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क्या नारी ही गृहिणी हो सकती है पुरुष हाऊस हसबैंड नहीं… क्या पुरुष को नारी का स्थान ले लेना चाहिये..

क्या नारी ही गृहिणी हो सकती है, जब आज नारी समान अधिकार की बातें करती है तो फ़िर तो उसका उलट याने कि पुरुष को हाऊस हसबैंड भी मान सकती हैं। पर क्या ये नारी इसे पचा पायेंगी कि पुरुष क्या घर में बैठकर घर चलाता हुआ अच्छा लगेगा, घर संभालेगा, ये नारियां ही उसका और उसके परिवार का जीना दूभर कर देंगी।
केवल स्वांग है ये कि नारियों को समान अधिकार है, हाँ मैं मानता हूँ कि नारी को सम्मान देना चाहिये पर क्या नारी इसके उलट सोच का जबाब दे सकती है !!! कि आर्थिक रुप से घर नारी चलाये और सामाजिक रुप से घर पुरुष ।
जितनी भी नारियां अपने पैरों पर खड़ी हैं वे क्या ये बर्दाश्त कर सकती हैं कि उनके पति घर बैठें और उनकी कमाई खायें, क्या ये केवल दिखावा नहीं है, नारी मुक्ति का झंडा गाड़ने का।
सभी ब्लॉगर्स से निवेदन है कि अपने विचार जरुर बतायें कि clip_image001

सूर्यपुत्र महारथी दानवीर कर्ण की अद्भुत जीवन गाथा “मृत्युंजय” शिवाजी सावन्त का कालजयी उपन्यास से कुछ अंश – ३२ [कर्ण का अन्तर्द्वन्द….]

clip_image001 विचारों के घोड़े मेरे मन के रथ को खींचने लगे। मनुष्य भी इस राजहंस की तरह ही नहीं होता है क्या ? उसको जिसकी आवश्यकता होती है, उसको ही ग्रहण करता है और शेष छोड़ देता है। मैंने भी ऐसा ही नहीं किया था क्या ? युवराज दुर्योधन और अश्वत्थामा इन दो को छोड़कर उस विशाल राजनगरी के अन्य किस व्यक्ति को मैं अपने निकट लाया था ? औरों के प्रति मेरे मन में अपनत्व क्यों नहीं था ? इसका उत्तर कैसे दिया जा सकता था ! वह राजहंस क्या कभी यह बता सकेगा कि उसने पानी छोड़कर ठीक दूध ही कैसे चुन लिया ? लेकिन इसमें मेरा भी क्या दोष है ! युवराज दुर्योधन ने स्नेह से मेरी पूछ-ताछ की इसलिए मैं भी उससे प्रेम करता हूँ ? मनुष्य का प्रेम धरती की तरह होता है। पहले एक दाना बोना पड़ता है। तभी धरती अनेक दानों से भरी हुई बालियाँ देती है। मनुष्य भी ऐसा ही होता है। प्रेम का एक शब्द मिलने पर वह उसके लिये मुक्त मन से प्रेम की शब्दगंगा बहाने को तैयार रहता है। इसीलिए दुर्योधन के प्रति मेरे मन में प्रेम था। अश्वत्थामा तो बड़ा भोला-भाला और निश्छल था। उसमें और शोण में मुझको कभी कोई अन्तर ही नहीं प्रतीत हुआ। अन्य किसी से मेरा परिचय ही नहीं था। सबसे परिचय करना सम्भव भी नहीं था, क्योंकि उतना समय मेरे पास कहाँ !

वह भीम तो हमेशा अपनी शक्ति के घमण्ड में चूर हुआ उस अखाड़े की मिट्टी में ही लोट मारता रहता था। जब वह अखाड़े के बाहर होता, तब कुछ न कुछ खाता ही रहता। उसके स्वर कितने भोंडे थे। उसके आँखें बड़ी-बड़ी टपकोड़े-सी थीं और जब वह सोता था तब आँधी की तरह खर्राटे भरता था। वह युवराज युधिष्ठिर तो घण्टों तक अश्वत्थामा से युद्ध, नीति, कर्तव्य आदि गूढ़ विषयों पर बातें करता रहता। नकुल और सहदेव केबारे में तो मुझको यह भी मालूम नहीं था कि ये कैसे हैं तथा क्या करते हैं ? युवराज दुर्योधन और दु:शासन को छोड़कर और सब व्यक्ति तो मुझको व्यर्थ ही फ़ैली हुई अमरबेल-जैसे लगते थे। क्या करना था उनसे परिचय करके! मनुष्य को उस राजहंस की तरह होना चाहिए। जो अपने मन को अच्छा लगे, वही लेना चाहिये, शेष छोड़ देना चाहिए। मुझको अबतक ऐसा ही लगता आया था।

मैं और अश्वत्थामा दोनों राजभवन से लौटे। आते समय अश्वत्थामा को कोई बात याद आ गयी। वह बीच में ही बोला, “कर्ण, मैंने मामा से तुम्हारे बारे में कुछ नहीं कहा।“

“उन्होंने तुमसे राजकुमारों की तैयारी पूछी थी। युद्धशाला के सभी शिष्यों की नहीं।“

“लेकिन फ़िर भी तुम्हारे बारे में मैं बहुत कुछ कह सकता था।“

“क्या-क्या कहते तुम मेरे बारे में ? इन कुण्डलों और कवच के बारे में ही न ? इनके विषय में अब नगर के सभी लोग जान गये हैं।“

“नहीं। मैंने कहा होता कि अर्जुन धनुष में, दुर्योधन गदा में, भीम मल्लविद्या में, नकुल खड़्ग में, दु:शासन मुष्टियुद्ध में, सहदेव चक्र में, युधिष्टिर युद्धनीति में और…और कर्ण इन सबके सब प्रकारों मे अत्यन्त प्रवीण हो गया है।“

वह मेरी स्तुति कर रहा था या सत्य कह रहा था – वह जानना कठिन था। क्योंकि प्रेम मनुष्य को अन्धा कर देता है। मैं उसका मित्र था। उसका मित्र – प्रेम क्या उसको अन्धा नहीं कर सकता था ? इसलिए मैंने कुछ भी न कहा।

सूर्यपुत्र महारथी दानवीर कर्ण की अद्भुत जीवन गाथा “मृत्युंजय” शिवाजी सावन्त का कालजयी उपन्यास से कुछ अंश – ३१ [अश्वत्थामा के साथ मेरी मामा शकुनि से मुलाकात और राजहंस का किस्सा….]

आज से मैं वापस मृत्युंजय की कड़ियों की
शुरुआत कर रहा हूँ, कोशिश करुँगा कि अब अंतराल न हो।

एक बार अश्वत्थामा के साथ मैं यों ही राजभवन पर गया। राजभवन के सामने सरोवर के किनारे, दुर्योधन के मामा शकुनि बैठे हुए थे, उनके हाथ में एक श्वेत-शुभ्र राजहंस था। उस श्वेत पक्षी के प्रति मेरे मन में बड़ा आकर्षण था। पानी में अपने पैरों की डाँड़ चलाता हुआ गरदन को कितने शानदार झटके देता हुआ घूमता रहता है वह ! मानो जल-साम्राज्य का वह अकेला ही सम्राट हो। हम दोनों शकुनि मामा के पास गये। वे लगभग महाराज धृतराष्ट्र जैसे ही दिखाई पड़ते थे। लेकिन उनको एक आदत थी। बातें करते समय वे सदैब भौंहों को हिलाते रहते थे। उनसे बात करने वाले का ध्यान बार-बार उनकी छोटी-छोटी आँखों के ऊपर स्थित मोटी भौंहों की ओर जाता। हाथ में पकड़े राजहंस को सहलाते हुए उन्होंने अश्वत्थामा से पूछा, “क्यों अश्वत्थामा, सभी राजकुमार, युद्धशास्त्र में कहाँ तक बढ़े ?”


“अर्जुन धनुष में, दुर्योधन गदा में, भीम मल्लविद्या में, नकुल खड्ग में, दु:शासन मुष्टियुद्ध में, सहदेव चक्र में और युधिष्ठिर युद्धनीति में अत्यन्त निपुण हो गये हैं।” अश्वत्थामा ने उत्तर दिया।

“तब तो फ़िर जल्दी ही एक बार सबकी परीक्षा लेनी चाहिये।”

“जी हाँ, यही विचार पिताजी भी कर रहे हैं।” अश्वत्थामा ने कहा। इतने में ही एक सेवक पाषाण के पात्र में दूध ले आया। उसने वह पात्र तालाब के किनारे रख दिया। शकुनि मामा ने अश्वत्थामा के हाथ में देकर झुकते हुए सरोवर में से अंजलि भरकर पानी लिया और उस पाषाण-पात्र में डाल दिया।

“मामाजी, यह क्या दूध की बचत की जा रही है ?” अश्वत्थामा ने पूछा।

“नहीं। यह राजहंस है। इस पात्र में चाहे जितना पानी डाल दो परन्तु फ़िर भी यह पानी नहीं पियेगा।” उत्तरीय से हाथ पोंछते हुए शकुनि मामा ने भौंहे ऊँची करते हुए कहा।

“सो कैसे ?”

“अब साक्षात देख ही लो।” यह कहकर मामा ने राजहंस को धीरे से अश्वत्थामा के हाथ से लिया और उस पत्थर के पास बैठा दिया। तुरन्त ही उस पक्षी ने अपनी शानदार गरदन उस पत्थर के पात्र में डाल दी। चुर-चुर आवाज करता हुआ वह दूध पीने लगा। थोड़ी देर बाद उसने गरदन बाहर निकाली। उसने गरदन को एक बार झटका दिया। उसकी चोंच में अटके हुए दूध के चार कण निकल गये। हम सबने उत्सुक होकर झाँककर उस पत्थर के पात्र में देखा। उसमें अंजलि-भर पानी ज्यों का त्यों बचा रहा था। केवल शुद्ध पानी। शकुनि मामा ने उसको फ़िर तालाब में डाल दिया। और भौहों को हिलाया।

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बचत खाते से ज्यादा ब्याज कैसे प्राप्त करें, स्वीप इन जमा खाता एक बेहद उम्दा रास्ता…

बचत खाता तो सबके पास होते हैं और सभी लोग उसका उपयोग करते हैं। परंतु बचत खाते में कितनी रकम रखना चहिये और कितनी उसमें से निकालनी चाहिये इस पर कभी भी सोच नहीं पाते हैं।

पर अगर आपको ऐसी सुविधा वाला बचत खाता दे दिया जाये कि आप जो भी रकम सावधि जमा खाते में है, वह आप अपने बचत खाते के माध्यम से निकाल सकते हैं तो…. आपको ज्यादा रकम अपने बचत खाते में रखना भी नही पड़ेगी और ब्याज का नुकसान भी नहीं होगा। अगर बचत खाते में रकम रखते हैं तो ३.५% ब्याज मिलता है, वो भी उस न्यूनतम शेष राशि पर जो कि महीने की ११ से ३० तारीख के मध्य आपके बचत खाते में होगी।

इस तरह की सुविधा क्या सभी बैंकों में उपलब्ध है, जी हाँ ……

पूरा पढ़ने के लिये यहाँ चटका लगाईये।

कमजोर ह्रदय वाले न देखें अगले साल (२०१०) की छुट्टियों का कैलेन्डर देखकर सदमा लग सकता है…..

    आज सुबह हम अगले साल की छुट्टियों का जायजा ले रहे थे, वह भी राज्यवार क्योंकि हमें हर राज्य की छुट्टियों पर और बैंकों के अवकाश और हड़ताल की तारीखों का ध्यान रखना होता है, तो हमने पाया कि अगले साल २०१० में तकरीबन ७-८ छुट्टियाँ ऐसी हैं जो सप्ताहांत पर आ रही हैं, तो इतनी छुट्टियाँ तो कम हो गईं साल २०१० में, और हमें भी बहुत सदमा लगा क्योंकि हमारा ह्रदय भी बहुत कमजोर है।

   पर हाँ कुछ छुट्टियाँ ऐसी भी हैं जो लंबा सप्ताहांत देंगी जैसे कि होली, दीपावली पर केवल कुछ से हमें कहाँ संतोष होने वाला है। 🙂

    अब बात करें २००९ की तो यह साल छुट्टिधारियों के लिये बहुत अच्छा रहा है, क्योंकि लगभग हर त्यौहार या तो सोमवार या शुक्रवार को पड़ा था तो एक लंबा सप्ताहांत मिल गया था, जैसे कि अब आने वाली २५ दिसंबर की छुट्टियों को ही ले लीजिये । केवल तीन छुट्टियाँ लीजिये और २५ दिसंबर से ३ जनवरी तक मौज करिये – २५ दिसंबर क्रिसमस, २६,२७ दिसंबर सप्ताहांत, २८ दिसंबर मौहर्रम, २९,३०,३१ की छुट्टी लेना पड़ेगी, १ जनवरी नववर्ष, २,३ जनवरी फ़िर सप्ताहांत, तो पूरे दस दिन के मजे। ले लीजिये इस साल मजे अगले साल तो कोई छुट्टी नहीं है इस तरह की –

   एक नजर २०१० के कुछ मुख्य अवकाशों की ओर जो सप्ताहांत पर पड़ रहे हैं –

त्यौहार दिनांक दिन
मिलाद उन नबी २७ फ़रवरी २०१० शनिवार
मई दिवस १ मई २०१० शनिवार
स्वतंत्रता दिवस १५ अगस्त २०१० रविवार
गणेश चतुर्थी ११ सितंबर २०१० शनिवार
गांधी जयंती २ अक्टूबर २०१० शनिवार
दशहरा १७ अक्टूबर २०१० रविवार
गुरुनानक जयंती २१ नवंबर २०१० रविवार
क्रिसमस २५ दिसंबर २०१० शनिवार

अमेरिका में गंगा माता को बीमारी कहा गया फ़ॉक्स न्यूज चैनल द्वारा…. हिन्दू समुदाय का कड़ा विरोध..

कल फ़ॉक्स न्यूज चैनल पर उनके वरिष्ठ एंकर ग्लेन बेक द्वारा गंगा माता का अपमान किया गया। कहा गया कि गंगा जो कि भारत की सबसे लंबी नदी है वह एक बीमारी की तरह है। कम से कम मीडिया को किसी भी तरह की टिप्पणी करने से पहले यह तय कर लेना चाहिये कि इससे किसी की भावनाओं को ठेस नहीं पहुंचे।

हमारे हिन्दूवादी संगठनों ने प्रतिक्रिया दिखाई और इसका विरोध किया पर फ़ॉक्स न्यूज के ग्लेन बेक माफ़ी मांगने को तैयार नहीं हैं, क्यों, क्योंकि उनकी विचारधारा में भारत एक पिछड़ा देश है और पिछड़े देश को अमेरिका जैसे अगड़े देश कुछ भी बोल सकते हैं, उसका ताजा उदाहरण है – कोपेहगन जलवायु परिवर्तन सम्मेलन।

बाबा रामदेव ने तो यहाँ तक कहा कि फ़ॉक्स न्यूज को जब पता नहीं है कि गंगा को हिन्दू समाज माता का दर्जा देता है तो क्यों कुछ भी ऐसा बोला गया। ग्लेन बेक खुद यहाँ कुंभ के दौरान आयें और यहाँ आकर देखें कि हम भारतीय और विश्व के हिन्दुओं के श्रद्धा का केन्द्र है गंगा नदी। और उसमें स्नान कर उन्होंने जो अभद्र टिप्पणी की है गंगा माता पर, और जो पाप किया है, उस पाप को धोना चाहिये।

वाकई गंभीर मुद्दा है ये अमीर देश हमें अभी भी पिछड़ा ही समझता है और हम भी उससे दबकर रहते हैं, क्यों नहीं दबंगता दिखाते, भारत उनके लिये बड़ा बाजार है और नुकसान तो उन्हें भी होगा, हमें ये दिखाना पड़ेगा।

मोबाईल लेना है पर बहुत भ्रम है कि कौन सा लेना चाहिये… आपकी प्रतिक्रियाओं का इंतजार है…..।

१ जनवरी से मोबाईल के क्षैत्र में क्रान्ति आने वाली है, क्योंकि १ जनवरी से नंबर पोर्टेबिलिटी शुरु होने जा रही है।

अभी हमारे पास टाटा इंडिकोम का मोबाईल और नंबर है पर अब हम एमटीएनएल की सर्विसेस लेना चाहते हैं, क्योंकि उनकी बात करने की दरें अभी सबसे कम है और इंटरनेट उपयोग करने के लिये भी।

अब सीडीएमए से जीएसएम में हमारा नंबर तो बदल जायेगा परंतु मोबाईल तो हमें नया खरीदना ही होगा, क्योकि अभी जो मोबाईल हमारे पास है वह केवल सीडीएमए टेक्नोलॉजी का है और जीएसएम का समर्थन नही करता है।

बजट – कम से कम, क्योंकि अपनी ही जेब हल्की होने वाली है  🙂

अब नया मोबाईल खरीदना है तो सोचा कि इसमे क्या क्या सुविधाएँ होनी चाहिये –

१. मोबाईल जीएसएम होना चाहिये
२. बैटरी बैक अप अच्छा होना चाहिये
३. इंटरनेट एकसेस कर सकते हों
४. ईमेल क्लाईंट संस्थापित कर सकते हों
५. कैमरा कम से कम २ मेगा पिक्सल होना चाहिये
६. लेपटॉप् से कनेक्ट करके इंटरनेट एक्सेस कर सकते हों
७. एफ़.एम. रेडियो
८. गाने सुन सकते हों
९. वोईस रिकोर्डर भी हो

१०. हिन्दी सपोर्ट कर सकता हो, अगर ब्लॉग उस पर लिख सकते हों तो सोने पे सुहागा, फ़िर तो मोबाईल से ही ब्लॉग ठेल दिया करेंगे 🙂

अगर ये चीजें हों तो अतिउत्तम –
१. ३जी तकनीक
२. वाई फ़ाई तकनीक
३. फ़ुल कीबोर्ड

अगर आप ऐसा कोई मोबाईल उपयोग करते हों या ऐसे मोबाईल के बारे में जानते हों तो कृप्या मार्गदर्शन करें। आपकी प्रतिक्रियाओं का इंतजार है।

कुछ अच्छे वाक्य (Nice Sentences..) एक बुद्धिमान आदमी कहता है कि आप तब बहुत खूबसूरत लगती हैं जब आपके होंठ बंद रहते हैं।…

3 आसान तरीके मरने के लिए:
रोज एक सिगार लो – तुम 10 साल पहले मर जाओगे
रोज रम पियो – तुम 30 साल पहले मर जाओगे.
किसी से सच्चा प्यार करो  – तुम रोज हरपल मरोगे

1. एक बेवकूफ़ आदमी एक औरत को बोलने से रोकने के लिये सीधे मना करता है परंतु एक बुद्धिमान आदमी कहता है कि आप तब बहुत खूबसूरत लगती हैं जब आपके होंठ बंद रहते हैं।

2. शराब को कम करने का अच्छा तरीका –

शादी के पहले – जब भी तुम दुखी हो तो पी लो।

शादी के बाद – जब भी तुम खुश हो तो पी लो।

3. तीन सबसे तेज संचार के साधन:
1. टेली फोन
2. टेली विजन
3. औरत को  कहो
और  तेज – उसे कह दो कि किसी को बताने  की जरूरत नहीं, किसी को बताना मत..

4 .. प्यार अपने दोस्तों से करो  उनकी बहनों से नहीं,  प्यार अपनी बहन से करो उसकी सहेलियों से नहीं।

6 .. हमें इतना उदार होना चाहिये : चार चींटी एक जंगल में जा रही हैं
तभी  उन्हें  एक हाथी अपनी ओर आ रहा दिखाई देता है –
पहली चींटी कहते हैं: हमें उसे मार देना चाहिए।
दूसरी चींटी कहते हैं: नहीं, हमें केवल उसका एक पैर तोड़ देना चाहिए।
तीसरी चींटी कहते हैं: नहीं, हमें बस उसे हमारे रास्ते से दूर फेंक देना चाहिए ।
चौथी चींटी कहते हैं: नहीं, हमें उसे छोड़ देना चाहिए,  क्योंकि वह अकेला है और हम चार हैं।

7.. अगर तुम्हारी कोई गर्लफ़्रेन्ड नहीं है – तो तुम्हारे जीवन में कुछ ऐसा है जो छूट रहा है ।

अगर तुम्हारी गर्लफ़्रेन्ड है – तो तुम अपने जीवन में सब कुछ छोड़ रहे हो

8 .. प्रश्न: आप कब किसी को गलती करने पर बधाई देते हैं ?
जवाब: उसकी शादी पर !!

9.. जब आपका जीवन अंधकारमय हो गया हो, भगवान से प्रार्थना करो कि कि तुम्हें इस अंधकार से मुक्ति मिल जाये, प्रार्थना करने के बाद भी अगर तुम अंधकार में ही हो – “तो कृप्या बिजली बिल का भुगतान करें”।

10. सरकार एक आदमी को दो महिलाओं के साथ शादी करने की अनुमति क्यों नहीं देती ?
क्योंकि संविधान के अनुसार, किसी एक गलती के लिये  दो बार एक ही गलती के लिये सजा नहीं मिल सकती ।

विज्ञापन देखिये पैसे कमाईये…

हमने भी बहुत दिनों से नेट से कमाई के सपने देख रखे थे पर अब जाकर यह सच हो गया, अब कुछ ही दिनों बाद ज्यादा नहीं पर हाँ कुछ पैसे तो आयेंगे। कम से कम अपने ब्रॉडबेन्ड का खर्चा तो निकलेगा मतलब लगभग ६०० रुपये महीना वह भी रोज केवल ५ मिनिट नेट पर विज्ञापन देखने पर, आईये देखिये और नेट से कुछ कमाकर देखिये कि कैसा लगता है।

बिल्कुल एक अलग तरह का अनुभव होगा।

सोच क्या रहे हैं चटका लगाईये और हमारे रेफ़रल में आ जाईये।