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आयकर भरते हम सरकारी बंधुआ मजदूर

इस बार जब आयकर विभाग का रिटर्न भरने की प्रक्रिया में था, तो भरा गया आयकर देखकर बहुत कोफ्त हुई, कमाते हम साल भर के 12महीने हैं, सरकार का उस कमाई में कोई योगदान नहीं, न हमें अच्छी पढ़ाई दी, न हमें अच्छे रोजगार के अवसर दिये। हम जैसे तैसे संघर्ष करके यहाँ तक पहुँचे। अब जब आयकर का हिसाब लगाकर देखते हैं तो पता चलता है कि हम अपने लिये केवल 9 माह कमाते हैं, और बाकी के 3 महीने यानि कि जनवरी से मार्च तक सरकारी बंधुआ मजदूर हैं। क्योंकि हमारी 3महीने की कमाई सरकार आयकर के रूप में हमसे ले लेती है। न देने का कोई ऑप्शन भी नहीं है, कि सरकार कहे, हम ये सुविधायें नहीं दे पा रहे हैं तो आपको आयकर भरने की जरूरत नहीं है।

हर कोई सरकारी बंधुआ मजदूर है, भले 1 दिन का हो या 4-5महीने का, कोई एक दिन की कमाई का आयकर चुका रहा है तो कोई 4-5 माह की कमाई का आयकर चुका रहा है। मैं भी मन लगाकर अब 9 महीने ही काम कर पाता हूँ, बाकी के 3 महीने अनमने मन से काम करता हूँ, क्योंकि यह कमाई मैं अपने और अपने घरवालों के लिये नहीं बल्कि सरकार के लिये कर रहा हूँ। दुखी तो हर कोई है, परंतु हर कोई लिख नहीं पाता।

आयकर के साथ ही जमाने भर के सेसलगा दिये जाते हैं, अभी स्वास्थ्य और शिक्षा के लिये 4%का कर लगाया गया है, तो भी हमें न स्वास्थ्य की सुविधायें हैं न शिक्षा की सुविधायें हैं, अगर हमें स्वास्थ्य और शिक्षा सरकार नहीं दे सकती है तो कम से कम हमें उतनी रकम की छूट आयकर में मिलनी ही चाहिये, जितनी हम इन मदों में खर्च कर रहे हैं। अगर हम निजी क्षेत्र से स्वास्थ्य और शिक्षा लेते हैं तो भी सरकार हमसे उस पर GSTवसूल करती है, इस तरह से अगर सही हिसाब लगाया जाये तो व्यक्ति अपनी आय का कम से कम 50-60% कमाई का हिस्सा किसी न किसी तरह के कर देने में ही खर्च कर देता है।

सरकारी नौकरी वाले चाकरों के तो हाल ओर भी बुरे हैं, वे तो अपने मौलिक अधिकार का भी उपयोग नहीं कर सकते, कोई भी सरकारी नौकरी वाला अपनी अभिव्यक्ति का स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का उपयोग नहीं कर पाता है, अगर कोई अपने मौलिक अधिकार का प्रयोग करता भी है तो उसे इसकी कीमत नौकरी की आँच से चुकानी पड़ती है, साथ ही कई अन्य नुक्सान भी हो सकते हैं।

भले कोई आयकर देता हो या न परंतु आप कोई भी समान खरीदें उस पर कोई न कोई टैक्स तो जरूर देते हैं, हर कोई सरकारी बंधुआ मजदूर है, भले ही आप सेवानिवृत्त हो जायें और कमाई के हिस्से पर जीवनभर आयकर भी दें, फिर उस कमाई में से बचत से हो रही ब्याज की आय पर भी आयकर दें, तो जब तक जिंदा हैं, तब तक आयकर तो देना ही है। इस तरह से मुझे तो कई बार लगता है कि हम केवल कुछ दिन या महीनों के ही बंधुआ मजदूर नहीं हैं बल्कि जीवन भर हम बंधुआ मजदूरी ही कर रहे हैं।

सहकारी बैंको का उद्धार हमारे पैसों से, लुटाओ खजाना हमारी आँखों के सामने ही (Bailing Out Cooperative Banks)

    5 नवंबर 2014 को केन्द्रीय मंत्री श्री रविशंकर प्रसाद ने लगभग 2,375 करोड़ रूपयों की सहायता 23 केन्द्रीय सहकारी बैंकों को देने की टीवी पर घोषणा की। केन्द्रीय सहकारी बैंकों का जाल पूरा भारत में विस्तारित है। इन 23 केन्द्रीय सहकारी बैंकों में से 16 बैंकें उत्तर प्रदेश, 3 जम्मू कश्मीर और महाराष्ट्र में, 1 पश्चिम बंगाल में हैं । मंत्री जी का कहना है कि यह कदम छोटे निवेशकों के हितों के लिये उठाया गया है । एक कैबिनेट मीटिंग में इतनी बड़ी राशि जो कि भारत की जनता की मेहनत की गाढ़ी कमाई से टैक्स के रूप में सरकार के पास आती है, से देना निश्चित किया गया । इसमें कुछ हास्यासपद नियम बैंकों के लिये बनाये गये हैं, जैसे कि 15 प्रतिशत की विकास दर होना चाहिये, खराब ऋणों को 2 वर्ष में आधा वसूल कर लेंगे। इन दोनों का होना लगभग नामुमकिन है, क्योंकि केन्द्रीय सहकारी बैंकें राजनैतिक हितों को भी साधती हैं।
    एक बड़े अखबार के मुताबिक तो 45 सहकारी बैंकों के ऊपर भारतीय रिजर्व बैंक अर्थदंड भी लगा सकता है, जिसमें से 23 सहकारी बैंकों के पास तो बैंकिंग का लाइसेंस भी नहीं है और 4 प्रतिशत पूँजी-पर्याप्तता का अनुपात जो कि लगभग 2100 करोड़ रूपये होता है, वह भी नहीं है। ये 23 सहकारी बैंके वही लगती हैं, जिनका उद्धार हमारे द्वारा दिये गये टैक्स के पैसे से होना  है।
    सरकार का यह निर्णय बहुत ही असंवेदनशील और उनके काम करने के तरीके का खौफनाक नमूना है, सरकार द्वारा ऋणों के वापस न आने के कारणों को अनदेखा करना निश्चित ही चिंता का विषय है। केन्द्रीय सहकारी बैंकों में राजनैतिक घुसपैठ और उनके द्वारा प्रबंधन में मनमानी करना किसी से छुपा नहीं है और यही कारण है कि अशोध्य ऋणों (Irrecoverable loans) की ज्यादा संख्या का कारण राजनैतिक व्यक्ति का ऋण से जुड़ा होना है, जो कि जानबूझकर बकायादार (Wilful Defaulters) रहते हैं।
    इसके परिणाम स्वरूप, सहकारी बैंकों पर नियंत्रण ठीक न होना और दीवालिया होना व्यवस्था के लिये चेतावनी है। बदकिस्मती से अधिकतर लोगों को इन बैंकों के खराब नियंत्रण के बारे में पता ही नहीं होता है, जो कि अक्सर ही छोटे निवेशकों को अधिक ब्याज दरों से लुभाते हैं। मजे की बात यह है कि इन केन्द्रीय सहकारी बैंकों में बैंकिंग से संबंधित निर्णयों में राजनैतिक हित हावी रहते हैं, और सरकार के नियमों के मुताबिक सभी बैंकों में एक लाख रूपयों तक के निवेश को DICGC (Deposit Insurance and Credit guarantee Corporation)  द्वारा सुरक्षा प्रदान की जाती है। जिसमें ये केन्द्रीय सहकारी बैंकें भी शामिल हैं।
    यहाँ पर यह उद्घृत करना जरूरी है कि केतन पारिख के द्वारा 2000-2001 में माधवपुरा मर्केंटाइल सहकारी बैंक में की गई धोखाधड़ी के बाद पहले की भाजपा सरकार एन.डी.ए. के शासनकाल (1999-2004) में भारतीय रिजर्व बैंक को लचीला रुख अपनाने के कहा और DICGC (Deposit Insurance and Credit guarantee Corporation) को अपने नियमों को  शिथिल करने के लिये कहा गया। माधवपुरा मर्केंटाइल सहकारी बैंक के प्रबंधन ने घोटालेबाज केतन पारिख को 1000 करोड़ रूपयों को ऋण सारे नियम ताक पर रख कर बैंक को बर्बाद कर दिया। जबकि DICGC (Deposit Insurance and Credit guarantee Corporation) के नियमों के मुताबिक निवेश पर किये गये बीमा का भुगतान केवल बैंक के दीवालिया होने की स्थिती में ही किया जा सकता है। उस समय भाजपा के बड़े शक्तिशाली नेता को शांत करने के लिये माधवपुरा मर्केंटाइल सहकारी बैंक की स्थिती को अपवादस्वरूप बताकर हजारों करोड़ों रूपयों को भुगतान कर दिया गया। और उस समय की लगभग समाप्त सी हो चुकी मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने भी कोई विरोध नहीं किया। वाकई भारत के वित्तीय निवेशकों के लिये वह दिन बहुत ही बुरा होगा अगर वापिस से इस तरह का कोई बड़ा सहकारी बैंक घोटाला सामने आता है और भाजपा सरकार ने पहले ही इन केन्द्रीय सहकारी बैंकों को आश्रय देने का निर्णय ले लिया है बनिस्बत कि इन केन्द्रीय सहकारी बैंकों को भारतीय रिजर्व बैंकों के सीधे सरल और स्पष्ट नियंत्रण और निरीक्षण में दिया जाता।
    हमारे पैसों से इन केन्द्रीय सहकारी बैंकों को मदद देना सरकार के अच्छे शासन प्रणाली और साफ सुथरे प्रबंधन के संकेत नहीं हैं और उस सुधार बदलाव के भी जिसका वादा हमारे माननीय प्रधानमंत्री जी किया था।

आयकर रिटर्न की ईफ़ाईलिंग और नियोक्ता द्वारा कटा हुआ कर फ़ॉर्म 26A S से देखें। (E-filing of Income Tax Return and Check deducted Tax from employer in form 26A S)

    क्या आपने आयकर रिटर्न भर दिया है, अगर नहीं तो कैसे भरने वाले हैं, हमने इस बार से इलेक्ट्रॉनिक तरीके से भरना शुरू किया है और बहुत ही आसान लगा।
    आयकर की ईफ़ाईलिंग की वेबसाईट पर जाकर अपने पान नंबर से रजिस्टर करें, और अपनी निजी जानकारियाँ भरें। डाऊनलोड में जाकर संबंधित फ़ॉर्म डाऊनलोड कर लें, जैसे अगर आप केवल नौकरी करते हैं तो आपको आई.टी.आर. १ सहज भरना है, सहज की एक्सेल फ़ाईल डाऊनलोड करें, और जब एक्सेल में फ़ाईल खोलें तो मेक्रो को इनेबल करें नहीं तो एक्सेल फ़ाईल के पुश बटन काम नहीं करेंगे।
एक्सेल में अपनी सही जानकारी भरें जो कि फ़ॉर्म १६ में दी गई है, इसमें तीन टैब दिये हैं –
1. Income Details – इस शीट में फ़ॉर्म १६ के अनुसार आय की जानकारियाँ, नाम और   पता भरिये। Valideate  करिये और Next बटन पर क्लिक कीजिये।
2. TDS – इस शीट में नियोक्ता द्वारा काटे गये टैक्स की जानकारी, सैलेरी के अलावा अगर कहीं TDS कटा है और अग्रिम कर की जानकारी Transaction wise दें।
3. Taxes paid and verification – इस शीट पर अपने बैंक का खाता नंबर और माइकर कोड टंकित करें साथ ही यहाँ पर आपका टैक्स के बारे में पता चलता है कि टैक्स सही है या और जमा करना है या रिफ़ंड है। अगर यह नहीं आ रहा है तो पहली शीट Income Details पर जाकर Calculate Tax बटन पर क्ल्कि करें।
    अब तीसरी शीट पर दिये गये Generate बटन को दबायें तो यह आपकी एक्सेल फ़ाईल की .xml फ़ाईल बना देगा। जो कि Submit Return – Select Assessment Year में जाकर अपना वर्ष चुन लें, अपना फ़ॉर्म चुनें और अगर आपके पास डिजिटल सिग्नेचर है तो Yes करें नहीं तो No ही रहने दें। Next पर क्ल्कि करें, अब Choose file पर क्लिक करें और .xml फ़ाईल को चुनें। और अगर डिजिटल सिग्नेचर हैं तो इसके लिये जावा का संस्थापित होना आवश्यक है और अपनी .pfx फ़ाईल का पता दें। अब Upload बटन दबाकर फ़ाईल को Upload कर दें। जैसे ही फ़ाईल upload हो जायेगी, वैसे ही आपको फ़ॉर्म V की PDF लिंक मिल जायेगी, जिसे डाऊनलोड करके उसका प्रिंट निकालकर उसे आयकर बैंगलोर स्थित स्पेशल सैल के पते पर भेज दें। १२० दिनों के अंदर आपको फ़ॉर्म V आयकर विभाग को भेजना होता है जिसकी रसीद आयकर विभाग द्वारा आपके ईमेल पते पर भेज दी जायेगी। और इसका ऑनलाईन स्टेटस भी आयकर की साईट पर देख सकते हैं। अगर रसीद नहीं मिले तो फ़ॉर्म V वापिस से भेजें और ध्यान रखें कि फ़ॉर्म V केवल साधारण डाक या स्पीडपोस्ट से भेजें, रजिस्टर पोस्ट और कूरियर से डाक स्वीकार नहीं करते हैं। ज्यादा जानकारी के लिये आयकर विभाग की साईट पर देखें।
    अगर आपने डिजिटल सिग्नेचर भी अपलोड किये हैं तो फ़ॉर्म V भरकर भेजने की आवश्यकता नहीं है। सबसे सस्ता डिजिटल सिग्नेचर ईमुद्रा द्वारा दिया जाता है, मैंने भी सोचा था कि डिजिटल सिग्नेचर लूँ परंतु जब मात्र २० रूपये खर्च करने से काम चल जाता है तो उसके लिये ४०० रूपये का खर्चा क्यों किया जाये और डिजिटल सिग्नेचर का आयकर रिटर्न भरने के अलावा कहीं ओर व्यावहारिक उपयोग भी नहीं है।
    याद रखें पासवर्ड कभी भी कहीं भी नहीं लिखें, जैसे बैंक का पासवर्ड महत्वपूर्ण है वैसे ही आयकर की साईट का पासवर्ड महत्वपूर्ण है। कोई भी जानकारी अपलोड की जाती है, तो उसकी जिम्मेदारी केवल उस लॉगिन की ही है।
    अब आपको अपने नियोक्ता द्वारा जमा किये गये आयकर का विवरण देखना है तो आप पिछले वर्षों का भी विवरण यहाँ ऑनलाईन देख सकते हैं, फ़ॉर्म 26AS के द्वारा।
    My Account – View Tax Assessment ( Form 26A S), पूछी गई जानकारियों को भरें और View Form 26A S पर क्ल्कि करें। यह वेबसाईट एन.एस.डी.एल की साईट से कनेक्ट होकर सारी जानकारी आपको मुहैया करवा देता है।
    तो भूल जाईये ऑफ़लाईन आयकर रिटर्न भरना और भरिये ऑनलाईन रिटर्न, हाँ अगले वर्षों में अगर डिजिटल सिग्नेचर अगर सस्ता होता है या फ़िर उसका कहीं और भी व्यवहारिक उपयोग होता है तो डिजिटल सिग्नेचर भी ले लिया जायेगा।

सुरक्षित निवेश मासिक आय योजना (म्यूचयल फ़ंड) के संग (Secured Investment through MIPs [MF])

    मासिक आय योजना (म्यूचयल फ़ंड) मुख्यत: डेब्ट उत्पादों पर आधारित योजना है, जिसमें आमतौर पर कोष का ८०% तक डेब्ट उत्पादों में और बाकी का इक्विटी उत्पादों में निवेश किया जाता है।

    मासिक आय योजना (म्यूचयल फ़ंड) का मुख्य उद्देश्य निवेशकों को नियमित रुप से लाभांश के रुप में भुगतान करना होता है, हालांकि यह अनिवार्य नहीं होता है, लाभांश का वितरण फ़ंड हाउस के विवेक और वितरण योग्य धन होने पर निर्भर करता है।

निवेश के उद्देश्य –

    मासिक आय योजना (म्यूचयल फ़ंड) का मुख्य उद्देश्य निवेशकों को नियमित रुप से लाभांश प्रदान करना है जो कि ज्यादातर डेब्ट उत्पादों और एक छोटा हिस्सा इक्विटी में निवेश किया जाता है। ये मुख्यत: यील्ड ब्याज दर के डेब्ट उत्पादों (कमर्शियल पेपर्स, सर्टिफ़िकेट ऑफ़ डिपोजिट, गोवरमेंट सिक्योरिटिज और ट्रेजरी बिल्स) में निवेश करते हैं। डेब्ट उत्पाद पोर्टफ़ोलियो को स्थिरता और निरंतर वापसी की सुनिश्चितता प्रदान करते हैं, जबकि इक्विटी उत्पाद  ज्यादा वापसी के लिये सहायक होता है। मासिक आय योजना (म्यूचयल फ़ंड) बाजार से जुड़े रहते हैं (केवल उतने हिस्से के लिये जितने कि इक्विटी में निवेश है)।

जोखिम –

    पोर्टफ़ोलियो में डेब्ट उत्पादों के होने से, मासिक आय योजना (म्यूचयल फ़ंड) अर्थव्यवस्था में होने वाले ब्याज दर परिवर्तन प्रभावी होते हैं (क्योंकि अधिकतर उत्पाद डेब्ट उत्पाद होते हैं) ।

    जब अर्थव्यवस्था में ब्याज दरों में कमी आती है तब मासिक आय योजना (म्यूचयल फ़ंड) की एन.ए.वी. बड़ जाती है (बॉन्ड की कीमतों में वृद्धि के कारण)।

    और अगर ब्याज दर बढ़ती है तो मासिक आय योजना (म्यूचयल फ़ंड) की एन.ए.वी. कम हो जाती है, इस समय  तब अच्छी वापसी के लिये इस उत्पाद को इक्विटी पर निर्भर रहना पड़ता है।

    पोर्टफ़ोलियो में इक्विटी उत्पाद शामिल से : चूँकि मासिक आय योजना (म्यूचयल फ़ंड) बाजार से जुड़े हैं (जो कि आमतौर पर १५-२०% तक रहता है) । ये बैलेन्सड फ़ंड से कम जोखिम वाले होते हैं (इसमें ६०-७०% तक इक्विटी में निवेश होता है)  लेकिन शुद्ध डेब्ट फ़ंडों से थोड़ा जोखिम वाले होते हैं (शुद्ध डेब्ट फ़ंड केवल डेब्ट प्रतिभूतियों में निवेश करते हैं)।

    कोई भी सही सही भविष्यवाणी तो कर नहीं सकता कि कब शेयर बाजार और डेब्ट बाजार अपने उतार चढ़ाव पर होंगे। यह निवेशको के लिये पूँजी कटाव और लाभांश का भुगतान न होने का जोखिम पैदा करता है। अधिकांश मासिक आय योजना (म्यूचयल फ़ंड) के फ़ंड मैनेजर अतीत में कुख्यात रह चुके हैं, डेब्ट निवेश में से ३०% तक का निवेश इक्विटी बाजार में निवेश करने के बाद और बाजार का पूरा मजा लेते हैं जब बाजार अपने पूरे जलवे पर होता है, जिससे इस शेयर बाजार के चढ़ाव का फ़ायदा निवेशक को होता है और एन.ए.वी. काफ़ी बड़ जाता है, पर इसके उलट अगर उतार हो एन.ए.वी. कम हो जाता है यानि के निवेशक को नुकसान।

    निवेशक को इक्विटी पोर्टफ़ोलियो का मूल्यांकन कर लेना चाहिये और जोखिम स्वीकार्य होने के बाद ही निवेश करना चाहिये।

रिटर्न – मासिक आय योजना (म्यूचयल फ़ंड) सीमित अस्थिरता के साथ  स्थिर रिटर्न देता है, पिछले तीन वर्षों में, अधिकतर मासिक आय योजना (म्यूचयल फ़ंड) ने १२-१३% का औसत रिटर्न दिया है।

अवधि – मासिक आय योजना (म्यूचयल फ़ंड) को कम से कम ३-५ वर्ष के लिये निवेश करना चाहिये।

कर कितना लगेगा – मासिक आय योजना (म्यूचयल फ़ंड) डेब्ट फ़ंड है, पर लाभांश पर लाभांश वितरण कर (१२.८६७%) है।

    अगर एक वर्ष के पहले फ़ंड की यूनिट बेचते हैं और उस पर अगर कुछ लाभ है तो उस पर शार्ट टर्म कैपिटल गैन कर लागू होता है, शुद्ध लाभ को आपकी करयोग्य आय में जोड़ दिया जायेगा और जो भी व्यक्तिगत आयकर की स्लैब लागू होगी। और अगर एक वर्ष के बाद बेचते हैं, और लाभ होता है तो लांग टर्म कैपिटल गैन कर लगेगा जो कि १०% होता है (इंडेक्सेशन के बिना) और २०% इंडेक्सेशन लाभ के साथ, जो भी कम हो।

निवेश किसे करना चाहिये –

    ज्यादा जोखिम न उठाने वाले निवेशक जो कि बैंक सावधि जमा से ज्यादा अच्छे और सुरक्षित रिटर्न चाहते हैं, उनके लिये मासिक आय योजना (म्यूचयल फ़ंड) अच्छा विकल्प है। हालांकि मासिक रिटर्न की गारंटी नहीं है, स्थिर आय के लिये बैंक के जैसे नहीं है।

स्कीम नाम एन.ए.वी. १ वर्ष के रिटर्न ५ वर्ष के रिटर्न
HDFC MIP Long Term 21.997 14.6 13
Reliance MIP 20.947 14.6 12.9
Canara Robeco 28.43 10.4 13.7

NAV as on 22 July 2010

मासिक आय योजना (म्यूचयल फ़ंड) के विकल्प –

    मासिक आय योजना (म्यूचयल फ़ंड) के विकल्प हैं बैंक की सावधि जमा योजना, पोस्ट ऑफ़िस एम.आई.पी., फ़िक्स्ड मैच्योरिटी प्लान्स।

निष्कर्ष –

    मासिक आय योजना (म्यूचयल फ़ंड) आपको हर माह निश्चित राशि नहीं मिलती है। हर मासिक लाभांश ब्याज दर के उतार चढ़ाव और बाजार के उतार-चढ़ाव पर निर्भर रहता है। लेकिन मासिक आय योजना (म्यूचयल फ़ंड) “नियमित आय उत्पाद” की श्रेणी में सबसे ज्यादा रिटर्न देने के कारण सबसे अच्छॆ हैं और कर में भी।

    नियमित आय के लिए म्युचुअल फंड की एमआइपी पर या किसी एक ही उत्पाद पर ही निर्भर नहीं होना चाहिये । अपने निवेशों को हमेशा अलग अलग जगह करना चाहिये जिससे हानि कम से कम हो।

स्विप या सिप में क्या सारा पैसा एक ही फ़ंड में लगाना उचित है ? (Investment should be in 1 fund ?? in SIP or SWP)

    पिछली पोस्ट [स्विप (SWP) क्या है, और ये कैसे सेवानिवृत्ति के बाद के लिये अच्छा उत्पाद है ? (What is Systematic Withdraw Plan)] पर डॉ. महेश सिन्हा जी ने सवाल किया था, क्या सारा पैसा एक ही फ़ंड में लगाना उचित है।

    मेरा जबाब है नहीं, अगर सारा पैसा एक ही फ़ंड में लगा दिया और वो अपना प्रदर्शन नहीं कर पाया फ़िर आपके भविष्य का क्या ?

    आपका पैसा कम से कम ५ म्यूचुयल फ़ंडों में निवेशित होना चाहिये, जिसमें लार्जकैप डाईवर्सिफ़ाईड फ़ंड, बैलेन्स्ड फ़ंड,स्माल एवं मिडकैप फ़ंड सबमें आपका निवेश होना चाहिये। हाँ आज से ५ वर्ष पहले तक ज्यादा तरीके के म्यूच्यल फ़ंड उपलब्ध नहीं थे, परंतु अब तो जैसा म्यूच्यल फ़ंड चाहिये वैसा मिलता है।

    हम पिछले १ वर्ष के रिटर्न की गणना करें स्विप की तो पायेंगे – निवेश तिथि ९ जुलाई २००९ निवेशित रकम १,००,००० रुपये, जिसमें आप अपनी निवेशित रकम में से १२,००० रुपये १२ महीने में निकाल भी चुके हैं, और आज मूल रकम ८८ हजार रुपये है।

कुछ लार्जकैप म्यूचयल फ़ंड –

फ़ंड का नाम वर्तमान रकम वापसी
रिलायंस ग्रोथ – ग्रोथ 1,33,234.41 51.4%
रिलायंस विजन – ग्रोथ 1,26,728.40 44.1%
एच.डी.एफ़.सी. टॉप २०० 1,25,214.84 42.29%
डी.एस.पी. ब्लेकरॉक टॉप १०० 1,18,900.61 35.11%

कुछ बैलेन्स्ड म्यूचयल फ़ंड –

फ़ंड का नाम वर्तमान रकम वापसी
डी.एस.पी. ब्लेकरॉक बेलेन्स्ड फ़ंड – ग्रोथ 1,21,010.33 37.51%
बड़ौदा पायोनियर बैलेन्स्ड 1,06,911.12 21.49%
केनरा रोबेको बेलेन्स 1,20,934.93 37.43%
एच.डी.एफ़.सी.बेलेन्स्ड फ़ंड 1,30,369.77 48.15%

कुछ स्मॉल मिडकैप फ़ंड –

फ़ंड का नाम वर्तमान रकम वापसी
डी.एस.पी. ब्लेकरॉक 1,58,195.10 79.77%
एच.एस.बी.सी. मिडकैप 1,34,062.97 52.34%
आई.डी.एफ़.सी. 1,40,779.75% 59.98%
डी.एस.पी. ब्लेकरॉक माइक्रो कैप फ़ंड 1,77,672.85 101.9%

    जो म्यूचयल फ़ंड आज अच्छा प्रदर्शन कर रहा है इसका मतलब यह नहीं है कि भविष्य में भी अच्छा प्रदर्शन करेगा, इसके लिये बाजार का ज्ञान होना भी बहुत जरुरी है।

    म्यूच्यल फ़ंड हमेशा अपने वित्तीय सलाहकार से सलाह करके ही खरीदें, आप ऊपर दी गई तालिका में देख सकते हैं, एक गलत निर्णय और आपके निवेश का सत्यानाश, बहुत सारे फ़ंड ऐसे भी हैं जो प्रदर्शन नहीं कर पाये, इससे बेहतर है कि अपने वित्तीय सलाहकार को शुल्क देकर सलाह लेना, तो आप अपने निवेश का बेहतर प्रदर्शन पा सकते हैं।

स्विप (SWP) क्या है, और ये कैसे सेवानिवृत्ति के बाद के लिये अच्छा उत्पाद है ? (What is Systematic Withdraw Plan)

    स्विप (SWP – Systematic Withdraw Plan) ऐसी योजना है जो कि निवेशक अपने म्यूचयल फ़ंड में से कुछ पैसा नियमित अंतराल से निवेश में से निकालने देती है। निकाला गया पैसा किसी ओर योजना में निवेश किया जा सकता है या फ़िर कुछ ओर खर्चों के लिये इसका उपयोग कर सकते हैं। साधारणतया: स्विप को सेवानिवृत्ति के बाद होने वाले नियमित खर्चों को पूरा करने के लिये अच्छे से उपयोग किया जा सकता है।

    स्विप से नियमित अंतराल के बाद कुछ नियत राशि या फ़िर variable राशि निकाल सकते हैं। निकासी स्विप से मासिक, तिमाही, छ:माही या वार्षिक कर सकते हैं। इस योजना में समय अंतराल निवेशक को अपनी जरुरत और प्रतिबद्धताओं के अनुसार चुनना चाहिये।

    साधारणतया: स्विप में कई लाभ हैं, यह आपके निवेश से एक नियमित समय अंतराल के बाद आपको आपकी चाही गई रकम तो देते ही हैं, साथ में आपकी मूल निवेश की गई रकम सीधे बाजार में निवेश रहती है, तो निवेश पर वापसी बहुत अच्छी होने की उम्मीद होती है, आपका मूल निवेश मुद्रास्फ़ीति से भी दो-दो हाथ करता रहता है और स्विप आपका भविष्य सुरक्षित करने में मददगार साबित होता है।

    स्विप में आप शेयर बाजार के उतार चढ़ाव को भी झेल सकते हैं। नियमित अंतराल के बाद रकम निकासी से औसत मूल्य अच्छा मिलता है और निवेशक बाजार के उतार चढ़ाव का आनंद ले सकता है।

स्विप कैसे कार्य करती है – (How SWP working ?)

    स्विप म्यूचयल फ़ंड में ही एक योजना है, जिसमें नियमित अंतराल के बाद यह आपको अपने निवेश में से कुछ रकम निकासी की सुविधा देती है।

    अब म्यूचयल फ़ंड खरीदते हैं, तो उसे स्विप में ले सकते हैं, जिसमें आपको बताना होता है कि कितना रुपया हर महीने/तिमाही में कौन सी तारीख को चाहिये। जिस दिन म्यूचयल फ़ंड खरीदा जाता है, उस दिन की एन.ए.वी. से आपको आपके निवेश की यूनिट मिल जाती हैं। और फ़िर अगले महीने से आपकी चाही गई रकम उन यूनिटों में से बेचकर आपको दे दी जाती हैं। इससे फ़ायदा यह है कि अगर लंबी अवधि में देखें तो हम बाजार के उतार चढ़ाव बहुत ज्यादा पायेंगे और ये उनसे लड़ने में सक्षम हैं।

    एक उदाहरण देखते हैं – एक व्यक्ति वर्ष २००२ में सेवानिवृत्त हुए, उन्होंने वित्तीय विशेषज्ञ की सेवाएँ ली और अपनी सेवानिवृत्ति राशि का २० लाख रुपया स्विप में लगाने का निर्णय लिया। और उन्होंने ९ जुलाई २००२ को रिलायंस ग्रोथ ग्रोथ म्यूचयल फ़ंड लिया। ९ जुलाई २००२ की एन.ए.वी. ३१.१८५ रुपये थी, और उन्हें ६४,१३३.३९७५ यूनिट मिलीं।

    अब हर माह उन्हें शुरु की २ तारीख को ही २०,००० रुपये मिल जाते थे, और उन्होंने उसे आज तक जारी रखा है, जैसा कि आप सभी ने देखा है कि इन पिछले आठ वर्षों में बाजार ने अपने कई उतार चढ़ाव देखें हैं और कई बने हैं और कई बर्बाद हुए हैं, आज अगर उनके फ़ंड की उन्नति को देखा जाये तो आप पायेंगे कि पिछले आठ वर्षों में उन्होंने स्विप से १९.२० लाख रुपये तो निकाले ही हैं और आज उनके पास ४५,५७७.८७९२ यूनिट उपलब्ध हैं जिसकी एन.ए.वी.  ४५९.८४६८ है, और कुल निवेश की राशि आज हो गई है २ करोड़ से भी ज्यादा जी हाँ बिल्कुल सही पढ़ा आपने उनकी आज की रकम है २,०५,६९,६०२.२५ रुपये। जी २५,६१२% की वापसी।

    दूसरा उदाहरण देखिये – एक और व्यक्ति थे उन्होंने अपने राशि बैंक में मासिक आय योजना में रखी थी, और उन्हें ब्याज उस समय मिला लगभग १२% पर आज उनकी मूल राशि तो २० लाख रुपये ही है, जो कि आज की मुद्रास्फ़ीति से लड़ने में असक्षम है।

इस तालिका में देखिये –

निवेश योजना दिनांक रकम आहरित रकम वर्तमान राशि
रिलायंस ग्रोथ – ग्रोथ म्यूचयल फ़ंड स्विप योजना ९ जुलाई २००२ २०,००,००० १९,२०,००० २,०५,६९,६०२.२५
ग्रोथ – २५,६१२%
बैंक में सावधि जमा मासिक आय योजना ९ जुलाई २००२ २०,००,००० १९,२०,०० २०,००,०००
ग्रोथ – ० %

तो अब आप ही समझ सकते हैं कि निवेश में किसका निर्णय सही था।

    कर कितना देना पड़ता है – (Income Tax !!!)

    अभी तक कर का प्रावधान इस प्रकार था –

    पहले वर्ष शार्ट टर्म कैपिटल गैन टैक्स देना होता था, जितनी यूनिट आपकी बाजार में बिकी हैं, उस हर यूनिट पर होने वाले फ़ायदे पर और एक वर्ष के बाद लांग टर्म कैपिटल गैन टैक्स से मुक्त था, पर इंडेक्सेशन से कर लगता था।

    अब नये कर प्रस्ताव में लांग टर्म कैपिटल गैन टैक्स की फ़िर से बहाली की गई है, जिसमें निवेशक को अब हर यूनिट पर होने वाले फ़ायदे पर अब एक वर्ष की अवधि के बाद भी कर देना होगा और इंडेक्सेशन के ऊपर भी कर देय होगा।

    इतने कर देने के बाबजूद भी यह योजना बहुत ही अच्छी है, जोखिमपूर्ण भी है। पर इसकी वापसी की तुलना किसी और वित्तीय उत्पाद से करना बहुत ही मुश्किल है।

वित्तीय विशेषज्ञ की सेवाएँ – ( Services of Financial Planner !!!)

    मेरी राय है कि जब आप बाजार आधारित कोई भी उत्पाद खरीदते हैं, और अगर खुद विशेषज्ञ नहीं हैं तो वित्तीय विशेषज्ञ की समय समय पर सेवाएँ जरुर लें जो आपके धन को सुरक्षित रखने में आपकी मदद करेगा।

    जैसे पहले उदाहरण में वित्तीय विशेषज्ञ की सेवाएँ केवल निवेश के समय ही ली गईं, अगर नियमित रुप से लेते, तो यही रकम लगभग ४ करोड़ हो गई होती। वित्तीय विशेषज्ञ अपनी सेवाओं के लिये कुछ मामुली सा शुल्क लेते हैं परंतु हमें वह शुल्क ज्यादा लगता है, अगर थोड़ा सा शुल्क देकर आपको अपने निवेश से ज्यादा बेहतर वापसी मिल रही है तो हर्ज ही क्या है।

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ऑटो की हड़ताल , किराये में बढ़ौत्तरी और हम आम आदमी… मुंबई में विवेक रस्तोगी

    सुबह ९ बजे तक सब ठीक था, परंतु एकाएक सीएनबीसी आवाज पर एक न्यूज फ़्लेश देखा कि मुंबई में ऑटो की हड़ताल, फ़िर हम दूसरे न्यूज चैनलों पर गये परंतु कहीं भी कुछ नहीं आ रहा था।  अपने सहकर्मी के साथ रोज ऑटो में जाते थे उसका फ़ोन आया कि आ जाओ हम घर से निकले तो वो अपनी मोटर साईकिल पर आया हुआ था, हम उसकी मोटर साईकिल पर लद लिये। सड़कों पर दूर दूर तक ऑटो और टेक्सियाँ कहीं दिखाई नहीं दे रही थीं।

    पर आज कमाल की बात हुई कि हम केवल १० मिनिट में ही ऑफ़िस पहुँच गये जो कि रोज से लगभग आधा है, और तो और बसें भी अपनी पूरी स्पीड से चल रही थीं, ऐसा लगा कि ये ऑटो और टेक्सी वाले ही ट्राफ़िक न्यूसेंस करते होंगे, तभी तो कहीं भी कोई ट्राफ़िक नहीं, ऐसा लग रहा था कि हम मुंबई नहीं कहीं ओर हैं, और इस शहर में ऑटो और टेक्सियों की पाबंदी है।

    सी.एन.जी. गैस की कीमत ३३% बढ़ायी गई है, और ऑटो यूनियनों की मांग थी कि बेस फ़ेयर १.६ किमी के लिये ९ रुपये से बढ़ाकर १५ रुपये कर दिया जाये और उसके बाद प्रति किमी ५ से बढ़ाकर ६.५० रुपये कर दिया जाये। तो मांग मान ली गई और बेस फ़ेयर ९ रुपये से बढ़ाकर ११ रुपये कर दिया गया और उसके बाद प्रति किमी. ५ से बढ़ाकर ६.५० रुपये कर दिया गया है। सीधे सीधे २५% की ऑटो किराये में बढ़ौत्तरी कर दी गई है। अभी तक हमें एक तरफ़ के ४० रुपये लगते थे अब ५० रुपये लगेंगे, याने कि महीने के ५०० रुपये ज्यादा खर्च होंगे।

    अब सरकार को कन्वेन्स एलाऊँस ८०० से बढ़ाकर २००० रुपये कर देना चाहिये जिससे आयकर में ही कुछ राहत मिले।

    पूरा मुंबई बिना ऑटो और टेक्सी के बहुत ही अच्छा लग रहा था, अगर इनको हटा दिया जाये और बेस्ट अपनी बसें बड़ा दे तो ज्यादा अच्छा है।

    शाम को ऑफ़िस से निकले तो फ़िर ऑटो की तलाश शुरु की, क्योंकि हमारे सहकर्मी को कुछ काम था तो पहले आधे घंटे तक तो ऑटो ही नहीं मिला फ़िर सोचा कि चलो बस से बोरिवली जाते हैं और फ़िर वहाँ से अपने घर तक की बस मिल जाती है, तो थोड़े इंतजार के बाद ही सीधे घर के ओर की ही बस मिल गई। बस के पिछले दरवाजे पर लटकते हुए अगले स्टॉप पर अंदर हो पाये। फ़िर थोड़ी देर में ही बस लगभग खाली जैसी थी, तो हमने कंडक्टर से पूछा ये रोज ऐसी ही खाली आती है क्या ? वो बोला कि आज खाली है ऑटो के हड़ताल के कारण लोग ऑफ़िस नहीं जा पाये।

    खैर हम घर पहुँचे तो टीवी पर खबर देखी कि दिल्ली में तो लूट ही मच गई है, पहले २ किमी के लिये २० रुपये और फ़िर २ किमी. के बाद ६.५० रुपये कर दिया गया है। शायद अब दिल्ली में ऑटो वाले मीटर से चलें।

    खैर अपन तो आम जनता है और हमेशा से अपनी ही जेब कटती है और हम कुछ बोलते नहीं हैं, बोल भी नहीं पाते हैं। बस हमेशा लुटने को तैयार होते हैं, और हम कर भी क्या सकते हैं।

आयकर बचाने के लिये इंफ़्रास्ट्रक्चर बांड्स में २०,००० रुपये का निवेश करना चाहिये क्या ?

    २०१० के बजट में आयकर में जो राहत दी गई हैं, उनमें से एक है इंफ़्रास्ट्रक्चर बांड्स में २०,००० रुपये तक के निवेश की अनुमति दी गई है।

    इस राहत के बाद लगभग सभी लेखों में और वित्त मंत्री जी ने भी यही कहा कि यह एक सकारात्मक कदम है। लेकिन एक ही बात हरेक आदमी के लिये कैसे सकारात्मक हो सकती है ? अगर नकारात्मक भी नहीं है तो भी कम से कम कई लोगों को तो कोई फ़र्क ही नहीं पड़ने वाला है।

    हम यहाँ पर कर बचाने के लिये इन बांडों में निवेश करना कितना सही है यह देखेंगे और यह विश्लेषण २०१० की नई कर नीति के दृष्टिकोण को ध्यान में रखकर कर रहे हैं जो कि इस प्रकार है –

१. आय १.६ लाख रुपये से ५ लाख रुपये तक
२. आय ५ लाख रुपये से ८ लाख रुपये तक
३. आय ८ लाख रुपये या उससे ज्यादा

    किसी भी करबचत उत्पाद को समझने के लिये हमें चार प्रमुख मानकों को समझना चाहिये –

वास्तविक कर बचत (सबसे ज्यादा बचत मान लीजिये जितनी संभव हो)
निवेश से मुनाफ़ा वापसी (कम से कम जितने समय निवेश बंधक रहने वाला है)
अवसरित कीमत (अगर यही रकम किसी और उत्पाद में निवेश की जाये तो कितना मुनाफ़ा वापसी होगा)
उत्पाद पर होने वाले मुनाफ़ा वापसी पर मुद्रास्फ़ीति का प्रभाव
(आपके निवेश की क्या कीमत होगी जब आप इस उत्पाद को भुनायेंगे ?)

धारणाएँ –

    हम दो मानदंड मान लेते हैं, हमें अपनी ही कुछ धारणा बनानी पड़ेगी बंधक समय (Lock-In Period) के लिये, क्योंकि अभी तक वित्त मंत्री ने अभी तक इस बारे में कोई घोषणा नहीं की है। आमतौर पर अगर हम दूसरे कर बचत वित्तीय उत्पादों को देखें तो हम दो परिदृश्य ले सकते हैं तीन वर्षीय और पांच वर्षीय।

    मान लेते हैं कि इंफ़्रास्ट्रक्चर बांड की वापसी दर होगी लगभग ५.५ % प्रतिवर्ष।

और साथ ही मुद्रास्फ़ीति की समग्र दर हम ८% मान लेते हैं।

१.६ – ५ लाख रुपये के कर समूह में आने वाले लोगों को १०% आयकर देना होगा।

१. वास्तविक कर बचत – २०,००० रुपये का १०% याने कि २,००० रुपये (अगर आप २०,००० रुपये का निवेश इंफ़्रास्ट्रक्चर बांड में करते हैं, तो आपकी करयोग्य आय २०.००० रुपये से कम हो जायेगी और आपको आयकर में १०% का फ़ायदा होगा)।

२. आपको कितनी रकम वापिस मिलेगी अपने बंधक समय (Lock-in Period) के बाद ? अगर ३ वर्ष का बंधक समय है तो २०,००० रुपये के निवेश से जो आय होगी वह होगी लगभग ३४८५ रुपये। जब आप इसे अपनी निवेश की गई रकम में जोड़ेगे तो आपको निवेश की जो वापसी होगी वह है २५,४८५ रुपयों की (२०,००० रुपये + ३,४८५ रुपये + २,००० रुपये)।

३. अगर इसी राशि को बाजार में किसी और उत्पाद में निवेश करते तो वह आपको लगभग १५-१८% की वापसी देता। सेंसेक्स और म्यूचुअल फ़्ंड में लंबी अवधि के निवेश के बाद यह दर बहुत कम है पर हम गणना में १५% लेते हैं। इस निवेश से आपको २७,३७६ रुपये मिलेंगे जो कि इस प्रकार है – २०,००० रुपये – २,००० रुपये = १८,००० रुपये @१५% की दर से ३ वर्ष के लिये निवेश की गणना की गई है।

४. ८% मुद्रास्फ़ीति का मुकाबला करने के लिये कम से कम आपकी राशि ३ वर्ष के बाद कितनी होनी चाहिये ? राशि होना चाहिये लगभग २५,१९४ रुपये।

    इस प्रकार हम देखते हैं कि १.६ से ५ लाख रुपये वाले कर समूह में आने वाले व्यक्तियों के लिये इंफ़्रास्ट्रक्चर बांड जो कि एक कर बचत उत्पाद है, से केवल २९१ रुपये का ही फ़ायदा होता है (२५,४८५ रुपये – २५,१९४ रुपये)। जबकि आयकर देने के बाद बची हुई राशि को किसी बाजार के किसी अच्छे उत्पाद में लगाने से १८९१ रुपये का फ़ायदा है।

    पर अगर आप के आयकर में २,००० रुपये से ज्यादा का फ़ायदा हो रहा है, और वो तब होगा जब आप ५ लाख से ऊपर वाले कर समूह में आते हैं, उन लोगों को इंफ़्रास्ट्रक्चर बांड में ही निवेश करना चाहिये, ना कि दूसरे वित्तीय उत्पादों में।

    यह सलाह केवल उन्हीं लोगों के लिये है जो कि १.६ से ५ लाख के कर समूह में आते हैं।

ऐगॉन रेलीगेयर का आईटर्म प्लॉन देखिये – (AEGON Religare iTerm Plan) –

    समय बहुत तेजी से भाग रहा है। बहुत सारी चीजें करने के लिये हैं पर समय बहुत कम है। आप कुछ भी करो जिससे बस यह सुनिश्चित हो जाये कि आपके परिवार को हमेशा सारी सुख सुविधाएँ उपलब्ध हों। पर फ़िर भी कुछ चीजों के ऊपर किसी का भी बस नहीं है। तो आप बताईये क्या जिस सुख सुविधाओं में आपने अपने परिवार को रखा है, आपकी अनुपस्थिती में भी वे इस सबके हकदार है या नहीं ? यहाँ बात केवल आपकी आपके परिवार के फ़िक्र की है, जो कि आपके परिवार को एक बेहतरीन जीवन देने के लिये निश्चिंतता दे।

    ऐगॉन रेलीगेयर का आईटर्म प्लॉन देखिये – (AEGON Religare iTerm Plan) –

    यह सावधि बीमा योजना आपको आपके परिवार के लिये भविष्य की निश्चिंतता देता है वह भी बहुत ही कम प्रीमियम में। यह बीमा सीधे बीमाधारक को उपलब्ध है ऑनलाईन, इसके लिये आपको किसी बीमा एजेन्ट को बुलाने की जरुरत नहीं है। यह योजना लेना केवल आसान ही नहीं है बल्कि आप अपने संगणक पर ही सारी प्रक्रियाएँ आसानी से पूरी कर सकते हैं।

ऐगॉन रेलीगेयर का आईटर्म प्लॉन के लिये कैसे आवेदन करें – (How to Apply AEGON Religare iTerm Plan) –

१. बीमा की रकम चुनिये, जिस रकम से आप अपने को बीमित करना चाहते हैं।
२. कितनी अवधि के लिये यह योजना लेना चाहते हैं।
३. सीधा संपर्क करें –
अ. अंतर्जाल से, buyonline.aegonreligare.com
ब. ग्राहक सेवा केन्द्र को फ़ोन कर सकते हैं 1800 209 9090
सुविधाएँ –

मृत्यु – दुर्भाग्यवश मृत्यु होने पर, बीमित राशि नामित व्यक्ति को भुगतान कर दिया जायेगा।

कर लाभ –  आयकर की  धारा ८० सी, १० (१०डी) के अंतर्गत, पहले आप अपने कर सलाहकार से जरुर सलाह ले लें।

पात्रता –
बीमित राशि
(
१००० रुपये के गुणज में)
कम से कम – १०,००,००० रुपये
अधिकतम – कोई सीमा नहीं (जोखिम अंकन जरुरतों के अधीन)
प्रवेश उम्र
कम से कम – १८ वर्ष*
अधिकतम – ६० वर्ष
परिपक्वता उम्र
अधिकतम – ६५ वर्ष
योजना अवधि
कम से कम – ५ वर्ष
अधिकतम – २५ वर्ष
प्रीमियम अदा करने की अवधि
योजना अवधि के बराबर
प्रीमियम अदा करने की आवृत्ति
वार्षिक
* अगर योजना अवधि १० वर्ष से कम है तो, कम से कम प्रवेश की उम्र ३० वर्ष होनी चाहिये।

अन्य विशेषताएँ –

पैसा वापसी – अगर, आप आईटर्म योजना से संतुष्ट नहीं हैं तो आप अपने बीमा को बीमा के कागज प्राप्त होने के १५ दिन के अंदर रद्द कर सकते हैं। रद्दीकरण की स्थिती में आपको आपकी प्रीमियम की राशि वापिस मिल जायेगी, परंतु उसमें स्टाम्प ड्यूटी की कीमत, चिकित्सा जाँच और उक्त अवधि का आनुपातिक प्रीमियम काट लिया जाता है।

नियम एवं शर्तें –

मोहलत – आप अपनी प्रीमियम देय तिथी से ३० दिन तक जमा कर सकते हैं। अगर देय तिथी तक प्रीमियम राशि अदा नहीं की जाती है तो बीमित राशि की सुरक्षा अपने आप खत्म हो जाती है।

मृत्यु – मृत्यु लाभ, अगर मोहलत अवधि में बीमित व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो बीमित राशि में से देय प्रीमियम राशि को घटा कर दावा भुगतान कर दिया जायेगा।

चूक और बहाली – अगर ३० दिन की मोहलत अवधि में प्रीमियम राशि जमा नहीं की जाती है तो योजना अपने आप लेप्स हो जायेगी। अगर लगातार दो वर्षों तक प्रीमियम राशि का भुगतान नहीं किया जाता है तो बीमा खत्म कर दिया जाता है। बहाली के लिये, सभी बाकी के प्रीमियम बिना ब्याज के देय होंगी।

परिपक्वता  (Maturity / Surrender) – परिपक्वता अवधि पर पॉलिसी पर कोई भुगतान नहीं दिया जाता है।

सेवा कर – सेवा कर या कोई और कर अगर देय होगा तो जो भी कर होगा वह प्रीमियम पर देना होगा।

छूट – अगर बीमा लेने की अवधि के प्रथम वर्ष में या बीमा बहाली के प्रथम वर्ष में आत्महत्या से मृत्यु होती है तो कोई भी मृत्यु लाभ नहीं दिया जायेगा।

आयकर की धारा ८० सी के तहत मिलने वाली छूट कौन से वित्तीय उत्पादों से मिलती है – एक सम्पूर्ण जानकारी (A Complete guide for Income Tax instruments covered under section 80 C)

    धारा ८० सी, एक आम आदमी जिसे आयकर के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं होती है वह भी इसके बारे में जानता है| आयकर अधिनियम ८० सी के तहत सरकार कुछ वित्तीय उत्पादों में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित करती है| इन वित्तीय उत्पादों में निवेश करने पर १ लाख रुपये तक की छूट ८० सी के अंतर्गत ले सकते हैं, यदि आपकी वार्षिक आय ५ लाख से अधिक है तो आप १ लाख रुपये का निवेश ८० सी में करने के बाद ३३ हजार रुपये का टेक्स बचा सकते हैं| चिंता का विषय यह है की कितने लोग यह जानते हैं कि ८० सी धारा के अंतर्गत कौन से वित्तीय उत्पाद आते हैं | लोग केवल यूलिप के बारे में जानते हैं; वह इसलिए क्योंकि बीमा कंपनियाँ अपने उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए व्यापक रूप से अभियान चला रही हैं जिससे उनकी बिक्री में वृद्धि हो| लेकिन केवल यूलिप ही एक वित्तीय उत्पाद नहीं है जो कि ८० सी के अंतर्गत छूट दिलवाता है|  इस आलेख में सभी वित्तीय उत्पादों के बारे में जानकारी आप पायेंगे जो धारा ८० सी के अंतर्गत आते हैं –
    आमतौर पर लोग ८० सी के अंतर्गत निवेश के लिए फरवरी या मार्च में ही सोचते हैं क्योंकि उन्हें केवल टेक्स बचाने की चिंता होती है, वे कभी भी उस निवेश की उत्पादकता के बारे में नहीं सोचते हैं | इस स्थिती में आप अपने देय टेक्स से ज्यादा धन को गँवा सकते हैं|


    उदाहरण के लिए : कुमार की वार्षिक आय ३,००,००० रुपये है और कुल कर देयता आयकर के लिए १४,००० रुपये है | १ लाख रुपये का निवेश जो कि ८० सी के अंतर्गत वित्तीय उत्पाद में किया जिससे कुमार का १०,००० रुपये आयकर बचता है | लेकिन गलत वित्तीय उत्पाद में निवेश करने पर उसे २०,००० रुपये तक का नुक्सान भी हो सकता है| 
जब आप किसी वित्तीय उत्पाद को निवेश के लिए चुनते हैं, उसके लिए आपको बहुत सावधानी बरतना चाहिये, आप प्रभावी निवेश केवल तभी कर सकते हैं जब आपको पता हो कि निवेश कई कारकों पर निर्भर करता है जैसे कि उसका उद्देश्य क्या है, उम्र कितनी है, कितना जोखिम ले सकते हैं, आर्थिक स्थिति कैसी है इत्यादि |
    निवेश जो धारा ८० सी के अंतर्गत आते हैं उनकी सूची नीचे दी जा रही है, ये वित्तीय उत्पाद आपकी आवश्यकता अनुसार आपको उत्पाद चुनने में आपकी मदद करेगा –
  • जीवन बीमा योजनाएँ
  • यूनिट लिंक्ड बीमा योजनाएँ (यूलिप)
  • इक्विटी लिंक्ड बचत योजनाएँ (इएल एस एस)
  • सार्वजनिक भविष्य निधि (पीपीएफ)
  • भविष्य निधि (कर्मचारी का अंशदान) 
  • राष्ट्रीय बचत प्रमाण पत्र (एन एस सी)
  • पंचवर्षीय जमा खाता (फिक्स्ड डिपोजिट)
  • गृह ऋण वापसी (मूलधन)
  • स्टांप शुल्क और पंजीकरण शुल्क
  • शिक्षण शुल्क भुगतान
  • डाकघर सावधि जमा खाता
  • इन्फ्रास्ट्रक्चर बांड
  • वरिष्ठ नागरिक बचत योजना
जीवन बीमा योजनाएँ – 
    जीवन बीमा जीवन में बहुत महत्त्व रखता है और यह जीवन का एक महत्वपूर्ण पहलू भी है, यह जीवन की अनिश्चितताओं को कवर करता है | हरेक व्यक्ति जो की कमाता है और उसके ऊपर परिवार आश्रित हो तो आश्रितों के लिए पर्याप्त जीवन बीमा होना चाहिये | किसी भी जीवन बीमा योजना प्रीमियम के निवेश को आयकर की धारा ८० सी के तहत छुट मिलती है | यदि बीमा आप अपने लिए या अपनी पत्नी के लिए या अपने बच्चे के लिए करवाते हैं तब भी आयकर की धारा ८० सी के तहत आपको उस प्रीमियम की छूट मिलती है| अगर पति पत्नी दोनों ही नौकरीपेशा हैं और अगर पत्नी की आय आयकर योग्य नहीं है तो पति दोनों बीमा प्रीमियम पर छूट ले सकता है, ऐसा उल्टा भी हो सकता है | 
यूलिप – 
    यूनिट लिंक्ड बीमा योजनाओं (यूलिप) में जीवन बीमा और म्यूचुअल फंड में निवेश संयोजित होता है| यूलिप में निवेशित रकम धारा ८० सी के तहत कटौती के लिए पात्र हैं| यूलिप आपको जीवन के जोखिम का कवर देता साथ ही शेयर बाजार में आपकी रकम निवेश करता है| 

ईएलएसएस – 
    इक्विटी लिंक्ड बचत योजना (ईएलएसएस), खास तौर पर ऐसे म्युचुअल फंड तैयार किये गए हैं जो कर बचत की पेशकश करते हैं | ईएलएसएस में किया गया निवेश धारा ८० सी के तहत छूट के हकदार हैं| याद रखे है कि सभी म्युचुअल फंड निवेश ८० सी के तहत छूट के हकदार नहीं होते हैं| सभी ईएलएसएस निवेश 3 वर्ष की अवधि में आप निकाल नहीं सकते हैं |  ईएलएसएस कर बचाने वाले  म्युचुअल फंड रूप में जाना जाता है| 
भविष्य निधि (पीएफ) – 
    भविष्य निधि नियोक्ता द्वारा काटी गयी वह राशि है जो कि आपके भविष्य निधि कोष में जमा होती है और उतना ही योगदान नियोक्ता द्वारा किया जाता है | पीएफ वेतन के प्रतिशत के रूप में गणना करके काटा जाता है,  जैसे कि 12% और ब्याज के साथ सेवानिवृत्ति पर उसे लौटा दिया जाता है| 
सार्वजनिक भविष्य निधि (पीपीएफ)– 
    आप सार्वजनिक भविष्य निधि (पीपीएफ) खाता खोल सकते हैं और  आप पीपीएफ खाते में ७०,००० रुपये तक की राशि का निवेश धारा ८० सी के तहत कर सकते हैं| ५०० रुपये के न्यूनतम निवेश के साथ पीपीएफ खाते आप बैंकों में या पोस्ट ऑफिस में खोल सकते हैं| 
नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट (एनएससी) – 
    जितनी भी राशि आप नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट (एनएससी) में निवेश करते हैं उस राशि पर  धारा ८० सी के तहत छूट मिलेगी| नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट में किए गए निवेश 6 वर्ष की अवधि के लिए निकाल नहीं सकते हैं|  इस योजना के प्रारंभिक निवेशों से कुल अर्जित ब्याज पर भी छूट ले सकते हैं| 
सावधि जमा –
    सावधि जमा में जमा की गई  राशि अगर ५ वर्ष के लिए आयकर स्कीम में बैंक में रखी जाती है तो वह राशि धारा ८० सी के तहत कर में छूट के लिए पात्र है| यह एक ताजा संशोधन है जिसमे आपकी राशि सुरक्षित भी रहती है और आपको धारा ८० सी के तहत लाभ भी मिलता है | 
गृह ऋण चुकौती (मूलधन) – 
    गृह ऋण की मूलधन चुकौती धारा ८० सी के तहत छूट के लिए पात्र है| यदि आपने एक नया घर खरीदा है और उस के लिए आवास ऋण लिया है, तो आप धारा ८० सी में उसका लाभ ले सकते हैं | यहाँ पर ध्यान देने वाली बात है कि आवास ऋण की सामान मासिक किश्त (EMI) में दो घटक होते हैं – “मूलधन” और “ब्याज”| आपको केवल मूलधन वाले हिस्से की राशि की ही धारा ८० सी के तहत छूट मिलेगी| ब्याज वाला हिस्सा भी आयकर की छूट के लिए पात्र है पर ८० सी के तहत नहीं, वह है धारा २४ के तहत| 
स्टाम्प शुल्क और पंजीकरण शुल्क – 
    स्टाम्प शुल्क और पंजीकरण शुल्क जब नया घर खरीदते समय देते हैं उस राशि का धारा ८० सी के तहत लाभ मिलता है | 
शिक्षण शुल्क – 
    एक या दो बच्चों की शिक्षा के लिए शिक्षण फीस के रूप में भुगतान राशि आयकर से मुक्त होती है और आप धारा ८० सी के तहत इसका लाभ ले सकते हैं | 
डाकघर सावधि जमा खाता – 
   डाकघर सावधि जमा खाता विभाग द्वारा बैंकिंग की पेशकश है जो की बैंक सावधि जमा के समान सेवा है|  आप किसी भी पोस्ट ऑफिस में अपना खाता खुलवा सकते हैं| डाकघर सावधि जमा खाते पर मिलने वाला ब्याज कर से मुक्त होता है| 
इंफ़्रास्ट्रक्चर बांड – 
   इंफ़्रास्ट्रक्चर बांड इन्फ्रा बांड के नाम से लोकप्रिय हैं | यह इंफ़्रास्ट्रक्चर कम्पनियों द्वारा जारी किये जाते हैं, इसे सरकार जारी नहीं करती है | जितनी भी राशि है आप इन बांडों में निवेश करते हैं, उतनी राशि पर धारा ८० सी के तहत कर से छूट ले सकते हैं | 
वरिष्ठ नागरिक बचत योजना – 
    वरिष्ठ नागरिक बचत योजना (SCSS) भारत सरकार का उत्पाद है|  यह सबसे सुरक्षित निवेश विकल्पों में से एक है|  60 वर्ष से ज्यादा आयु वाले व्यक्ति इस खाते खोल सकते हैं| इस योजना के तहत 5 वर्ष के लिए निवेश निकला नहीं जा सकता है| जमाकर्ता यह जमा और 3 साल के लिए बढ़ा सकता है| इस योजना में जमाकर्ताओं को 9% ब्याज मिलता है| निवेश से अर्जित ब्याज कर से मुक्त नहीं है|