Monthly Archives: March 2010

पैंटिंग्स अमिताभ बच्चन की और अमिताभ बच्चन की टिप्पणियाँ

ये फ़ोटो नहीं हैं, ये पैंटिंग्स की फ़ोटो हैं । पैंटिंग्स वर्ल्ड आर्ट वर्क्स इंडिया के डॉ.  अनिल  कुमार ने बनाये हैं।

“These above are NOT pictures, they are pictures of paintings. Paintings done by Dr T Anil Kumar of World Art Works India Pvt Ltd, who has visited me this morning with this incredible piece of artwork. Quite quite overwhelming !! 68 characters over a period of 41 years and their distinct looks being put up asa a school classroom concept or on mugs. Absolutely amazing !! They shall be autographed by me and auctioned and the funds collected will be given in charity to the Siddhivinayak Temple at Prabha Devi in Mumbai.”  – Amitabh Bachchan


फ़ोटो देखने के लिये क्लिक करके देखिए ।

मैं सभी सेवाओं से तत्काल प्रभाव से “त्याग पत्र” दे चुका हूँ…

मैं तत्काल प्रभाव से मेरे सारे कार्यों से त्यागपत्र दे रहा हूँ —

मेरे इस्तीफे के लिए कारण है कि मैं आज सुबह मेरे गैरेज में काम पर जाने से पहले मुझे कुछ मिला.
 

अपने आप देख लीजिये ……
   

मेरा नया हिन्दी ब्लॉग “भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित”

आज मैंने नया ब्लॉग बनाया है कृष्ण हिन्दी । जो कि भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित है।

आज की पहली पोस्ट देखिये –

“पूतना वध” भागवतम – दशम स्कन्ध, भाग छ: 

बहुत सारा लिखना है, पर अभी समय नहीं मिल पा रहा है…

बहुत सारा लिखना है, बहुत कुछ चल रहा है जो आप सबको बताना है बाँटना है, पर समय की कमी के कारण कुछ भी लिख नहीं पा रहा हूँ। जल्दी ही अब लिखूँगा, थोड़ा सा ओर इंतजार करना पड़ेगा।

निवेश पर अधिकतम रिटर्न की गारंटी, पर फ़िर भी अच्छे रिटर्न नहीं दे पातीं बीमा कंपनियाँ क्यों…? (Return guaranteed highest NAV, but why Insurance Companies not gives best returns.. )

सबसे पहले आपसे सवाल ?

    जब आप ऐसे किसी विज्ञापन को देखते हैं जो कि यूनिट लिंक्ड बीमा योजना निवेश पर अधिकतम रिटर्न की गारंटी देता है, अधिकतम शुद्ध परिसंपत्ति मूल्य (NAV) पर ? और हम में से अधिकतर यही सोचते हैं कि अधिक से अधिक रिटर्न अपने निवेश पर हमें मिलेगा वो भी बिना जोखिम के।
    पर जैसा कि आप सब जानते हैं कि कुछ भी फ़्री में नहीं मिलता है, किसी भी वित्तीय उत्पाद को देख लो जो कि अधिकतम रिटर्न की गारंटी देते हैं तो पता चलेगा कि लंबी अवधि में ६% से १५% तक का ही रिटर्न मिल रहा है। और अगर लगभग ३% और घटा लिया जाये जो कि ये बीमा कंपनियाँ शुल्क के नाम पर ले लेती हैं तो ये गारंटेड रिटर्न एकदम कम दिखने लगता है।
अवधारणा – 
    मूलत: यह मूलधन के ऊपर गारंटी देने वले उत्पाद यह निश्वित करते हैं कि निवेश की गई रकम का अवमूल्यन न हो और शेयर की ऊँची कीमत का रिटर्न मिलेगा।  यह सोचना गलत है कि बिना जोखिम के सेन्सेक्स आधारित रिटर्न मिलने वाले हैं।
चलिये देखते हैं कि ये फ़ंड कैसे कार्य करते हैं –

    इसमें से अधिकतर जिस निवेश रणनीति का उपयोग करते हैं जिसे डायनामिक हेजिंग या स्थिर अनुपात पोर्टफ़ोलियो बीमा कहते हैं। इसके अंतर्गत फ़ंड प्रबंधक निरंतर निवेश को डेब्ट और इक्विटी निवेश वर्गों के बीच में आवंटित करते रहते हैं जिससे पहले की अधिकतम एनएवी के प्रति निश्चिंतता रहे।
    पहले ही वर्ष में आपके निवेश को डेब्ट और इक्विटी के मध्य इस तरह से आवंटित कर दिया जाता है जिससे कम से कम गारंटेड एनएवी जो कि १० रुपये होती है वह १० वर्षों के बाद मिल सके। अगले वर्षों में अगर शेयर बाजार गिरने लगता है तो आपके निवेशित रकम का भाग डेब्ट में निवेशित कर दिया जाता है, जिससे निवेशित रकम उतनी ही बनी रहे और जब शेयर बाजार वापस से अच्छी स्थिती की ओर आने लगते हैं तो आप हमेशा देखते होंगे कि एनएवी बढ़ने लगती है। तो अगर मान लिया जाये कि एक साल बाद एनएवी १७ रुपये है पर शेयर बाजार १५% नीचे आ चुका है । तो फ़ंड प्रबंधक अधिकतम रिटर्ने की सुरक्षा के लिये इक्विटी बेचकर बांड्स (डेब्ट) खरीद लेगा।
    अगर बाजार में कोई उतार-चढ़ाव ही नहीं है, तो इस तरह के उत्पादों में कुछ खास बदलाव नहीं होते हैं, क्योंकि एनएवी बहुत ही कम ऊपर या नीचे होती है। जब भी बाजार गिरते हैं तो आपका निवेशित रकम का हिस्सा डेब्ट में बड़ता जाता है और जब बाजार में वापिस उछाल आता है तो वापिस से इक्विटी में वह निवेश नहीं हो पाता है । ध्यान रखें कि पोर्टफ़ोलियों के डेब्ट के हिस्से में बांड में निवेशित होता है, जो कि निवेश के अधिकतम रिटर्न को निश्चित करता है। तो लंबी अवधि में आपके पोर्टफ़ोलियो में इक्विटी का हिस्सा बहुत कम और डेब्ट फ़ंड में ज्यादा होता जाता है।
अधिक लागत – 
    इन उत्पादों के गारंटेड रिटर्न ही इन्हें बाचाज में सबसे ज्यादा महँगा कर देता है।  एक बात और गारंटी रिटर्न के लिये कुछ शुल्क भी लगा दिये गये हैं जो कि अभी अभी प्रत्यारोपित किये गये हैं।
    आपको हर वर्ष गारंटी का शुल्क देना होगा, जो कि फ़ंड प्रबंधन फ़ीस से अलग होता है। आईसीआईसीआई पहले सात वर्षों के अधिकतम एनएवी की निवेश पर रिटर्न की गारंटी देता है और १.३५% फ़ंड प्रबंधन शुल्क के ऊपर ०.१०% शुल्क लेता है। क्या हुआ ? अरे आपके रिटर्न में से ३% कम हो गया – १५% रिटर्न का मतलब हुआ कि १२%, नहीं।
    यह योजनाएँ एक तरह से निवेश उत्पाद ही हैं केवल बीमा योजनाओं का तो छद्म भेष धरा हुआ है। प्रीमियम की अधिकतम पाँच गुना बीमित राशि होगी ( ५० हजार रुपये के प्रीमियम पर अधिकतम बीमित राशी होगी २.५० लाख रुपये) और इस तरह की अधिकतर योजनाएँ मात्र १० वर्ष तक की अवधि की ही रहती हैं। सेवानिवृत्ति तक बीमा आम आदमी के लिये बहुत ही महत्वपूर्ण है (शाहरुख खान और सचिन तेंदुलकर से भी ज्यादा, जिन्हें बीमा की ज्यादा सख्त जरुरत है)। तो १० वर्ष की अवधि के लिये केवल २.५० लाख की बीमित राशि के साथ मात्र एक निवेश उत्पाद है जो कि बीमा योजना के नाम पर बेचा जाता है।
    और इससे भी बदतर, गारंटी केवल परिपक्वता अवधि पर ही उपलब्ध है, जो कि १० वर्ष होती है। अगर बीमित की मृत्यु बीमा अवधि के दौरान हो जाती है, तो आपके नॉमिनी को प्रचलित मूल्य से फ़ंड राशि का भुगतान कर दिया जायेगा, अधिकतम एनएवी की गारंटी केवल तभी है जबकि बीमित व्यक्ति सम्पूर्ण बीमा अवधि तक जीवित रहे।
क्या इसे खरीदना चाहिये ?
    गारंटी वाले निवेश उत्पाद केवल उन निवेशकों के लिये होते हैं जो कि अपने मूलधन को जोखिम में नहीं डालना चाहते हैं, लेकिन इक्विटी में निवेश से डरते हैं और उससे ज्यदा रिटर्न की उम्मीद करते हैं। अगर आप सेन्सेक्स आधारित रिटर्न चाहते हैं वो भी बिना जोखिम के तो होश में आईये ऐसा कोई भी उत्पाद बाजार में उपलब्ध नहीं है।
    अगर आप इक्विटी में निवेश करने का जोखिम ले सकते हैं तो और १० साल तक निवेशित रख सकते हैं तो इंडेक्स फ़ंड्स में निवेश कीजिये जो कि सेन्सेक्स और निफ़्टी के अच्छे प्रदर्शन पर अच्छा लाभ देंगे।

ऐगॉन रेलीगेयर का आईटर्म प्लॉन देखिये – (AEGON Religare iTerm Plan) –

    समय बहुत तेजी से भाग रहा है। बहुत सारी चीजें करने के लिये हैं पर समय बहुत कम है। आप कुछ भी करो जिससे बस यह सुनिश्चित हो जाये कि आपके परिवार को हमेशा सारी सुख सुविधाएँ उपलब्ध हों। पर फ़िर भी कुछ चीजों के ऊपर किसी का भी बस नहीं है। तो आप बताईये क्या जिस सुख सुविधाओं में आपने अपने परिवार को रखा है, आपकी अनुपस्थिती में भी वे इस सबके हकदार है या नहीं ? यहाँ बात केवल आपकी आपके परिवार के फ़िक्र की है, जो कि आपके परिवार को एक बेहतरीन जीवन देने के लिये निश्चिंतता दे।

    ऐगॉन रेलीगेयर का आईटर्म प्लॉन देखिये – (AEGON Religare iTerm Plan) –

    यह सावधि बीमा योजना आपको आपके परिवार के लिये भविष्य की निश्चिंतता देता है वह भी बहुत ही कम प्रीमियम में। यह बीमा सीधे बीमाधारक को उपलब्ध है ऑनलाईन, इसके लिये आपको किसी बीमा एजेन्ट को बुलाने की जरुरत नहीं है। यह योजना लेना केवल आसान ही नहीं है बल्कि आप अपने संगणक पर ही सारी प्रक्रियाएँ आसानी से पूरी कर सकते हैं।

ऐगॉन रेलीगेयर का आईटर्म प्लॉन के लिये कैसे आवेदन करें – (How to Apply AEGON Religare iTerm Plan) –

१. बीमा की रकम चुनिये, जिस रकम से आप अपने को बीमित करना चाहते हैं।
२. कितनी अवधि के लिये यह योजना लेना चाहते हैं।
३. सीधा संपर्क करें –
अ. अंतर्जाल से, buyonline.aegonreligare.com
ब. ग्राहक सेवा केन्द्र को फ़ोन कर सकते हैं 1800 209 9090
सुविधाएँ –

मृत्यु – दुर्भाग्यवश मृत्यु होने पर, बीमित राशि नामित व्यक्ति को भुगतान कर दिया जायेगा।

कर लाभ –  आयकर की  धारा ८० सी, १० (१०डी) के अंतर्गत, पहले आप अपने कर सलाहकार से जरुर सलाह ले लें।

पात्रता –
बीमित राशि
(
१००० रुपये के गुणज में)
कम से कम – १०,००,००० रुपये
अधिकतम – कोई सीमा नहीं (जोखिम अंकन जरुरतों के अधीन)
प्रवेश उम्र
कम से कम – १८ वर्ष*
अधिकतम – ६० वर्ष
परिपक्वता उम्र
अधिकतम – ६५ वर्ष
योजना अवधि
कम से कम – ५ वर्ष
अधिकतम – २५ वर्ष
प्रीमियम अदा करने की अवधि
योजना अवधि के बराबर
प्रीमियम अदा करने की आवृत्ति
वार्षिक
* अगर योजना अवधि १० वर्ष से कम है तो, कम से कम प्रवेश की उम्र ३० वर्ष होनी चाहिये।

अन्य विशेषताएँ –

पैसा वापसी – अगर, आप आईटर्म योजना से संतुष्ट नहीं हैं तो आप अपने बीमा को बीमा के कागज प्राप्त होने के १५ दिन के अंदर रद्द कर सकते हैं। रद्दीकरण की स्थिती में आपको आपकी प्रीमियम की राशि वापिस मिल जायेगी, परंतु उसमें स्टाम्प ड्यूटी की कीमत, चिकित्सा जाँच और उक्त अवधि का आनुपातिक प्रीमियम काट लिया जाता है।

नियम एवं शर्तें –

मोहलत – आप अपनी प्रीमियम देय तिथी से ३० दिन तक जमा कर सकते हैं। अगर देय तिथी तक प्रीमियम राशि अदा नहीं की जाती है तो बीमित राशि की सुरक्षा अपने आप खत्म हो जाती है।

मृत्यु – मृत्यु लाभ, अगर मोहलत अवधि में बीमित व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो बीमित राशि में से देय प्रीमियम राशि को घटा कर दावा भुगतान कर दिया जायेगा।

चूक और बहाली – अगर ३० दिन की मोहलत अवधि में प्रीमियम राशि जमा नहीं की जाती है तो योजना अपने आप लेप्स हो जायेगी। अगर लगातार दो वर्षों तक प्रीमियम राशि का भुगतान नहीं किया जाता है तो बीमा खत्म कर दिया जाता है। बहाली के लिये, सभी बाकी के प्रीमियम बिना ब्याज के देय होंगी।

परिपक्वता  (Maturity / Surrender) – परिपक्वता अवधि पर पॉलिसी पर कोई भुगतान नहीं दिया जाता है।

सेवा कर – सेवा कर या कोई और कर अगर देय होगा तो जो भी कर होगा वह प्रीमियम पर देना होगा।

छूट – अगर बीमा लेने की अवधि के प्रथम वर्ष में या बीमा बहाली के प्रथम वर्ष में आत्महत्या से मृत्यु होती है तो कोई भी मृत्यु लाभ नहीं दिया जायेगा।

रपट आ चुकी है कुछ चीजें ठीक नहीं है पर अधिकतर चीजें ठीक हैं, मानवीय संवेदनाएँ मर चुकी हैं…. क्या ??

    आप सभी लोगों ने मुझे इतना संबल दिया मैं तो अभिभूत हो गया इतना प्रेम मिला और आप सभी की दुआओं और आशीर्वाद की बदौलत मैं आज बिल्कुल ठीक महसूस कर रहा हूँ। पाबला जी ने तो फ़ोन पर ही मुझे इतना हँसाया कि मैं तो सोचता ही रह गया कि जिनसे आज तक मिला नहीं, उनसे इतना अच्छा रिश्ता, जरुर यह “राज पिछले जनम का” में ही पता चलेगा, कि सभी ब्लॉगर्स से इतना अपनापन क्यों है।
    कुछ चीजें ठीक नहीं हैं पर अधिकतर चीजें ठीक हैं, मतलब कि अब जो थोड़ी सी समस्या बची है वो भी नियमित दिनचर्या के बीच ठीक हो जायेगी। तो अब सुबह नियमित सुबह घूमने जाना और व्यायाम हम अपनी दिनचर्या में शुरु कर रहे हैं, पोस्टों की संख्या अब कम होने लगेगी, कोशिश करेंगे कि नियमित लिखें और टिपियायें भी। समय प्रबंधन कुछ ओर बेहतर तरीके से करना पड़ेगा। जिससे सभी गतिविधियों के लिये समय निकाल पायें और पर्याप्त समय दे पायें।
मानवीय संवेदनाएँ मर चुकी हैं…. क्या ??
    आज थोड़ी देर के लिये कहीं बाहर गया था बहुत ही व्यस्त मार्ग था, और सभी लोग अपने अपने ऑफ़िस जाने की आपाधापी में भागे जा रहे थे। तभी किसी चारपहिया वाहन ने एक पैदल यात्री को टक्कर जोर की मार दी, पर भगवान की दया से तब भी वह पैदल यात्री बच गया परंतु उसके बाद जो हुआ वह बहुत बुरा हुआ।
    चारपहिया वाहन का चालक ने किसी चीज से उस पैदल व्यक्ति के ऊपर आघात कर दिया और उसके सिर से खून बहने लगा। बस फ़िर क्या था जाम हो गया और वाहनों की दोनों ओर से लाईन लग गयी, कुछ पैदल यात्री उसका साथ देकर चालक को जुतियाने लगे। जब तक हम पहुँचे तब तक केवल जाम था, सब घटित हो चुका था और हमें किसी चलते हुए पैदल यात्री ने सड़क पार करते हुए यह कथा सुनाई। क्या हमारी मानवीय संवेदनाएँ वाकई मर चुकी हैं… क्या ??? हो गया है हमें.. कि दूसरे के खून को देखकर हमें कुछ होता ही नहीं है।

तबियत नासाज हो तो कुछ भी अच्छा नहीं लगता, दो दिन की दास्तां बीमारी में हम और डॉक्टर के चक्कर..

    होली के दिन से तबियत नासाज लगनी शुरु हो गई, फ़िर सोचा कि चलो ये मौसम की मार है परंतु फ़िर भी कुछ ठीक नहीं लग रहा था, फ़िर सोचा कि चलो किसी डॉक्टर को दिखा ही लेते हैं, तो पता चला कि थोड़ा सा रक्तचाप बड़ा हुआ है और हमारे मोटापे पर डॉक्टर भी चिल्ला रहा था, और हम सिर झुकाकर चुप्पा लगाकर उनका भाषण सुन रहे थे हम और कुछ कर भी नहीं सकते थे, क्योंकि गलती तो आखिरकार अपनी ही थी, सो बस चुप्पा लगाके सुनते रहे। कि फ़लाना मत खाओ, धुआं मत उड़ाओ पियो मत हम उन्हें बोले कि खाने का तो ठीक है परंतु धुआं और पीने के मामले में आप गलत हैं। बस फ़िर शुरु हो गये कि रोज ४-५ किमी घूमो नहीं तो परेशानी बड़ जायेगी और अगर वजन हाईट के बराबर हो गया तो समझो कि सारी बीमारियां छूमन्तर, अरे भैया हम तो हैरान परेशान हो गये उनकी बातें सुनकर कि इत्ता सारा वजन कम कैसे करेंगे, तभी वे शुरु हो गये डाईट प्लान ठीक करो, मीठा बंद, घी तेल बंद ये बंद वो बंद हमें लगा कि हम क्यों न अपना कान ही बंद कर लें, ये सब भी सुनना रह गया था जीवन में कि कोई तीसरा व्यक्ति हमारी जिंदगी में भगवान के रुप में एन्ट्री ले और बोलेगा कि ये बंद वो बंद हमारी जिंदगी, हमारे खानपान के सारे निर्णय वो ही लेगा।
    पर अपने पीछे परिवार को देखकर चुपचाप डॉक्टर के आदेशों पर “जी जी” कहकर सम्मानपूर्वक अमल करने के लिये सोच रहे थे। डॉक्टर भी अपने ठेठ अंदाज में बात कर रहा था ऐसा लग रहा था कि अपन अपने ही देश के किसी डॉक्टर को दिखाने आ गये हैं। एक और आदेश सुना दिया गया कि कुछ पेथालॉजी टेस्ट और सोनोग्राफ़ी भी करवायी जाये, १२-१४ घंटे की फ़ास्टिंग करने के बाद, क्या जुल्म ढ़ाया इस जान पर कि बस कुछ पूछिये ही मत, ठीक नहीं लग रहा था तो सोचा कि आराम कर लिया जाये वह ज्यादा बेहतर है ऑफ़िस का काम भी जरुरी था पर स्वास्थ्य को देखकर इससे जरुरी और कुछ नहीं लगा।  शाम को चुपचाप जल्दी खाना खाया और तभी हमारे छोटे भाई थोड़ी देर बाद ही होली की मिठाई जो कि उज्जैन से घर से भेजी गई थी, लेकर प्रकट हुए, पर मिठाई देखकर और फ़ास्टिंग भी करनी है, दुहाई देकर चुपचाप दूसरी ओर देखने लग गये कि उधर जैसे अपना दुश्मन बैठा है। मन तो हो रहा था कि गुझिया और मैसूरपाक भर भर कर खा लें पर तमतमाया हुआ मुस्कराता हुआ चेहरा देखकर हिम्मत नहीं पड़ी। (किसका चेहरा बताने की जरुरत नहीं है, सब समझ गये होंगे)
    सुबह उठकर तैयार होकर अपने बेटे को स्कूल की बस में बिठाकर चल दिये पेथालॉजी टेस्ट के लिये, पेथालॉजी क्या थी एक १ बी.एच.के. के फ़्लेट में व्यापार था, ढ़ेर सारे टेस्ट बताये गये थे, जो कि यूरिन और ब्लड के थे। ब्लड इत्ता सारा निकाला कि बस हम तो धक ही रह गये इत्ता ब्लड तो बनाने के लिये पता नहीं कितना समय लगेगा इसी बीच लेब का दरवाजा खुला और सामने एक वृद्ध सज्जन खड़े थे जिन्हें कुछ काम था, शक्ल जानी पहचानी लगी फ़िर दिमाग पर जोर दिया तो याद आया उन सज्जन का नाम सुधीर दलवी है, जो कि टीवी सीरियल और फ़िल्मों में काम कर चुके हैं।
    फ़िर चले सोनोग्राफ़ी के लिये वो दुकान अलग थी, वहाँ देखा कि पहले से ही अच्छी खासी भीड़ जमा थी, और दरवाजे के बाहर ही लिखा था कि जूते चप्पल बाहर न उतारें और अंदर लेकर आयें। पर हमारे यहाँ की भारतीय जनता उसका उल्टा मतलब ही निकालती है, और सारी जनता अपने जूते चप्पल बाहर उतारकर अंदर आ रही थी, हमें थोड़ा पढ़ा लिखा होने का अहसास सा था सो हम चल दिये अपने सैंडल के साथ अंदर, सभी लोग अपनी घोर आश्चर्यमयी नजरों से हमें घूर घूर कर देख रहे थे, जैसे १४११ बाघ होने के जिम्मेदार हम अकेले ही हैं। हमें बोला गया कि इंतजार करिये हमने पूछा कि कितना समय लगेगा हम घर जाकर पानी पी आते हैं, तो उत्तर मिला कि आप इत्ते बजे आ जाइये, और हम उनका एक खाली पर्चा जिसपर उस लेबनुमा दुकान का फ़ोन नंबर लिखा था लेकर अपने घर की ओर चल दिये। सोचते हुए कि यही अगर उज्जैन होता तो कितना समय लगता और मिन्नत अलग करना पड़ती, मुंबई में तो हरेक चीज फ़ोन पर ही मिल जाती है, शायद सबको समय की कीमत पता होगी। सब्जी से लेकर किराना, आईसक्रीम, दूध और भी जाने क्या क्या सब फ़ोन करो ओर हाजिर, उज्जैन में तो ये सब सोचना सपना जैसा ही लगता है।
    जब सोनोग्राफ़ी की दुकान पर वापिस पहुंचे तो देखा कि भीड़ और भी ज्यादा बड़ी हुई थी, हमने पूछा कि हमारा नंबर कितनी देर में आयेगा, उत्तर मिला कि बस आने ही वाला है हम वहीं एक बेंच पर जगह तलाशकर बैठ गये और इंतजार करने लगे अपने नंबर के आने का, इसी बीच जितने मरीज उतने घटनाक्रम देखने को मिल रहे थे, और सोच रहे थे कि सबकी अपनी अपनी राम कहानी है पर दुकान वालों को तो इसकी आदत पड़ गयी है।  कोई चाल का रहने वाला था तो कोई ब्लेकबैरी मोबाईल का उपयोग करनेवाला, शायद भगवान के दर के बाद ये ही एक ऐसा दर है जहाँ अमीरी गरीबी का अंतर नहीं रह जाता है। पर सब जगह ऐसा नहीं है। 
    जब हमारा नंबर आया तो लेडी डॉक्टर जो सुंदर भी थीं, और अधेड़ थीं, और बैकग्राऊँड में पुराने सदाबहार गाने चल रहे थे, “तेरा प्यार है तो फ़िर क्या कमी है….” अब अपना सामान्य ज्ञान गाने में बहुत कमजोर है इसलिये अपने को पता ही नहीं किसने गाया और कब कौन सी फ़िल्म के लिये गाया। और वो डॉक्टर चुपचाप हमारे ऊपर सोनोग्राफ़ी करने लगी और हम सामने वाले मानिटर में होने वाली गतिविधियों को समझने वाली दृष्टि से देखने लगे, समझ में नहीं आया ये अलग बात है, पर हम डॉक्टर के कम्पयूटर ज्ञान को देखकर आनंदित हो गये, उनका कम्पयूटर थोड़ा अलग किस्म का था और वो फ़टाफ़ट हाथ चला रहीं थीं, बिल्कुल माहिर हों जैसे, खैर माहिर तो होंगी ही उनका व्यापार ही वही था। पूरे पेट पर मशीन घुमाघुमाकर देखने के बाद हमें बोला गया कि हो गया शाम को आकर रिपोर्ट ले जाइयेगा। तभी हमने डॉक्टर से पूछ लिया कि “Anything Serious ?” तो वो बोलीं “Its like ok…” तो समझ में आ गया कि पेथालॉजी वाले डॉक्टर से पूछो तो हमेशा ऐसा ही जबाब मिलता है, असल में तो अपना डॉक्टर ही बतायेगा कि क्या समस्या है। बस अब शाम का इंतजार कर रहे हैं, रिपोर्ट के लिये…।

होली के रंगबिरंगे त्यौहार पर परिवार को और अपने आप को दें आर्थिक सुरक्षा [स्वास्थ्य बीमा का महत्व] …[Importance of Mediclaim in your life….]

   आप सोच रहे होंगे कि सुबह सुबह भांग खाकर फ़िर शुरु हो गया, परिवार की आर्थिक सुरक्षा पर हाँ इसे जरा सोचिये, देखिये और फ़िर अमल कीजिये।
   मैंने कोई भांग नहीं चढ़ाई है पर आपकी जिंदगी के रंग में भंग न पड़ जाये इसलिये बिना भांग छाने आज बता रहा हूँ, आप अपनी और परिवार की आर्थिक सुरक्षा कैसे करें।
    बड़ी बड़ी बीमारियों के नाम तो सुने ही होंगे, आप भी बोलेंगे कि त्यौहार के दिन क्या सुबह सुबह बड़ी बड़ी बीमारियों के नाम गिनाने में लगे हैं पर क्या करें जब बात स्वास्थ्य की हो तो कोई समझौता नहीं। मान लीजिये कि छोटा सा ह्रदयाघात हो गया तो क्या होगा, अगर आपके पास स्वास्थ्य बीमा याने कि मेडिक्लेम नहीं है। परिवार में किसी के साथ कुछ हो गया तो ? विपत्ति कभी निमंत्रण देकर नहीं आती है, इसलिये विपत्ति का ध्यान अच्छॆ समय में ही कर लेना चाहिये।
    अब सोचिये एक परिवार जो हँस खेल रहा है और अचानक परिवार के एकमात्र कमाने वाले व्यक्ति को ह्रदयाघात आ गया, अब …. अब क्या होगा…. सोचिये अगर ये परिस्थितियाँ आपके साथ आ गईं तब क्या होगा, पहले तो अपने परिवार की चिंता कि क्या होगा, पता नहीं ठीक होने में कितने दिन लगेंगे, डॉक्टर और अस्पताल का कितना खर्चा होगा, वैसे भी आजकल के अस्पताल बहुत महँगे हो चुके हैं, और हर परिवार अपने सदस्य का अच्छे से अच्छे अस्पताल में और अच्छॆ से अच्छा इलाज करवाना चाहता है, जिससे परिवार में वापिस खुशियाँ लौट आयें। हाँ तो सोच लिया होगा अब तक तो कि कितना प्रभाव होगा आपके परिवार पर, नहीं दिमाग चलना बंद हो गया तो चलिये हम देखते हैं कि क्या हो सकता है…
    आम आदमी के हिसाब से यह विश्लेषण कर रहा हूँ, वैसे भी आजकल बीमारी की कोई उम्र नहीं होती है ।
सेविंग अकाऊँट में हैं ३०-३५ हजार रुपये
फ़िक्स्ड डिपोजिट – ४-५ लाख (भविष्य की बचत)
म्यूचयल फ़ंड – १-२ लाख (भविष्य की बचत)
अब छोटे से ह्रदयाघात पर होने वाला खर्चा देखें जो कि एक ठीक से अस्पताल में है –
५ दिन ICCU में – १ लाख से १.५० लाख
दवाईयाँ  – २०-३० हजार
३०-३५ दिन आराम – सैलेरी का नुक्सान लगभग ५० हजार रुपये
फ़िर डॉक्टर की फ़ीस और दवाईयाँ – २०-३० हजार रुपये 
तो ये हो गया लगभग २.५० लाख रुपये ओह घबरा गये तो ठीक है अगर नहीं घबराये मतलब कि आपके पास स्वास्थ्य बीमा (मेडिक्लेम) है।
    जी हाँ आपकी भविष्य की बचत में से सीधे २.५० लाख रुपये का खर्चा पर अगर आप मेडिक्लेम करवाते तो क्या यह आपकी बचत, बचत नहीं रहती। सोचिये आपके भचिष्य की योजनाओं पर जो आपने इसी बचत के भरोसे सोची थीं। क्या होगा…….?
    पर सोचिये अगर हर साल थोड़े से पैसे खर्च कर मेडिक्लेम करवा लिया होता तो आपके साथ साथ आपकी बचत का भी बीमा हो रहा है। अरे क्या सोच रहे हैं फ़िर वही थोड़े से रुपये के बारे में सोचने लगे।
अच्छा चलो अब मैं आपको बताता हूँ कि मेडिक्लेम परिवार के लिये कैसे मदद करता है –
    पारिवारिक बीमा लें तो हरेक सदस्य ज्यादा बीमित राशि से सुरक्षित होगा और आप चिंता मुक्त, जैसे कि ६ लाख का पारिवारिक बीमा जिसमें ३५ वर्ष का पारिवारिक मुखिया, ३४ वर्ष की पत्नी और एक ५ वर्ष का छोटा बच्चा बीमित हैं, यूनाईटेड इंडिया इंश्योरेन्स कंपनी की मेडिक्लेम में इसका प्रीमियम है प्रतिवर्ष लगभग ९४३१ रुपये और वर्ष भर स्वास्थय पर होने वाले बड़े खर्चों की चिंता से मुक्ति। अगर ६ लाख कम लगता है कि आजकल अस्पताल बहुत महँगे हो गये हैं तो एक बीमा टॉप अप ले सकते हैं, जैसे कि ५.५ लाख का लगभग ४१३१ रुपये का है तो लगभग १३००० रुपये में आपके परिवार को सुरक्षा मिल गई ११.५० लाख के स्वास्थय बीमा की, जो कि परिवार की सुरक्षा तो है ही साथ ही आपकी बचत की भी सुरक्षा है जिसके लिये आपने निवेश किया है।
तो सोच क्या रहे है चिंता करना शुरु कीजिये अपने परिवार की और अपनी भविष्य की बचत की।
शुरुआत कभी भी की जाये हमेशा अच्छी होती है, और शुरुआत कभी देर से नहीं होती है। बस शुरुआत होनी चाहिये।
सोचिये और आज ही अपने बीमा एजेन्ट से कोई अच्छा से स्वास्थ्य बीमा योजना लें, परिवार में खुशियाँ लायें और हमेशा खुशियाँ रहें आपके जीवन में रंगों के त्यौहार होली की शुभकामनाएँ।