Monthly Archives: August 2010

कल १२ अगस्त है, मीटर जाम का

कल १२ अगस्त है, और कल मीटर जाम का दिन है, हम लोग ऑटो टैक्सी का उपयोग नहीं करेंगे, हमने आज भी नहीं किया। आज हमने कल १२ अगस्त के लिये बस से ऑफ़िस आने जाने का ड्राय रन कर लिया। बस से आना जाना सफ़लतापूर्वक रहा।

कल देखते हैं कि कैसा मिजाज रहता है यहाँ की पब्लिक का और ऑटो टैक्सी का !!!

ज्यादा जानकारी के लिये निम्न पोस्टें पढ़ें।

आप लोग १२ अगस्त को क्या करने वाले हो ? ऑटो वाले का सवाल (12th August Meter Jaam)
मुंबई में यात्रियों का बदला १२ अगस्त को ऑटो और टेक्सीवालों से (Revenge of the Commuters)

आप लोग १२ अगस्त को क्या करने वाले हो ? ऑटो वाले का सवाल (12th August Meter Jaam)

    आज सुबह ऑफ़िस के लिये निकले तो कम से कम १५-२० ऑटो वालों को हाथ देकर पूछा होगा, फ़िर एक ऑटो वाला तैयार हुआ। और भी यात्री खड़े हुए थे, और कोस रहे थे इन ऑटो वालों को कि इनको तो ऑटो पर प्लेट लगाकर चलना चाहिये जैसे बस पर लगी होती है, कि इधर ही जायेंगे।

    ऑटो में बैठने के बाद थोड़ी आगे जाने पर अचानक ही ऑटो वाले ने पूछा कि “भैयाजी आप लोग १२ अगस्त को क्या करने वाले हो?”

    हम बोले – “तुम लोग जैसे कहीं जाने को तैयार नहीं होते हो, इसके लिये यात्रियों का विरोध है।”

ऑटोवाला – “फ़िर कैसे जायेंगे”

    हम बोले – “बाईक पूलिंग, कार पूलिंग और बस का उपयोग करेंगे पर ऑटो का उपयोग नहीं करेंगे ।”

    ऑटोवाला – “आप लोगों को ही परेशानी होगी, और अगर हमको सवारी नहीं मिली तो हम भी एक दिन की छुट्टी मना लेंगे, एक तो पहले ही इतनी महँगाई हो गई है, पहले जो तेल १०० रुपये का पड़्ता था अब पूरे २०० रुपये का पड़ता है, गरीब आदमी की तो हर जगह मुसीबत है”

    हम बोले – “आप खुद ही बोलो कि जाने को मना क्यों करते हो, मनपसंद जगह की सवारी को ही क्यों ले जाते हो?, अगर सबको ले जाओ तो ये सब लफ़ड़ा ही नहीं हो !!, बात रही गरीब की तो इसका मतलब यह हुआ कि जब आप लोग ऑटो में ले जाने से मना करते हो तब आप लोग अपनी गरीबी भूल जाते हो, नहीं?”

    ऑटोवाला – “अब हम क्या बतायें, हम तो कभी भी मना नहीं करते हैं। देखते हैं १२ अगस्त को नहीं तो छुट्टी और क्या !!”

चौदहवीं रात है, अब चाँद दिखा दे अपना, हम कई दिन से तेरी छत को तका करते हैं … मेरी पसंद … विवेक रस्तोगी

पिछली पोस्ट पर “यादों के मौसम” का “तुझसे बिछुड़कर जिंदा है, जान बहुत शर्मिंदा है” , “जब हिज्र की शब पानी बरसे, जब आग का दरिया बहने लगे..”  गीत सुनवाये थे  आज सुनिये यह गाना –“चौदहवीं रात है, अब चाँद दिखा दे अपना, हम कई दिन से तेरी छत को तका करते हैं ..”

जब हिज्र की शब पानी बरसे, जब आग का दरिया बहने लगे.. मेरी पसंद… विवेक रस्तोगी

पिछली पोस्ट पर “यादों के मौसम” का “तुझसे बिछुड़कर जिंदा है, जान बहुत शर्मिंदा है” ये गीत सुनवाया था, तब श्री पंकज सुबीर जी ने “जब हिज्र की शब पानी बरसे, जब आग का दरिया बहने लगे..” की फ़रमाईश की तो आज सुनिये यह गाना –

व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा योजना (यूनाईटेड इंडिया इंश्योरेन्स) का विश्लेषण (Personal Accidental policies review of United India)

पिछले लेख व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा, क्या आपके साथ दुर्घटना नहीं हो सकती [Personal Accident Insurance Policy]

के बाद विचार आया कि कुछ व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा योजनाओं का विश्लेषण भी दिया जाये तो पाठकों को व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा योजना के बारे में ज्यादा जानकारी मिलेगी और वे अच्छी योजना का चयन भी कर पायेंगे।

यूनाईटेड इंडिया इंशयोरन्स कंपनी की व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा योजना ( PA Policy)

किसी व्यक्ति को शारीरिक हानि के लिये आकस्मित घातक परिस्थितियों के लिये (दुर्घटना और चोट के कारण) सुरक्षा प्रदान करते हैं।

१२ वर्ष से ७० वर्ष तक की उम्र तक सुरक्षा प्रदान करते हैं, ७० वर्ष की उम्र में स्वास्थ्य परीक्षण होता है, वैसे ८० वर्ष तक भी सुरक्षा प्रदान करते हैं।

बीमा अवधि के दौरान घातक दुर्घटना होने पर इस प्रकार निर्देश हैं –

मृत्यु बीमित राशि का १००%
स्थायी संपूर्ण विकलांगता बीमित राशि का १००%
दो अंगों की हानि / दोनों आँखें या कोई एक अंग और एक आँख बीमित राशि का १००%
किसी एक अंग / एक आँख की हानि बीमित राशि का ५०%
स्थायी आंशिक विकलांगता निर्भर करता है % बीमित राशि और योजना के अनुसार
अस्थायी संपूर्ण विकलांगता १% हर सप्ताह बीमित राशि का, अधिकतम ३००० रुपयों तक, अधिकतम १०० सप्ताह के लिये

अतिरिक्त बीमा शुल्क देकर, बीमित दावा राशि का २५% तक का चिकित्सा व्यय, या १०% बीमित राशि तक योजना में सम्मिलित की जा सकती है।

बीमित व्यक्ति के लिये योजना में अधिकतम दो आश्रित बच्चों के लिये शिक्षा राशि का भी प्रबंध है। दुर्घटना के बाद शव को दुर्घटना के स्थान से लाने के लिये किया गया खर्च भी सम्मिलित होता है (योजना के नियम और शर्तों के अनुसार)

योजना के नवीनीकरण पर ५% बीमित राशि का आकर्षक संचयी लाभ दिया जाता है, बीमित राशि हर वर्ष ५% अधिक हो जाती है हर वर्ष अगर बीमा दावा न किया गया हो, (अधिकतम बीमित राशि के ५०% तक), बिना अतिरिक्त बीमा शुल्क दिये।

योजना में क्या सुरक्षा सम्मिलित नहीं है –

क्षतिपूर्ति राशि विकलांगता के लिये एक ही अवधि में एक ख्ंड से ज्यादा का फ़ायदा नहीं दिया जाता है, जो कि अधिकतम बीमित राशि हो सकती है।

कोई ओर भुगतान, बीमित राशि का ५०%/१००% बीमा दावा करने के बाद ।

कोई ओर दावा, समान अवधि में जो कि बीमित राशि से जयादा होता हो।

आत्महत्या, अपराध में मृत्यु, शराब/ड्रग्स से प्रभावित दुर्घटना मृत्यु / चोट।

गर्भावस्था से संबंधित कोई भी दावा।

युद्ध और परमाणु खतरों से।

बीमा शुल्क राशि

दस लाख रुपये के दुर्घटना बीमा के लिये लगभग १००० रुपये सालाना है।

मुंबई में यात्रियों का बदला १२ अगस्त को ऑटो और टेक्सीवालों से (Revenge of the Commuters)

    क्या आपको कभी किसी ऑटो या टेक्सीवाले ने मना किया है, हमें तो रोज ही ऑटो और टेक्सीवाले मना करते हैं, और हम मन मसोस कर रह जाते हैं, क्योंकि इनके खिलाफ़ कोई भी कार्यवाही नहीं की जाती है।

    पर आज जब मुंबई मिरर पढ़ा तो लगा कि हम यात्री भी कुछ कर सकते हैं, अगर हम ही इनकी ऑटो और टेक्सियों में बैठने से मना कर दें तो ……

    जी हाँ १२ अगस्त को मुंबई में सभी यात्रियों से अपील की गई है कि ऑटो और टेक्सियों का उपयोग न करें, जिससे इनको भी यात्रियों की ताकत का पता चले।

    इस अभियान के लिये मीटरजाम नाम का अंतर्जाल भी बनाया गया है। जिससे यात्रियों में जागरुकता जगायी जा सके।

    अभी तक लगभग ६०० लोगों ने अपने को पंजीकृत करवा कर अभियान को समर्थन दिया है। और फ़ेसबुक पर लगभग ८४४ लोगों ने समर्थन दिया है।

इस अभियान को जयदेव रुपानी, रचना बरार और अभिषेक कृष्णन चला रहे हैं।

पूरी खबर पढ़ने के लिये यहाँ चटका लगाईये।

तुझसे बिछुड़कर जिंदा है, जान बहुत शर्मिंदा है – एक गीत … मेरी पसंद

सालों पहले “यादों के मौसम” फ़िल्म आयी थी और इसका एक एक गाना मेरी पसंद आज भी है, एक गाना सुनिये – तुझसे बिछुड़कर जिंदा है, जान बहुत शर्मिंदा है – एक गीत … मेरी पसंद

ये गाने इसलिये सुनवा रहा हूँ क्योंकि बहुत ही कम लोगों ने ये गाने सुने हैं –

मेरा सपना मेरी डायरी मेरी जिंदगी

    अपना सपना पूरा होने में पता नहीं कितना समय लगेगा, या देखते हैं सपना, सपना ही रह जाता है क्या जिंदगी में मौका नहीं मिलेगा, पर अगर जिंदगी में मौका मिलता भी है तो किस्मत उसे छीन लेती है। पता नहीं ये मौका वापस कब मिलता है । इंतजार है….

सिगरेटियों के नित्यकर्म और उनके धुएँ [Cigratte Smokers Routine)

   कभी कभी सिगरेट से नफ़रत होती थी, कि ये कहीं अंदर तक नुकसान कर रही है, पर तन्हाई का एक अकेला दोस्त केवल और केवल सिगरेट ही थी, कहीं अगर २ मिनिट भी इंतजार करना होता तो फ़ट से एक सिगरेट सुलगा लेते और कसैला धुआँ मुँह में लेकर अंदर अंतड़ियों तक ले जाते, पता नहीं अंदर अंतड़ियों की क्या दशा होती होगी, जब फ़क से इतना सारा धुआँ इतनी रफ़्तार से उनमें जाता होगा।

    कई बार तो गुस्सा भी आता कि क्यों में इस सड़ी सी चीज का गुलाम हूँ जो कि सफ़ेद कागज में लिपटी हुई मौत है, जिसमें तंबाखू और पता नहीं क्या कैमिकल मिला होगा, पर बस केवल अपनी जिद और अपना मन की करने के लिये पिये जा रहा था मैं तो, कोई मजा नहीं, कोई कसैलापन नहीं, सब साधारण सा हो रहा था, पर सिगरेट पीते देखकर शायद दुनिया को लगता होगा कि मैं कोई असाधारण कार्य कर रहा हूँ, मुझे कभी नहीं लगा !!

    जो लोग आज भी सिगरेट पीते हैं, मैं उन्हें देखता हूँ तो ऐसा लगता है कि अभी तक ये अपनी कमजोरी से जीत नहीं पाये हैं, सुबह चाय के साथ तलब, फ़िर ऑफ़िस पहुँचते ही चाय के साथ तलब, फ़िर थोड़ा काम किया न किया कोई सिगरेटिया मिल गया तो उसका साथ निभाने की तलब, बस इस तरह सिगरेटियों को बुरा न लग जाये इसके लिये सिगरेट पीते जाना और अपने जीवन के नित्यकर्म में शामिल कर लेना, और धीरे धीरे अपनी कुंठा को दबाना।

    सिगरेट पीना केवल उत्कंठा से जनित होती है, जो कि किसी भी कारण से हो सकती है, गम को दबाने का बहाना देना या खुशी को जाहिर करने का या फ़िर दोस्तों या लड़कियों के सामने झांकीबाजी जमाने का, बहुत सारे कारण हो सकते हैं, जब अकेले सिगरेट पीते हैं तो ४ कश लगाने के बाद सिगरेट जल्दी खत्म होने का इंतजार और फ़िल्टर तक आने के पहले ही सिगरेट को अपने पैरों तले रौंद कर चल देते हैं।

    कई सिगरेटिये देखे हैं, जो सिगरेट पैर से नहीं बुझाते, बोलते हैं कि पवित्र अग्नि है, वो सिगरेट के ठूँठ को दीवार से रगड़ कर बुझा देते हैं, कुछ नाली में डालकर चल देते हैं, तो कुछ ऐसे ही जलती हुई सिगरेट के ठूँठे को फ़ेंककर चल देते हैं।

    सिगरेट पीने वाले अपने होठों की भी बहुत परवाह करते हैं कि फ़िल्टर तक आने के पहले ही फ़ेंक देते हैं, इस कार्य में कोई लापरवाही नहीं बरतते, नहीं तो फ़िल्टर तक याने कि ठूँठ तक सिगरेट पीने से होठ काले हो जाते हैं, कईयों के देखे हैं हमने तो। आखिर १०० डिग्री का तापमान होता है।

    अगर कोई जरुरी कार्य कर रहा होता है और बीच में कोई मित्र फ़ोन करकर बोल दे कि चलो एक सिगरेट साथ में पी लें तो वह सब जरुरी कार्य छोड़कर चल देता है संगति देने, ऐसे सिगरेटिये दोस्तों की दोस्ती भी बहुत पक्की होती है जैसे बिल्कुल लंगोटिया यार, या दाँतकाटी रोटी।