Yearly Archives: 2011

अपने निवेशित म्यूचयल फ़ंडों की प्रगति देखते रहें [Tracking your Mutual Funds)

अपने म्यूचयल फ़ंड के परिणामों को देखते रहें –

आपके द्वारा निवेशित म्यूचयल फ़ंड का स्टेटमेंट तो आपको नियमित रूप से मिलता ही होगा, जो कि फ़ंड हाऊस के द्वारा सीधे भेजा जाता है। सभी फ़ंड हाऊस अपने सभी निवेशकों को स्टॆटमेंट नियमित रूप से भेजते हैं, अभी हर फ़ंड हाऊस अपने अपने निवेशकों को स्टेटमेंट भेजते हैं, जल्दी ही नियामक द्वारा लिये गये निर्णय के अनुसार अब सारे म्यूचयल फ़ंड के स्टेटमेंट एक ही साथ मिल जाया करेंगे, मतलब कि अलग अलग म्यूचयल फ़ंड हों तब भी आपको एक ही स्टेटमेंट मिलेगा। जिससे निवेशक को अपने निवेश परिणामों को देखने में और रखने में आसानी होगी।

Track your mutual funds

आप अपने निवेश किये गये म्यूचयल फ़ंडों की एन.ए.वी. AMFI की वेब साईट www.amfindia.com पर देख सकते हैं। आप और भी बहुत सारी वेब साईटों पर एन.ए.वी. देख सकते हैं।

आप एन.ए.वी. और उससे संबंधित जानकारी दो प्रमुख रजिस्ट्रारों की वेबसाईट पर भी देख सकते हैं।

कार्वे – www.karvymfs.com

काम्स – CAMS – www.camsonline.com

सभी फ़ंड हाऊस की अपनी वेबसाईट होती है, जहाँ आप अपने निवेशित फ़ंडों के बारे में तो जानकारी ले ही सकते हैं, साथ ही अपने निवेश को के प्रगति भी देख सकते हैं।

झारखंड धनबाद का पहला दलित डॉन बन रहा है या यूँ भी कह सकते हैं कि बन चुका है। (First Dalit Don or Robin Hood – Dhulu Mahato)

झारखंड धनबाद का पहला दलित डॉन बन रहा है या यूँ भी कह सकते हैं कि बन चुका है।
परिचय है – धुलु महतो, उम्र ३५ वर्ष बाघमारा से विधायक हैं । धनबाद के कोयला क्षैत्र के उभरते हुए डॉन हैं। और इनकी कहानी भी किसी फ़िल्मी हीरो से कम नहीं है।
dhulu mahato
 [फ़ोटो द वीक पत्रिका के ऑनलाईन एडीशन से लिया गया है]
धुलु महतो का अपनी कमाई को अपने साथ काम करने वालों के साथ साझा करने के कारण वे बहुत लोकप्रिय हैं, कहा जाता है कि लगभग आधी कमाई वे अपने साथ काम करने वालों में बाँटते हैं, और उनकी रोज की कमाई लगभग २० लाख रुपये बताई जाती है, धुलु महतो इस बात को मानने से इंकार करते हैं, और कहते हैं कि भगवान करे मेरी कमाई और बड़ती जाये और २० लाख हो जाये।
इंटर पास करने के बाद भारत कुकिंग कोल लिमिटेड के सिनिधि कोलिरि में सन १९९४ में मजदूरी से काम करना शुरू किया था और जल्दी ही धुलु महतो मजदूरों के लोकप्रिय नेता बन गये, वे मजदुर जो कि रेल्वे वेगनों और ट्रक में कोयले की खदान से कोयला ढ़ोते थे। सन २००० में राबड़ी सरकार के एक मंत्री समरेश सिंह ने उनका प्रभाव देखा और धुलु महतो को चीता फ़ोर्स का प्रमुख बना दिया। यह एक ऐसा ग्रुप था जो कि समरेश सिंह के लिये कोयला खदान क्षैत्र से “टैक्स” याने कि उगाही का काम करता था। और पुलिस जब भी चीता फ़ोर्स के लोगों को रंगदारी लेने के जुर्म में ले जाती तो धुलु महतो पुलिस पर दबाब बनाकर उनको छुड़ा लाता था।
सन २००५ में बाघमारा से धुलु महतो ने झारखंड वनांचल कांग्रेस से विधायक के लिये चुनाव लड़ा और हार का सामना करना पड़ा परंतु धुलु को मिले वोटों की संख्या जो कि २५,००० थी, से सब चकित थे। सन २००९ में ठीक चुनाव के पहले भूतपूर्व मुखयमंत्री बाबूलाल मरांडी की झारखंड विकास मोर्चा में आ गये और वापस से बाघमारा से चुनाव लड़ा और सरकार में मंत्री रहे और लगातार दो बार के विधायक रहे जलेश्वर महतो को लगभग ३०,००० वोटों से हरा दिया। जलेश्वर महतो का तो यह भी कहना है कि धुलु महतो स्थानीय प्रशासन और पुलिस के सहयोग से कोयला कंपनी को लूट कर कंगाल कर रहे हैं।
लेकिन लोग धुलु महतो को वहाँ का रॉबिनहुड कहते हैं, जब वे अपनी टोयोटो फ़ोर्चूनर में कहीं जाते हैं तो एक दर्जन से ज्यादा गाड़ीयाँ उनके आसपास रहती हैं। कहा जाता है कि जब उनकी पत्नी सावित्री देवी धनबाद के मेयर का पर्चा दाखिल करने गईं थीं तो लगभग ३०,००० बाईक सवार उनके समर्थन में उनके साथ गये थे, हालांकि सावित्री देवी का नामांकन ३० वर्ष से कम उम्र होने के कारण रद्द कर दिया गया था। पर इससे धुलु महतो के प्रभाव की झलक देखने को मिलती है।
जानकार बताते हैं कि अगर धुलु महतो का प्रभाव इसी तरह बड़ता रहा तो जल्दी ही सुरेश सिंह जो कि अभी धनबाद का डॉन है, का प्रभुत्व खत्म हो सकता है। धनबाद के ५० खदानों में से २५ खदानों पर धुलु महतो का राज चलता है, यह कहना है भाजपा के नेता कुमार अभिषेक का, उनका तो यह भी कहना है कि धुलु महतो ने एक दर्जन एके-४७ और एके-५७ कोलकाता से खरीदी हैं।
एक भा.कु.को.लि. के अधिकारी का कहना है कि हर माह धुलु महतो अपने विधानसभा क्षैत्र से लगभग २०,००० टन कोयला खदानों से फ़्लोर प्राईज पर लेते हैं, और यह लगभग पिछले दो वर्षों से चल रहा है, धुलु हर टन पर १,२०० रुपये बनाते हैं। धुलु महतो की शिकायत कई बार उच्च पुलिस अधिकारियों से की गई परंतु कोई कार्यवाही नहीं की गई, यह कहना है भाजपा सांसद पी.एन.सिंह का।
पुलिस का कहना है कि धुलु महतो बिल्कुल साफ़ हैं उनका कभी भी किसी भी खून, अपहरण या बलात्कार में हाथ नहीं रहा है। धुलु महतो एक ऐसे डॉन हैं या बन रहे हैं जो कि धनबाद के गरीबों के लिये काम कर रहे हैं और उनकी मदद कर रहे हैं। धुलु महतो भी कहते हैं कि मैं कोई अपराधी नहीं हूँ। मैं एक बहुत ही साधारण इंसान हूँ और मेरा धन बनाने वाली गतिविधियों से कोई सारोकार नहीं है, जबकि मेरे विरोधी कहते हैं कि मैं इन सबमें शामिल हूँ। यहाँ तक कि मेरी डॉन बनने की कोई इच्छा भी नहीं है। परंतु हाँ मैं यह कहता हूँ कि मेरी चीता फ़ोर्स उनको जरूर ठीक करेगी जो कि गरीबों को परेशान करते हैं।
सूत्रों के अनुसार धुलु महतो के बढ़ते प्रभाव ने उनके दुश्मनों को भी एक कर दिया है।
धुलु महतो का धनबाद और आसपास के क्षैत्र में प्रभाव बड़ता ही जा रहा है
[यह लेख द वीक में छपे लेख पर आधारित है, जो कि ३१ अक्टूबर को द वीक पत्रिका में छपा है]

इंडियाप्लाजा की अच्छे ऑफ़रों पर घटिया सर्विसेस (Bad services on Great offers by Indiaplaza.com)

लगभग एक सप्ताह होने आया इंडियाप्लाजा से ईमेल पर एक ऑफ़र आया था, और ऑफ़र बहुत अच्छा लगा, मैंने सोचा कि इससे अच्छी डील और कहीं नहीं मिलेगी, तो फ़टाफ़ट ऑनलाईन ऑर्डर कर दिया।

इसके पहले भी कई अन्य साईटों पर ऑनलाईन ऑर्डर कर चुके हैं, तो उसका अनुभव पहले से ही था, उसके मुकाबले इंडियाप्लाजा के साथ खरीदारी का अनुभव बहुत ही खराब रहा।

जैसे ही हमने भुगतान किया एक नया पेज खुला जिस पर ट्रांजेक्शन रिफ़ेरेन्स नंबर दिया गया, यह तो अच्छा हुआ कि हमने उसे पीडीएफ़ बनाकर सहेज लिया, जो कि मैं अधिकतर ऑनलाईन ट्रांजेक्शन करने के बाद करता हूँ, और तब तक सहेज कर रखता हूँ जब तक कि समान मुझे मिल नहीं जाता है। इधर ट्रांजेक्शन पूरा हुआ नहीं कि हमने सोचा कि अब ईमेल से संपूर्ण जानकारी भेज दी गई होगी। परंतु कोई ईमेल इंडियाप्लाजा की तरफ़ से नहीं आया। हमने सोचा शायद थोड़ी देर बाद आयेगा, परंतु ईमेल न आना था और न ही आया ।

दो दिन पहले एक ईमेल इंडियाप्लाजा से ईमेल आया कि शिपिंग में देरी हो रही है और कल शिपिंग होगी, हमने सोचा कि चलो इंडियाप्लाजा वालों ने इतना तो ध्यान रखा कि देरी के लिये ईमेल लिख दिया। खैर अभी तक तो हमें समान नहीं मिला है और न ही कोई अन्य ईमेल देरी के लिये मिला है।

अगर किसी अन्य ऑनलाईन साईट पर ऑर्डर किया होता तो वे बिल के साथ साथ कूरियर का रिफ़रेन्स नंबर भी ईमेल कर देते हैं। जिससे आप कूरियर ऑनलाईन ट्रेक कर सकते हैं।

उम्मीद है कि एक दो दिन में समान मिल जाना चाहिये, आगे टिप्पणी में बताते हैं कि कब समान आता है।

बैंकों के अकाऊँट नंबर पोर्टेबिलिटी भारतीय रिजर्व बैंक के लिये आसान नहीं होगी (Bank Account Number Portability will not be easy task for RBI)

बैंकों के अकाऊँट नंबर पोर्टेबिलिटी भारतीय रिजर्व बैंक के लिये आसान नहीं होगी, यह बैंकों के लिये तकनीकी रूप से बहुत बड़ी चुनौती होगा, अभी बैंकें जितने भी सॉफ़्टवेयरों का उपयोग कर रही हैं, उसमें बैंकें अकाऊँट नंबर में अधिकतम अंकों का उपयोग कर रही हैं, और एक और व्यवहारिक समस्या है कि कई बैंकों में एक ही अकाऊँट नंबर अभी पाया जा सकता है।
बैंक पोर्टेबिलिटी
अभी बैंकों के अकाऊँट नंबर यूनिक नहीं हैं, इसलिये यह भारतीय रिजर्व बैंक के लिये बड़ी समस्या होगी, और व्यवहारिक तौर पर उतना आसान भी नहीं है। ऐसा लगता भी नहीं कि इस बैंक अकाऊँट नंबर पोर्टेबिलिटी का कोई फ़ायदा होने वाला है, क्योंकि अकाऊँट कोई सा भी हो या खाता नंबर कोई सा भी हो, बैंक का नाम तो बदल ही जायेगा।
कुछ और बातें भी हैं, खाताधारक का बैंक बदलने पर IFSC  कोड भी बदल जायेगा, जिससे उसे NEFT & RTGS में समस्या होगी, इसके लिये खाताधारक को सभी जगह बैंकों के नाम भी बदलने होंगे।
बैंकों के अकाऊँट नंबर पोर्टेबिलिटी बहुत ही मुश्किल साबित होगा भारतीय रिजर्व बैंक के लिये, क्योंकि अभी भारतीय बैंकों में अकाऊँट नंबर में अधिकतम १६ नंबर तक का उपयोग किया जाता है, और उन नंबरों से कैसे भी तकनीकी तौर पर दूसरी बैंकों के साथ मैपिंग करना बहुत मुश्किल है।
भारतीय वित्त बाजार में केवल अकाऊँट नंबर से काम नहीं चलता है, वहाँ बैंक का नाम भी देना जरूरी होता है, और तो और कोर बैंकिंग सुविधा के बावजूद ग्राहक से शाखा की जानकारी ली जाती है, जबकि वह ग्राहक उस शाखा का ग्राहक ना होकर बैंक का ग्राहक है।
मोबाईल नंबर और बैंक अकाऊँट नंबर पोर्टिबिलिटी दोनों ही बहुत अलग चीज हैं, जब से मोबाईल आया है क्या आपको कभी अपने किसी भी फ़ार्म पर यह बताने को कहा जाता है कि मोबाईल कौन सी कंपनी का है और कौन सा सर्विस प्रोवाईडर है, नहीं ना, परंतु बैंकों के लिये ऐसा नहीं है। अगर आप डीमैट खाता भी खुलवाने जायेंगे तो वहाँ फ़ॉर्म पर बैंक का नाम, शाखा, IFSC  कोड और अकाऊँट नंबर सभी जानकारी ली जायेगी।
अब देखते हैं कि भारतीय रिजर्व बैंक क्या निर्णय लेती है, वैसे अगर यह निर्णय आया भी तो फ़िर बैंकिंग क्षैत्र में तकनीकी तौर पर भारी फ़ेरबदल की जरूरत होगी।

यस बैंक ने बचत खाते की ब्याज दर ६% की (Yes Bank Saving Interest Rate increased to 6%)

यस बैंक ने बचत खाते की ब्याज दर ६% की, भारतीय रिजर्व बैंक ने बचत खातों में ब्याज दरों को नियंत्रण मुक्त किया और अगले ही दिन यस बैंक ने अखबार में २% ब्याज दर बढ़ाने का विज्ञापन भी दे दिया।
जबकि और किसी बैंक ने अभी बचत खाते पर ब्याज दर बढ़ाने का फ़ैसला नहीं लिया है, अगर जल्दी ही मुख्य बैंकों ने बचत खाते पर ब्याज दर बढ़ाने का फ़ैसला नहीं किया तो उनके पास से कारपोरेट सैलेरी के एकाऊँट तो जाने की संभावना ज्यादा है ही और उस सैलेरी एकाऊँट के कारण जो व्यापार बैंकों को मिलता है वह भी उनसे छिन जायेगा।
क्योंकि आमतौर पर सैलेरी एकाऊँट जहाँ होता है वहीं पर सब अपनी बचत जमा करते हैं, फ़िर भले ही वह एफ़.डी. हो या म्यूचयल फ़ंड और वहीं से ॠण भी लेते हैं, लोग किसी और बैंक जाना पसंद नहीं करते हैं। २% ब्याज दर का बढ़ना मतलब अभी जितना ब्याज मिल रहा है उससे आधा ब्याज ज्यादा मिलेगा।
अब इंतजार है और भी बैंकों के बचत खाते पर ब्याज दर बढ़ाने का, नहीं तो ग्राहक तो वहीं जायेगा जहाँ पर उसे ज्यादा फ़ायदा होगा।

नोकिया का काईनेटिक फ़ोन जिसे मोड़ा भी जा सकता है (Twistable phone from Nokia Kinetic)

नोकिया ने काईनेटिक फ़ोन का प्रोटोटाईप तैयार किया, और यह हैंड गेजेट्स की दुनिया में बिल्कुल नई क्रांति है। इस फ़ोन को आगे और पीछे मोड़ा जा सकता है, कोनों से मोड़ा जा सकता है ।

नोकिया मोबाईल फ़ोन की दुनिया में लोगों को एक बेहतरीन तोहफ़ा देने जा रही है। जब ऐसा लग रहा था कि टेबलेट मोबाईल फ़ोन को बदलने जा रहे हैं, परंतु शायद नोकिया का काईनेटिक तकनीक मोबाईल डिवाईस को बचा ले।

नोकिया की यह तकनीक नई नहीं है, परंतु व्यवहारिक रूप से बाजार में लाने वाली पहली कंपनी नोकिया होगी। नोकिया की काईनेटिक तकनीक के पीछे तापानी जौकिनेन हैं। इस मोबाईल डिवाईस पर गेम खेलने का मजा ही कुछ और होगा, कि बीच से थोड़ा सा उछाला और कार झट से सड़क से उछल जाये, और क्या क्या फ़ीचर होंगे या आ सकते हैं, यह तो डिवाईस बाजार में आने पर ही पता चलेगा।

यहाँ एक झलक देखिये –

nokia kinetic

Twisted Nokia Phone

दीपपर्व दीपावली पहली बार अकेले दक्षिण में (My first Deepawali in South India)

दीपपर्व दीपावली पर मेरी तरफ़ से आपको और आपके परिवार को बहुत बहुत शुभकामनाएँ । उम्मीद है कि सबने बहुत ही हर्षोल्लास से दीप पर्व मनाया होगा ।

जिंदगी में पहली बार ऐसा हुआ है कि मैं अपने परिवार के साथ दीपावली त्यौहार नहीं मना पाया, थोड़ा नहीं बहुत बुरा लगा परंतु कुछ मजबूरियाँ ऐसी होती हैं जिनसे समझौता करना ही होता है। खैर फ़ोन एक अच्छा माध्यम है अब कि सबसे बात कर लो । खैर पहली बार अलग दीपावली मनाने पर अटपटा लगा। हमारे भाई जो नजदीक ही रहते हैं, वे भी आ गये थे।

दीपावली के पहले कवायद शुरू हुई पूजन सामग्री की, देखा तो पता चला कि यहाँ पूजन सामग्री का टोटा है, और किसी निश्चित स्थान पर ही मिलती है, खैर जैसे तैसे करके पूजन सामग्री का प्रबंध किया गया, फ़िर बारी आई बंधनवार के लिये फ़ूलों की, यहाँ गेंदे के फ़ूल प्रचुर मात्रा में बाजार में उपलब्ध नहीं थे और सारे हिन्दी भाषी लोग जो कि यहीं त्योहार मना रहे थे, फ़ूल ढूँढ़ने में लगे थे और फ़ूल मिले भी तो उसमें भी गजब की लूट थी, आम के पत्ते तक बिक रहे थे। यहाँ गेंदे के फ़ूल अमूमन बाजार में कम ही मिलते हैं, खैर जैसे तैसे करके गेंदे के फ़ूलों का प्रबंध किया गया,  और दीपावली की पूजा की गई।

दक्षिण में नरकचतुर्दशी को माना जाता है, ये लोग दीपावली नहीं मनाते हैं, इसका कारण यह भी हो सकता है कि रावण को अपना भाई बंधु मानते हों, और रावण की पूजा करना भी इसका एक कारण हो सकता है। परंतु दशहरे पर रावण की पूजा तो विधि सम्मत तरीके से हमारे यहाँ भी की जाती है, क्योंकि रावण विद्वान था परंतु एक बुराई ने उसकी विद्वत्ता को धो दिया। और रावण बुराई का प्रतीक बन गया।

बेटेलाल को आतिशबाजी का बहुत शौक है, हमें भी है परंतु वक्त के साथ थोड़ा कम हो गया है। बेटेलाल ने खूब अनार, चकरी और फ़ुलझड़ियाँ से आतिशबाजी की और आनंदित हुए।

अभी विज्ञापनों पर प्रयोग जारी हैं, अगर आपको ब्लॉग देखने में कोई समस्या हो तो जरूर बतायें।

क्या ब्लॉग / नेट से पैसे कमाना वाकई आसान है ? (Earning money by Blog / Net is really Simple ?)

    क्या वाकई घर से काम (Work from home) करने के पैसे मिल सकते हैं, कुछ डाटा एन्ट्री (Data Entry) जॉब्स या फ़िर कोई ऐड क्लिक या फ़िर कोई सर्वे। सब माया का मकड़जाल लगता है, और जितना विज्ञापन में सरल दिखाया जाता है उतना सरल होता भी नहीं है।
      अभी कुछ दिन से एक हमारे नॉन-टेकी मित्र पीछे पड़े हैं कि यार इंटरनेट पर तो खजाना है, लोग कितना कमा रहे हैं और तुम हो कि ना तुम कमा रहे हो और ना ही हमें कमाने के गुर सिखा रहे हैं। हमने तो मजाक में कह भी दिया “भई अगर तुमको खजाना नजर आता है तो तुम लूट लो, देखो हमें तो यह पता है कि हाँ कमा सकते हैं, परंतु कैसे ? यह नहीं पता” । और जो कोई कमा भी रहा है तो वो कैसे और कितना कमा रहा है नहीं बताता । अपने यहाँ भारतियों में एक पेटदर्द की बीमारी है कि अगर उसकी कमाई पर कोई अंतर ना भी पड़ रहा हो तो भी वह बतायेगा नहीं कि कैसे कमाई की जा रही है, बिल्कुल वैसे ही ये नेट की कमाई का चक्कर है। वैसे यह सेवा बहुत से लोग मोटी सी फ़ीस लेकर भी करते हैं, परंतु उनके साथ भी यही है कि फ़ीस तो ले ही लेते हैं और काम भी अच्छा नहीं करते हैं, अरे भई अगर उन्हें भी पैसा कमाना आता नेट से तो वे ये काम ही क्यूँ करते, अपनी साईट बनाकर ही नहीं कमाते।
    इतना कहने के बावजूद भी वे हमारे पीछे पड़े हैं, बताओ भई कहाँ से कैसे कमाया जाता है, लोग विज्ञापन लगाकर हजारों डॉलर कमा रहे हैं, हमने भी कहा भई अगर हमें पता होता तो तुमको जरूर बता देते।
    फ़िर कुछ दिनों बाद गूगल पर माथापच्ची करके आये और बोले कि ये देखो भारत के टॉप १० ब्लॉगर जो कि हजारों डॉलर कमा रहे हैं, ये देखिये Top 10 Indian blogger, highest earning bloggers । अब हम क्या बतायें कि भले ही आईटी में हैं परंतु इस तकनीक से अंजान हैं । और उस भले मानस को समझाया कि अपने भारतीय अगर कुछ करते हैं तो किसी से साझा नहीं करते। खुद पानी पीने के लिये खुद ही कुआँ खोदना पड़ता है, अब हम पढ़ते हैं और फ़िर बताते हैं कि कैसे कमाई की जा सकती है।
    मित्रों अगर कोई अपने ब्लॉग से कमा रहे हों और अगर बताना चाहते हों तो बतायें, शायद हम अपने मित्र की मुश्किल दूर कर सकें। उनके लिये समस्या है कि अंग्रेजी में हाथ कमजोर है और इस बाबत हिन्दी में बहुत ही कम लेख (content) हैं, जिससे कि कोई नॉन-टेकी व्यक्ति सीख सके। इंतजार है… किसी के जबाब का, नहीं तो हम तो पढ़ ही रहे हैं, अब मित्र है उसके लिये तो भई सब करना पड़ेगा।

त्योहारों पर वास्तविक छूट या उपभोक्ताओं के साथ छल (Sale on Festival Season…)

    आजकल सुबह अखबार में देखो तो लगभग आधे से ज्यादा अखबार त्योहारों पर छूट के विज्ञापनों से भरे रहते हैं, जैसे कि सारा समान मुफ़्त में ही देने वाले हैं। मैंने कुछ चीजों पर विश्लेषण किया तो पाया कि अधिकतर समानों पर बताई जा रही छूट सामान्यत: वर्षभर एक जैसी होती है, केवल त्यौहार पर बताने का तरीका बदल दिया जाता है।

    कुछ अन्य वस्तुओं पर देखा जाये तो पता चलेगा कि इतनी छूट आखिरकार क्यों मिल रही है । वह इसलिये कि क्योंकि कंपनियाँ वे उत्पाद बंद करने वाली हैं और अभी उनके पास बहुत सारा स्टॉक पड़ा है तो कंपनियाँ कुछ उपहारों के साथ वह उत्पाद त्यौहार के बाजार में उतार देती हैं।

    और वैसे भी जो नयी वस्तुएँ या सामान बाजार में उतारा जाता है उसमें कोई छूट नहीं होती है। कई बार देखा है कि छूट का विज्ञापन तो बहुत बड़ा दिया गया है परंतु नीचे एक तारा लगाकर लिख दिया जाता है कि छूट चुनिंदा वस्तुओं पर । जब ग्राहक विज्ञापन पढ़कर दुकान पर जाता है तो पता चलता है कि केवल एक छोटी सी अलमारी में ही छूट का समान है और वह भी उसके लिये किसी काम का नहीं है, तो ग्राहक का मन तो खराब होता ही है और समय भी बर्बाद होता है। परंतु इसके पीछे दुकानदार का मन होता है कि कम से कम ग्राहक दुकान पर तो आयेगा।

    आजकल ग्राहक भी बहुत समझदार हो गया है, वह लगभग हर जगह भाव पता कर लेता है और उसी के बाद खरीदारी करता है।

    खैर खासबात तो यह है कि अगर छूट देखकर कहीं किसी वस्तु की खरीदारी के लिये जा रहे हैं तो सारी बातों का पता करके ही जायें और यह निश्चिंत कर लें कि जो छूट दी जा रही है वह वास्तविक है या केवल लुभावना ऑफ़र है।

 

एक सीट की हार से तूफ़ान का अंदाजा लगाईये..नहीं तो बहुत देर हो जायेगी

    सरकार की तरफ़ से बयान आया है कि केवल एक सीट की हार से सरकार की कार्यप्रणाली आंकना ठीक नहीं है। चलो हम भी इस बात से सहमत हैं कि एक सीट की हार से किसी की हार जीत का पैमाना तय नहीं होता है, परंतु जनता का रूख लगता है कि कांग्रेस भांप नहीं पा रही है, कि उनका सफ़ाया तय है, क्योंकि जो भ्रष्टाचार के खिलाफ़ मुहीम चल रही है उसमें कांग्रेस सबसे बड़ा रोड़ा अटका रही है, अभी लोकपाल बिल पास करना केवल उनके पाले में आता है।

    अण्णा की टीम और अण्णा खुद कांग्रेस के विरोध में सड़क पर उतर आये हैं, और जो नकारात्मक दृष्टिकोण जनता के बीच में रख रहे हैं, उसे कांग्रेस को सकारात्मक दृष्टिकोण में बदलना असंभव नजर आ रहा है। मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री जिन्होंने १० वर्ष शासन किया और तानाशाही जैसा माहौल पैदा कर दिया। तब मजबूरी में जनता को भाजपा को चुनना पड़ा, उस समय मध्यप्रदेश में भाजपा की स्थिती ऐसी थी कि वह किसी को भी कोई सी भी सीट से टिकट दे देती तो वह जीत जाता। और यह हुआ भी, उस समय भी इन मुख्यमंत्रीजी ने हाईकमान को कहा था कि कांग्रेस की जीत तय है, जबकि सतही स्तर की सुगबुगाहट ये भांप ही नहीं पाये। और जनता ने कांग्रेस को धूल चटाकर इतिहास रच दिया। तब इन मुख्यमंत्री महोदय ने चुनाव के पहले बोला था कि अगर कांग्रेस हार गई तो वे अगले १० वर्ष तक कोई चुनाव नहीं लड़ेंगे।

    अब ये बेचार चुनाव तो लड़ नहीं सकते क्योंकि जनता के बीच में बोल दिया था, और मध्यप्रदेश में कांग्रेस का बंटाढ़ार करने के बाद अब आजकल ये बेबी बाबा के मुख्य सलाहकार हैं, और अब ये केन्द्र स्तर पर कांग्रेस की लुटिया डुबाने में भरपूर योगदान दे रहे हैं, और तो और कांग्रेस में इनसे एक से एक बड़े वाले हैं जो कि लुटिया डुबाने में नंबर १ की होड़ में हैं।

    यह कह दिया जाये कि लोकपाल बिल को न लाने से कांग्रेस अपने ताबुत में आखिरी कील ठोंक रहा है तो गलत नहीं होगा। अब भ्रष्टाचार पर इस लोकपाल बिल से कितना अंकुश लगेगा यह तो बिल पारित होने के बाद लागू होने पर ही पता चलेगा और तब इसमें शायद व्यवहारिक सुधारों की दरकार होगी।