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पाँच काम बिल्कुल बेफिकर उमरभर करना चाहता हूँ

    हर कोई चाहता है कि हमेशा बेफिकर उमरभर रहे पर ऐसा होता नहीं है, सब जगह मारामारी रहती है, कोई न कोई फिकर हमेशा जान को लगी ही रहती है, और उस फिकर की फिकर में हम अपने जीवन में जो कुछ करना चाहते हैं, वो सब भूल जाते हैं या यूँ भी कह सकते हैं कि पेट की आग के आगे अपने शौकों को तिलांजली देनी पड़ती है । काश कि हम जीवनफर
बेफिकर रहें तो मैं ये पाँच काम बिल्कुल बेफिकर उमरभर करना चाहता हूँ, जिससे मुझे ये पाँच काम बहुत ही महत्वपूर्ण लगते हैं और ये मेरे लिये हमेशा ही प्राथमिकता भी रही है।
1. गैर सरकारी संगठन शुरू करना – महाकाल के क्षैत्र उज्जैन में एक गैर सरकारी संगठन की स्थापना करना, जिसकी मुख्य गतिविधियाँ हों – 
 
अ.     बच्चों की ऊर्जा को सकारात्मक रूख देना, जिससे बच्चे अपनी ऊर्जा का उपयोग अपनी मनपसंदीदा गतिविधियों में कर पायें और अपने शौक को पहचान कर जुनून में बदल पायें।
आ.  आधुनिक श्रम केक्षैत्र में हमारे आजकल के नौजवान खासकर गाँव के नौजवान जो इंजीनियरिंग या कोई और
पढ़ाई नहीं कर पाये, उनकी प्रतिभा को निखारकर उन्हें आधुनिकतम तकनीक के बारे में जानकारी देना और उनका मार्गदर्शन करना, जिससे वे अपने जीवन स्तर को उच्चगुणवत्ता के साथ जी पायें और समाज को नई दिशा दे पायें।
इ.   निजी वित्त से संबंधित परिसंवाद गाँव गाँव आयोजित करना जिससे छोटी जगहों के लोग भी आजकल बाजार में उपलब्ध जटिल वित्तीय उत्पादों में निवेश कर पायें और एजेन्टों द्वारा किसी भी तरह के उत्पादों के खरीदे जाने से बच सकें।

2. किताबें पढ़ना – किताबें पढ़ने के बहुत शौक है, हर वर्ष बहुत सारी किताबें खरीद लेता हूँ, और नई किताबें अधिकतर तभी लेती हूँ जब पास में रखी किताबें पढ़ चुका होता हूँ, कोशिश रहती है कि महीने में कम से कम एक किताब तो पढ़ ही ली जायें,
मुझे हिन्दी की साहित्यिक किताबें पढ़ना बहुत भाता है, अभी हाल ही में लौहपुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की जीवनी
सरदार और आचार्य विष्णु प्रभाकर की जीवनी का प्रथम भाग पंखहीन पढ़ा है, अभी तक की पढ़ी गई किताबों में सर्वश्रेष्ठ किताब सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन “अज्ञेय की शेखर एक जीवनी लगी । 

3.   कहानी और नाटक लिखना लिखना अपने आप को अंदर से जानना होता है और जब कोई हमें पढ़ता है तो वह हमें अंदर तक जान लेता है, हम क्या बताना चाहते हैं, कैसे शब्दों को ढ़ालते हैं, पात्रों को कैसे रचते हैं, कैसे हम पाठक को अपनी भाषाशैली से और विभिन्न सामाजिक उदाहरणों से प्रभावित करते हैं, कई पाठकों के लिये कुछ किताबें उनके जीवन की धुरी हो जाती हैं, इस तरह की कहानियाँ और नाटक मैं अपने पाठकों के लिये लिखना चाहता हूँ। 
4. महाकाल की आरती के नित्य दर्शन करना – जब होश सँभाला तब पाया कि बाबा महाकाल की अनन्य भक्ति में कब मैं घुलमिल गया हूँ, कब ये मेरी जीवनशैली में इतना घुलमिल गया कि मैं उस भक्ति में पूरा डूब चुका हूँ, पता ही नहीं चला। मेरे जीवन के इस दौर में भी मैं भले ही उज्जैन से इतनी दूर हूँ पर बाबा महाकालेश्वर में मन इतना रमा हुआ है कि मैंने कब बाबा महाकाल का ब्लॉग बना दिया और फिर उस ब्लॉग पर फोटो भी गाहे बगाहे अपलोड करता रहता हूँ कि मेरे साथ ही साथ उनको भी दर्शन हों जो महाकाल से जुड़ना चाहते हैं। महाकाल की आरती बहुत ही भव्य और आनंदमयी होती हैं, मैं अपना तन मन सब भूल जाता हूँ, कई वर्षों पहले संझा आरती में लगभग रोज ही मैं बाबा महाकाल की आरती में घंटे बजाता था, और निश्चय ही यह सौभाग्य बाबा महाकाल की असीम कृपा के कारण ही मुझे प्राप्त हुआ होगा। हालांकि आजकल भक्तों को यह सेवा करना निषेध कर दिया गया है। 
5. हैकर बनना – जब डायलअप इंटरनेट का दौर था, तब हमने पहली बार हैकिंग की शुरूआत की थी, चुपके से दूसरे के घर से उसका आई.पी. लेते थे और फिर हमारे पास एक हैकिंग सॉफ्टवेयर था जिससे हम उसके कम्प्यूटर को नियंत्रित कर लेते थे, और हमारा मित्र बेबस सा देखता रह जाता था। हैकिंग में बहुत कुछ नया करने को है, जिससे हम आधुनिक सुरक्षा प्रणाली को और मजबूत बनाने में सहयोग कर सकते हैं। 
 

देखा पापा टीवी पर विज्ञापन देखकर IDBI Life Childsurance Plan लेने का नतीजा, “लास्ट मूमेंट पर डेफ़िनेटली पैसा कम पड़ेगा”।

हाल ही में आप सभी लोग टीवी पर आई.डी.बी.आई. फ़ेडेरल जीवन बीमा कंपनी का बच्चों के जीवन बीमा का  एक विज्ञापन बहुत देख रहे होंगे “देखा पापा, ऐसा वैसा प्लॉन लोगे तो लास्ट मूमेंट पर पैसा कम पड़ सकता है” और फ़िर कहता है कि “आई.डी.बी.आई. लाईफ़ चाईल्ड्श्योरेंस प्लॉन खरीदें – प्लॉन जो फ़ैल न हो”।
विज्ञापन वाकई बहुत ही भावनात्मक है, विज्ञापन एजेन्सी ने अपना काम बहुत अच्छे से किया है। मुझे लगता है कि आप सभी लोग भी इस भावनात्मक विज्ञापन से जरूर प्रभावित हुए होंगे और बच्चों के लिये इस प्लॉन को लेने की सोच रहे होंगे।
बद्किस्मती से जिसने भी यह प्लॉन बनाया है उसे हम शून्य (0) देंगे क्योंकि यह प्लॉन निवेशक के लिये अच्छा नहीं है। एक मित्र ने भी यह विज्ञापन देखा और फ़ोन करके पूछा कि विज्ञापन बहुत अच्छा है, पर यह देखकर बताओ कि उत्पाद अच्छा है या नहीं ? मुझे यह प्लॉन खरीदना चाहिये या नहीं ?
मैं वेबसाईट पर गया और उनका ब्रॉऊशर डाऊनलोड किया, और उनके चार्जेस को देखकर संत्रस्त हो गया । ( जो कि कभी भी निवेशक को बताये ही नहीं जाते हैं।) ये देखिये –
idbichildsuranceplanअगर @10% भी इस प्लॉन से मिलता है जो कि बीमा कंपनी द्वारा प्रदर्शित और विज्ञापित किया जा रहा है, तो भी आपको शायद ही सकारात्मक रिटर्न्स मिल पायेंगे, और इस बात पर हम यह कह सकते हैं, अगर आप यह प्लॉन खरीदते हैं तो “लास्ट मूमेंट पर डेफ़िनेटली पैसा कम पड़ेगा”।

सबसे बढ़िया है कि एस.आई.पी. से म्यूचयल फ़ंड में निवेश किया जाये और परिवार को सुरक्षित रखने के लिये टर्म प्लॉन लिया जाये। यह काफ़ी समय से आजमाया हुआ समीकरण है पर दुर्भाग्य से केवल 5% लोग ही इसे समझते हैं।
एक और सलाह, अगर पिछले ३-४ वर्षों में आपने कोई भी बच्चों का बीमा प्लॉन खरीदा है तो उसका वापिस से विश्लेषण कर लेना चाहिये और अगर जरूरत पड़े तो उस बीमा को खत्म करके म्यूचयल फ़ंड में एस.आई.पी. के जरिये निवेश करें। आपको लंबे समय में इस प्लॉन से तो अच्छा रिटर्न मिलेगा।

यह एटिका वेल्थ के ईमेल का अनुवादित स्वरूप है।

जिनका स्लोगन मुझे बहुत ही अच्छा लगता है – “What is good for the client is also good for the firm” – T Rowe Price Jr.

IDBI Federal Childsurance Engineer Advertisment –

IDBI Federal Childsurance Doctor Advertisment –

क्या ५० वर्ष की उम्र के बाद जीवन बीमा करवाना चाहिये..? (Life Insurance required after 50 …?)

क्या ५० वर्ष की उम्र के बाद जीवन बीमा करवाना चाहिये..?

यह एक आम प्रश्न नहीं है, अक्सर प्रश्न होता है “५० वर्ष के बाद मुझे कौन सा जीवन बीमा करवाना चाहिये”, पर उसके पहले हमें यह समझना होगा कि क्या ५० वर्ष की उम्र के बाद जीवन बीमा करवाना चाहिये और अगर करवाना चाहिये तो कितना करवाना चाहिये ?

इस प्रश्न का उत्तर समझने के लिये पहले जीवन बीमा क्यों करवाना चाहिये यह समझना होगा।

जीवन बीमा लिया जाता है आश्रितों की आर्थिक सुरक्षा के लिये, जिससे अगर बीमित व्यक्ति जो कि घर चलाने वाला भी होता है वह परिवार का साथ बीम में ही छोड़ जाये, साधारण शब्दों में उसकी मृत्यु हो जाये, तो आश्रित परिवार उसके बीमित धन से अपनी आगामी जिंदगी उसी प्रकार के जीवन स्तर पर जी सके।

अब एक उदाहरण लेते हैं, रमेश की उम्र है २१ वर्ष और अभी अभी उसकी अच्छी नौकरी लगी है, अब आयकर में बचत के लिये वह जीवनबीमा लेना चाहता है, उसने मुझसे पूछा कि कौन सा जीवनबीमा लेना चाहिये, तो सबसे पहला मेरा प्रश्न था कि तुम पर कितने आश्रित लोग हैं, वह ठगा सा मेरा मुँह देखता रहा, और बोला कि “कोई नहीं”।

फ़िर मैंने कहा तुम्हें जीवन बीमा लेने की जरुरत ही क्या है, जीवन बीमा केवल और केवल उनके लिये होता है जिनके ऊपर परिवार आश्रित होता है।

तो उसका अगला प्रश्न था  “मुझे बीमा कब लेना चाहिये ?”

मेरा जबाब था “जब शादी हो जाये तब, जब तुम्हारे बच्चे हो जायें तो उस बीमे का वापिस से मूल्यांकन करके जीवन बीमित राशि और ज्यादा करनी चाहिये”

जीवन बीमा में आपकी बीमा राशि कितनी हो यह उम्र के पड़ाव पर निर्भर करता है, बीमित राशि ज्यादा होना चाहिये जवान होने पर और जैसे जैसे आपके जीवन में स्थिरता आती जाती है, आप अपने वित्तीय लक्ष्य पूरे करते जाते हैं, आपको अपने बीमित राशि को कम करते जाना चाहिये।

किरण की उम्र २५ वर्ष है और अभी नई नई शादी हुई है, उसकी नववधु के लिये अब किरण जिम्मेदार हो गया है, उसको आर्थिक सुरक्षा के लिये अब तुरंत ही जीवन बीमा लेना चाहिये, और इतनी राशि का लेना चाहिये कि अगर आज उसकी मृत्यु भी हो जाये तो उसकी पत्नी उस बीमित धन से अपना पूर्ण जीवन निकाल सके।

जब बच्चे हो जायें तो जीवन बीमा का वापिस से मूल्यांकन करना चाहिये। और फ़िर जैसे जैसे आप जीवन में अपने वित्तीय लक्ष्य प्राप्त करते जायें वैसे वैसे बीमित राशि कम करते जायें। बीमित राशि २५ वर्ष के नौजवान की और ५० वर्ष के व्यक्ति की एक समान नहीं हो सकती। क्योंकि २५ वर्ष की उम्र में व्यक्ति अपना जीवन शुरु करता है, उसके पास कोई बचत नहीं होती और यहाँ वह अपना वित्तीय लक्ष्य निर्धारित करता है। जबकि ५० वर्ष की उम्र में व्यक्ति अपने कई वित्तीय लक्ष्य प्राप्त कर चुका होता है, जैसे कि कार, घर और अच्छी बचत अपनी सेवानिवृत्ति के लिये, ५० वर्ष की उम्र के बाद व्यक्ति बहुत ही अच्छी वित्तीय अवस्था में होता है, उसका जितना वित्तीय लक्ष्य पूर्ण नहीं हुआ है और जितनी जिम्मेदारी बाकी है, केवल उतना ही जीवन बीमा करवाना चाहिये। और यह हर व्यक्ति का अलग अलग हो सकता है।

तनख्वाह बड़ी है ? अच्छे तरीके से कैसे उपयोग करें … ? कहाँ निवेश करें ?

    पिछला वर्ष २००८ नौकरीपेशा वर्ग के लिये बहुत मंदी वाला था, जहाँ एक तरफ़ तो अपने खर्चे कम करने पड़े और अपनी बचत में से भी पैसा निकालना पड़ा, और साथ ही कंपनियों द्वारा बाहर निकाले जाने का डर भी।

    कंपनियाँ बड़ी हुई तनख्वाह और बोनस बड़ाने में सक्षम नही थीं और सबने बहुत ही बुरा समय देखा है। खैर, अब ये मंदी का दौर खत्म हो गया है, और समय बदल रहा है और कंपनियाँ भी मंदी के दौर से निकल चुकी हैं।

अंदाजन बढ़ने वाली तनख्वाह के सर्वेक्षण नतीजे –
    सर्वेक्षणों से पता चलता है कि इस वर्ष सबसे ज्यादा वेतन बढ़ौत्तरी होने वाली है। भारत में वर्ष २०१० में वेतन वृद्धि लगभग १०.६ प्रतिशत होने का अनुमान है, जो कि एशिया महाद्वीप में सबसे ज्यादा है और वर्ष २००९ की ६.६ प्रतिशत की वृद्धि से ६० प्रतिशत ज्यादा है। भारतीय कंपनियों के मुकाबले बहुराष्ट्रीय कंपनियों की वेतन वृद्धि लग्भग ११.४ प्रतिशत होगी।

    ऊर्जा, दूरसंचार, दवाई उद्योग, यांत्रिकी, सेवा और निर्माण, तकनीक और ऑटोमोबाइल कुछ ऐसे क्षैत्र है, जहाँ पर वेतन वृद्धि ११.६ प्रतिशत से १२.८ प्रतिशत तक होने का अनुमान है।

    तकनीक और् आऊटसोर्सिंग क्षैत्र में २००९ के बाद जबरदस्त तरीके से व्यापार में उछाल देखा गया है, लेकिन ये बेहद डरी हुई हैं और इकाई के अंक में ही वेतन वृद्धि देने का अनुमान है जो कि ८.५ प्रतिशत से ८.९ प्रतिशत हो सकता है।

ज्यादा आमदनी: क्या करें ?
    मंदी ने भारतियों को धन की महत्ता सिखाई। तो धन का कैसे अच्छे तरीके से प्रबंधन करें / वेतनवृद्धि को कैसे बेहतर तरीके से उपयोग करें जिससे भविष्य में हमें ज्यादा मुनाफ़ा हो ? यह समय धन को उड़ाने का है या फ़िर उसे बचाने का ? या फ़िर जो मितव्ययिता के उपाय हमने इस मंदी के दौरान सीखे उन्हीं को जारी रखने में समझदारी है ?

    क्या यह बिल्कुल उपयुक्त समय है घर का सामान खरीदने के लिये ? आज लेपटॉप या टीवी जिसकी कीमत ४०,००० है वह शायद छ: महीने बाद ३५,००० हो जायेगी, और कुछ अच्छे ऑफ़र्स भी मिल सकते हैं। मोबाईल फोन या आईपोड के दाम एक तिमाही में ३० प्रतिशत तक कम हो जाते हैं। तो वास्तव में उपभोक्ता वस्तुओं पर बड़ी राशि खर्च करने का उपयुक्त समय नहीं है, लेकिन अगर बिल्कुल ही जरुरत हो तो आपको लेना ही चहिये, बस अच्छी तरह से मोलभाव कर लीजिये जिससे आपको अच्छे ऑफ़र मिल पायें ।

मौजूदा ऋणों की ई.एम.आई. बड़ा दें –
    अगर आपके ऊपर किसी भी तरह का लोन (गृह, शिक्षा, ऑटो, क्रेडिट कार्ड) है तो वेतनवृद्धि के धन से आंशिक पूर्व भुगतान या आप अपने लोन की ई.एम.आई. को बड़ाकर निर्धारित अवधि के पहले चुका सकते हैं, जिससे आपको राहत मिलेगी। (“अधिकतर व्यक्तिगत ऋणों में आंशिक पूर्व भुगतान की सुविधा नही होती है।" )

    हर बार जब भी आप अपनी किस्त का भुगतान करते हैं तो उसका एक हिस्सा लोन के ब्याज में चला जाता है और बाकी का बचा हुआ ऋण की रकम में। ऋण लेने के बाद आमतौर पर पहली किस्त जो भरी जाती है वह आप ब्याज भर रहे होते हैं जो कि आपको पता भी नहीं होता है, और ऋण की किस्त के आखिरी हिस्से को जब भर रहे होते हैं वह ऋण की रकम का हिस्सा होती है। उदाहरण के लिये – अगर आपने ६०,००० रुपये का ऋण लिया है और उसकी मासिक किस्त ई.एम.आई. १५०० रुपये जा रही है तो आप उसे बड़ाकर २००० रुपये करवा लीजिये जिससे बड़े हुए ५०० रुपये आपकी ऋण की रकम कम करने में सहायक होंगे और आपको ब्याज कम भरना पड़ेगा।

    तो जल्दी से ऋण चुकाने में अपनी रकम बड़ाईये और ब्याज में अपना पैसा जाने से बचायें।

निवेश और बचत बढ़ायें –

    अगर आपने ॠण नहीं ले रखा है तो आप अपने धन को म्यूचयल फ़ंड, यूलिप, बांड, शेयर इत्यादि में निवेश कर सकते हैं। म्यूचयल फ़ंड नये निवेशकों के लिये सबसे अच्छा वित्तीय उत्पाद है, जबकि आज के बाजार में निवेश के बहुत सारे विकल्प उपलब्ध हैं।

    मैं आपको एस.आई.पी. लेने की सलाह दूँगा, जहाँ आप पूर्व निर्धारित मासिक राशि अपने पसंद के म्यूचयल फ़ंड में निवेश कर सकते हैं। एस.आई.पी. आवर्ती जमा जैसा ही वित्तीय उत्पाद है बस एस.आई.पी. (SIP) बाजार के रिटर्न देने की क्षमता रखता है और आवर्ती जमा (Recurring Deposit) एक निश्चित ब्याज राशि।

    एस.आई.पी. की प्रत्येक मासिक राशि को एक ईंट के तौर पर देखें तो भविष्य में इससे आपको बिल्डिंग बनती नजर आयेगी। नियमित बचत के लिये यह बिल्कुल सही समाधान है।

    ५००० रुपये का एस.आई.पी. अगर १५ वर्षों तक जमा करते हैं, तो १५% के हिसाब से लगभग ३३ लाख रुपये हो जाता है। १५% बहुत कम लगाया है जबकि कई फ़ंडों में यह ६०% तक गया है।

    बहुत सारे फ़ंड हाऊस के फ़ंड अच्छॆ हैं तो आज ही चुनें और निवेश शुरु करें।

    इस वर्ष अच्छे वेतन वृद्धि की उम्मीद है और आप अपने बड़े हुए वेतन को अपने भविष्य के लिये निवेशित करें, क्योंकि पिछले दो वर्षों में आप लोग सीख ही गये होंगे कि खर्चों में कटौती कैसे करना है।

    कुछ तरीके वेतन वृद्धि के लिये मैंने बताये हैं, बाजार में और भी वित्तीय उत्पाद उपलब्ध हैं, जिनमें आप निवेश कर सकते हैं, और अपनी गाढ़ी मेहनत की कमाई को अपने परिवार के भविष्य के लिये सुरक्षित रख सकते हैं। आप पैसा कमाने के लिये कार्य करते हैं और ये वित्तीय उत्पाद आपके पैसे को भविष्य में अच्छे रिटर्न देने के लिये कार्य करते हैं।

ऐगॉन रेलीगेयर का आईटर्म प्लॉन देखिये – (AEGON Religare iTerm Plan) –

    समय बहुत तेजी से भाग रहा है। बहुत सारी चीजें करने के लिये हैं पर समय बहुत कम है। आप कुछ भी करो जिससे बस यह सुनिश्चित हो जाये कि आपके परिवार को हमेशा सारी सुख सुविधाएँ उपलब्ध हों। पर फ़िर भी कुछ चीजों के ऊपर किसी का भी बस नहीं है। तो आप बताईये क्या जिस सुख सुविधाओं में आपने अपने परिवार को रखा है, आपकी अनुपस्थिती में भी वे इस सबके हकदार है या नहीं ? यहाँ बात केवल आपकी आपके परिवार के फ़िक्र की है, जो कि आपके परिवार को एक बेहतरीन जीवन देने के लिये निश्चिंतता दे।

    ऐगॉन रेलीगेयर का आईटर्म प्लॉन देखिये – (AEGON Religare iTerm Plan) –

    यह सावधि बीमा योजना आपको आपके परिवार के लिये भविष्य की निश्चिंतता देता है वह भी बहुत ही कम प्रीमियम में। यह बीमा सीधे बीमाधारक को उपलब्ध है ऑनलाईन, इसके लिये आपको किसी बीमा एजेन्ट को बुलाने की जरुरत नहीं है। यह योजना लेना केवल आसान ही नहीं है बल्कि आप अपने संगणक पर ही सारी प्रक्रियाएँ आसानी से पूरी कर सकते हैं।

ऐगॉन रेलीगेयर का आईटर्म प्लॉन के लिये कैसे आवेदन करें – (How to Apply AEGON Religare iTerm Plan) –

१. बीमा की रकम चुनिये, जिस रकम से आप अपने को बीमित करना चाहते हैं।
२. कितनी अवधि के लिये यह योजना लेना चाहते हैं।
३. सीधा संपर्क करें –
अ. अंतर्जाल से, buyonline.aegonreligare.com
ब. ग्राहक सेवा केन्द्र को फ़ोन कर सकते हैं 1800 209 9090
सुविधाएँ –

मृत्यु – दुर्भाग्यवश मृत्यु होने पर, बीमित राशि नामित व्यक्ति को भुगतान कर दिया जायेगा।

कर लाभ –  आयकर की  धारा ८० सी, १० (१०डी) के अंतर्गत, पहले आप अपने कर सलाहकार से जरुर सलाह ले लें।

पात्रता –
बीमित राशि
(
१००० रुपये के गुणज में)
कम से कम – १०,००,००० रुपये
अधिकतम – कोई सीमा नहीं (जोखिम अंकन जरुरतों के अधीन)
प्रवेश उम्र
कम से कम – १८ वर्ष*
अधिकतम – ६० वर्ष
परिपक्वता उम्र
अधिकतम – ६५ वर्ष
योजना अवधि
कम से कम – ५ वर्ष
अधिकतम – २५ वर्ष
प्रीमियम अदा करने की अवधि
योजना अवधि के बराबर
प्रीमियम अदा करने की आवृत्ति
वार्षिक
* अगर योजना अवधि १० वर्ष से कम है तो, कम से कम प्रवेश की उम्र ३० वर्ष होनी चाहिये।

अन्य विशेषताएँ –

पैसा वापसी – अगर, आप आईटर्म योजना से संतुष्ट नहीं हैं तो आप अपने बीमा को बीमा के कागज प्राप्त होने के १५ दिन के अंदर रद्द कर सकते हैं। रद्दीकरण की स्थिती में आपको आपकी प्रीमियम की राशि वापिस मिल जायेगी, परंतु उसमें स्टाम्प ड्यूटी की कीमत, चिकित्सा जाँच और उक्त अवधि का आनुपातिक प्रीमियम काट लिया जाता है।

नियम एवं शर्तें –

मोहलत – आप अपनी प्रीमियम देय तिथी से ३० दिन तक जमा कर सकते हैं। अगर देय तिथी तक प्रीमियम राशि अदा नहीं की जाती है तो बीमित राशि की सुरक्षा अपने आप खत्म हो जाती है।

मृत्यु – मृत्यु लाभ, अगर मोहलत अवधि में बीमित व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो बीमित राशि में से देय प्रीमियम राशि को घटा कर दावा भुगतान कर दिया जायेगा।

चूक और बहाली – अगर ३० दिन की मोहलत अवधि में प्रीमियम राशि जमा नहीं की जाती है तो योजना अपने आप लेप्स हो जायेगी। अगर लगातार दो वर्षों तक प्रीमियम राशि का भुगतान नहीं किया जाता है तो बीमा खत्म कर दिया जाता है। बहाली के लिये, सभी बाकी के प्रीमियम बिना ब्याज के देय होंगी।

परिपक्वता  (Maturity / Surrender) – परिपक्वता अवधि पर पॉलिसी पर कोई भुगतान नहीं दिया जाता है।

सेवा कर – सेवा कर या कोई और कर अगर देय होगा तो जो भी कर होगा वह प्रीमियम पर देना होगा।

छूट – अगर बीमा लेने की अवधि के प्रथम वर्ष में या बीमा बहाली के प्रथम वर्ष में आत्महत्या से मृत्यु होती है तो कोई भी मृत्यु लाभ नहीं दिया जायेगा।

जीवन बीमा को समझिये – कुछ सवाल खुद से पूछिये और खुद को जबाब दीजिये… (Simple questions for yourself on Life Insurance..)

    एलआईसी की एन्डोमेन्ट योजना और यहाँ तक की सारी योजनाएँ सचमुच बहुत अच्छी हैं ? और क्या वह सब कुछ आप पा रहे हैं जो आपको एक बीमा के रुप में किसी भी बीमा कंपनी से मिलना चाहिये ?

    सवाल है कि एलआईसी योजनाएँ जैसे कि जीवन आनंद जो कि जीवन का जोखिम प्रदान करती हैं जिंदगी भर और परिपक्वता के बाद एकमुश्त भुगतान मिलता है वह भी करमुक्त । क्या यह अच्छी योजना नहीं है ?

    क्या इस जीवन बीमा योजना को बीच में ही खत्म कर देना चाहिये और इसकी जगह सावधि जीवन बीमा योजना (Term Insurance) ले लेना चाहिये क्या यह समझदारी भरा निर्णय होगा ?

    इससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता कि बीमा योजना का नाम क्या है, जीवन आनंद, जीवन मित्र, जीवन सुरभि, जीवन श्री, जीवन निधि, जीवन अमृत, जीवन साथी, जीवन तरंग, जीवन भारती या जीवन वर्षा। ये सब पारंपरिक जीवन बीमा योजनाएँ हैं, (चाहे वह एन्डोमेन्ट, मनीबैक, पूरी जिंदगी के लिये या इन सबको मिलाकर कोई ओर) ये सब सबसे खराब तरह की बीमा योजनाएँ हैं । जिनसे समाज और व्यक्ति को आर्थिक नुकसान ही हो रहा है।

फ़िर भी, इन प्रश्नों के उत्तर देने का प्रयास करें –

१. बीमा और निवेश में क्या अंतर है ?

२. जीवन बीमा का एकमात्र उद्देश्य क्या है ?

३.क्या आपको अपने बुढ़ापे के लिये वाकई बीमे की आवश्यकता है ?

४. आपके जीवन बीमा की राशि आपकी आमदनी और आपके रहन सहन के अनुरुप है ? जीवन बीमा की राशि आपके परिवार की जरुरतें पूरा करने में समर्थ है ?

५. अगर आपको दुर्भाग्य से कुछ हो गया तो ? तो क्या ये तथाकथित भ्रमपूर्ण जीवन बीमा योजनाएँ निकट भविष्य में आपके परिवार की वित्तीय जरुरतों को पूर्ण करने में सक्षम होंगी ? जो दावा भुगतान राशि इन योजनाओं से मिलेगी क्या वह आपके परिवार के लिये काफ़ी होगी ?

६. वार्षिक प्रीमियम जो कि आप बीमित राशि पर भरते हैं कितना अनुपात में भरते हैं ? क्या आपने कभी सोचा है कि आप जितनी राशि अपने इन एलआईसी की बीमा के लिये भरते हैं, उससे आपको कितनी सुरक्षा मिल रही है, अगर आप निकट भविष्य में प्रीमियम भरने में असमर्थ होंगे तो फ़िर क्या होगा ? सोचा है कभी ?

७. क्या आपने कभी खुद बैठकर गणना की है कि किस दर से हमें बीमा कंपनी परिपक्वता पर पैसा देने वाली है ?

    मुझे उम्मीद है कि जब तक आप इन सवालों के उत्तर देंगे, तब तक आप अच्छी तरह से जीवन बीमा को समझ चुके होंगे और यह भी जान चुके होंगे कि जीवन बीमा कितना जरुरी है और क्यों जरुरी है ?

    इसके अलावा, कंपनियों के स्लोगन “कर मुक्त वापसी”, मैं आपको एक और आश्चर्यजनक बात बताता हूँ – कि वास्तव में कर रियायत की वास्तविक लाभ बीमा कंपनियाँ उठाती हैं, बीमित व्यक्ति नहीं। यह कर के रुप में दिये जाने वाले प्रोत्साहन का सरासर मजाक है। लेकिन मैं जानता हूँ कि आपको यह समझ में नहीं आयेगा क्योंकि हम केवल वही सुनते हैं, जो हम सुनना चाहते हैं। जिस तरह से हम सोचते हैं, वह बीमा कंपनियों का काम और आसान कर देता है।

    मेरे पास कोई बीमा एजेन्ट आता है तो अपने सिर पर पैर रखकर वापिस भाग जाता है या फ़िर बोलता है कि कृपया हमें बीमा के बारे में और जानकारी दीजिये।  कोई बड़ी बात नहीं है आप भी इन बीमा एजेन्टों की खटिया खड़ी कर सकते हैं अगर सही बीमा उत्पाद के बारे में पता होगा तो ।

    क्या हुआ उलझ गये ? कुछ उलझन हो तो जरुर बताईये टिप्पणी करके और समझ गये तो सहमति दीजिये टिप्पणी करके।

सावधि जीवन बीमा योजना – जीवन बीमा के बारे में सबसे ज्यादा चौंकाने वाले तथ्य (Some Amazing Truths about Term Insurance..)

    यह बात बिल्कुल सही कही गई है कि आज कल की दुनिया में सामान्यबोध, बिल्कुल असामान्य हो चुका है। जी हाँ आज की दुनिया का यह एक कड़वा सच है। खैर इस पोस्ट में जीवन बीमा सावधि योजनाओं को मैं अच्छा साबित करने की कोशिश कर रहा हूँ।

    यहाँ दस बुनियादी सवालों की एक सूची में दे रहा हूँ, जो कि आपको जीवन बीमा में निवेश करते समय या खरीदते समय आपको इसके ऊपर सोचना चाहिये –

१. जीवन बीमा का सबसे सरल तरीका क्या है ?

उत्तरसावधि जीवन बीमा योजना

२. जीवन बीमा लेने का सबसे सस्ता तरीका क्या है?

उत्तरसावधि जीवन बीमा योजना 

३. जीवन बीमा का सबसे बुनियादी और विशुद्ध रुप क्या है ?

उत्तरसावधि जीवन बीमा योजना 

४. जीवन बीमा का सबसे अच्छा तरीका क्या है ?

उत्तरसावधि जीवन बीमा योजना

५. कौन से जीवन बीमा योजना तुलना करने के लिये सबसे सरल हैं ?

उत्तरसावधि जीवन बीमा योजना

६. जीवन बीमा योजना लेने का सबसे अच्छा तरीका क्या है जिसे आप आर्थिक रुप से वहन कर सकें ?

उत्तरसावधि जीवन बीमा योजना

७. जीवन बीमा की कौन सी योजनाओं के बारे में आपका बीमा एजेन्ट या बीमा सलाहकार चर्चा करने को ही तैयार नहीं होता है, या आपको खरीदने के लिये हतोत्साहित करता है?

उत्तरसावधि जीवन बीमा योजना

८. कौन सी बीमा योजना की बिक्री सबसे कम होती है ?

उत्तरसावधि जीवन बीमा योजना

९. कौन सा बीमा योजना है जो आप आसानी से समाप्त कर सकते हैं?

उत्तरसावधि जीवन बीमा योजना

१०. कौन सा सबसे अच्छा उपहार है जो आप अपने परिवार को दे सकते हैं ?

उत्तरसावधि जीवन बीमा योजना 

    क्या यह आश्चर्यजनक नहीं है? जीवन बीमा  का सबसे अच्छा तईका होने के बाबजूद, सावधि जीवन बीमा  की बिक्री बहुत कम है। जबकि सावधि जीवन बीमा योजनाएँ, जीवन बीमा  करवाने का सबसे असरकारी, प्रभावी तरीका है, पर केवल कुछ ही लोग इसके बारे में जानते हैं।

    खैर, आपको कौन सा जीवन बीमा चुनना चाहिये ? आपको खुद ही तय करना है !

    अरे भाई !! अब किसका इंतजार करे रहे हो ? अभी फ़ोन उठाओ और अपने बीमा सलाहकार को बुलाओ और सावधि जीवन बीमा योजना खरीदने के लिये पूछो, कि कितने का है और कम से कम ४-५ विभिन्न बीमा कंपनियों के सावधि बीमा योजनाओं में तुलना कर लें इसके लिये आपको थोड़ी ओर मेहनत करनी होगी कि इन ४-५ बीमा कंपनियों के बीमा कितने के हैं, वो भी पता करना होगा तुलना करकर सबसे अच्छी और सस्ती योजना खरीद लीजिये। देर मत कीजिये, मैं सही कह रहा हूँ आप कभी भी अपने इस निर्णय के लिये नहीं पछताओगे।

    लेकिन इसे खरीदने के पहले, मैं आपको इस सावधि जीवन बीमा योजना  के बारे में यह बात बता दूँ कि जब यह बीमा खत्म होगा तो आपको कुछ भी मिलने वाला नहीं है। यह तथ्य ज्यादातर लोगों को पचने वाला नहीं है क्योंकि सबको अपने पैसे से बहुत ज्यादा प्यार होता है और इसी का फ़ायदा ये बीमा एजेन्ट उठाते हैं, इसी के फ़लस्वरुप जीवन बीमा के सही उद्देश्य से लोग भटक जाते हैं, और ये बीमा एजेन्ट लोगों को जीवन बीमा के सबसे मुख्य उद्देश्य से भटकाते हैं।

    अच्छा एक बात मुझे बताईये, जब आप अपने वाहन का बीमा करवाते हैं तो क्या उस रकम की वापसी की कोई उम्मीद करते हैं ? नहीं, इसी तरह यह विशुद्ध तरीका है जीवन बीमा का। अब तो इस तथ्य को समझिये कि जीवन बीमा का विशुद्ध रुप सावधि जीवन बीमा योजना (Term Life Insurance) है, और यह सुरक्षा देने के लिये सबसे महत्वपूर्ण उत्पाद है। परिवार को सुरक्षित रखने के लिये, अपने परिवार को विजेता बनाने के लिये, दुख से बचाने के लिये यह सावधि जीवन बीमा योजना  आपके पास होना ही चाहिये। मुझे उम्मीद है कि मैं सही तरीके से अपनी बात रख पा रहा हूँ, अगर समझ गये हैं तब भी और नहीं समझे हैं और भी कुछ प्रश्न हैं तो टिप्पणी करें।

सावधि (टर्म) जीवन बीमा योजनाओं के बारे में : कुछ तथ्य जिनके बारे में कम लोग जानते हैं.. (Something about Term Insurance…)

    मैंने अपनी पहली की पोस्टों में टर्म इंश्योरेन्स के बारे में बताया है, और उसमें सावधि जीवन बीमा योजना लेने की ही सलाह दी है ।

   उसी को जारे रखते हुए, इस पोस्ट में कुछ और चीजों को बता रहा हूँ जिसके बारे में निवेशकों और बीमाधारकों को कम जानकारी है, जिससे आप अपने जीवन में बीमा कौन सा लेना चाहिये और वह कितना महत्वपूर्ण है, इसका निर्णय अच्छे से ले पायेंगे।

सावधि (टर्म) जीवन बीमा योजनाओं के बारे में : कुछ तथ्य जिनके बारे में कम लोग जानते हैं

१. सावधि (टर्म) जीवन बीमा योजनाओं को जीवन बीमित करने का सबसे अच्छा साधन क्यों माना जाता है ?

    सावधि बीमा योजना को आपके परिवार की सुरक्षा के लिये बनाया गया है। यह जीवन बीमा का सबसे अच्छा तरीका है, क्योंकि इस जीवन बीमा का केवल और केवल एक ही उद्देश्य है आपके परिवार की वित्तीय सुरक्षा को सुनिश्चित करना, अगर दुर्भाग्य से कुछ हो जाता है तो। मौत के साथ ही परिवार का एक कमाने वाला सदस्य चला जाता है, जो कि घर चलाने के लिये आय करता था, अब घर चलाने के लिये आय तो नहीं आने वाली है, इस योजना से प्राप्त धन से आपका परिवार आपकी अनुपस्थिती में सम्मान के साथ अपना जीवन उसी रहन सहन के स्तर पर व्यतीत कर सकता है।

    जैसा कि मैं पहले भी बता चुका हूँ, कि टर्म बीमा योजनाओं से उच्च बीमा कवरेज ले सकते हैं वो भी बहुत ही कम कीमतों पर। यह एक बहुत ही आश्चर्यजनक तथ्य है, परंतु इस पर कोई ध्यान नहीं देता है।

२. शुद्ध जोखिम बीमा योजनाओं को टर्म बीमा क्यों कहा जाता है ?

    बहुत ही दिलचस्प सवाल है, इस तरह की योजनाओं को सावधि बीमा योजना कहा जाता है क्योंकि ये एक “निश्चित / निर्धारित अवधि” के लिये होता है। परंतु यह योजनाएँ पूरी जिंदगी के लिये क्यों नहीं होती हैं ? क्योंकि बीमा का उद्देश्य है कि बीमाधारक की मृत्यु की स्थिति में परिवार को सुरक्षा देना। लेकिन जैसा कि आप सब जानते हैं कि इस दुनिया में दो ही चीजें निश्चित हैं, “मृत्यु और टैक्स”। तो सावधि जीवन बीमा शुद्ध जीवन बीमा है जो कि पूरी जिंदगी के लिये उपलब्ध है। जब तक कि आपको इसकी जरुरत है। एक निश्चित समय के बाद तो आपके पास इतना धन हो ही जाता है कि दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति में भी आपका परिवार अपना जीवन व्यतीत कर सकता है।

३. बीमा कंपनियों के एजेंट सावधि बीमा योजनाओं को बेचने में संकोच क्यों करते हैं ?

    एक और अच्छा सवाल, नहीं! जीवन बीमा कंपनियाँ दूसरे व्यापारों की तरह तेजी से पैसा बनाना चाहती हैं। उनका स्वार्थ (जो कि पैसा बनाना है) ग्राहकों के हित के पहले आता है। अब जैसे कि यूलिप योजनाएँ जो कि एक ऐसा उत्पाद है जिसमें निवेश ज्यादा और जोखिम कम कवर किया जाता है, जिससे बीमा कंपनियों को ज्यादा मुनाफ़ा होता है, सावधि (टर्म) बीमा के बनिस्बत, ये उत्पाद (यूलिप) सामने दिखाते हैं कि निवेश से पैसा भी बनाओ और बीमित भी हो जाओ, और जोर शोर से विज्ञापनबाजी करते हैं। दूसरी ओर, सावधि बीमा योजना को निवेशक से छिपाकर रखते हैं, कि कहीं निवेशक की नजर इन शुद्ध बीमा योजनाओं पर न पड़ जाये, जिसमें आम आदमी का हित भी है।

    इसी प्रकार, बीमा एजेंट का आदर्श होता है पैसा बनाना (ग्राहक जाये भाड़ में, उसे क्या फ़र्क पड़ता है)। उसे तो ज्यादा कमीशन मिलता है ऐसे उत्पादों से जो कि निवेश ज्यादा बीमा कम (यूलिप) प्रकृति के होते हैं, जबकि सावधि बीमा योजना में उसे बहुत कम कमीशन मिलता है।

४.  लेकिन क्या वाकई लोग समझदार नहीं हैं, जानते नहीं हैं, कि उनके लिये कौन सी बीमा योजना सबसे उपयुक्त है ?

    असल में, यह युग है हाई फ़ाई विज्ञापनबाजी का, जीवन बीमा कंपनियाँ अपने उच्च बिक्री विज्ञापनों में दिखाकर लोगों को आसानी से विचलित कर देती हैं, और अपने नरक तुल्य उत्पादों को आसानी से बेच लेते हैं।

    इसके अलावा, ज्यादातर लोगों को यही लगता है कि जीवन बीमा उत्पाद केवल कर बचत और निवेश के लिये होते हैं, जो कि बीमा कंपनियों का काम बहुत ही आसान कर देता है। मुझे समझ में नहीं आता कि सरकार लोगों को जीवन बीमा में पैसे निवेश करने की छूट आयकर में देकर प्रोत्साहित क्यों करती है, इसकी संभावित वजह केवल एक ही हो सकती है, भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के हितों की रक्षा, जो कि भारत सरकार का बनाया गया संस्थान है।

    एक और कारण यह भी है कि हम भारतियों की गहरी धारणा है कि हमें परिपक्वता पर कुछ न कुछ वापस प्राप्त होना चाहिये। और इससे ऊपर, कोई भी आसामयिक मौत के बारे में सोचना ही नहीं चाहता है, और उसके लिये कोई योजना भी नहीं बनाना चाहता है। साधारणतया बोलकर निकल जाते हैं “मौत आये मेरे दुश्मनों को” ।

    यद्यपि जीवन बीमा वास्तव में “मृत्युपर्यन्त लाभ” के लिये होता है परंतु लोग इसे खरीदते हैं “जीवनपर्यन्त लाभ” के लिये।

    मैंने यह पोस्ट जीवन बीमा उद्योग द्वारा अपने वित्तीय स्वास्थ्य को बेहतर करने के प्रयासों के विरुद्ध लिखी है, ये कंपनियाँ बिल्कुल उसी तरह से लोगों को नुक्सान पहुँचा रही हैं जैसे कि पैकेजिंग फ़ूड उद्योग हमारे शारीरिक स्वास्थ्य को पहुँचा रहे हैं।

    मुझे उम्मीद है कि इस पोस्ट को पढ़ने के बाद आप में से कुछ लोग बुद्धिमानी से शुद्ध जीवन बीमा खरीदेंगे, निवेश वाले उत्पाद नहीं। पोस्ट पढ़ने के बाद शायद लोगों को जीवन बीमा का उद्देश्य समझ में आ जायेगा और शुद्ध जीवन बीमा खरीदेंगे।

    आगे आने वाली पोस्टों में आप और सावधि बीमा योजनाओं के बारे में और जानेंगे। तब भी अगर आप सावधि जीवन बीमा योजना के महत्व को नहीं समझ रहे हैं और इसे अपनी व्यक्तिगत वित्तीय योजना के भाग के रुप में शामिल नहीं कर रहे हैं, और अगर करने वाले हैं तब भी टिप्पणी कर बतायें।

आयकर की धारा ८० सी के तहत मिलने वाली छूट कौन से वित्तीय उत्पादों से मिलती है – एक सम्पूर्ण जानकारी (A Complete guide for Income Tax instruments covered under section 80 C)

    धारा ८० सी, एक आम आदमी जिसे आयकर के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं होती है वह भी इसके बारे में जानता है| आयकर अधिनियम ८० सी के तहत सरकार कुछ वित्तीय उत्पादों में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित करती है| इन वित्तीय उत्पादों में निवेश करने पर १ लाख रुपये तक की छूट ८० सी के अंतर्गत ले सकते हैं, यदि आपकी वार्षिक आय ५ लाख से अधिक है तो आप १ लाख रुपये का निवेश ८० सी में करने के बाद ३३ हजार रुपये का टेक्स बचा सकते हैं| चिंता का विषय यह है की कितने लोग यह जानते हैं कि ८० सी धारा के अंतर्गत कौन से वित्तीय उत्पाद आते हैं | लोग केवल यूलिप के बारे में जानते हैं; वह इसलिए क्योंकि बीमा कंपनियाँ अपने उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए व्यापक रूप से अभियान चला रही हैं जिससे उनकी बिक्री में वृद्धि हो| लेकिन केवल यूलिप ही एक वित्तीय उत्पाद नहीं है जो कि ८० सी के अंतर्गत छूट दिलवाता है|  इस आलेख में सभी वित्तीय उत्पादों के बारे में जानकारी आप पायेंगे जो धारा ८० सी के अंतर्गत आते हैं –
    आमतौर पर लोग ८० सी के अंतर्गत निवेश के लिए फरवरी या मार्च में ही सोचते हैं क्योंकि उन्हें केवल टेक्स बचाने की चिंता होती है, वे कभी भी उस निवेश की उत्पादकता के बारे में नहीं सोचते हैं | इस स्थिती में आप अपने देय टेक्स से ज्यादा धन को गँवा सकते हैं|


    उदाहरण के लिए : कुमार की वार्षिक आय ३,००,००० रुपये है और कुल कर देयता आयकर के लिए १४,००० रुपये है | १ लाख रुपये का निवेश जो कि ८० सी के अंतर्गत वित्तीय उत्पाद में किया जिससे कुमार का १०,००० रुपये आयकर बचता है | लेकिन गलत वित्तीय उत्पाद में निवेश करने पर उसे २०,००० रुपये तक का नुक्सान भी हो सकता है| 
जब आप किसी वित्तीय उत्पाद को निवेश के लिए चुनते हैं, उसके लिए आपको बहुत सावधानी बरतना चाहिये, आप प्रभावी निवेश केवल तभी कर सकते हैं जब आपको पता हो कि निवेश कई कारकों पर निर्भर करता है जैसे कि उसका उद्देश्य क्या है, उम्र कितनी है, कितना जोखिम ले सकते हैं, आर्थिक स्थिति कैसी है इत्यादि |
    निवेश जो धारा ८० सी के अंतर्गत आते हैं उनकी सूची नीचे दी जा रही है, ये वित्तीय उत्पाद आपकी आवश्यकता अनुसार आपको उत्पाद चुनने में आपकी मदद करेगा –
  • जीवन बीमा योजनाएँ
  • यूनिट लिंक्ड बीमा योजनाएँ (यूलिप)
  • इक्विटी लिंक्ड बचत योजनाएँ (इएल एस एस)
  • सार्वजनिक भविष्य निधि (पीपीएफ)
  • भविष्य निधि (कर्मचारी का अंशदान) 
  • राष्ट्रीय बचत प्रमाण पत्र (एन एस सी)
  • पंचवर्षीय जमा खाता (फिक्स्ड डिपोजिट)
  • गृह ऋण वापसी (मूलधन)
  • स्टांप शुल्क और पंजीकरण शुल्क
  • शिक्षण शुल्क भुगतान
  • डाकघर सावधि जमा खाता
  • इन्फ्रास्ट्रक्चर बांड
  • वरिष्ठ नागरिक बचत योजना
जीवन बीमा योजनाएँ – 
    जीवन बीमा जीवन में बहुत महत्त्व रखता है और यह जीवन का एक महत्वपूर्ण पहलू भी है, यह जीवन की अनिश्चितताओं को कवर करता है | हरेक व्यक्ति जो की कमाता है और उसके ऊपर परिवार आश्रित हो तो आश्रितों के लिए पर्याप्त जीवन बीमा होना चाहिये | किसी भी जीवन बीमा योजना प्रीमियम के निवेश को आयकर की धारा ८० सी के तहत छुट मिलती है | यदि बीमा आप अपने लिए या अपनी पत्नी के लिए या अपने बच्चे के लिए करवाते हैं तब भी आयकर की धारा ८० सी के तहत आपको उस प्रीमियम की छूट मिलती है| अगर पति पत्नी दोनों ही नौकरीपेशा हैं और अगर पत्नी की आय आयकर योग्य नहीं है तो पति दोनों बीमा प्रीमियम पर छूट ले सकता है, ऐसा उल्टा भी हो सकता है | 
यूलिप – 
    यूनिट लिंक्ड बीमा योजनाओं (यूलिप) में जीवन बीमा और म्यूचुअल फंड में निवेश संयोजित होता है| यूलिप में निवेशित रकम धारा ८० सी के तहत कटौती के लिए पात्र हैं| यूलिप आपको जीवन के जोखिम का कवर देता साथ ही शेयर बाजार में आपकी रकम निवेश करता है| 

ईएलएसएस – 
    इक्विटी लिंक्ड बचत योजना (ईएलएसएस), खास तौर पर ऐसे म्युचुअल फंड तैयार किये गए हैं जो कर बचत की पेशकश करते हैं | ईएलएसएस में किया गया निवेश धारा ८० सी के तहत छूट के हकदार हैं| याद रखे है कि सभी म्युचुअल फंड निवेश ८० सी के तहत छूट के हकदार नहीं होते हैं| सभी ईएलएसएस निवेश 3 वर्ष की अवधि में आप निकाल नहीं सकते हैं |  ईएलएसएस कर बचाने वाले  म्युचुअल फंड रूप में जाना जाता है| 
भविष्य निधि (पीएफ) – 
    भविष्य निधि नियोक्ता द्वारा काटी गयी वह राशि है जो कि आपके भविष्य निधि कोष में जमा होती है और उतना ही योगदान नियोक्ता द्वारा किया जाता है | पीएफ वेतन के प्रतिशत के रूप में गणना करके काटा जाता है,  जैसे कि 12% और ब्याज के साथ सेवानिवृत्ति पर उसे लौटा दिया जाता है| 
सार्वजनिक भविष्य निधि (पीपीएफ)– 
    आप सार्वजनिक भविष्य निधि (पीपीएफ) खाता खोल सकते हैं और  आप पीपीएफ खाते में ७०,००० रुपये तक की राशि का निवेश धारा ८० सी के तहत कर सकते हैं| ५०० रुपये के न्यूनतम निवेश के साथ पीपीएफ खाते आप बैंकों में या पोस्ट ऑफिस में खोल सकते हैं| 
नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट (एनएससी) – 
    जितनी भी राशि आप नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट (एनएससी) में निवेश करते हैं उस राशि पर  धारा ८० सी के तहत छूट मिलेगी| नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट में किए गए निवेश 6 वर्ष की अवधि के लिए निकाल नहीं सकते हैं|  इस योजना के प्रारंभिक निवेशों से कुल अर्जित ब्याज पर भी छूट ले सकते हैं| 
सावधि जमा –
    सावधि जमा में जमा की गई  राशि अगर ५ वर्ष के लिए आयकर स्कीम में बैंक में रखी जाती है तो वह राशि धारा ८० सी के तहत कर में छूट के लिए पात्र है| यह एक ताजा संशोधन है जिसमे आपकी राशि सुरक्षित भी रहती है और आपको धारा ८० सी के तहत लाभ भी मिलता है | 
गृह ऋण चुकौती (मूलधन) – 
    गृह ऋण की मूलधन चुकौती धारा ८० सी के तहत छूट के लिए पात्र है| यदि आपने एक नया घर खरीदा है और उस के लिए आवास ऋण लिया है, तो आप धारा ८० सी में उसका लाभ ले सकते हैं | यहाँ पर ध्यान देने वाली बात है कि आवास ऋण की सामान मासिक किश्त (EMI) में दो घटक होते हैं – “मूलधन” और “ब्याज”| आपको केवल मूलधन वाले हिस्से की राशि की ही धारा ८० सी के तहत छूट मिलेगी| ब्याज वाला हिस्सा भी आयकर की छूट के लिए पात्र है पर ८० सी के तहत नहीं, वह है धारा २४ के तहत| 
स्टाम्प शुल्क और पंजीकरण शुल्क – 
    स्टाम्प शुल्क और पंजीकरण शुल्क जब नया घर खरीदते समय देते हैं उस राशि का धारा ८० सी के तहत लाभ मिलता है | 
शिक्षण शुल्क – 
    एक या दो बच्चों की शिक्षा के लिए शिक्षण फीस के रूप में भुगतान राशि आयकर से मुक्त होती है और आप धारा ८० सी के तहत इसका लाभ ले सकते हैं | 
डाकघर सावधि जमा खाता – 
   डाकघर सावधि जमा खाता विभाग द्वारा बैंकिंग की पेशकश है जो की बैंक सावधि जमा के समान सेवा है|  आप किसी भी पोस्ट ऑफिस में अपना खाता खुलवा सकते हैं| डाकघर सावधि जमा खाते पर मिलने वाला ब्याज कर से मुक्त होता है| 
इंफ़्रास्ट्रक्चर बांड – 
   इंफ़्रास्ट्रक्चर बांड इन्फ्रा बांड के नाम से लोकप्रिय हैं | यह इंफ़्रास्ट्रक्चर कम्पनियों द्वारा जारी किये जाते हैं, इसे सरकार जारी नहीं करती है | जितनी भी राशि है आप इन बांडों में निवेश करते हैं, उतनी राशि पर धारा ८० सी के तहत कर से छूट ले सकते हैं | 
वरिष्ठ नागरिक बचत योजना – 
    वरिष्ठ नागरिक बचत योजना (SCSS) भारत सरकार का उत्पाद है|  यह सबसे सुरक्षित निवेश विकल्पों में से एक है|  60 वर्ष से ज्यादा आयु वाले व्यक्ति इस खाते खोल सकते हैं| इस योजना के तहत 5 वर्ष के लिए निवेश निकला नहीं जा सकता है| जमाकर्ता यह जमा और 3 साल के लिए बढ़ा सकता है| इस योजना में जमाकर्ताओं को 9% ब्याज मिलता है| निवेश से अर्जित ब्याज कर से मुक्त नहीं है|

टर्म इंश्योरेन्स क्या होता है.. भाग ७ (What is Term Insurance…) Part 7

टर्म जीवन बीमा योजना लेने के लिये जो राशि आपने खर्च की है उस राशि पर आपको आयकर की धारा ८०(सी) के तहत छूट मिल जायेगी।

और बची हुई राशि जो कि आमतौर पर हम लोग इंश्योरेन्स के लिये निवेश करते हैं, उसे अच्छे म्यूचयल फ़ंड में या अच्छे शेयर में निवेश करें, तो आपको लंबे समय में बेहतर रिटर्न मिलेंगे।

टर्म इंश्योरेन्स के बारे में पूरा पढ़ने के लिये पिछली पोस्टें देखें, पोस्टों पर जाने के लिये नीचे लिंक दी गई है, चटका लगाईये –

टर्म इंश्योरेन्स क्या होता है.. भाग १ (What is Term Insurance…) Part 1

टर्म इंश्योरेन्स क्या होता है.. भाग २ (What is Term Insurance…) Part 2

टर्म इंश्योरेन्स क्या होता है.. भाग ३ (What is Term Insurance…) Part 3

टर्म इंश्योरेन्स क्या होता है.. भाग ४ (What is Term Insurance…) Part 4

टर्म इंश्योरेन्स क्या होता है.. भाग ५ (What is Term Insurance…) Part 5

टर्म इंश्योरेन्स क्या होता है.. भाग ६ (What is Term Insurance…) Part 6

 

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