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इक्विटी मार्केट चार्ट में Golden Cross

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Golden Cross तकनीकी चार्ट पैटर्न कहलाता है। जो शेयर बाजार में बड़ी तेजी की संभावना का संकेत देता है। यह तब होता है जब एक शॉर्ट टर्म मूविंग एवरेज (जैसे 50-Days moving average) जब एक लाँग टर्म मूविंग एवरेज को cross करती है (जैसे 200- Days moving average) से ऊपर हो जाती है। यह संकेत देता है कि वह शेयर या बाजार इंडेक्स का movement bearish से bullish की ओर shift हो रहा है, और आगे यही trend मतलब कि upward direction ही रहने की संभावना है।

गोल्डन क्रॉस को long term bull market के लिये बाजार का एक विश्वसनीय indicator माना जाता है, क्योंकि इससे पता चलता है कि buyers की strength sellers की तुलना में अधिक है। मूविंग एवरेज सपोर्ट लेवल्स के जैसा काम करती है, जिसका अर्थ है कि वे कीमत को उनके नीचे गिरने से रोकते हैं। मूविंग एवरेज की अवधि जितनी लंबी होगी, उसके सपोर्ट का स्तर उतना ही मजबूत होगा। इसलिए, जब 50- Days Moving Average, 200- Days Moving Average को cross करता है, तो इसका मतलब है कि price ने एक मजबूत resistance को तोड़ दिया है, और एक नया uptredn बन गया है।

गोल्डन क्रॉस को किसी भी स्टॉक, इंडेक्स पर लगा कर देखा जा सकता है, और इसको अलग अलग timeframes में देखा जा सकता है, पैसे कि daily, weekly या monthly चार्ट पर। हालाँकि, सबसे ज़्यादा और अधिकतर सभी लोगों द्वारा देखे जाने वाला गोल्डन क्रॉस 50-day और 200-day moving averages है जो कि daily chart पर देखा जाता है।वह इसलिए कि ये दोनों moving averages मीडियम और लांग टर्म ट्रेंड को दिखाते हैं, और इसे कई ट्रेडर्स और निवेशक उपयोग करते हैं।

गोल्डन क्रॉस का एक उदाहरण चार्ट में दिखाया गया है, जो मई 2023 से सितंबर 2023 तक निफ़्टी 50 इंडेक्स को दिखा रहा है। लाल रेखा 50- day moving average को दिखा रही है और नीली रेखा 200- day moving averages है। गोल्डन क्रॉस मई 2023 में हुआ, जब लाल रेखा नीली रेखा से ऊपर चली गई। इसने अप्रैल 2023 में शुरू हुई downtrend की समाप्ति और सितंबर 2023 तक चलने वाले एक नए uptrend की शुरुआत को दिखाया गया है। Crossover के point से सितंबर 2023 में टॉप तक index लगभग 15% बढ़ गई।

हालाँकि, गोल्डन क्रॉस को पूरी तरह से perfect indicator भी नहीं कहा जा सकता है। इसकी कुछ कमियाँ और limitations हैं, जो कि निवेशकों को पता होना चाहिए।

उनमें से कुछ हैं: –

– गोल्डन क्रॉस बहुत धीमा indicator है, मतलब कि क्रॉसओवर के पहले ही trend बदल चुका है पर चार्ट पर बाद में दिखता है। जब तक निवेशक लेने जाता है तब तक कीमत पहले ही काफी बढ़ चुकी होती है और कुछ possible profit नहीं मिलता।

– गोल्डन क्रॉस गलत सिग्नल भी दे सकता है, जिसका अर्थ है कि यह ट्रेंड change का signal दे देगा परंतु दरअसल ऐसा होता नहीं है। और कई बार moving average के पास price पर ज़बरदस्त pressure होता है, जिससे price बार-बार cross और uncross होता रहता है। इससे भ्रम की स्थिति हो जाती है, जिसके परिणामस्वरूप उन ट्रेडर्स का भारी नुक़सान उठाना पड़ता है, जो crossover को आँखें बंदकर follow करते हैं।

– गोल्डन क्रॉस इस बारे में कोई जानकारी नहीं देता है कि नया trend कितने समय तक चलेगा या कितनी दूर तक चलेगा। यह केवल यह बताता है कि trend बदलाव। इसलिए, ट्रेडर्स और निवेशकों को गोल्डन क्रॉस के संकेतों को confirm करने के लिए अन्य indicators और टूल्स का भी उपयोग करना चाहिये।जैसे ट्रेंड लाइन, support & resistance levels, वॉल्यूम एनालिसिस और जोखिम प्रबंधन तकनीकों (Risk Management Techniques) का उपयोग करना चाहिए।

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इक्विटी म्युचुअल फंड क्या होते हैं? और इक्विटी म्युचुअल फंड कितने प्रकार कर होते हैं? कुछ इक्विटी म्युचुअल फंड के नाम बताइये।

इक्विटी म्युचुअल फंड एक प्रकार का म्युचुअल फंड होता है जिसमें अधिकांश निवेश कॉरपोरेट्स के इक्विटी शेयरों में किया जाता है। इसमें स्टॉक मार्केट में प्रतिभूति के माध्यम से पैसे को निवेश किया जाता है।

इक्विटी म्युचुअल फंड के प्रमुख प्रकार होते हैं:

  • Large-cap funds (लार्ज-कैप म्युचुअल फंड): संस्थानों के समूहों के साथ संबंधित बड़ी कंपनियों में पैसे को निवेश करते हैं।
  • Mid-cap funds (मिड-कैप म्युचुअल फंड): संस्थानों के समूहों के साथ संबंधित मध्यम कंपनियों में पैसे को निवेश करते हैं।
  • Small-cap funds (स्मॉल-कैप म्युचुअल फंड): संस्थानों के समूहों के साथ संबंधित छोटी कंपनियों में पैसे को निवेश करते हैं 1

म्युचुअल फंड क्या होते हैं? और कितने प्रकार के म्युचुअल फंड होते हैं?

म्युचुअल फंड एक सामूहिक निवेश होता है। इसमें कई लोग अपना पैसा निवेश करते हैं और इस जमा धन से म्युचुअल फंड कंपनी (एसेट मैनेजमेंट कंपनी या ए.एम.सी) विभिन्न सिक्योरिटिपज जैसे स्टॉक्स, बॉन्ड्स आदि में निवेश करती है। निवेशित राशि के अनुसार, निवेशकों को म्युचुअल फंड का हिस्सा या यूनिट प्राप्त होता है।

म्युचुअल फंड के प्रमुख प्रकार होते हैं:

  • Equity funds (इक्विटी म्युचुअल फंड): स्टॉक मार्केट में प्रतिभूति के माध्यम से पैसे को निवेश करते हैं।
  • Debt funds (डेब्‍ट म्युचुअल फंड): सुरक्षित संपत्ति में पैसे को निवेश करते हैं।
  • Hybrid funds (हाइब्रिड म्युचुअल फंड): स्टॉक मार्केट में प्रतिभूति के साथ सुरक्षित संपत्ति में पैसे को निवेश करते हैं।
  • Money market funds (मनी मार्केट म्युचुअल फंड): सुरक्षित संपत्ति में पैसे को निवेश करते हैं, 12 महीनों से कम समय के लिए उपयुक्‍त होते हैं.
  • Index funds (इंडेक्‍स म्युचुअल फंड): स्‍पी500, Nifty50, Sensex50, BSE100, BSE200, BSE500, Nifty Midcap 100, Nifty Smallcap 100, Nifty Next 50, Nifty Midcap 50, Nifty Smallcap 50, Nifty Midcap 150, Nifty Smallcap 250, Nifty LargeMidcap 250, Nifty Midcap Liquid 15 Indexes etc. में प्रतिभूति के माध्‍यम से पैसे का निवेश करते हैं।

जीवन की भागदौड़

सुबह अलसाई थी, आँख खुलने के पहले ही अहसास था और बारिश की आवाज आ रही थी। बारिश की आवाज से ओर आलस आ गया, फ्रेश होने के बाद घूमने जाना मुश्किल था। पर पेट कभी मन की नहीं सुनता, न खाली होने पर और न ही खाली होने के लिये, दोनों ही स्थिति में पेट को प्रायोरिटी चाहिए। पेट ही हमारे जीवन का केंद्रबिंदु है। पेट कम हो तो कम क्यों है, ज्यादा हो तो कम कैसे करें। सारी बीमारियों की जड़ भी पेट ही है, खाना खाता मुँह है, पर सजा पेट को भुगतना पड़ती है। बेचारा पेट सुबह कराह रहा होता है, पर मुँह है कि मानता ही नहीं।

मानसिक तंद्रा भंग होने के बाद, जब ध्यान में बैठे, तो आजकल ज्यादा देर बैठते भी नहीं बन रहा। मन और विचार कम से कम 2 या 3 गुना तेजी से चल रहे हैं जैसे प्लेयर पर बटन होता है ff1, ff2, या 1.5x, 2x etc बस मन और दिमाग भागे ही जा रहा है, जो रफ्तार जीवन ने पकड़ी है, उस रफ्तार पर ध्यान नहीं होता। ध्यान करने के लिये सहज होना होता है, और सहज स्थिति प्राप्त तभी होगी जब हम प्राकृति के तय समयानुसार अपने जीवनचक्र पर चलें।

एक साथ कई काम करना भी एक मजबूरी ही है, दिमाग अभी 3 अलग अलग तरह से बंटकर काम कर रहा था, तभी फोन बजा और एक चौथा स्थान उसने बना लिया। सभी को अपने कार्य प्रायोरिटी पर चाहिये। ऐसे ही कल जब प्रेशर में कुछ डॉक्यूमेंट रिव्यू के लिये आये तो तुनककर इतने अच्छे से रिव्यू किये कि अब वापिस रिव्यू के लिये शायद ही मुझे डॉक्यूमेंट भेजेंगे। काम तो सभी को परफेक्ट चाहिये, पर दूसरे से, अगर कोई दूसरा उसमें ढ़ेर गलती निकाल दे तो मुँह छोटा कर लेते हैं।

खैर जब एक कड़वी कॉफी पी, तभी जाकर थोड़ा दिमाग रिसेट हुआ है, अब लंच के बाद आज की आगे की लड़ाई, वो अलग बात है कि हम लंच नहीं करते।

Iron Condor Adjustment

Iron Condor adjustment strategy कैसे बनायें

Iron Condor में adjustment करके हम अपनी risk बेहतर तरीके से manage करते हैं, यहाँ हमने may 2022 की expiry के strikes लिये हैं और यहाँ आप देख सकते हैं कि probability of profit 63% है। Iron Condor में एक ही समस्या है कि आपका Risk & Reward ratio बहुत ज्यादा है, अगर हम दो बार profit में रहते हैं और केवल एक बार loss करते हैं तो हमारा profit तो जायेगा ही साथ ही जेब का पैसा भी जायेगा।

अब हम देखेंगे कि इस Iron Condor में adjustments से कैसे अपने capital को protect करें। ध्यान रखें कि Adjustment के लिये हमें और पैसा चाहिये होगा, अगर आपके पास और capital नहीं है तो आपको अपनी positions को roll up या roll down करना होगा।

अगर Nifty तेज़ी से नीचे गिर रहा है तो यहाँ आप roll down कर सकते हैं, मतलब कि अपनी Call positions को और नीचे ले आयेंगे, वैसे ही अगर Nifty तेजी से बढ़ रहा है तो आप अपनी Put positions को ऊपर की ओर ले जायेंगे।

लेकिन जब हम कोई भी Strategy पर काम करते हैं, तो हमारे दिमाग़ में हमेशा ही adjustment strategy रहना चाहिये, यहाँ इस Iron condor में जब तक Nifty 16500 & 17700 के बीच में रहता है तो चिंता करने की कोई जरूरत ही नहीं है, क्योंकि उस समय तक आपकी दोनों legs में आपको profit हो रहा होगा, Time Value decay के कारण। पर जैसे ही Nifty 17700 के ऊपर जाता है तो आप put की 16500 PE और 16000 PE positions को close करके और ऊपर की तरफ shift कर देंगे, मतलब कि 17000PE बेच देंगे और 16500 PE खरीद लेंगे।

अगर फिर भी Nifty continuous ऊपर की ओर जा रहा है, और 18200 Cross करने पर आ गया है तो आप 17000PE और 16500 PE position को और ऊपर shift करे देंगे। मतलब कि 17700PE & 17200PE। पर हमेशा ध्यान रखें कि हमें अपने Iron Condor को ITM याने कि In the money में जाने का इंतजार नहीं करना है। मतलब कि Adjustment 18200 के पहले ही कर लेना है, 18200 के cross करने का इंतजार नहीं करना है।और यहाँ Call के loss बुक करके और 300 या 500 strike ऊपर की position बना लेना है।

समस्या तब होती है जब Nifty जब थोड़ा ऊपर जाता है और हम अपनी position accordingly move करते हैं और फिर Nifty अगर crash कर दिया तो इसमें trap होने के chances ज्यादा होते हैं। इसके लिये हमें बाजार को मोटे तौर पर पढ़ना भी आना चाहिये, कि बाजार में क्या हो रहा है, जिससे उसकी range कितनी बढ़ सकती है और कितना move कर सकती है।

Iron Condor

Iron Condor कैसे बनायें

Long Strangle – Short Strangle का opposite होता है, Short Strangle में हम OTM Call & Put बेचते हैं, और Long Strangle में हम OTM Call & Put खरीदते हैं।

अगर Short Strangle करते हैं तो हमारा मार्जिन लगभग 1 लाख रूपये का होता है, वहीं अगर हम साथ में Long Strangle भी बना लेते हैं तो हमारी Risk कम होने के कारण हमारी margin requirement भी कम हो जाती है। जो कि 50% तक कम हो सकती है।

इसे Ircon Condor कहते हैं, Short Strangle के Strike से 100-200 ऊपर Strike की Long Strangle लेने से हमारी Risk भी मैनेज आ जाती है, इससे हमारा जो unlimited risk होता है, वह limited risk में convert हो जाता है।

अभी जैसे निफ़्टी 17100 के आसपास है तो हम एक Iron Condor बनाते हैं –

इससे हमारी margin requirement 1 Lac से कम होकर केवल 43,000 हो गई। और आप इसका ये payoff chart देख सकते हैं –

तो हमारा Max Loss 8,680 और Max Profit 1,320 हो सकता है। अगर 5 May Weekly Expiry Nifty 16500-17500 के बीच होती है, तो हमें 1,320 का profit होगा।

और अगर profit ratio देखा जाये तो हमारी कैपिटल जो कि लगभग 43,000 लगी है, उसका 3% return होता है, और 3% profit मात्र 3-4 दिन में बहुत ही बढ़िया रिटर्न होता है।

अब मान लेते हैं कि Nifty में बड़ा Gap up या Gap down होता है तो उस केस में हमें लॉस होगा। मतलब कि अगर weekly expiry Breakeven जो कि 16473-17526 के बीच नहीं होता है तो हमें loss होगा। Breakeven में हमें न loss होगा न profit, हाँ हमारा loss केवल brokerage और Tax का होगा।

यहाँ पर Short Strangle से ज्यादा profit भी है और आपका loss भी Limited ही है, और margin कम होने से आप 1 की जगह 3 लॉट से काम कर सकते हैं, साथ ही अगर बाजार में बड़ा move आता है तो आपका max loss लगभग 25,000 होगा जो कि आपकी capital का लगभग 17% होता है, जिसकी संभावना बहुत ही कम है।

Short Strangle

Short Strangle in Nifty 

क्या होता है Short Strangle in Nifty –

जैसा कि आपको पता होगा कि पहले अगर आप ऑप्श्न सैल करते थे तो आपका कैपिटल रिक्वायरमेंट कम से कम 20-25 लाख रूपयों का होता था, पर सेबी ने नियमों में बदलाव किया और अब अगर आपके पास कम से कम 50 हजार से 10 लाख की कैपिटल है तब भी आप ऑप्शन सैलिंग कर सकते हैं।

अगर आपके पास ज्यादा कैपिटल होगी तो आप अपने ऑप्श्न ट्रेड में ज्यादा एडजस्टमेंट कर सकते हैं, और अगर कम कैपिटल है तो आपको Risk & Reward Ratio पर खेलना होगा। ऐसी कोई भी स्ट्रेटेजी नहीं है जो कि हर समय आपको Profit दे भले Market Condition कैसी भी हो। हर Market Condition में अलग Strategy होती है। और यह हर किसी के साथ होता है।

अगर आपको शेयर बाजार में सफल होना है तो आपको ऑप्शन सैलिंग के साथ एडजस्टमेंट सीखना ही होगा।

यहाँ हम यह समझ रहे हैं कि आप अगर यह लेख पढ़ रहे हैं तो आपको ऑप्शन की Basic जानकारी है, कि अगर आप ऑप्शन बेच रहे हैं तो आपको मार्जिन मनी देनी होती है और अगर खरीद रहे हैं तो प्रीमियम देना होता है। Nifty is having weekly Expiry.

Short Strangle – Selling far OTM CE & far OTM PE

If Nifty is around 17200 जब आप Open Interest देखेंगे तो आपको Support & Resistance समझ में आयेगा।

यहाँ हम Support & Resistance के Call & Put sell कर देंगे।

Sell Nifty 16800 PE (Support) @ 12
Sell Nifty 17500 CE (Resistance) @ 12

Margin money will be required for these option selling is around 1 Lac, और अगर Expiry is after 2 days तो यहाँ पूरे चांस हैं कि ये प्रीमियम 0 हो जायेगा और 1 लाख के मार्जिन पर लगभग 1200 रूपयों का रिटर्न मिलेगा, जो कि 2 दिन में 1.2% होता है, और इससे अच्छा तो कोई बिजनेस हो ही नहीं सकता।

Short Strangle बनाने के बहुत से तरीके होते हैं, जैसे कि India Vix, Support & Resistance, Open Interest.

इसका PayOff chart आप अपने ट्रेडिंग एप्प के आईडी से सेंसिबुल पर लॉगिन करके देख सकते हैं – 

यहाँ पर अगर बाजार 16800 के नीचे जायेगा और 17500 के ऊपर जायेगा तो हमें अनलिमिटेड लॉस होगा। मार्जिन कितना लगेगा, उसके लिये आप जीरोधा के बॉस्केट ऑर्डर में जाकर देख सकते हैं। 

Here Breakeven is 16800-24 = 17756 to 17500+24 = 17524.

Required Margin – Amount must be in your Account.
Final Margin – Final Blocked money in your Account.

तो अगर निफ्टी 16800 और 17500 के बीच रहता है तो हमें 1200 रूपयों का लाभ होगा। 

जब आप PE & CE दोनों बेचते हैं तो आपको Margin benefit मिलता है। ये जो हम बेच रहे हैं यह Necked है, जिसमें अनलिमिटेड Loss हो सकता है पर Profit लिमिटेड होता है।

FII-Money-Outflow

भारत का पैसा विदेशों में क्यों जा रहा है?

भारतीय बाजारों से पैसा भारत के बाहर के बाजारों में जा रहा है। यह रकम बहुत बड़ी है।

सेकेंडरी मार्केट – बाजार में 3 बड़े निजी बैंक जो एडवाइजर का भी काम करते हैं, उनकी सलाह है कि अपने पोर्टफोलियो का 20% विदेशी बाजारों में लगायें, वहीं 3 वर्ष पूर्व उनकी सलाह 0% की थी।

प्राइवेट मार्केट – भारत से सैकड़ों स्टार्टअप विदेश जा रहे हैं। 

क्या असर पड़ेगा –

भारत $5 ट्रिलियन इकोनॉमी करना चाहता है किस्से भारत विश्व की तीसरी बड़ी इकोनॉमी बन जाये।

लेकिन भारत बहुत से मोर्चों पर असफल है, जैसे बढ़िया टैलेंट, कैपिटल, एंटरप्राइज, और यह एक बहुत बड़ी मुश्किल है।

हमारा सारा टेलेंट, पैसा और स्किल्स बाहर देशों में जा रहा है, उन देशों की इकोनॉमी को उन्नत, कुशल और समृद्ध बनाने में लगा हुआ है।

भारत के लिये यह सर से पानी गुजरने जैसा है और इस नकसीर को यहीं रोकना होगा, वरना तो बहुत देर हो चुकी होगी।

अमेरीका ही क्या कई अन्य देश व्यवस्थित ढंग से लालच देकर पूरे विश्व से अच्छे टैलेंट को चुरा रहे हैं। कितने ही अमेरीका के पॉपुलर पॉडकास्ट लगातार जॉब एक्ट, इमिग्रेशन एक्ट, स्पेशल परपज वीसा पर बातें करते हैं।

हो यह रहा है कि ये कुछ देश विश्व के हर कोने से टैलेंट को अपने यहाँ जगह दे रहे हैं, मतलब की पूरे विश्व के टैलेंट को चूस रहे हैं। भारत के बहुत ही गंभीरता से इस बारे में सोचना होगा और सबसे पहले टैलेंट को चिह्नित करके उनको अपने ही देश में अपने देश की उन्नति के लिये स्वीकार करना होगा। 

राष्ट्रवादी और कट्टर देशभक्त होकर अमेरिका पर ऊँगली उठाना बहुत आसान है कि अमेरिका हमारा पूरा टैलेंट चुरा कर ले जाता है। असली प्रश्न तो यह है कि – भारत ऐसा होने कैसे दे रहा है। गाँधी जी ने भी कहा था कि अगर आप किसी पर ऊँगली उठाते हो तो वो एक ही होती है, परंतु तीन ऊँगलियाँ ख़ुद की तरफ़ उठती हैं।

भारत से पैसा बाहर जाने से रोकने के लिये म्यूचुअल फंड जो कि विदेशी बाज़ारों में निवेश करते हैं उनकी विदेशी मुद्रा की लिमिट ख़त्म हो चुकी है और नया पैसा इस तरह के फंड्स विदेश नहीं जा पा रहे हैं। पर यक़ीन मानिये यह पैसा है, पैसा पानी जैसा होता है, अगर पैसे को बाहर जाना है तो वह अपने तरीक़े ढूँढ लेगा, और बाहर के बाज़ारों में बह जायेगा।

FII Fund Outflow from India

स्टार्टअप को स्केल अप करने के लिये बड़े फंड की ज़रूरत है पर भारत में बड़े बिज़नेस घराने इस तरफ़ बहुत ज़्यादा एक्टिव नहीं हैं। Web3 मीटिंग दिल्ली, बैंगलोर या मुंबई में नहीं हुई यह हुई दुबई में और इसमें 75% प्रतिभागी भारतीय थे बाक़ी के रशिया और यूरोप के थे। अधिकतर स्टार्टअप या तो दुबई में जा चुके हैं या जाने की प्रोसेस में हैं। Web3 इंटरनेट का अगला वर्शन कहा जा रहा है, और उसके लिये दुबई में इसका प्लेटफ़ॉर्म तैयार है जो कि डिसेंट्रलाईज होगा और ब्लॉकचैन पर चलेगा। जबकि भारत में स्टार्टअप अभी भारतीय सरकारी व्यवस्था और उनके नियामकों से जूझ ही रहे हैं, जहाँ नियम कभी भी बदल जाते हैं और उसका किसी को अता पता नहीं होता है। भारत में हर तरफ़ टैक्स की मार भी है।

दरअसल यह बदलाव शुरू हुआ है नवंबर 2021 से, जब क्रिप्टोकरंसी के लिये क्रिप्टो बिल में ज़्यादा टैक्स और कठिन नियमों के चलते दुबई या किसी और देश जा रहे हैं, अब प्रश्न यह नहीं होता है कि “क्या तुम जा रहे हो?” बल्कि प्रश्न होता है कि “कब जा रहे हो?”

स्टार्टअप जब काम करना शुरू करते हैं तो वे आधुनिक तकनीक पर काम करते हैं और वह तकनीक सरकारी अमले को समझाना लगभग असंभव ही होता है और स्टार्टअप को भारतीय नियमों में बँधकर काम करना होता है, जबकि वे तकनीक विश्व के लिये बना रहे होते हैं, जब स्टार्टअप शुरू होते हैं तो प्रोसेस में कई चीजें ऐसी होती हैं कि उन्हें भी नहीं पता होता कि उन चीजों के लिये भारत में सरकार से बार बार हर चीज के लिये परमीशन लेना होगा। अगर किसी ने डिजिटल एसेट्स का ही काम शुरू कर दिया तो उस पर भारत में 30% टैक्स हो और 1% टीडीएस भी। हर स्टार्टअप के अपने प्रोटोकॉल होते हैं और उन्हें ही पता नहीं होता है कि वाक़ई क्या लीगल है और क्या नहीं, आप कोई NFT का उपयोग करना चाहते हैं, या डिजिटल कॉइन लाँच करना चाहते हैं, यह सब तो स्टार्टअप शुरू करते समय पता नहीं होता है।

वैसे भी ऐसा क्यों हो रहा है तो आप ट्विटर पर क्या ट्रेंड कर रहा है, अपने टीवी खोलकर सामने देख लीजिये, या फिर अख़बारों के मुख्य पेज ही देख लें, फिर शायद यह प्रश्न नहीं पूछें।

Learn Future and Optoins

Future & Options कैसे सीखें?

हमने पिछले एक ब्लॉग में लिखा था कि शेयर बाज़ार में कैसे सीखें?, आज हम बात करेंगे कि शेयर बाज़ार में Future & Options कैसे सीखें? Future & Options को short में FnO भी कहा जाता है। जो भी शेयर आपको FnO में मिलेंगे, साधारणतया: उनमें जबरदस्त price action देखने को मिलता है, आज 199 कंपनियों को शेयर FnO में trade hote हैं। इसे Derivatives भी कहा जाता है।

Future & Options के बारे में आपको नेट पर बहुत सारा ज्ञान उपलब्ध है, इसलिये हम उस पर बात नहीं करेंगे, अगर आपको जानना है तो कमेंट में बताइयेगा, हम उसे भी explain कर देंगे।

हमेशा ध्यान रखें कि Options के price Future से derive होते हैं, न कि spot के price से। अगर future का price, option के price से ज्यादा है, तो हम उसे कहते हैं कि यह Future premium पर चल रहा है, और अगर Future का price, Spot से कम चल रहा है तो उसे कहते हैं कि यह Future discount पर चल रहा है। अब दोनों का अलग अलग मतलब होता है, हमेशा ही Future अच्छी कंपनियों का premium पर मिलेगा, इसका मतलब यह समझ सकते हैं कि बाजार में उस Future की demand है। हमेशा FnO में काम करते समय ध्यान रखना चाहिये कि उसमें Liquidity हो।

Future में काम करना शेयर बाज़ार में डेरिंग बाज लोगों का काम होता है, इसमें Trader जितनी जल्दी पैसा कमा नहीं पाता है, उससे ज़्यादा जल्दी वह अपना शेयर बाज़ार में स्वाहा कर सकता है, यह एक wild animal जैसे financial instrument है, जिसे कोई भी सँभाल नहीं सकता। Future में काम तभी करना चाहिये जब आप शेयर बाजार की छोटी छोटी चीजों को अच्छे से समझते हों। Future में सीखने के लिये आपको पता होना चाहिये कि Premium, Discount, lot size, liquidity, spot से कैसे derive होता है?, Roll Over इत्यादि। Future में पैसा ज्यादा लगता है, Risk ज्यादा है, और Profit & Loss भी उसी अनुपात में होता है।

Options सीखने के लिये Future & Spot दोनों के behaviour को सीखना जरूरी है, chart reading आनी चाहिये। Options Price Movement, Options Greeks, Options Pricing Models, Margins, Open Interest and Option Chain, PCR.

Options Strategies –

Long Call, Long Put, Naked Call Writing, Naked Put Writing

Spread Strategies (Bull Call Spread, Bull Put Spread, Bear Call Spread, Bear Put Spread)

Straddles & Strangles (Long Straddle, Short Straddle, Long Strangle, Short Strangle)

Butterfly & Condor (Iron Butterfly, Iron Condor)

Covered Call Writing, Ratio Covered Call Writing

Protective Put, Collor

इन सबका आपको पता होना ही चाहिये, साथ ही अगर आपकी strategy गलत होती है तो Adjustments कैसे करना है।

ध्यान रखें कि FnO अगर बिना पढ़े, बिना सीखे काम करना शुरू कर दिया तो यह Mr Market आपका पूरा पैसा खा जायेगा। यह एक नशा है, इसलिये इस नशे से तब तक दूर रहें जब तक कि इसे ढंग से समझ न लें। Paper Trade करें और अपनी learning को परखें।

पैसा धैर्य और शांति से FnO में बनता है, पर यह money meditation है, जहाँ ध्यान चूका, वहीं आपका पैसा गया, आपको बैंक में 5-6% ब्याज वर्षभर का मिलता है, अगर आप FnO को ढंग से समझ लेते हैं, सीख लेते हैं तो आप 5-6% का return अपनी capital पर आराम से monthly निकाल सकते हैं। अगर आपको FnO पर और समझना हो, तो कमेंट में बताईयेगा, क्योंकि FnO एक बहुत बड़ा विषय है, हम समय समय पर इसके बारे में लिखते रहेंगे।

Bollinger Band Entry Exit Setup with Standard Deviation 2.5

Bollinger Band के बारे में part 2

Bollinger Band की Setting सब कुछ default, केवल Standard Deviation 2.5 बदलना है।

Time Frame – Day रखना है।

जब भी Day Candle Bollinger Band के नीचे बंद हो, मतलब कि Body के साथ, Wick के साथ नहीं। अगर Wick Band के बाहर है और Body Band से Touch कर रही है तो Entry नहीं करना है। अगले दिन Day low से 3% नीचे buy order लगाना है।

जैसे कि नीचे के इस चार्ट में देख सकते हैं –

इसमें हमारी Entry 27June 2018 को बनती है, न कि उसके पिछले दो दिनों में, यहाँ जैसे ही Body के साथ Candle Bollinger Band के बाहर बंद होती है, हम अगले दिन उस दिन का low 1215 का 3% नीचे buy order लगा देंगे, जो कि 1179 होता है, यहाँ हमारा Stop Loss अपनी खरीदी का 3% नीचे रख सकते हैं, यह बहुत ही safe traders के लिये है, क्योंकि यहाँ हमारा target minimum 10-15% का होगा।

हमें अगले दिन 28 June 2018 को Entry मिल गई, और हम अब candle को कम से कम 20 SMA याने कि Bollinger Band के Middle तक का Target रखेंगे, यहाँ ध्यान रखेंगे कि RSI जैसे ही 50 से ऊपर जाये, हमें अपना profit book कर लेना है। अगर यहाँ देखा जाये तो 6 July 2018 को 20 SMA पर 1283 पर exit मिल गया है। यहाँ profit हुआ 104 का, जो कि लगभग 9-10% profit होता है। हमारी रिस्क Stop Loss 3% याने कि 33 का होता तो यहाँ हमारा Risk & Reward Ratio 1:3 का होता है।

यह setup Day Time Frame में किसी भी Stock, Future, Indices पर लगाया जा सकता है, Entry करने के पहले अपने Confidence के लिये BackTest जरूर कर लें।

कोई प्रश्न है तो कमेंट में लिख सकते हैं।

Legal Declaimer – I am not SEBI Registered Research Analyst. All Posts, Views & Ideas are for Educational purpose only. I am not responsible for your Profit & Loss. Please consult your Financial Advisor before making any Investment / taking any trade position in market.