धरती का स्वर्ग श्रीनगर कश्मीर की यात्रा

श्रीनगर का नाम लेते ही कश्मीर का ध्यान आ जाता है, कश्मीर धरती का स्वर्ग कहा जाता है, श्रीनगर कश्मीर की यात्रा की इच्छा बहुत है, जब पिछली बार भी कार्यक्रम बना तो भी मैं वहाँ नहीं जा पाया था, मैं केवल तीन दिन में ही कश्मीर का आनंद लेना चाहता हूँ। पर्यटन का जो आनंद और अनुभव श्रीनगर में ले सकते हैं वह शायद ही दुनिया में कहीं और मिल सकता है। मैं केवल तीन दिन में ही श्रीनगर का पर्यटन कर लेना चाहता हूँ।

बैंगलोर से श्रीनगर की सीधी उड़ान है बस दिल्ली में रूकती हुई जाती है, मैं हमेशा ही जेट एयरवेज Jet Airways से यात्रा करना पसंद करता हूँ, और श्रीनगर में रुकने के लिये मैं विवांता डल व्यू जो कि ताज ग्रुप का होटल है, वहाँ रूकना पसंद करूँगा। विवांता से डल लेक का रूप सौंदर्य देखने का स्वार्गिक आनंद कुछ और ही है। जब अपने कमरे की बालकनी में खड़े होकर डल लेक को निहारते हुए अपनी सुबह और शाम बितायें तो बात ही कुछ और है।

श्रीनगर पहुँचने के बाद सबसे पहले मैं मुगल उद्यान जाऊँगा और जो कि मुगलों के द्वारा बनवाया गया बहुत ही पुराना उद्यान है, और कई फिल्मों के गानों में मुगल उद्यान को फिल्माया गया है, पंक्तियों में खिले लाल, नीले, पीले रंग बिरंगे फूलों में सुधबुध खोकर उनके रंग में ही खो जाना चाहूँगा। मुगल उद्यान में चश्मेशाही, शालीमार बाग और निशात बाग मुख्य आकर्षण हैं। सबसे पहले निशात बाग फिर शालीमार बाग और फिर सबसे बाद में चश्मेशाही देखा जाना चाहिये। अगर अप्रैल में घूमने जाते हैं तो चश्मेशाही के पहले ही ट्यूलिप उद्यान है जो कि अप्रैल में कुछ ही दिनों के लिये खुलता है। चश्मेशाही के पास ही प्रसिद्ध परी महल है, जिसे भी घूमा जाना चाहिये।

हाँ बस जब उद्यानों के बीच घूमते हुए थक जायेंगे तो बीच में ही भोजन के लिये रूक सकते हैं, जम्मू कश्मीर पर्यटन विभाग का ही एक भोजनालय मुगल उद्यान में है, जहाँ का खाना बेहद स्वादिष्ट खाना बताया जाता है। जरा और अच्छा खाना खाने की इच्छा है तो बोलवर्ड रोड पर ल्हासा या शाम्यां भोजनालय में जाया जा सकता है। जहाँ आपको शानदार और स्वादिष्ट खाना मिलेगा।

शाम के समय श्रीनगर के बाजारों में खरीददारी की जा सकती है, खासकर लाल चौक और पोलो व्यू बाजार पर्यटकों के बीच खासे प्रसिद्ध हैं। अपनी श्रीनगर यात्रा को याद रखने के लिये आप यहाँ से कुछ यादगार चीज ले सकते हैं। बस याद रखें कि शाम 7.30 बजे श्रीनगर के बाजार बंद हो जाते हैं, तो थोड़ा जल्दी पहुँचें। शाम का भोजन मैं अपने होटल में ही खाना पसंद करूँगा, और रात को चंद्रमा की रोशनी में डल झील को निहारना तो कतई नहीं भूल सकता।

दूसरे दिन शंकराचार्य मंदिर और डल झील में शिकारे में घूमने जाऊँगा, डल झील में शिकारे में घूमते हुए फिल्मों में देखे हुए डल झील के दृश्यों को याद कर रोमांचित भी रहूँगा। शाम के समय मैं शाम्यां भोजनालय जो कि बोलवर्ड रोड पर है या फिर 1918 का अहदूस भोजनालय जो कि रेसीडेंसी रोड पर है, में कश्मीर वाजवान का आनंद उठाना चाहूँगा।

तीसरे दिन में गुलमर्ग की ओर जाऊँगा जहाँ श्रीनगर से पहुँचने में केवल एक से डेढ़ घंटा लगता है, वहाँ पर बर्फ के बीच बहुत से खेल उपलब्ध हैं और पर्यटन स्थल भी हैं। गुलमर्ग में एक से एक बर्फ के पहाड़ों के बीच अप्रितम नजारों से रूबरू होना अच्छा लगेगा। गुलमर्ग स्कीईंग रिसॉर्ट के मामले में विश्व में सातवाँ स्थान रखता है और मैं यहाँ स्कीईंग जरूर करना चाहूँगा। गुलमर्ग में स्थित है, विश्व की दूसरी सबसे ऊँची केबल कार जिसे कि गिंडोला भी कहा जाता है। गुलमर्ग में ही वह रात में बर्फ के पहाड़ों के बीच गुजारना चाहूँगा।

अगले दिन दोपहर की उड़ान के लिये मैं सुबह, नाश्ता करके तरोताजा होकर श्रीनगर हवाईअड्डे की और चल दूँगा, और यह जेट एयरवेज की उड़ान भी सीधे बैंगलोर की है बस थोड़ी देर के लिये दिल्ली में रूकती है। तीन दिन के  कश्मीर पर्यटन की तरोताजगी जीवन में हमेशा बनी रहेगी।

4 thoughts on “धरती का स्वर्ग श्रीनगर कश्मीर की यात्रा

    1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (16-05-2016) को “बेखबर गाँव और सूखती नदी” (चर्चा अंक-2344) पर भी होगी।

      सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।

      चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
      जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।

      हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
      सादर…!
      डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (16-05-2016) को “बेखबर गाँव और सूखती नदी” (चर्चा अंक-2344) पर भी होगी।

    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।

    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।

    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
    सादर…!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’

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