Monthly Archives: June 2013

निवेशको के हित में सेबी और AMFI का EUIN

    सेबी के परिपत्र CIR/IMD/DF/21/2012 दिनांक १२ सितंबर २०१२ के अनुसार एवं AMFI के विभिन्न दिशानिर्देशों के अनुसार अब म्यूचयल फ़ंड खरीदते समय निवेशक को आवेदन पत्र / ट्रांजेक्शन रिक्वेस्ट पर Employee Unique Identification Number (EUIN) और डिस्ट्रीब्यूटर एवं सबडिस्ट्रीब्यूटर का AMFI Registration Number (“ARN”) क होना सुनिश्चित कर लेना चाहिये।

    EUIN को लागू करने का उद्देश्य है कि निवेशक के हित की रक्षा करना, यह म्यूचयल फ़ंड के गलत जानकारी देकर बेचने पर पर रोक लगाने के लिये कारगार कदम होगा, EUIN से किस व्यक्ति ने म्यूचयल फ़ंड उत्पाद निवेशक को बेचा है, उसकी जानकारी दर्ज हो जायेगी और निवेशक की शिकायत की स्थिती में किस कर्मचारी ने उत्पाद बेचा था, पता लग सकेगा।

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    EUIN ७ नंबर का एक विशिष्ट नंबर होगा, जो कि AMFI द्वारा दिया जायेगा, और यह उन हरेक संबंधित कर्मचारी / रिलेशनशिप मैनेजर / सैल्स वाले के लिये दिया जायेगा, जो भी निवेशक से म्यूचयल फ़ंड उत्पाद को बेचने की बातें करते हैं / बेचते हैं । EUIN का होना अब जरूरी हो गया है, जब भी निवेशक म्यूचयल फ़ंड उत्पाद खरीदें, हमेशा EUIN का ध्यान रखें।

    निवेशकों को नया आवेदन पत्र का उपयोग करना चाहिये जिस पर ARN Code / Sub Brocker ARN Code / EUIN, Sub broker code (as allotted by ARN holder) उपलब्ध हो। नये आवेदन पत्र अगर आपके ब्रोकर के पास उपलब्ध नहीं हैं तो आप उन्हें कहिये कि म्यूच्यल फ़ंड की वेबसाईट पर उपलब्ध हैं, वहाँ से प्रिंट निकाल लें।

EUIN के बारे में मुख्य बातें –

१. ट्रांजेक्शन जिनके लिये EUIN होना चाहिये –

Purchases, Switches, and for Fresh Registrations of SIP / STP / Trigger STP / Dividend Transfer Plan.

२. ट्रांजेक्शन जिनके लिये EUNI की जरूरत नहीं है –

Ongoing SIP/ STP / SWP / STP Triggers (registered prior to June 1, 2013), Dividend Reinvestments, Bonus Units, Redemption, SWP Registration, Zero Balance Folio creation and installments under Dividend Transfer Plans .

३. उपरोक्त १ नंबर में बताये गये ट्रांजेक्शन EUIN के लिये १ जून २०१३ से प्रभावकारी हैं, जिसमें किसी भी मोड से ट्रांजेक्शन किया गया हो केवल निम्न प्रकार के ट्रांजेक्शनों को छोड़कर, जिनके लिये यह १ अगस्त २०१३ से प्रभावकारी होगा –

  • Mobile / SMS based transactions.
  • Transactions received through the Stock Exchange Platform.

अगर इसके बारे में और ज्यादा जानकारी चाहिये तो आप अपनी म्यूचयल फ़ंड कंपनी की वेबसाईट और उनके टोलफ़्री नंबरों पर संपर्क कर सकते हैं।

NRN की Infosys में दूसरी पारी

    अभी कुछ दिनों पहले मुंबई आने के पहले एक दिन के लिये बैंगलोर में था तब नारायण मूर्ती जी को जिन्होंने बहुत करीब से देखा था, उनसे मुलाकात हुई, हालांकि यह मुलाकात व्यक्तिगत नहीं व्यावसायिक थी । उन्होंने बताया कि वे NRN को भगवान का दर्जा देते हैं, क्योंकि उनकी किसी से भी तुलना करना, अपमान करने जैसा है, किसी भी व्यक्ति द्वारा डेढ़ लाख कर्मियों में अपने खुद के गुणों को पोषित करना और उनके ऊपर कंपनी चलाना आज के इस युग में बहुत ही कठिन है, परंतु NRN ने करके बताया । उनकी बातों में ही समझ में आया कि वे नारायण मूर्ती जी को छोटे नाम NRN से बात कर रहे हैं ।

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    उन्होंने बताया कि जब NRN ने सेवानिवृत्ति ली थी, उस समय बोर्ड मीटिंग में उन्होंने मुख्य रूप से तीन बातें कहीं थीं –

१. सेवानिवृत्ति की आयु ६५ होनी चाहिये और इसके बाद कोई भी व्यक्ति इन्फ़ोसिस में कार्य नहीं करना चाहिये, हालांकि बोर्ड ने NRN पर ७० वर्ष तक की उम्र के लिये काम करने के लिये दवाब बनाया था।

२. NRN ने कहा कि वे कामथ को अपनी जगह लेकर आ रहे हैं और वे उनसे भी ज्यादा प्रभावशाली साबित होंगे, उन्हें कामथ से कई उम्मीदें हैं और इन्फ़ोसिस को कामथ एक नई दिशा देंगे और नई ऊर्जा के साथ कंपनी बाजार का प्रतिनिधित्व करेगी ।

३. इन्फ़ोसिस को कतई पारिवारिक कंपनी नहीं बनने देंगे और मैं अपने परिवार के किसी भी सदस्य को इन्फ़ोसिस में आने के लिये प्रेरित नहीं करूँगा।

     अब जब बोर्ड ने नया प्रस्ताव लाकर NRN को वापिस Infosys में बुलाया है, कि Infosys को NRN की बहुत जरूरत है तो NRN मना नहीं कर सके, कौन अपने सीचें हुए पौधे को जो बड़ा होकर विशाल वृक्ष बन चुका है, उसे सूख जाने देगा । मैं कुछ बोल ही रहा था तो उन्होंने टोक दिया और कहा कि ना हम NRN के खिलाफ़ कुछ बोलते हैं, ना बोल सकते हैं और ना ही हम दूसरों को इसके लिये बढ़ावा देंगे ।

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     फ़िर उन्होंने बोलना शुरू किया कि एक तरह से NRN का वापिस Infosys आना डेढ़ लाख कर्मियों के लिये बहुत अच्छा है, परंतु NRN के खुद के लिये वाकई बहुत कठिन होगा क्योंकि जो तीन बातें उन्होंने खुलेआम कहीं थीं और वे लगभग हर जगह दस्तावेजों में उपलब्ध हैं, अगर वे ही अपने पुराने ईमेल देखेंगे तो शायद उन्हें अच्छा नहीं लगेगा। जो तीन बातें उन्होंने कहीं थीं, वे तीनों ही NRN के लिये उलट पड़ीं, हालांकि NRN इन सबसे इतने ऊपर हैं कि कोई शायद ही कभी कुछ उन्हें कहेगा परंतु  NRN बहुत अच्छा महसूस नहीं कर रहे होंगे, हालांकि बाजार का रूख भी अभी साफ़ नहीं है कि NRN की Infosys में वापसी को बाजार कैसे लेगा, NRN आज बाजार के ब्रांड हैं, उनके दम पर ही Infosys इतना बड़ी कंपनी  बन पायी है। परंतु फ़िर भी जो भी NRN अब करना चाहते होंगे वह योजना अब आकार नहीं ले पायेगी क्योंकि उनके द्वारा उपजाया हुआ पौधा जो विशाल वृक्ष बन चुका है उन्हें बुला रहा है।

     अब NRN को Infosys में अंतरिम विश्लेषण के बाद ढूँढ़ना होगा कि उनके दिये हुए मूल्यों में कितनी हानि हुई है और उन मूल्यों को कंपनी में वापिस से स्थापित करने के लिये कितना समय लगेगा, यह तो आगे वक्त ही बतायेगा । Infosys में कितना इन्टर्नल डेमेज हुआ है यह भी वक्त के साथ पता चलेगा, बाजार भी NRN और Infosys को कैसे देखेगा और अब Infosys कैसे वापिस से नई ऊँचाईयों पर पहुँचेगी, यह भी भविष्य के गर्भ में है।

     हमारी NRN और Infosys दोनों को भविष्य के लिये मंगलकामनाएँ हैं, यही वह कंपनी है जिसने भारत में तकनीक के नये युग की शुरूआत की थी ।

*फ़ोटो इकोनोमिक टाइम्स एवं इंडिया आजतक से साभार लिया गया है ।

बैंगलोर से मुंबई ..

    सुबह जल्दी की फ़्लाईट हो तो सारी दिनचर्या अस्तव्यस्त हो जाती है, एक दिन पहले सारा समान पैक करा, टिकट भी एयर इंडिया में मिला था तो समान भी केवल १५ किलो, पहले तो सारा समान पैक कर लिया गया और फ़िर तोला गया पता चला कि २१ किलो हो गया है, फ़िर एक और बैग किया गया, जिसमें चेक इन वाले बैग से केबिन में ले जाने वाले बैग में शिफ़्ट किया गया, फ़िर देखा कि ७ किलो ले जा सकते हैं, अभी तो और भी समान रख सकते हैं, तो १ किलो नमकीन मिठाई और रख ली, अब इलाहाबाद की नमकीन और दिल्ली की मिठाई की बात ही कुछ और होती है । इतनी सारी मशक्क्त करने में देर रात हो गई, निश्चय किया गया कि सुबह केवल महत्वपूर्ण दैनिक कार्यक्रम करके हवाई अड्डे निकल लेंगे और मुंबई पहुँच कर बाकी के कार्यक्रम सम्पन्न किये जायेंगे।

    सुबह ४ बजे उठे कार्यक्रम निपटाकर  तुरत फ़ुरत तैयार हुए टैक्सी भी आ चुकी थी, समान टैक्सी के हवाले कर हम पीछे सीट पर धँस लिये और फ़िर से हम नींद के आगोश में जाने को तैयार थे क्योंकि अभी हवाई अड्डे पहुँचने में भी कम से कम १ घंटा लगना था ।

    लगभग १ घंटे बाद हम हवाई अड्डे पर पहुँचे, हमने पहले ही वेब चेक इन कर लिया था और बोर्डिंग पास हमने प्रिंट निकाल लिया था कि समय की बचत हो सके, जब एयर इंडिया के काऊँटर पर पहुँचे तो पता चला कि केवल समान चेक इन करने की सुविधा का काऊँटर आज उपलब्ध नहीं है, तो हमें फ़िर लाईन में लगना पड़ा, हमने सोचा कि चलो लाईन छोटी है, पर फ़िर भी समय हो रहा था और अभी सुरक्षा जाँच से भी निकलना था । खैर जल्दी ही नंबर आया और चेक इन करके हम सुरक्षा जाँच के लिये निकल लिये । सुरक्षा जाँच में हमारा बैग रोक लिया गया, और फ़िर खाने के समान की पता नहीं कौन कौन सी मशीन से तलाशी ली गई, तब तक बोर्डिंग का समय निकला जा रहा था, फ़िर दौड़ लगानी पड़ी.. खैर समय से क्राफ़्ट में पहुँच गये और केबिन में सामान रखने की जगह भी मिल गई, कई बार देरी हो जाने पर सामान केबिन में रखने की जगह मिलना मुश्किल हो जाता है।

    एयर इंडिया में युवा पीढ़ी को सेवा करते देख बहुत अच्छा लगा, क्योंकि पता नहीं अपने को अब जेट की सुविधाएँ अच्छी नहीं लगतीं, जेट वाले हरेक चीज को टालते रहते हैं । सुबह बैंगलोर से बहुत सारी फ़्लाईट अलग अलग शहरों को जाती हैं, तो एयर पोर्ट पर बहुत भीड़ हो जाती है, और अधिकतर अपने व्यापार या नौकरी के सिलसिले वाले ही होते हैं, जिससे दिन भर वे दूसरे शहर में जाकर कार्य कर सकें । कुछ लोग सूटेड बुटेड थे कुछ लोग हमारे जैसे जींस टीशर्ट में, परंतु सभी अपने अपने कार्यों में व्यस्त, कुछ ना कुछ लेपटॉप पर या कॉपी पर लेखन जारी था, किसी के एक्सेल शीट खुली थी, किसी का वर्ड डॉक्यूमेंट खुला था, कोई प्रेजेन्टेशन को आखिरी रूप दे रहा था, यह दुनिया बहुत तेजी से बदलती जा रही है।

    उड़ान शुरू हुई और हिन्दी में उद्घोषणा सुनकर मन प्रसन्नता से भर जाता है, केवल विमान का कप्तान अंग्रेजी में ही बात करता है उसे शायद हिन्दी बोलने की अनुमति नहीं होती होगी। नाश्ते की खुश्बू नथुनों में समाने लगी थी, परंतु कुछ भी तरह की खुश्बू थीं किसी की परफ़्यूम की और किसी की सुबह कार्यक्रम ना करके आने की चुगली करने वाली खुश्बू ।

    मुंबई पहुँचे कन्वेयर बेल्ट पर समान बहुत देरी से आया, तो अहसास हुआ कि अपन सरकारी हवाई सुविधा का लाभ ले रहे हैं, इसलिये इंतजार तो करना ही होगा, वहीं पास वाले कन्वेयर बेल्ट पर दूसरे विमान का स्टॉफ़ भी अपने समान का इंतजार करते हुए खीज रहा था ।

    मुंबई में हवाई अड्डे पर बहुत लूट है, पास में जाने का भी टैक्सी इतने पैसे वसूलती हैं कि सुनकर ही हालत खराब हो जाये, हम समान के साथ सीधे सड़क पर आये और ऑटो जो पहले से ही खड़े थे, उनसे पूछा तो कहते हैं कि हमारे गंतव्य तक जाने के ३५० रूपये लगेंगे, हमने कहा भई मीटर से चलो, मुश्किल से १०० रूपये लगते हैं, पर वे तैयार नहीं हुए और हमे कहने लगे कि अरे साहब हमें ये पुलिस वालों को १०० रूपया हर ट्रिप का देना पड़ता है, क्योंकि हम यहाँ देर से खड़े हैं, नहीं तो ये हमें यहाँ खड़े नहीं होने देंगे । हमने कहा हम मुंबई में नये नहीं हैं, इसलिये तुमसे लुटने वाले नहीं हैं, एक काम करो थाने चलते हैं और तुम्हारी शिकायत करते हैं,  तो उन्हीं ऑटो वाले ने दूसरी ऑटो रोकी और मीटर से बैठा दिया ।

    काफ़ी दिनों बाद मुंबई की सड़क पर ऑटो की सवारी के मजे ले रहा था, बहुत अच्छा लग रहा था, ऑटो वाला भी गजब की रफ़्तार में चलाये जा रहा था, टैक्सी में जा सकते थे परंतु ऑटो का अपना अलग ही मजा है और आखिर ढ़ाई साल बाद मुंबई में आना हुआ था तो सबसे पहले ऑटो में ही बैठे । ऑटोवाले की बातें, आसपास की चिल्लपों अच्छी लग रही थी, शायद इसलिये भी कि बहुत दिनों बाद ये सब सुनी थीं।

    गंतव्य पर पहुँचे और तैयार होकर अपने ऑफ़िस के लिये निकल पड़े, जैसे ही बाहर निकले मुंबई में होने का अहसास हो गया, पूरी शर्ट पसीने से तरबतर हो गई थी, दो वर्षों से ज्यादा समय से बैंगलोर में हूँ तो कभी इतनी पसीने की आदत भी नहीं रही, बैंगलोर तो पूर्ण प्राकृतिक वातानुकुलित शहर है। अब मुंबई में मुबई के रहना का अहसास जो हुआ है,  उसमें अपने आप को ढ़ालना होगा, आगे के थोड़े दिनों के लिये।