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घर बैठे, शेयर बाजार से कमायें २५००० से ७५००० रूपये–क्या है यह !! (Earn 25000 to 75000 per month from Share Market, How ?)

    बाजार में कई वर्षों से देख रहे हैं, लोग / कंपनियाँ आती हैं और दावा करती हैं कि एस.एम.एस. और ईमेल के द्वारा हम दिन में इतने कॉल देंगे, और इससे आप शेयर बाजार से बहुत सारा धन कमा सकते हैं । शेयर बाजार में लोग इनके चंगुल में फ़ँस भी जाते हैं, क्योंकि सभी लोग जल्दी से जल्दी धन कमा लेना चाहते हैं। पर अगर किसी से पूछो कि धन कमाकर क्या करेंगे तो उनके पास केवल जबाब होता है कि ऐश करेंगे, ऐश में क्या करेंगे वे नहीं बता पाते हैं।
    हम अपने मुख्य बिंदु पर बात करते हैं, क्या वाकई एस.एम.एस. / ईमेल पर आई टिप्स से पैसा कमाया जा सकता है ? शायद हाँ भी और नहीं भी !! इसका जबाब वाकई बहुत मुश्किल है, बाजार में सबसे मुख्य होता है समय के साथ चलना, जिसने जरा सी भी चूक की, फ़िर भले ही वह एक मिनिट की ही हो, उसे भरपूर घाटा उठाना पड़ सकता है और हो सकता है कि इस गलती से उसे भरपूर फ़ायदा भी मिल जाये।
    एस.एम.एस. में मुख्यत: इक्विटि (Equity) के नाम के साथ खरीदने या बेचने का रेट भेजा जाता है, टार्गेट भेजा जाता है और स्टॉप लॉस भेजा जाता है। लोग केवल टार्गेट पर ध्यान देते हैं स्टॉप लॉस कभी भी नहीं लगाते हैं, कम से कम मैंने तो बहुत ही कम लोगों को स्टॉप लॉस का उपयोग करते देखा है। जो समझदार होते हैं वे इन एस.एम.एस. टिप्स को लेते जरूर हैं, परंतु अपने अनुभव से अपने पैसे को बाजार में लगाते हैं। क्योंकि ये एस.एम.एस. भेजने वाली कंपनियाँ बहुत छोटे छोटॆ अक्षरों में अपने दस्तावेजों में लिखती हैं, कि होने वाली लाभ या हानि की जिम्मेदारी कंपनी की नहीं होगी, यह निवेशक (Investor) का व्यक्तिगत निर्णय है। कंपनी लीगल तरीके से साफ़ बच निकलती हैं।
    आजकल कई कंपनियाँ ट्विटर और फ़ेसबुक पर भी अपडेट कर रही हैं, परंतु जरूरत है अपने अनुभव से ही निवेश करने की, ये कंपनियाँ तो निवेशक (Investor) से मोटी रकम (Charges) वसूलती हैं और अलग हो जाती हैं, परंतु निवेशक (Investor) इनके बिछाये जाल में फ़ँस जाता है। कई समाचार पत्रों में हमने विज्ञापन देखा है कि “घर बैठे, शेयर बाजार से कमायें २५००० से ७५००० रूपये” (Earn 25000 to 50000 per month from Share Market, How ?), परंतु यह इतना आसान भी नहीं है, जितना कि विज्ञापन पढ़ने के बाद लगता है।
    सेबी को अब इन कंपनियों के मोबाईल कॉल और एस.एम.एस. खंगालने की आजादी मिली है, अब देखते हैं कि सेबी कैसे बहुत सारी छद्मवेशी कंपनियों पर क्या कार्यवाही करती है, जो कि बिना किसी विश्लेषण (Analysis) के निवेशकों (Investors) को चूना लगा रही हैं, वैसे भी अगर इन कंपनियों को बाजार की इतनी जानकारी होती है तो खुद ही फ़्यूचर ऑप्शन (Future Options) में पैसा (Fund) लगाकर धन कमा लें, क्यों बाजार में जानकारी बेचें ? कुछ लोग फ़ँस जाते हैं और कुछ लोग इनके चंगुल से बचे रहते हैं ।
    आगे इस बारे में कोई भी कदम उठायें तो सोच समझ कर उठायें, किसी की कॉल १०० प्रतिशत सही नहीं हो सकती, क्योंकि वह बाजार में इतना सारा धन लगाकर किसी भी एक शेयर को ऊपर नीचे नहीं कर सकता है यह केवल और केवल व्यक्तिगत निवेशक (Investor) के लिये जोखिम (Risk) है।

भारत की आधारभूत समस्याएँ और उसके समाधान.. सैनिटरी नैपकीन और पानी

    बहुत दिनों से सोच रहा हूँ रिवर्स माइग्रेशन के लिये, रिवर्स माइग्रेशन मतलब कि अपने आधार पर लौटना, जहाँ आप पले बढ़े जहाँ आपके बचपन के साथीगण हैं,  देशांतर गमन शायद ठीक शब्द हो। लौटकर जाना बहुत बड़ा फ़ैसला नहीं है, पर लौटकर वापिस वहाँ अपना समय किस तरह से समाज के लिये लगायें, यह एक कठिन फ़ैसला है। अभी पिछले दिनों जब मैं अपने कुछ व्यावसायिक मित्रों से अपने गृहनिवास में बात कर रहा था, जब मैंने उनको अपना मन्तव्य बनाया तो एक मित्र ने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा “बोस सब उज्जैन वापिस आकर समाज सेवा ही करना चाहते हैं, एक दिन ऐसा आयेगा कि सब समाजसेवक ही होंगे, सेवा करवाने वाले कम”, उस मित्र की बात वाकई बहुत दिलचस्प लगी, अगर इतने लोग सेवा करने वाले उपलब्ध हैं पर कर नहीं पा रहे हैं तो उनको बस एक नई दिशा देने की जरूरत है।
    कुछ समय बाद ही इंडीब्लॉगर ने फ़्रेंकलिन टेंपलटन इन्वेस्टमेन्ट्स के साथ “द इंडिया काँरवा” प्रस्तुत किया जिसमें अपने विचार उन वक्ताओं के लिये देने थे जिन्होंने बिल्कुल सतही तौर पर समाज के साथ काम किया और टेडेक्स गेटवे मुंबई दिसम्बर २०१२ में उन्होंने अपने विचार रखे। उनके विचार सुनकर अपने तो दिमाग के सारे दरवाजे खुल गये, हम सोच रहे थे कि करें क्या ? परंतु यहाँ तो लोग आधारभूत समस्याओं से ही सामना कर रहे हैं, उनके लिये कुछ बड़ा करने से पहले, उनकी आधारभूत समस्याओं को समझा जाये और उस पर कार्य किया जाये।
    अरुनाचलम मुरुगनाथम मेरे लिये नया नाम था, परंतु जब मैंने इनकी कहानी सुनना शुरू कि जो इतनी दिलचस्प थी, कि मैं इनके कार्य करने और कुछ करने की जिद से बहुत प्रभावित हुआ, अरुनाचलम में शुरू से ही कुछ करने की इच्छा थी, जिस तरह से उन्होंने महिलाओं के लिये सैनिटरी नैपकीन का अविष्कार किया, जिससे महिलाएँ अपने खुद के लिये यह आधारभूत सुविधा पा सकें, जिस तरह से उनके किये गये अविष्कार से जितनी बड़ी आबादी को यह लाभ मिल सकेगा, कितने ही लोगों को रोजगार मिल सकेगा, सैनिटरी नैपकीन की बात महिलाएँ तो क्या पुरूष भी दबे शब्दों में बात करते हैं पर अरुनाचलम नें यही बात मंच तक लाई और इसके लिये कार्य कर इतनी महँगी चीज को बिल्कुल ही पहुँच वाले दामों में भारत की महिलाओं को उपलब्ध करवाया।
अरुनाचलम मुरुगनाथम की दिलचस्प यात्रा आप यहाँ सुन सकते हैं।
सिन्थिया कोनिग ने भारत की सबसे आधारभूत समस्या और सबसे भारी समस्या को समझा और उसका एक अच्छा, हल्का सा समाधान भी दिया। जैसा कि हम सब लोग जानते हैं भारत की सबसे बड़ी समस्या है पानी, जो कि सहजता से उपलब्ध नहीं है और जहाँ उपलब्ध है वहाँ से घर लाने में कितने श्रम की जरूरत होती है, आज भी गाँवों में महिलाएँ सिर पर पानी ढो़कर लाती हैं, और पानी बहुत भारी होता है। इसके लिये सिन्थिया कोनिग ने एक रोलर का अविष्कार किया जो कि ड्रम के आकार का है और पानी भरने के बाद उसे आसानी से खींचा जा सकता है, पानी अधिक मात्रा में लाया जा सकता है और सबसे बड़ी बात कि इसकी कीमत गाँव वालों की पहुँच में है मात्र ९७५ – १००० रूपये।
सिन्थिया कोनिक का दिलचस्प व्याख्यान यहाँ सुन सकते हैं, कैसे उन्होंने भारी पानी को हल्का कर दिया।
सुप्रियो दास, अच्छे खासे इंजीनियर थे, परंतु कुछ करने की इच्छाशक्ति ने उन्हें अपने खुद के लिये काम करने के लिये प्रेरित किया, और उन्होंने बहुत सारे अविष्कार भी किये, जिसमें उनका सबसे अच्छा और अधिकतर जनता को फ़ायदा पहुँचाने वाला है, जिम्बा !! जब सुप्रियो दास ने देखा कि हमारे यहाँ केवल अच्छा पीने लायक साफ़ पानी ना मिलने के कारण ही हजारों मौतें रोज हो रही हैं, उन्होंने इसके लिये बहुत शोध किया और पाया कि पर्याप्त मात्रा में क्लोरीन नहीं मिलाया जा रहा है या बहुत ही सस्ता क्लोरीन उपलब्ध ही नहीं है और अगर है भी तो कम या ज्यादा होने से नुकसानदायक है, तब उन्होंने जिम्बा उत्पाद बनाया जो कि पानी के स्रोत पर ही लगा दिया जाता है तो जहाँ से लोग पानी लेते हैं, उन्हें पर्याप्त मात्रा में क्लोरीन मिला हुआ पानी मिल रहा है, जिससे आश्चर्यजनक तरीके से जहाँ भी प्रयोग हुए अच्छे नतीजे मिले और सबसे बड़ी बात कि इस यंत्र में कोई भी ऐसी चीज नहीं लगी कि वह खराब हो सके।
सुप्रियो दास की क्लोरीन की कहानी, कैसे पानी को पीने लायक बनाया
    इन तीन अविष्कारों से मैं बहुत प्रभावित हुआ, अगर कुछ करने की ठान लो तो कुछ भी असंभव नहीं है, बस काम करना है यह सोच हमारी दृढ़ होनी चाहिये।
    यह पोस्ट फ़्रेंकलिन टेंपलटन द्वारा आयोजित टेडेक्स गेटवे मुंबई २०१२ में आयोजित “द इंडिया काँरवा” में कुछ महत्वपूर्ण सामाजिक और आधारभूत समस्यों से प्रेरित होकर लिखी गई है। Franklin Templeton Investments partnered the TEDxGateway Mumbai in December 2012.

अब स्पीक एशिया ऑनलाईन SpeakAsiaOnline.com का क्या होगा ? लालच की पराकाष्ठा कर दी ।

पहली पोस्ट – स्पीक एशिया ऑनलाईन संभावित बड़ा घोटाला तो नहीं (Probable Scam SpeakAsiaOnline.com !!)

    मेरी पहली पोस्ट स्पीक एशिया ऑनलाईन SpeakAsiaOnline.com पर १७ अप्रैल को थी, इससे पहले तो मैंने इस कंपनी के बारे में कुछ सुना भी नहीं था। खैर अब मछली मगरमच्छ हो गई है और अब सब उसका क्रेडिट लेने में लगे हैं।

    जबकि अक्टूबर में मनीलाईफ़ पत्रिका ने इनके व्यवसाय के बारे में आपत्ति जताते हुए लिखा था कि रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया, आर्थिक अन्वेषण ब्यूरो क्या सो रहे हैं ?

    खैर अब तो सबके सामने सच आ ही गया है, १ महीने पहले इस कंपनी के पास ९ लाख लोग थे और १ महीने में ही १० लाख लोगों को जोड़ लिया है। सोचिये अब यह संख्या बढ़कर १९ लाख हो गई है।यह तो लालच और बिना कुछ करे कमाने की हम भारतियों की पराकाष्ठा है।

    कई ऐसे लोगों को देखा जो कि ४-५ हजार की निजी नौकरी कर रहे थे और जैसे तैसे अपना घर चला रहे थे, उन्होंने लाख रुपये स्पीक एशिया ऑनलाईन SpeakAsiaOnline.com में लगाकर ४० हजार कमाने के ख्बाब देखे और अब कंपनी के ऊपर मीडिया और सरकार का दबाब पड़ने लगा है, अगर स्पीक एशिया ऑनलाईन SpeakAsiaOnline.com गायब हो गई तो इन लोगों के लाख रुपये कौन लौटायेगा और सबसे बड़ी बात क्या इनको आसानी से वापिस नौकरी मिल पायेगी। आज यह घोटाला लगभग 1900 करोड़ रुपये का हो चुका है।

    और जो लोग इससे कमा रहे हैं, वे मीडिया और सरकार का विरोध कर रहे हैं, कि स्पीक एशिया ऑनलाईन SpeakAsiaOnline.com एक तो भारत के बेरोजगारों को रोजगार दे रहा है और सभी लोग उसे बंद करवाने के पीछे पड़े हैं, और इन बेरोजगारों और लालची लोगों को क्या यह बात समझ में नहीं आती है,  कि ये मीडिया और सरकार केवल स्पीक एशिया ऑनलाईन SpeakAsiaOnline.com के पीछे ही क्यों पड़े हैं, और किसी कंपनी के पीछे क्यों नहीं। अगर स्पीक एशिया ऑनलाईन SpeakAsiaOnline.com बताये कि उनकी आमदनी का क्या जरिया है, और अपनी बैलेन्स शीट सबके सामने रखे तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जायेगा।

    अगर नेट और सर्वे से पैसे कमाना इतना ही आसान होता तो शायद नेट का उपयोग करने वाले लोग करोड़पति अरबपति हो चुके होते।

    अभी कुछ दिन पहले २ लाख लोगों को स्टॉकगुरुइंडिया ५०० करोड़ का चूना लगाकर गायब हो चुकी है, उनका व्यापार भी कुछ इनकी तरह से ही था।

    वैसे भी हिन्दुस्तान टाईम्स सिंगापुर जाकर स्पीक एशिया ऑनलाईन SpeakAsiaOnline.com के ऑफ़िस की पड़ताल आज कर चुका है, और वहाँ कुछ भी नहीं मिला है। और अब आयकर विभाग की भी आँख खुली है (चलो देर से ही सही, जब जागो तब सवेरा)।

स्पीक एशिया ऑनलाईन संभावित बड़ा घोटाला तो नहीं (Probable Scam SpeakAsiaOnline.com !!)

कुछ दिनों पहले इंदौर से भाई का फ़ोन आया कि क्या आपने स्पीक एशिया ऑनलाईन SpeakAsiaOnline.com का नाम सुना है, हमने कहा कि नहीं भई बताओ हमें भी क्या है यह ?

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जैसा हमारा भाई स्पीक एशिया ऑनलाईन SpeakAsiaOnline.com के सेमिनार में सुनकर आया था, वह यह था –

स्पीक एशिया ऑनलाईन  SpeakAsiaOnline.com के बारे में –

  • स्पीक एशिया ऑनलाईन SpeakAsiaOnline.com कंपनी पिछले ५-६ वर्ष से सर्वे में है।
  • स्पीक एशिया ऑनलाईन SpeakAsiaOnline.com कंपनी पहले मानविक सर्वे करवाती थी।
  • स्पीक एशिया ऑनलाईन SpeakAsiaOnline.com कंपनी मानविक सर्वे से अच्छे परिणाम न आने के कारण ऑनलाईन सर्वे करवाने बाजार में आयी है।
  • स्पीक एशिया ऑनलाईन SpeakAsiaOnline.com मानविक सर्वे में पहले अपने अधिकारी को प्रति सर्वे फ़ॉर्म ५०० रुपये तक देती थी, परंतु आम आदमी अपनी जानकारी नहीं देता था, तो जो कंपनी स्पीक एशिया ऑनलाईन SpeakAsiaOnline.comको सर्वे के लिये अनुबंधित करती थी, वह बाजार से सही जानकारी नहीं ले पाती थी, क्योंकि अधिकारी अपने मनमर्जी से किसी की भी जानकारी दे देता था।
  • स्पीक एशिया ऑनलाईन SpeakAsiaOnline.com अधिकारी को पहले महीने में ६-८ फ़ॉर्म देती थी जिससे केवल वह अधिकारी कड़ी धूप में कड़ी मेहनत करके ही ४,००० रुपये तक कमा पाता था।
  • स्पीक एशिया ऑनलाईन SpeakAsiaOnline.com ने बाद में फ़ैसला किया कि अब अधिकारियों को फ़ॉर्म देने की जगह अब सीधे उपभोक्ता से जुड़कर सीधे उनसे ही सर्वे करवाया जाये।
  • स्पीक एशिया ऑनलाईन SpeakAsiaOnline.com ने लगभग ११ महीने पहले ऑनलाईने सर्वे की शुरुआत की जिसका अंतर्जाल पता है www.speakasiaonline.com
  • स्पीक एशिया ऑनलाईन SpeakAsiaOnline.com अपना नया सर्वर लगा रही है जो कि फ़ेसबुक और गूगल से भी बड़ा होगा।
  • स्पीक एशिया ऑनलाईन SpeakAsiaOnline.com एक नया टीवी चैनल शूरु करने जा रही है।

स्पीक एशिया ऑनलाईन SpeakAsiaOnline.com के रजिस्ट्रेशन के बारे में –

स्पीक एशिया ऑनलाईन SpeakAsiaOnline.com के विज्ञापन के बारे में –

स्पीक एशिया ऑनलाईन SpeakAsiaOnline.com संभावित घोटाला क्यों हो सकता है –

  •  स्पीक एशिया ऑनलाईन SpeakAsiaOnline.com कंपनी सिंगापुर में व्यापार करने के लिये सिंगापुर सरकार द्वारा क्यों प्रतिबंधित है ?
  • स्पीक एशिया ऑनलाईन SpeakAsiaOnline.com जब से घटित की गई है, तब से ३ बार अपना नाम क्यों बदला ?
  • स्पीक एशिया ऑनलाईन SpeakAsiaOnline.com कंपनी का नाम सर्वे कंपनियों में क्यों नहीं आता है ?
  • स्पीक एशिया ऑनलाईन SpeakAsiaOnline.com के बारे में कुछ लोग कहते हैं कि यह पिछले १५ वर्षों से बाजार में है, पर वेबसाईट पर स्पीक एशिया ऑनलाईन के रजिस्ट्रेशन के बारे में यह क्यों बताया गया है कि यह २००६ में रजिस्टर्ड है ?
  • स्पीक एशिया ऑनलाईन SpeakAsiaOnline.com ने अपने किसी भी ग्राहक के बारे में क्यों जानकारी नहीं दी है जो कि उनके सर्वे का उपयोग करते हैं ?
  • स्पीक एशिया ऑनलाईन SpeakAsiaOnline.com अपने कमाई का जरिया क्यों नहीं बताता है, वह क्यों छिपाकर रखा है ?
  • स्पीक एशिया ऑनलाईन SpeakAsiaOnline.com क्यों अभी तक डॉलर में पैसा दे रही है ?
  • स्पीक एशिया ऑनलाईन SpeakAsiaOnline.com पैनल को देने वाली रकम जो कि कमाई है भारत सरकार को कर क्यों नहीं दे रही है ?
  • स्पीक एशिया ऑनलाईन SpeakAsiaOnline.com सर्वे से क्या पैसे कमाना क्या इतना आसान है ?
  • स्पीक एशिया ऑनलाईन SpeakAsiaOnline.com केवल बुधवार को मात्र एक घंटे काम करने पर कैसे १,००० रुपये पैनल को देती है ?
  • स्पीक एशिया ऑनलाईन SpeakAsiaOnline.com सर्वे जैसी और भी ऑनलाईन सर्वे कंपनियाँ बाजार में क्यों नहीं हैं ?
  • स्पीक एशिया ऑनलाईन SpeakAsiaOnline.com सर्वे कंपनी से अगर वाकई पैसे कमाना इतना आसान है तो केवल एक ही सर्वे कंपनी बाजार में क्यों है ?
  • स्पीक एशिया ऑनलाईन SpeakAsiaOnline.com कह रही है कि उनकी कमाई इस वर्ष में ११५ मिलियन डॉलर से ज्यादा हो जायेगी तो हरेन्द्र कौर (सीईओ) और तारक बाजपेयी (भारत प्रमुख) के नाम शीर्ष प्रमुखों की सूची में कहीं भी क्यों नहीं हैं।
  • स्पीक एशिया ऑनलाईन SpeakAsiaOnline.com का नाम कहीं भी बिजनैस टाइकून्स में क्यों नहीं है, जबकि वैश्विक स्तर पर इतनी तेजी से बड़ती हुई कंपनी है ?
  • स्पीक एशिया ऑनलाईन SpeakAsiaOnline.com का अभी तक भारत में कोई कार्यालय क्यों नहीं है ?
  • स्पीक एशिया ऑनलाईन SpeakAsiaOnline.com के वेबसाईट पर कोई भी वैधानिक दस्तावेज प्रदर्शित क्यों नहीं है ?
  • स्पीक एशिया ऑनलाईन SpeakAsiaOnline.com कंपनी अगर बंद हो जाती है तो भारत में कोई भी अधिकृत व्यक्ति नहीं है क्यों ?
  • स्पीक एशिया ऑनलाईन SpeakAsiaOnline.com कमाई से टीडीएस क्यों नहीं काटती है ?
  • स्पीक एशिया ऑनलाईन SpeakAsiaOnline.com पर सीईओ और एम.डी. के संदेश क्यों नहीं हैं ?
  • स्पीक एशिया ऑनलाईन SpeakAsiaOnline.com क्यों एक जैसे सर्वे प्रति बुधवार दे रही है ?
  • स्पीक एशिया ऑनलाईन SpeakAsiaOnline.com एक जैसे सर्वे देने से क्या इनको वाकई कमाई हो रही है ?
  • स्पीक एशिया ऑनलाईन SpeakAsiaOnline.com एक डॉलर के ५० रुपये कैसे दे रहा है जबकि इसका असली बाजार मूल्य ४६ रुपये के आसपास है ?

स्पीक एशिया ऑनलाईन SpeakAsiaOnline.com के जैसे घोटाले पहले भी भारत में हो चुके हैं –

स्पीक एशिया ऑनलाईन SpeakAsiaOnline.com के बारे में क्या ज्यादा जानकारी के लिये भारत सरकार कुछ कर रही है ? अभी तक लगभग ९ लाख लोगों से ये लोग पैसे ऐंठ चुके हैं और लगातार भोले भाले लोगों को फ़ँसा रहे हैं, क्या साईबर क्राईम पुलिस इस बारे में संज्ञान लेकर इसकी तह तक जाने की कोशिश करेगी ? क्या रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया इतने बड़े फ़ोरेक्स ट्रांजेक्शनों से अनभिज्ञ है ?

आज जब मैंने कंपनी की वेबसाईट पर जाकर डेमो सर्वे करने की कोशिश की तो एरर मैसेज आ गया –

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अपनी प्रतिक्रिया बतायें – वैसे मुझे तो लगता है कि कंपनी अगस्त २०११ में सब माल असबाब लपेटकर गायब होने वाली है। बाकी तो समय ही बतायेगा कि क्या सही है और क्या गलत !!