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SIP से पैसा निकाला जाना चाहिये?

शेयर बाजार में उतार चढ़ाव आते रहते हैं, मेरे पास कुछ म्युचुअल फंड में SIP हैं जो कि लगभग 10 वर्षों से भी ज्यादा समय से चल रही हैं और लगभग सभी पर बेहतरीन रिटर्नस मिल रहे हैं, पर इसका मतलब यह तो नहीं कि मैं उनका प्रॉफिट बुक कर लूँ, जब जरूरत होगी, तो ही SIP से पैसा निकाला जाना चाहिये।
मैंने शेयर बाजार में कई गिरावट के दौर देखें हैं, पर कभी मन ही नहीं हुआ, उन्हें निकालने का।
जी हाँ मैं शेयर बाजार को भी समझता हूँ, और म्यूचुअल फंड को भी, और मुझे गणित भी आती है, और यह भी ध्यान रखें कि आप शेयर बाजार में पैसा लगाने से थोड़ा बहुत कमाने से बहुत अमीर नहीं बन जाओगे, बस आपके पास कुछ हिस्सा अपने निवेश का ऐसा भी होना चाहिये जो कि शेयर बाजार में निवेशित हो।
जिसने पेशेंस से काम लिया है, वही सिकंदर है। संयम रखिये, अपना निवेश लंबे समय के लिये निवेशित रहना सीखिये।
यह स्टेटस अपने फेसबुक पर लिखा था, इस पोस्ट पर आये कमेंट्स
Kajal Kumar
2 म्यूच्यूअल फंड में 36 महीने की एसआईपी थी, दोनों खत्म हो चुके हैं. समझ नहीं आता कि यह पैसा निकाल लिया जाए अभी रहने दिया जाए
Vivek Rastogi
Kajal Kumar

इसलिये हमेशा ही परपेचुअल करवानी चाहिये, फिर जब मर्जी हो बंद कर दो

Alpana Sharma
Make different baskets is my funda
Shailendra Kumar Jha
Post me likhi baten bhai log pi jate hain…au ant me diye gaye nirdesh pe dhyan hi nahi dete
Rounak Jain
मेने आपसे hi inspire होकर इन्वेस्टमेंट चालू किया और आज ज़ोरदार कंडिशन में हु 😃
Vivek Rastogi
Rounak Jain

वाह, ऐसे कमेंट बहुत खुशी देते हैं ❤️

Kamal Sharma
इस बाजार का गणित सरल है, जो इस गणित को समझ गया, वह अपने निवेश पर कमाई करेगा।
Rakesh Kumar
SIP me kaise investment kre
निवेश करने के बहुत से तरीके हैं, अब तो बहुत ही आसान हो चुका है, आप कोई भी म्यूचुअल फंड की एप्प या किसी एग्रीगेटर की एप्प इंस्टाल कर लीजिये और मजे में निवेश करिये।

बीमा आपको गलत तरीके से बेचा गया है, यह भी आपको साबित करना होता है (Are you the victim of Insurance or Financial Product Misselling)

     बीमा आपको गलत तरीके से बेचा गया है, यह भी आपको साबित करना होता है, नहीं तो कई बार बीमानियामक और बीमा लोकापाल भी आपकी कोई मदद नहीं कर सकते हैं ।

    एक ईमानदार सरकारी अधिकारी के बारे में बात करते हैं, लगभग 4 वर्ष पूर्व वे सेवानिवृत्त हुए ही थे और उन्हें लगभग 40 लाख रूपये निवेश करने थे, वे बहुत ही ईमानदार थे तो उनके पास इन रूपयों के अलावा और कुछ भी नहीं था, उनके निवेश करने के लक्ष्य साफ थे पहला नियमित आय और तीन वर्ष बाद उनकी बेटी की शादी के खर्च के लिये रकम चाहिये थी। एक निजी बैंक के बहुत ही अच्छे पॉलिसी बेचने वाले अधिकारी ने उन्हें यूनिट लिंक्ड बीमा प्लॉन याने कि यूलिप जिसमें कि इक्विटी का हिस्सा ज्यादा था, खरीदने के लिये प्रेरित किया और बैंक अधिकारी ने बताया कि यह बहुत ही सुरक्षित और बेहतरीन निवेश होगा, इससे आपकी जिंदगी बिल्कुल ही बदल जायेगी ।
  
    तीन वर्ष होने पर निवेशक ने पाया कि उनका निवेश केवल 29 लाख रूपये रह गया है, जिसमें कि पहले तीन वर्षों में उनके यूलिप में से अच्छे खासे शुल्क बीमा कंपनी और बैंक ने वसूल कर लिये थे, और अगर वे उस पॉलिसी को सरेंडर करते तो केवल 14 लाख रूपये मिलते । उन सज्जन को लगा कि मेरे साथ धोखा हुआ है और बस ह्रदयाघात नहीं हुआ । और उन्होंने बैंक और बीमा कंपनियों को शिकायत करना शुरू की, परंतु बैंक और बीमा कंपनियाँ से उन्हें कोई जबाव नहीं मिला।
    आखिरकार उन्होंने बीमा लोकापाल के पास शिकायत करने के निश्चय किया और जब बीमा लोकापाल के पास उन्होंने शिकायत की तो प्रथमदृष्टया ही साबित हो गया कि यूलिप इन सज्जन को गलत तरीके से बेचा गया है और यह मिससेलिंग का केस है। पर मिससेलिंग को सिद्ध कैसे किया जाये ?  सौभाग्यवश उन सज्जन के पास यूलिप खरीदने के दौरान बताये गये सारे कैलकुलेशन और दस्तावेज जो कि बैंक और बीमा कंपनियों ने उन्हें दिया थे वे मौजूद थे, जिसमें कि उन्होंने दर्शाया हुआ था कि किस प्रकार से उनके निवेश को पंख लग जायेंगे और आने वाले समय में उनका निवेश सुरक्षित तरीके से बहुत ज्यादा हो जायेगा।
    और इन कैलकुलेशन और दस्तावेज के कारण बीमा कंपनी को उन सज्जन को पूरे पैसे लौटाने पड़े, पर ऐसे भाग्यशाली लोग कितने होंगे जो ये सारे कागज जिनको मिलते होंगे और वे सँभाल कर रखते भी होंगे, वैसे तो जो भी लोग मिससेलिंग करते हैं या इस तरह की गतिविधियों में लिप्त रहते हैं वे इस तरह के सारे कैलकुलेशन और दस्तावेज निवेशक के हाथों आने ही नहीं देते हैं, वे कोई सबूत छोड़ते नहीं हैं ।
ध्यान रखने योग्य बातें –
    जब भी कोई बीमा या वित्तीय उत्पाद खरीदें, हमेशा कैलकुलेशन और दस्तावेज अपनी मास्टर फाईल में सँभाल कर रखें, जिससे अगर बेचा गया उत्पाद आगे अच्छा नहीं करे तो ये कैलकुलेशन और दस्तावेज आपके मददगार साबित हों ।

पुराने टर्म इन्श्योरेन्स v/s नये ऑनलाईन टर्म इन्श्योरेन्स (Old Term Insurance Vs New Online Term Insurance)

    अपनी एक टर्म इन्श्योरेन्स (Term Insurance) पॉलिसी के बारे में देख रहा था, तो सोचा कि आजकल बहुत सारे ऑनलाईन प्लॉन उपलब्ध हैं, तो नई सुविधाओं वाले प्लॉन देखें जायें और पुराने टर्म प्लॉन को बंद कर नयी सुविधाओं वाला टर्म प्लॉन खरीदा जाये। जब भी हम कोई भी बीमा पॉलिसी लेते हैं, तो सारी जानकारी लेने के बाद ही लेते हैं कि यह प्लॉन सबसे अच्छा हमें लग रहा है क्योंकि सबकी जरूरतें भी अलग अलग होती हैं। हर दो तीन वर्ष में बाजार में उपलब्ध नये बीमा उत्पाद जरूर देख लेने चाहिये। और अगर नये उत्पाद पुराने से बेहतर हैं तो पुराने को बंद कर नये बीमा उत्पाद को ले सकते हैं, टर्म इन्श्योरेन्स लेने का सबसे बड़ा फायदा यही है, अगर पारम्परिक प्लॉन लेते हैं तो आप सपने में भी उन बीमा पॉलिसियों को बंद करने की नहीं सोच सकते हैं, क्योंकि वे बीमा आपने अपने परिवार की सुरक्षा के लिये नहीं लिये होते हैं, वे बीमा तो आपने केवल निवेश के उद्देश्य से लिये होते हैं।
 
    अब हमारे पास HDFC Life का Term Assurance नाम का एक प्लॉन है, जिसे हमने HDFC बैंक से लिया था, और हम खुद से ही यह प्लॉन पसंद करके गये थे क्योंकि उस समय HDFC Life के ऑनलाईन बीमा उत्पाद नहीं थे, हाँ यहाँ बैंक के एजेन्ट ने एक चतुराई कर दी कि ऑटो डेबिट फैसिलिटी के बक्से (option) पर टिक कर दिया, जिसे शायद हमने उतने गौर से नहीं देखा, क्योंकि पहली किश्त तो ऐसे भी चैक से ही जाती है, अब इस बार जब ईमेल आया तो हमने गौर किया, पिछले दो वर्षों से तो हमें इस समय साँस लेने की फुरसत भी नहीं होती थी, तो हमने तुरंत फोन लगाया कि इस ऑटो डेबिट सुविधा को बंद किया जाये, तो हमें कहा गया कि आप [email protected] पर ईमेल करिये तो आपको सुविधा मिल जायेगी, हमने ईमेल किया कि De-register of Auto Debit Facility for Policy No. XXXXXX. हमें जबाब आया कि  If kindly submit/send the De-activation request/letter 15 days prior to the Premium Due date at any nearest HDFC Life branch or you may confirm us the same in revert so that we can also process your request. साथ ही एक नोट भी आया जिस पर हमारा ध्यान ज्यादा आकर्षित हुआ Note: As per the product features if the direct debit facility is active, you will avail a discount on the base premium amount of 10%.
 
    इसका मतलब साफ साफ यह था का इस सुविधा के साथ हमें 10% का प्रीमियम में छूट भी मिल रही थी। सो सोचा अब कुछ हो नहीं सकता इस वर्ष यही बीमा योजना चलने देते हैं, अब अप्रैल में देखेंगे, क्योंकि अगर हम अभी यह वाली पॉलिसी निरस्त करवाते और नई पॉलिसी लेते हैं तो हम परिवार को जोखिम में डाल देते, कि अगर मान लो कि नई पॉलिसी किसी कारण से हमें नहीं मिली और पुरानी वाली हमने बंद करवा दी और पीछे कुछ हो गया तो अपनी सारी फाइनेंशियल प्लॉनिंग धरी का धरी रह जायेगी।
 
    हमने तीन प्लॉन पसंद किये थे जिसमें से दो प्लॉन HDFC Life के हैं
  1. HDFC Protect Plus – Monthly Income
  2. HDFC Protect Plus – 10% increasing Monthly
    Income
तीसरा प्लॉन MAX LIFE ONLINE TERM LIFE COVER + 10% INCREASING MONTHLY INCOME MAX LIFE ONLINE TERM LIFE की प्रीमियम HDFC Protect Plus से कम है, MAX LIFE क्लेम सैटलमेंट के लिये अपना एक एडवाईजर नॉमिनी को देती है, परंतु HDFC Life नहीं, यहाँ नॉमिनी को खुद से ही HDFC Life के Claim Settlement Department को फोन करके सारी कागजी कार्यवाही पूरी करनी होती है।
 
    Monthly Income में केवल यह फायदा है कि अगर बीमा धारक को कुछ हो गया तो एक मुश्त बीमित धन का भुगतान तो नामिनी को मिलेगा ही, परंतु इसमें अगले दस वर्ष तक हर माह .5 प्रतिशत मासिक भुगतान भी प्राप्त होगा, HDFC Life .5% और MAX LIFE .4% मासिक भुगतान करती हैं, Increased Monthly Income में हर वर्ष 10% रकम बड़ती जाती है ।
 
    उदाहरण के लिये अगर 1 करोड़ का बीमा लिया और अगर बीमित व्यक्ति को कुछ हो गया तो नामिनी को जल्दी से जल्दी 1 करोड़ रूपया मिल जायेगा और अगले दस वर्ष तक 50,000 रू. हर माह भुगतान भी मिलेगा।
 
    आज जब MAX LIFE का ऑनलाईन फॉर्म भरा तो उसी समय MAX LIFE से धड़धड़ाते हुए फोन आ गया कि आप अभी ऑनलाईन यह उत्पाद देख रहे हैं, अगर कोई जानकारी चाहिये तो बताईये, हमने कहा कि आपका क्लैम सैटलमेंट रेशो क्या है, जबाब मिला 95.56%, तो हमने पूछा कि बाकी के 4% क्लैम आपने क्यों नहीं दिये, तो वे कुछ मेडिकल गलत मिला जैसा कुछ बोलीं तो हमने कहा कि आप तो बीमा देने के पहले मेडिकल करवाते हो फिर मेडिकल गलत कैसे हो गया, अगर कोई समस्या थी तो आपको बीमा ही नहीं देना चाहिये था, आपने उसका प्रीमियम लौटा देना था पर क्लैम नहीं देना तो गलत है, उधर से फोन काट दिया गया।
 
    तो यह समस्या आम है, ध्यान रखें जब भी टर्म इन्श्योरेन्स लें तो 2-3 कंपनियों से लें, ये न सोचें कि LIC से लेना सुरक्षित है, वे भी क्लैम सैटलमेंट में ऐसे ही होते हैं, तो जहाँ प्लॉन अच्छा मिले उस कंपनी से प्लॉन ले लें ।


कुछ पुरानी संबंधित पोस्टें – 














एटीएम कार्ड के बिना एटीएम से पैसे कैसे निकालें (Withdrawl Money from ATM without using ATM Card)

     एटीएम कार्ड के बिना एटीएम से पैसे निकालना अविश्वसनीय सी बात लगती है, परंतु तकनीकी युग में नई तकनीक विस्तार से अब बहुत कुछ संभव हो गया है, और हम इस सुविधा का उपयोग भारत में बहुत ही अच्छी तरह से कर सकते हैं, क्योंकि भारत में अभी भी पैसे एक जगह से दूसरी जगह भेजना एक दुष्कर कार्य की श्रेणी में आता है, हमें जब कुछ पैसे घर या बाहर अपने परिवार या परिचित को भेजने होते हैं, तब खासकर यह सुविधा बहुत ही फायदेमंद है।
 
    इसी वर्ष के आरंभ में बैंक ऑफ इंडिया और इंडसइंड बैंक ने एटीएम कार्ड के बिना एटीएम से पैसे निकालने की यह सुविधा अपने ग्राहकों को दी थी, अभी हाल ही में आईसीआईसीआई बैंक ने भी यह सुविधा अपने ग्राहकों
को दी, हालांकि जितना विज्ञापन और हल्ला आईसीआईसीआई बैंक ने किया उतना बैंक ऑफ इंडिया और इंडसइंड बैंक ने यह सुविधा शुरू करते समय नहीं किया था।
 
 
यह कार्य कैसे करता है –
 
  1. ग्राहक के पास इंटरनेट सुविधा उपलब्ध होना चाहिये
  2. ग्राहक के पास मोबाईल होना चाहिये
  3. ग्राहक को अपने अकाऊँट में लॉगिन करना होता है
  4. ग्राहक को कैश बैनीफीशयरी में अपना या / और जिन्हें पैसे निकालने हैं, उन्हें पंजीकृत करना होगा, जिसमें
    नाम, मोबाईल नंबर, ईमेल एवं पता देना होता है
  5. जब भी आपको पैसे निकालने हैं तो इंटरनेट बैंकिंग में ए.टी.एम. निकास सुविधा में जाकर, बैनीफीशयरी चुनें और रकम का उल्लेख करें
  6. जैसे ही आप कन्फर्म कर देंगे तो बैनीफीशयरी के मोबाईल पर एक कोड आ जायेगा
  7. अब वह बैनीफीशयरी उल्लेखित ए.टी.एम. पर जाकर अपना मोबाईल नंबर, कोड और रकम डालकर पैसे बिना कार्ड के निकाल सकता है
ध्यान रखने की बातें –
 
बैनीफीशयरी रकम को 14 दिन तक निकाल सकता है, अगर बैनीफीशयरी 14 दिन में रकम नहीं निकालता है या गलत सूचना ए.टी.एम. में प्रविष्ट करता है तो रकम वापिस से अकाऊँट में जमा हो जाती है ।
 
कैसे लाभ उठायें –
 
– अगर घर पर पैसे भेजने हों तो अपने माता पिता को बैनीफीशयरी के रूप में पंजीकृत कर लें और  वे आराम से अपने शहर से पैसे निकाल सकते हैं।
– अगर आप कहीं बाहर घूमने जा रहे हैं और साथ में ए.टी.एम. कार्ड रखने का जोखिम नहीं उठाना चाहते हैं तो अपने को बैनीफीशयरी बनाकर इस सुविधा का लाभ उठा सकते हैं।
– अगर आपके पुत्र या पुत्री कहीं दूर रहते हैं तो बैनीफीशयरी में उनको जोड़कर उन्हें सीधे ए.टी.एम. से पैसे निकाल सकते हैं, और उन्हें ए.टी.एम. कार्ड भी नहीं रखना होगा।
 

फाइनेंशियल बकवास (FinancialBakwas)

हमने यूट्यूब पर फाइनेंशियल बकवास नाम से नया चैनल शुरू किया है, जिसमें पर्सनल फाईनेंस से संबंधित बातों को वीडियो या प्रेजेन्टेशन के माध्यम से बताने का एक प्रयास है ।

अभी तक हमने यहाँ 5 वीडियो अपलोड किये हैं, आप भी देखिये और बताईये कि आगे आप और क्या सुनना चाहते हैं । मैं इस चैनल में मुख्यत: बात करूँगा –
1. म्यूचअल फंड
2. जीवन बीमा
3. मेडीक्लेम
4. दुर्घटना बीमा
5. शेयर बाजार
6. निवेश के तरीके
7. सेवानिवृत्ति की योजना
8. क्रेडिट कार्ड
9. टैक्स में बचत
10. कैसे अच्छे उत्पाद चुनें
11. अपने धन के सही तरीके से कैसे उपयोग करें

एल आई सी या टर्म इन्श्योरेन्स और आवर्ती जमा LIC or Term Insurance and Recurring Deposit in Hindi

 

त्योहारों पर म्यूचयल फंड उपहार में दें Gift Mutual Funds On Festivals (Hindi)

म्यूचअल फंड क्या होता है What is Mutual Fund in Hindi

म्यूचअल फंड योजनाओं के प्रकार हिन्दी में Mutual Fund Type of Schemes In Hindi

म्युचअल फंड योजनाओं के प्रकार एवं संरचना – हिन्दी Types of Mutual Funds and Structure in Hindi

 

भारत में पहली बार सोशल बैंकिंग जिफि बैंक खाता

    भारत में बैंकों के इतिहास में पहली बार कोटक महिन्द्रा बैंक ने इंडीब्लॉगरों के मध्य सोशल बैंकिंग पर आधारित अपना पहला उत्पाद 23 मार्च को बाजार में उतारा । जिसका नाम जिफि #JIFI दिया गया है । ट्विटर पर इसे #JifiIsHere के टैग से देखा जा सकता है । जिफि खाता खुलवाने के लिए फेसबुक एकाऊँट का होना जरूरी आवश्यकता है। जिफि एकाऊँट का निमंत्रण पाने के लिए ईमेल या फेसबुक लॉगिन का उपयोग करना होता है।
    सोशल बैंकिंग में  बैंक की सारी नई जानकारियाँ जिफि बैंक खाताधारक अपने ट्विटर हैंडल पर सीधे पा सकता हैं, बैंक जिफि ग्राहकों को डाइरेक्ट मैसेज से जानकारी भेजेगी, जिससे जिफि ग्राहक की जानकारी पूर्णरूप से गोपनीय रहेगी । जिफि ग्राहक बैंक को सीधे ट्विट करके अपने खाते की जानकारी ले सकते हैं । तो जिफि ग्राहकों के लिए अपना बैलेंस जानना भी केवल एक ट्विट करने भर की दूरी पर है।
    जिफि ग्राहक अपना एकाऊँट एक्टिवेट करने के बाद अपने ट्विटर हैंडल को जिफि डेशबोर्ड से जोङना है, इस सुविधा का लाभ वे सभी जिफि ग्राहक उठा सकते हैं जिनके पास ट्विटर एकाउँट है।

ट्विटर पर ट्विट करके जिफि ग्राहक  निम्न जानकारियाँ पा सकते हैं

–    बैलेंस जानना, आखिरी तीन ट्रांजेक्शन, पिछले तीन महीने के स्टेटमेंट ईमेल पर मँगाना, किसी चेक के स्टेटस की जानकारी, नई चेकबुक का लिए आवेदन, पास के एटीएम एवं शाखा के बारे में जानकारी, नेट बैंकिंग एवं फोन बैंकिंग का पिन बदलना, ऐसे ही क्रेडिट कार्ड के बारे में जानकारी पा सकते हैं। यहीं पर जिफि ग्राहक अपने रैफेरल और रिवार्ड पॉइंट्स के बारे में भी जान सकते हैं।
    अगर आपका ट्विटर एकाउँट हैक भी हो जाये तो kotakjifi.com पर लॉगिन करके ट्विटर एकाउँट हैंडल हटा दें।
    500 रू. के ऊपर के हर ऑनलाइन ट्रांजेक्शन पर 25 पॉइंट्स मिलेंगे और हर रैफेरल पर 250 सोशल पॉइंट्स मिलेंगे। जिफि ग्राहक मोबाईल एप्प से भी बैंकिंग कर सकते हैं। जिफि बैंक एकाऊँट में सबसे अच्छी बात है कि 25 हजार के ऊपर का बैलेन्स अपने आप फिक्सड डिपोजिट बन जायेगी।
    तो इंतजार किस बात का, kotakjifi.com पर लॉगिन कीजिये और जिफि ग्राहक बनिये ।
    Indiblogger.in को इस बेहतरीन अनुभव का साक्षी बनाने के लिए  धन्यवाद ।

मित्र के लिये बैंक से ऋण (Bank loan for friend)

    मित्र के साथ मिलकर बैंक से ऋण (Loan from bank with friend) लेना या मित्र के लिये बैंक से ऋण लेना (Loan from bank for friend), दोनों ही किसी मुसीबत के लिये निमंत्रण हो सकते हैं। थोड़े समय पहले हमारे एक सहकर्मी ने हमसे इस बाबत बात की, और कहा कि उन्होंने बैंक से १० वर्ष पहले प्रधानमंत्री रोजगार योजना (Pradhamantri Rojgar Yojna) में एक लाख रूपये का ऋण लिया था, ऋण पूरा मित्र “अजय” के नाम पर था, परंतु पीछे वास्तविकता में उनके मित्र “बिजय” उस व्यापार जिसके लिये ऋण लिया गया था, बराबर के हिस्सेदार थे, केवल बैंक में “अजय” के नाम से ऋण लिया गया, जबकि “बिजय” का नाम कहीं भी नहीं था। दोनों बहुत अच्छे दोस्त थे, दोनों को एक दूसरे पर बहुत यकीन था।
    दोनों अपना अपना काम करने लगे, व्यापार थोड़ा चल निकला,  फ़िर “अजय” को ठीकठाक सी नौकरी मिल गई, तो “अजय” ने “बिजय” को व्यापार की बागडोर थमाई और नौकरी में चले गये। जब तक “अजय” व्यापार में साथ था तब तक ऋण का मासिक भुगतान समय पर बैंक को होता रहा, परंतु जैसे ही “अजय” नौकरी के लिये गया, “बिजय” ने बैंक की ऋण अदायगी बंद कर दी। बैंक के रिकार्ड में उनका ऋण खाता निष्क्रिय की श्रेणी में आकर एन.पी.ए. (Non Performing Asset) घोषित कर दिया गया।
    पहले बैंक ने “अजय” से संपर्क किया और प्रधानमंत्री रोजगार योजना के अंतर्गत लिया गया ऋण चुकाने की बात कही, तो “अजय” ने बैंक को कहा कि मैंने तो कब से व्यापार से नाता तोड़ लिया है और अब मेरा मित्र “बिजय” उस व्यापार को चला रहा है, तो बैंक ने कहा “ऋण तो आपके नाम से है, “बिजय” के नाम से नहीं है, आप हमारा पैसा हमें लौटा दीजिये” ।
    “अजय” परेशान हो गया कि आखिर “बिजय” को यह क्या हो गया जो उसने हमारे अपने व्यापार को जमाने लिये गये ऋण को नहीं चुकाया, जबकि व्यापार अच्छा चल रहा है, जब उसने “बिजय” से बात करने की कोशिश की, पहले तो “बिजय” फ़ोन पर ही नहीं आया, चूँकि “अजय” की नौकरी घुमंतु वाली थी, कभी इस शहर कभी उस शहर। छुट्टियों में “अजय” घर गया और “बिजय” से मिला तो “बिजय” बड़ी ही रूखाई से पेशा आया और कहा ऐसा है कि ऋण तुमने लिया तो मैं क्यों भरूँ, ऋण तो तुमको ही भरना पड़ेगा, मेरे नाम पर ऋण थोड़े ही है, “अजय” यह सुनकर रूआंसा हो गया।
    “अजय” ने “बिजय” से बात करके समस्या का हल निकालने की पूरी कोशिश करता रहा, “बिजय” को लग रहा था कि ऋण चुकाना केवल “अजय” की जिम्मेदारी है, परंतु जब “अजय” ने समझाया कि हमने साझेदारी में व्यापार शुरू किया था, तो तुम भी तो ऋण के साझेदार हुए, “बिजय” को बात समझ आ गई और वह आधा ॠण भरने को तैयार हो गया, अब “अजय” फ़िर परेशान था, क्योंकि उसने तो व्यापार में से एक पैसा भी नहीं लिया था, फ़िर भी उसे आधा ऋण चुकाने के लिये बाध्य होना पड़ रहा है, “अजय” को पता था कि “बिजय” वह आधा ऋण के पैसे निकालने में ही उसके पसीने छुड़ा देगा। और बैंक “अजय” के पीछे पड़ी हुई थी।
    यही वह समय था, जब “अजय” मुझसे मिला और इस बाबत अपनी राय माँगी, हमने कहा “बिजय” को ऋण देने के लिये राजी तो तुमको ही करना पड़ेगा, नहीं तो आधा ऋण फ़ालतू में तुमको अपनी जेब से भरना पड़ेगा, अब “अजय” ने फ़िर से “बिजय” से बात की, व्यापार को छोड़कर मैं तो नौकरी में चला गया था, तो पूरा ऋण तुम्हें ही चुकाना होगा, अब इस बात पर “बिजय” उखड़ गया। “बिजय” बोला एक तो ऋण तुम्हारे नाम पर है, फ़िर भी मैं आधा ऋण चुकाने को तैयार हो गया हूँ और अब तुम पूरा का पूरा मेरे ऊपर डालना चाहते हो।
    खैर “अजय” ने हमसे कहा कि मैं बात को ज्यादा तूल नहीं देना चाहता हूँ, मैं आधी रकम जो कि लगभग पैंतीस हजार होती है मैं बैंक को चुका देता हूँ और बाकी की मेरा मित्र “बिजय” चुका देगा, “अजय” ने बैंक से सैटलमेंट किया कि हम केवल मूल ऋण चुका पायेंगे, ब्याज की राशि माफ़ की जाये, तो बैंक इस बात के लिये राजी हो गया और कुल सत्तर हजार के ऋण में से आधी रकम “अजय” ने बैंक को चुका दी और बाकी की रकम “बिजय” को चुकानी थी, बिजय ने अजय को पोस्ट डेटेड चेक देकर कहा कि इन तारीखों में मेरे भुगतान आने हैं, तुम बैंक में लगा देना। “बिजय” ने दस हजार के तीन चेक दिये थे, और तीनों के तीनों बाऊँस हो गये, और इसी बीच “अजय” को “बिजय” ने बाकी के पांच हजार रूपये नकद में दे दिये।
    बैंक वालों ने “अजय” का पीछा नहीं छोड़ा और कहा कि हमारा पूरा पैसा चाहिये तुम्हारी साझेदारी तुम्ही जानो, हमारे लिये तो कर्जदार तुम हो और तुम हमारा पूरा पूरा ऋण चुकाओ, नहीं तो हम तुम्हारा केस अब वसूली के लिये कलेक्टर कार्यालय को भेज रहे हैं। वहाँ से कुर्की के आदेश भी निकल सकते हैं। “अजय” घबरा गया, उसने फ़िर से “बिजय” से बात की और चेक बाऊँस होने के कारण नकद रूपये देने की बात कहीं, अब बिजय अजय को थोड़े थोड़े करके नकद रूपये देकर ऋण चुका रहा है।
    इस बात से एक अनुभव मिलता है कि कभी भी अगर साझे में कोई भी काम करो तो ऋण भी साझेदारी में ही होना चाहिये, फ़िर चाहे कोई कितना भी अच्छा दोस्त हो या रिश्तेदार हो, ऐसे कार्यों में सहानुभूति से कार्य नहीं लेना चाहिये और व्यवहारिकता से सोचना चाहिये, पैसा निकालने में जान निकल जाती है और कानून डंडा लेकर आपके पीछे पड़ा रहता है।
    बेहतर है कि या तो साझे में ॠण ना लें या लें तो उसके बराबर दस्तावेज हों, वैसे ही कभी मित्र या रिश्तेदार की मदद करने के लिये कोई ऋण ना लें, अन्यथा परेशानी का सामना आपको ही करना पड़ेगा। एक बार मना करके बुराई मिलती है तो इतनी सारी आने वाली परेशानियों से वह बुराई बेहतर है।

नामांकन आपके परिवार के लिये बहुत जरूरी है.. (Nomination is very important for your family)

    अपने निवेश और संपत्ति के लिये उत्तराधिकारी की घोषणा आपके जीवन में महत्वपूर्ण कार्यों में से एक होता है। इसके बारे में कुछ ही लोगों, निवेशकों को पता है, नामांकन के ना होने (उत्तराधिकारी घोषित ना होने की दशा में) किन किन समस्याओं का सामना करना पड़ता है यह भी बहुत कम लोगों को पता है। यहाँ पर कुछ अच्छी बातें उन निवेशकों के लिये जो अपने निवेशों के लिये उत्तराधिकारी घोषित कर अपनी और अपने प्यारों की जिंदगी को बेहतर बनाना चाहते हैं।
    जिंदगी अनिश्चितताओं पर चलती है और इसी कारण नामांकन आपके अपने परिवार के लिये आराम है, जिससे ऐसी किसी भी परिस्थिती के बाद परिवार आपके निवेशों को आराम से पा सके, जो निवेश आपने अपने प्यारों दुलारों के लिये किया है, वह निवेश आराम से उन तक पहुँच भी सके। नामांकन उनके लिये केवल अच्छा ही नहीं बहुत अच्छा होगा, जब उनको आपके निवेश की अधिक आवश्यकता होगी, या खर्चे के लिये पैसों की या फ़िर आपके प्यारों के लिये उस धन / रकम को अपने नाम पर करना होगा, तो नामांकन होने की दशा में उनको बहुत ही कम यानि कि ना के बराबर औपचारिकता निभाना होगी। नामांकन ना होने की दशा में आपके निवेशों तक पहुँचने के लिये आपके अपने परिवार को पूरी कानूनी कार्यवाहियों से गुजरना पड़ेगा। जो कि उनके लिये सिरदर्द तो होगा ही, साथ में उतना ही परेशानी वाला रास्ता भी होगा। और जब आपके परिवार को धन की आवश्यकता होगी तो वे धन होने की स्थिती में भी इसका उपयोग नहीं कर पायेंगे।
nomination    नामांकन बहुत आसान प्रक्रिया है, नामांकन प्रपत्र लगभग हर दस्तावेज के अंत में होता है, जिसमें निवेशक को अपने उत्तराधिकारी की जानकारी भरना होती है जैसे कि नाम, रिश्ता, पता, फ़ोन नंबर, कई जगह एक गवाह की जरूरत होती है, पर आजकल अधिकतर आप सीधे नामांकन कर सकते हैं, एक प्रतिलिपी आप अपने पास रख सकते हैं या फ़िर अपनी निवेश डायरी में नोट कर लें। जिन लोगों ने यह सुविधा नहीं ली है, वे लिखित में एक पत्र देकर नामांकन करवा सकते हैं। नामांकन करना बहुत ही सरल कार्य है।
    याद रखें, आपके लिये नामांकन करने का प्रावधान हमेशा खुला हुआ है, आप कभी भी नामांकन कर सकते हैं, आप विशेषकर इन निवेशों में जरूर नामांकन का उपयोग करें –
१. बैंक में बचत खाता / सावधि जमा खाता ( Saving Account/ Fixed Deposit)
२. बीमा  (Insurance Policy)
३. शेयर एवं म्यूचयल फ़ंड (Shares and Mutual Funds)
४. अन्य जमा जैसे कंपनी डिपोजिट, पीपीएफ़., पीएफ़ (Company Fixed Deposit, Public Provident Fund, Provident Fund)
    वैसे तो साधारणतया: खाता खोलते समय नामांकन की औपचारिकताunomination को पूरा करवा लिया जाता है, परंतु अगर खाता खोलते समय नामांकन नहीं कर पाये हों तो नामांकन बाद में कभी भी किया जा सकता है। आप बाद में नामांकन को बदल भी सकते हैं और हटा भी सकते हैं। और यह केवल वही निवेशक कर सकता है, जिसने नामांकन किया था ।
    अगर आप नामांकन में एक से ज्यादा उत्तराधिकारी बनाना चाहते हैं तो यह भी संभव है, केवल उन उत्तराधिकारियों के सामने उनके हिस्से के प्रतिशत को बता दीजिये।
नाबालिग, ट्रस्ट, सरकार, स्थानीय अधिकारी, गैर निवासियों को भी उत्तराधिकारी बनाया जा सकता है।
उत्तराधिकारियों को धन प्राप्त करने के लिये क्या करना होगा ?
१. सभी बैंकों एवं संस्थाओं में मृत्यु प्रमाण पत्र की एक मूल और एक जेरॉक्स दें ।
२. केवायसी के लिये सही उत्तराधिकारी के प्रमाण पत्र प्रस्तुत करें।
३. अगर निवेश की रकम एक लाख रूपये से ज्यादा है तो संस्था इन्डिमिनिटी बांड की मांग कर सकती हैं।
४. नामांकन ना होने की दशा में संस्थाओं द्वारा वसीयत मांगी जा सकती है, उत्तराधिकार प्रमाणपत्र, अन्य वारिसों से अनापत्ति प्रमाण पत्र की जरूरत होगी।

म्यूचयल फ़ंड में डाइरेक्ट या रेग्यूलर प्लॉन किसमें निवेश करें ?(Where to Invest Mutual fund Direct or Regular plan)

    म्यूचयल फ़ंड में डाइरेक्ट प्लॉन के जरिये निवेश करना एक अच्छा विकल्प है। पर डाइरेक्ट प्लॉन में तभी निवेश करें जब आपको म्यूचयल फ़ंड के बारे में अच्छी जानकारी है, अगर आपको म्यूचयल फ़ंड के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है तो बेहतर है कि आप डाइरेक्ट प्लॉन ना लें और किसी ब्रोकर, एजेन्ट या डिस्ट्रीब्यूटर से ही प्लॉन लें।
    डाइरेक्ट प्लॉन इसी वर्ष १ जनवरी २०१३ से शुरू हुआ है, और यह इस प्लॉन में निवेश करने वालों के लिये म्यूचयल फ़ंड हाऊस ने अपनी लागत कितनी कम की है और निवेशक को कितना फ़ायदा पहुँचाया है यह भी निकट भविष्य में पता चलेगा । फ़ंड हाऊस के हर म्यूचयल फ़ंड स्कीम में अब दो प्लॉन होंगे । एक तो वही पुराना रेग्यूलर प्लॉन और दूसरा डाइरेक्ट प्लॉन जिनकी एन.ए.वी. भी अलग अलग होंगी। डाइरेक्ट प्लॉन में निवेश करने वाले निवेशक को लंबी अवधि में अच्छा फ़ायदा होने की उम्मीद है, परंतु कितना अंतर होगा यह फ़ंड हाऊस कितनी लागत कम करता है और कितना अधिक फ़ायदा निवेशक को देता है।
    रेग्यूलर प्लॉन और डाइरेक्ट प्लॉन की एन.ए.वी. में अभी केवल .१०% से १.२५% तक का अंतर देखने को मिला है। पर यह अंतर पिछले ७-८ महीने का ही है, अगर फ़ंड हाऊस अपनी लागत कम कर डाइरेक्ट निवेशक को ज्यादा फ़ायदा देंगे तो लंबी अवधि में यह अंतर ३ से ५ प्रतिशत तक हो सकता है । हालांकि फ़ंड हाऊस डिस्ट्रीब्यूटर्स, ब्रोकर और एजेन्टों को खुश करने के लिये ज्यादा फ़ायदा भी डाइरेक्ट निवेशक को नहीं देने वाले हैं, अभी भी जिन निवेशकों ने किसी एजेन्ट के जरिये निवेश कर रखा है वे अपने निवेश को डाइरेक्ट प्लॉन में स्विच कर सकते हैं। निवेशक अधिकतर केवल यह कदम इसी दशा में करता है जब उसे डिस्ट्रीब्यूटर्स, ब्रोकर और एजेन्टों से मदद नहीं मिलती । खैर हमने तो अधिकतर यही देखा है कि अभी हमारे निवेशकों में इतनी जागरूकता नहीं है कि वे खुद जाकर फ़ंड के बारे में समझें, जो भी उनके आसपास उन्हें बेचने आ जाता है तो त्वरित निर्णय में म्यूचयल फ़ंडों की खरीदारी की जाती है।
    रेग्य़ूलर प्लॉन में म्यूचयल फ़ंड  लेने से डिस्ट्रीब्यूटर्स, ब्रोकर और एजेन्टों को उनका कमीशन मिलता है जो कि उनके लिये जरूरी भी है, क्योंकि वे उसी कमीशन की कमाई से निवेशक को सुविधाएँ भी देते हैं जैसे कि पता बदलना, बैंक का बदलना, निवेश को एक फ़ंड से दूसरे फ़ंड में स्विच करना, नामांकित करना, निवेश खाते में बदलाव, फ़ोन नंबर बदलना इत्यादि।
    डाइरेक्ट प्लॉन में म्यूचयल फ़ंड लेने पर निवेशक को खुद ही यह सारे कार्य करने पड़ते हैं, वैसे आजकल यह सुविधा बहुत अच्छी हो गई है, लगभग सभी म्यूचयल फ़ंडों में बहुत सारी सुविधाएँ ऑनलाईन / फ़ोन के द्वारा ही उपलब्ध हैं। अगर फ़िर भी परेशानी है तो इन म्यूचयल फ़ंडों के ग्राहक सेवा पर फ़ोन करके परेशानी सुलझायी जा सकती हैं।

बिना पेन कार्ड के म्यूचयल फ़ंड माइक्रो निवेश सुविधा (Without PAN !!! Invest in Micro Investment Facility)

    बिना पेन कार्ड के म्यूचयल फ़ंड में निवेश करना बहुत मुश्किल है, वह भी जब से नियामक ने KYC के नियम म्यूचयल फ़ंड खरीदने के लिये लागू कर दिये हैं, तब २०११ में नियामक ने म्यूचयल फ़ंड खरीदने के लिये जिन लोगों के पास पेन कार्ड नहीं थे उन लोगों के लिये नियामक ने माइक्रो निवेश सुविधा उपलब्ध करवाई ।

    अभी हाल ही में रिलायंस म्यूचयल फ़ंड ने भी माइक्रो निवेश सुविधा (Micro Investment Facility) उपलब्ध करवाई है, जो कि बाजार में १४ जून से आम निवेशक के लिये उपलब्ध है।

     माइक्रो निवेश सुविधा के तहत निवेशक वर्षभर में ज्यादा से ज्यादा केवल ५०,००० रूपये का निवेश कर सकता है, फ़िर भले ही वह निवेश सिप (SIP – Systematic Investment Plan) या फ़िर एक मुश्त (LumpSum Investment) हो, पर कुल मिलाकर दोनों या एक निवेश ५०,००० रूपयों से ज्यादा नहीं होना चाहिये। और यह ५०,००० रूपये अप्रैल से मार्च के मध्य ही निवेशित होने चाहिये, याने कि अगर किसी को अपना निवेश जारी करना है तो उसे वित्तीय वर्ष का पालन करना होगा ।

    इस सुविधा को केवल वही निवेशक ले सकेगा जिसके पास अधिकृत रूप से पेन कार्ड नहीं है, और अगर अगर निवेशक उस वित्तीय वर्ष के मध्य में इस योजना से निकास करता है तो वह उस ५०,००० रूपये की लिमिट में नहीं आयेगा।

    यह सुविधा केवल व्यक्तिगत, एन आर आई, अल्पवयस्क संरक्षक के साथ, एकल स्वामित्व वाले व्यवसाय एवं संयुक्त खाते को उपलब्ध है। पहले खातेधारी के पास पेन कार्ड नहीं होना आवश्यक शर्त है । अन्य श्रेणियाँ जैसे PIO, HUF, QFI, Non-Individuals इस सुविधा का उपयोग नहीं कर सकते हैं।

म्यूचल फ़ंड क्या करें, क्या न करें ? (Mutual Funds DOS and DON’TS)

    माइक्रो निवेश सुविधा में निवेश करने के लिये निवेशक को निम्न दस्तावेज निवेशक सुविधा केन्द्र पर जमा करने होंगे –

१. साधारण आवेदन पत्र

२. PAN Exempt KYC Reference No (PEKRN) acknowledgement issued by KRA. For more details click here

    यहाँ निवेशक को ध्यान रखना चाहिये कि वह एक वित्तीय वर्ष में केवल ५० हजार रूपये ही निवेश कर सकता है।

micro investment facility

    ऊपर दिये गये उदाहरण में एक्स महाशय एकमुश्त और सिप के जरिये एक वित्तीय वर्ष में जो निवेश कर रहे हैं, वह ५०,००० रूपये से कम है इसलिये यह वैधानिक है, परंतु वाय महोदय का निवेश एक वित्तीय वर्ष में ५०,००० रूपयों से ज्यादा हो रहा है इसलिये इनका आवेदन पत्र ही अस्वीकार कर दिया जायेगा।