Category Archives: व्यंजन

उसल पोहा इंदौर

मालवा आओ और पोहे न खाओ तो बस आपका मालवा आना बेकार है, कई जगह पोहा जलेबी के साथ खाते हैं तो कई जगह उसल के साथ, आज हम इंदौर हैं, तो पलासिया पर हेड साहब के उसल पोहे खाये गये, जिसमें पोहे के ऊपर प्याज, छोले और चटपटी तरी व नमकीन, चटपटापन कम करने के लिये ऊपर से दही भी डाल सकते हैं।

पहले हम जेल रोड, इंदौर में उसल खाने जाया करते थे, वो जबरदस्त मिर्ची वाले उसल होते थे।

अगर कभी आयें तो इंदौर में उसल को मिस न करें।

indore

pohe

old mon rum

किचन में रम की फुल बोतल रखें

व्यस्तता के चलते और घर वाला लेपटॉप बेटेलाल की पढ़ाई में बराबर व्यस्त था, तो ब्लॉग लिखने का समय ही नहीं मिल पाया। ऑफिस के लेपटॉप पर अधिकतर चीजें ब्लॉक होती हैं, सिक्योरिटी होना भी बहुत ज़रूरी है।

Trading लगातार चल रही है, पर लिख नहीं पा रहे, दिनचर्या बहुत व्यस्त हो गई है, घर पर ही रहते हुए भी समय निकालना बेहद कठिन प्रतीत होने लगा है।

समय कठिन है इस पर हमने कुछ फ़ेसबुक स्टेट लिखे थे – यहाँ भी लिख दे रहे हैं, जिससे सनद रहे – साथ ही दोस्तों के कमेंट भी कॉपी कर देते हैं –

इच्छाओं के रहते प्राण चले जायें तो वह हुई मृत्यु

ओर प्राण के रहते इच्छाएँ चली जाएं तो वह हुई मुक्ति।

किसी ने कहा है

कल मैं चालाक था इसलिये दुनिया बदलना चाहता था

आज मैं बुद्धिमान हूँ इसलिये अपनेआप को बदल रहा हूँ।

किचन में रम की फुल बोतल रखें, हम नहीं रख पाये अब तक लॉक डाउन लग गया।एक ढक्कन खुद पियें, एक ढक्कन सब्जी में मसाला पकने के बाद डालें, स्वाद बहुत बढ़िया आयेगा।सर्दी जुकाम हो तो एक ढक्कन रम को थोड़े गर्म पानी में मिलाकर पी लें।रम Old Monk ही उपयोग में लें, मिलिट्री वाली xxx मिल जाये तो बल्ले बल्ले।

  • AradhanaExactly…बेकिंग में भी यूज होती है
  • Aradhanaऔर यहाँ तो ठंड के कारण बराबर रखनी पड़ती है

Indu Puri Goswamiअरे वाह! पहले क्यों नही बताया? आज चार पांच पैग लगा ही लेती हूं , इतना काफ़ी है? या एक दो और चलेगा? 😜😜😜😜

  • Vivek RastogiIndu Puri Goswami एक ढक्कन बस, पैग तक नहीं जाना है
  • Indu Puri GoswamiVivek Rastogi Babu! डर गए?😀
  • Ali M SyedVivek Rastogi अब ढक्कन वाली लिमिट से क्या ? वो हर दिन चार पांच लगाने से इंकार तो नहीं कर रही हैं 
  • Ali M SyedIndu Puri Goswami नमस्कार , काहे डरेंगे कौन सा आप उनके कोटे की पीने वाले हो 
  • Indu Puri GoswamiAli M Syed सर जी! प्रणाम 🙏 कैसे हैं आप?
  • Ali M Syedजी। ठीक हूं । आपको अक्सर याद करता हूं । आज के गुनाहगार विवेक रस्तोगी माने जायें 😁

Indu Puri GoswamiAli M Syed sir! आप जैसा शख्स मुझे याद करे यह मेरे लिए सम्मान की बात है,🙏

Ashish Shrivastavaकितने ढक्कन से एक पैग बनता है

  • Prashant PriyadarshiAshish Shrivastava एक ढक्कन यूँ तो ढक्कन ही होता है, लेकिन 5 ml आता है उसमें अमूमन। एक पेग 30 ml का। 😁
  • Anurag Pandeyशायद तीन 😜
  • Anurag PandeyPrashant Priyadarshi हम 10ml समझ रहे थे। 😁
  • Prashant Priyadarshiअब जो गर दुनिया का सबसे बड़ा ढक्कन हो तो कुछ नहीं कह सकते।
  • Ashish ShrivastavaAnurag Pandey तुमने कितने ढक्कन लगा लिए ?
  • Prashant PriyadarshiAnurag Pandey इरू को दवा पिलाने के चक्कर में थोड़ा आइडिया लग गया है। 🙂
  • Anurag Pandeyहम सब जानते हैं। 😁
  • Ashish Shrivastavaहमारी संगत में अखण्ड बेवड़े रहे है। वो पैग नही, पौवा , अद्धा और खम्बे में गिनते थे
  • Prashant Priyadarshiकिसी जमाने में एक पौवा में आधा बोतल बीयर मिला कर हम भी पिये हुए हैं। 😅😅
  • ActiveAnurag PandeyTVF का एक वीडियो था first drink with father… उसी में ये 30ml 60ml स्माल पैग लार्ज पैग जाने थे। बाकी हम भी दवा वाले ढक्कन से नापकर गणित लगाए थे।
  • Prashant PriyadarshiAnurag Pandey बाप के सामने वो कैसे सहम कर पीता है। 😂😂😂
  • Ashish Shrivastavaवैसे पैग वाले ग्लास मस्त लगते है, कई बार खरीदने का मूड भी बना लेकिन
  • Prashant PriyadarshiAshish Shrivastava हम बीयर वाला एकदम शानदार मग खरीद कर रखे हुए हैं। बीयर बस एक बार पिये हैं उससे, बाकी टाइम बटर मिल्क के लिए यूज में आता है। 😅😅
  • Ashish Shrivastavaबियर मग तो बहुउपयोगी है।
  • Prashant Priyadarshiहाँ। बीच में पापा को नारियल पानी भी बियर मग में पिलाते थे। 😂😂वैसे मेरे पास जो मग है उसकी कीमत तकरीबन 750 की एक पड़ी थी।
  • Prashant Priyadarshiऔर है वो एकदम परफेक्ट। 650 ml ही आता है उसमें 🙂
  • ActiveVivek RastogiPrashant Priyadarshi लो उतने में तो 5 बीयर आ जातीं
  • Madhavi Pandeyमेरे पतिदेव रोज़ 200-400 ₹ मांगते हैं बियर के लिए, शर्त ये कि मैं भी साथ दूँ। इसी चक्कर में बेचारे आज तक शुरू भी नहीं कर पाए 😆
  • ActiveVivek RastogiMadhavi Pandey साथ दीजिये, ये तो गलत बात है
  • Madhavi PandeyVivek Rastogi बेचारे भले मानस ने आज तक इसी उम्मीद में हाथ नहीं लगाई इन चीजों को कि बीवी के साथ ही शुरू करना है और बीवी को सुकून कि एक टास्क कम है जीवन में 

सूखे का अचार (आम)

सूखे का अचार

100 कैरी में 10 कैरी बराबर नमक लें। पहले काटकर अचार की फाँक जैसा काट लें फिर नमक लगाकर दो दिन के लिये सूखने दें। फिर कैरी को निचोड़कर धूप में फैला दें।

नमक वाला पानी कटी हुई कैरी एकदम सोख लें ( एक टब में नमक लगा कर रखना चाहिए और उसको थोड़ा बहुत हिलाना चाहिए )

मसाले –

सरसों का तेल – 2 चम्मच (Table Spoon) पहले गर्म करें, और ठंडा होने के बाद मिलायें।

हल्दी – 250 ग्राम

लाल मिर्च – 100 या 200 ग्राम जितना तीखा चाहिये।

सौंप – 250 ग्राम

धनिया – 250 ग्राम

अजवायन, मैथी इन चारों को सेंक लेना है मतलब कि भून लेना है।

राई – 200 ग्राम

सरसों हर्र, बहेड़ा, आंवला, जावित्री, जायफल, तेजपत्ता, काली मिर्च 50 ग्राम, बड़ी इलायची 50 ग्राम, दखिनि मिर्च 50 ग्राम, काला नमक, सादा नमक, सेंधा नमक, लौंग नग 50, छोटी हरड़, बड़ी हरड़ ये सब मसाले पीसकर मिलाकर अचार में मिलाकर धूप में रख दें।

अचार की रेसिपी ट्विटर मित्र @giri1pra द्वारा शेयर की गई है।

मोटापा घटाने का घरेलू उपाय – मोटापा कम कैसे किया जाये

    हमने अभी तक बात की कि मोटापा कैसे कम किया जाये, खाने का सही तरीका क्या हो और पानी कैसे पिया जाये। अब मैं आपको मोटापा घटाने का घरेलू उपाय के बारे में बताऊँगा, जिसका शायद सबको ही इंतजार है, इस पोस्ट के बाद इस डाईट क्या फायदे आपको होंगे और मेरे अपने अनुभव भी साझा करूँगा, जिससे आप सबको भी बहुत सी बातें पता चलेंगी और आपके लिये वे बातें मददगार साबित होंगी। इस डाईट को शुरू करने के 15 दिनों बाद ही आप अपने डॉक्टर से अपना अवश्य ही मिलें क्योंकि इस डाईट से आपका शरीर बिल्कुल प्राकृतिक तरीके से शुद्ध होने लगेगा और जो भी दवाईयाँ आप ले रहे हों खासकर कि कोलोस्ट्रॉल, उच्च रक्ताचाप और मधुमेह की तो शायद आपकी दवाईयों के डोज की मात्रा आपके डॉक्टर कम करें। Continue reading मोटापा घटाने का घरेलू उपाय – मोटापा कम कैसे किया जाये

मोटापा कम कैसे किया जाये – पानी कैसे पिया जाये

    मोटापा कम कैसे किया जाये पर हमने अभी तक बात की कि मोटापा कम करने के प्रचलित तरीके क्या हैं और खाना कैसे खाना चाहिये, अब हम बात करेंगे कि पानी कैसे पिया जाये या पेय पदार्थों का सेवन कैसे किया जाये। जैसे हमारी पाचन क्रिया में भोजन को बत्तीस बार चबाना बहुत ही महत्वपूर्ण है वैसे ही पानी कैसे पिया जाये भी बहुत ही महत्वपूर्ण है।

पानी कैसे पिया जाये
पानी कैसे पिया जाये

 

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मोटापा कम कैसे किया जाये – खाने का सही तरीका

वजन कम कैसे करें के लिये अगली मुख्य बात है खान पान के तरीके में बदलाव करना याने कि खाने का सही तरीका सीखना। जब हम सही तरीके से खाना खायेंगे या पेय पदार्थ पियेंगे तभी शरीर को ज्यादा फायदा होगा। मैं यहाँ पर कोई बहुत ही ज्यादा आधुनिक बातों को आपसे साझा नहीं करने वाला हूँ, मैंने जो भी किया है वह सब वैज्ञानिक तरीके से सही है और हमारे पाचन तंत्र को सही तरीके से काम करने में सहायता करता है, जिससे हमारा शरीर सही तत्वों को पाता है।

खाने का सही तरीका
खाने का सही तरीका

पहला भाग – (आगे पढ़ने से पहले यह जरूर पढ़ें) –

मोटापा कम कैसे किया जाये – मेरा अनुभव 20 किलो कम करने का

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मोटापा कम कैसे किया जाये – मेरा अनुभव 20 किलो कम करने का

    खुद पर भरोसा, आत्मनियंत्रण, आत्मसंयम, अनुशासन से क्या नहीं पाया जा सकता, मैं बरसों से बढ़े हुए वजन से परेशान था, पर कई वर्षों से जतन भी कर रहा था किसी भी तरह से मोटापा कम हो जाये, परंतु कभी किसी विधि में सफलता नहीं मिल पायी, कभी कमजोरी आ गई तो कभी थकान  ने परेशान किया। विश्व में 90 प्रतिशत से ज्यादा लोग मोटापे से परेशान हैं और हर कोई मोटापा कम कैसे किया जाये के उपाय ढ़ूँढ़ता रहता है, हम भी कई बरसों से ऐसे ही मोटापा कम कैसे किया जाये के उपाय ढ़ूँढ़ रहे थे। Continue reading मोटापा कम कैसे किया जाये – मेरा अनुभव 20 किलो कम करने का

केलोग्स वाले गुप्ताजी का नाश्ता

दीपो भक्षयते ध्वान्तं कज्जलं च प्रसूयते |
यदन्नं भक्षयेन्नित्यं जायते तादृशी प्रजा ||

जैसे दीप का उजाला अँधेरे को खा जाता है, और काजल को उत्पन्न करता है, वैसे ही जिस तरह का भोजन हम ग्रहण करते हैं, वैसे ही हम उसी तरह का व्यवहार करते हैं।

 उपरोक्त श्लोक आज भी पुरातनकाल की बात को सत्य साबित करता है। अगर हम गैस्ट्रिक भोजन खायेंगे तो हमें पेट की समस्या होगी और अगर सात्विक भोजन करेंगे तो हम तन मन से प्रसन्न रहेंगे। हमें अपने दैनिक जीवन में दूध एवं दही का भरपूर उपयोग करना चाहिये, इससे हमारे शरीर की बहुत सारी जरूरतें पूरी हो जाती हैं।
केलोग्स वाले गुप्ताजी का नाश्ता बहुत ही प्रसिद्ध है, उनके घर का नाम गट्टू है, घरवाली यानी कि श्रीमती गुप्ता का नाम शालू है, बेटे का नाम रोहन जिसे प्यार से घर में रोहू बुलाते हैं और बेटी का नाम रितिका जिसे प्यार से रितु बुलाते हैं। गट्टू याने कि गुप्ताजी केलोग्स के डिस्ट्रीब्यूटर हैं और आम पति की तरह उनको भी भूलने की बीमारी है, हालांकि उनके भी दिल में पहुँचने का रास्ता एक ही है, वह है पेट जिसका रास्ता जबान के जरिये होता है और उनकी पत्नि शालू उनके ही केलोग्स से विभिन्न तरह के व्यंजन बनाकर उनको खिलाती रहती हैं, जो कि सामान्यत किसी को भी पता नहीं होते हैं। तो उनकी पत्नि शालू गट्टू याने कि अपने पति के दिल में ही रहती हैं।
बेटी रितु हरेक बात को शॉर्ट फॉर्म में ही कहती है, जिससे गट्टू याने कि रितु के पापा हमेशा ही नाराज से होते हैं और बेटा रोहू पापा और दीदी की बात की नकल करते हैं। रोहू तो मम्मी की नकल करने से भी नहीं चूकता है।  शालू याने कि मम्मी भी नकल उतारने में माहिर हैं, और किसी की भी नकल हुबहू उतारती हैं और परिवार हँसी खुशी रहता है।
केलोग्स केनाश्ते का पहले हमें तो केवल दूध में ही भिगोकर खाने का पता था, पर केलोग्स वाले गुप्ता जी के घर की तो बात ही और है, कभी चॉकलेट मिलाकर शेक बना कर परिवार का मूड ठीक रखना तो कभी जल्दी जल्दी अगर बेटे को स्कूल के लिये मिठाई बना कर देना है तो केलोग्स से कैसे लड्डू बनाने हैं या फिर दही मिलाकर भी केलोग्स के व्यंजन बनाये जा सकते हैं।
खैर मुझे तो सबसे बढ़िया बात लगी कि नाश्ते के प्रकारों की जैसे कि पार्सल वाला नाश्ता, नखरे वाला नाश्ता, फर्स्ट क्रश वाला नाश्ता, जगह बनाने वाला नाश्ता, मूवी वाला नाश्ता, होमवर्क वाला नाश्ता, बेस्ट फैमिली वाला नाश्ता, चुप कराने वाला नाश्ता, रिमोट वापिस लेने वाला नाश्ता जब इतने सारे प्रकार के नाश्ते उपलब्ध हों तो कौन केलोग्स वाले गुप्ताजी के यहाँ नाश्ता नहीं करना चाहेगा, सुबह ही अच्छा नाश्ता हो जाये तो दिनभर अच्छा जाये।
So,
Eat good, keep the body and generations healthy.
Be good, keep the mind and generations healthy.
Do good, keep the society and generations healthy.

साप्ताहिक भागमभाग की थकान के बाद कुछ सुकून के पल परिवार के संग

सप्ताह में पाँच दिन के काम के बाद दिमाग को आराम की बहुत ही सख्त जरूरत होती है, आराम करने के भी सबके अपने अपने तरीके होते हैं, कोई केवल दिन भर घर में ही रहना पसंद करता है तो कोई घर पर रहकर दिनभर टीवी देखना तो कोई मोबाईल या लेपटॉप पर गेम्स खेलना पसंद करता है। हम केवल और केवल परिवार के साथ समय व्यतीत करना पसंद करते हैं।
परिवार में हमारी घरवाली और बेटेलाल के साथ हम रहते हैं। सप्ताहांत में अपने दैनिक कार्यों के अलावा जो हमारे कार्य में जुड़ा होता है वह है बेटेलाल को भी साथ में सैर पर बगीचे में ले जाना, साथ में खेलना, बाजार से जरूरत के सामान और सब्जी लाना। घर पर आकर फटाफट तैयार होना और फिर आपस में खेलना, कभी कैरम तो कभी लूडो तो कभी ताश और कभी पहेली। कभी हम बेटेलाल को कहानी सुनाते हैं तो कभी बेटेलाल हमें कहानी सुनाते हैं।
रविवार को बेहतरीन दिन बिताने के लिये हम सुबह से पूरे परिवार के साथ घर के सारे काम निपटाने लगते हैं जिससे साथ में ज्यादा से ज्यादा वक्त बिता पायें और आपस में और करीब आ
पायें। अभी कुछ सप्ताह पहले ऐसे ही एक रविवार को हमने सुबह पोहा नाश्ते में बनाया जो कि हमारे घर का सबसे ज्यादा पसंदीदा नाश्ता है। तैयारी मैंने और बेटेलाल ने की घरवाली ने फाईनल टच दिया। और फिर साथ में नाश्ता करने के बाद हमने साथ में चाणक्य सीरियल देखा और फिर भारत एक खोज।
अब हमारे बेटेलाल लूडो ला चुके थे और हम दोनों लूडो खेलने बैठ गये साथ ही दाल बाफले की तैयारी चल रही थी, जिसका आटा बहुत ज्यादा पतला नहीं मला जाता है तो कट्ठा आटा हमेशा हम ही मलते हैं, हमने अपने महाविद्यालयीन दिनों में बहुत आटा मला है, जिससे हमें आटा मलने की जबरदस्त प्रेक्टिस हो गई है। बाफले के लिये आटे के लिये गोले बनवाये और फिर इलेक्ट्रॉनिक केतली में पानी उबाल उबाल कर बड़े भगोने में डालने लगे जो कि गैस पर रखा था, उबालने के बाद बाफले को सुखाकर तंदूर में पका लिया, तब तक दाल और चटनी भी लगभग तैयार थी और साथ ही बैंगन का भर्ता भी तैयार था।
जब खाना तैयार हो गया तो हमने छत पर चटाई बिछाई और खाने का सामान छत पर ले चले और खिली धूप में परिवार के साथ आनंद से खाना खाया, खाने के बाद थोड़े बाफलों को कूटकर शक्कर पीसकर उसमें मिलाकर मीठा भी बना लिया गया। अब समय था आराम करने का, तो अपनी किताब शेखर एक जीवनीली और परिवार को सुनाने लगे, इस उपन्यास में पात्रों को इस प्रकार से लिखा गया है कि बड़े तो बड़े, बच्चे भी इससे बँध जाते हैं। तकिया लगा कर लेट गये, भरे पेट थोड़े ही देर में नींद ने आ घेरा, तो छत पर दोपहर की नींद ली गई।
शाम को फिर पैदल ही बगीचे में घूमने गये और साथ में फिल्म देखी। इस तरह से पूरा दिन अपने परिवार के साथ बिताकर पूरे सप्ताह की थकान उतारी गई। परिवार के साथ समय बिताने और उसका अनुभव साझा करने के लिये यह पोस्ट हमने हाऊसिंग.कॉम के लिये लिखी है।

घर पहुँचने की खुशी बयां नहीं की जा सकती है

    हम जीवन मे संघर्ष करते हैं, अपने लिये और अपने परिवार के लिये । सब खुश रहें, सब जीवन के आनंद साथ लें । जब हम संघर्ष करते हैं तब और जब हम संघर्ष कर किसी मुकाम पर पहुँच जाते हैं तब भी घर जाने का अहसास ही तन और मन में स्फूर्ती भर देता है। घर जाने का मतलब कि हम हमारी कामकाजी थकान से रिलेक्स हो जाते हैं और अपने लिये नई ऊर्जा का
संचार करते हैं। घर पर अपने परिवार से मिलने की खुशी हमेशा ही रहती है।
 
    मैंने जब से नौकरी करनी शुरू की तब से ही हमेशा मेरे काम में घूमना शामिल रहा, कभी ज्यादा दिनों को लिये तो कभी कम दिनों के लिये तो कभी सुबह जल्दी जाकर देर रात तक वापिस घर आना। नौकरी के शुरूआती दिनों में जब मेरी शादी नहीं हुई थी तब भी मैं घर जाने पर बहुत खुश होता था। घर जाने का सुकून कुछ और ही होता था, माँ पिताजी को देखकर ही
सारी थकान मिट जाती थी, उनके साथ मिलकर उनकी हँसी, उनकी डाँट, उनका प्यार सबमें अपना अलग ही अपनापन लगता था। घर पहुँचने का इंतजार इसलिये भी रहता था कि बाहर कोई बड़ी उपलब्धि प्राप्त हुई तो सबसे पहले घर पर परिवार के साथ बाँटने में ही मजा आता था। मेरे बगीचे के पौधे और उनके फल फूलों के बीच मैं अपने आप को सातवें आसमान पर पाता था।
    जब शादी हुई तो भी नौकरी में यात्राएँ चलती ही रहीं और अब घर आने के लिये घरवाली जो कि हमारे जीवन में सबसे अच्छी दोस्त भी होती है, उसके साथ ज्यादा समय बिताने के लिये भी और बहुत सी बातें साझा करने के लिये भी मन उतावला रहता था। ऐसा लगता था कि बस अभी पंख लग जायें और अभी मैं घर पहुँच जाऊँ, कई बार मैं बहुत से उपहार लेकर घर जाता था, तो भी ऐसा लगता था कि बस उपहार खरीदते ही घर पहुँच जाऊँ और झट से उपहार घर पर सबको दे दूँ।
    जैसे जैसे जिम्मेदारियाँ बढ़ती गईं अपने कैरियर में भी आगे बड़ते गये, देश के साथ ही विदेश की भी यात्राएँ होने लगीं, अब कुछ हजार किमी की जगह कई हजार किमी दूर हवाईजहाज में बैठकर आना जाना होता था और परिवार के साथ केवल वीडियो चैटिंग पर ही बात किया करते थे, देख सकते थे पर वह अहसास नहीं होता था जो घर पर होता था, जब भी मैं वापिस भारत अपने घर के लिये निकलता था, तो बस ऐसा लगता था कि अब मेरी सारी थकान मेरे बेटे की हँसी से ही मिट जायेगी, मेरा बेटा मेरी गोद में आकर मुझे बहुत सारा प्यार करेगा, और फिर डैडी डैडी आवाज लगाकर बस मेरे आगे पीछे घूमता रहेगा। फिर मेरे साथ अपने गेम्स खेलने की जिद भी करेगा और मैं बेटे के साथ इन सारी बातों को यादकर ही खुश हो लेता था, घर जाने की खबर ही मन में स्फूर्ति भर देती है। आज भी शाम के घर पहुँचने का इंतजार इसलिये ही होता है कि घरवाली और बेटा, मैं दोनों के खिलखिलाते चेहरे देखकर ही सारे दिन की थकान छूमंतर हो जाती है।
यह पोस्ट हमने हाउसिंग.कॉम के लिये लिखी है।