाया जाता ?

  8. विवेक जी , नयी पीढ़ी के साथ साथ पुरानी पीढ़ी को भी याद रखने की ज़रुरत है , अपने पूर्वजों का बलिदान । जिसे हम भूले जा रहे हैं ।
    स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनायें ।

  9. आपने बहुत सटीक प्रश्न उठाया ही …

    आज कल बहुत से ऐसे पब्लिक स्कूल हैं जहाँ यह दिवस एक दिन पहले मना कर १५ अगस्त को छुट्टी कर दी जाती है …और बहुत से तो मनाते ही नहीं….

    मुझे तो अपना बचपन याद आ गया जब इस दिन प्रभात फेरी लगाते थे ….और सारे देश भक्ति के गीत गाते थे ….जब बच्चों की यह फेरी सड़क से गुज़रती थी तब सब लोग घरों से निकल कर तालियाँ बजा कर उतसाह भी बढाते थे .. ..

    स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं

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