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आम का अचार

आम का अचार

आम का अचार डालने का बहुत दिनों से नहीं वर्षों से सोच रहे थे, परंतु हो ही नहीं पाया, जब गुड़गाँव में थे तो वहाँ अचार का मसाला रेडीमेड बाज़ार से ही मिल जाता था, जहाँ पुराने गुड़गाँव की सब्जीमंडी में सब्ज़ी लेने जाते थे, वहीं से कैरी कटवाकर ले आते थे, और दीदी को दे देते थे, दीदी अचार डालकर रख देती थीं, बस फिर हम उनके यहाँ से ले आते थे। एक बार रेडीमेड अचार के मसाले से भी अचार डाला, बढ़िया लगा, परंतु दीदी के हाथ के अचार की बात ही कुछ ओर थी। उस अचार के मसाले का अचार डालने से ज़्यादा हमें उस मसाले के पराँठे खाने बढ़िया लगते थे।

जब से बैंगलोर आये हैं, तो यहाँ अचार या तो मोल ही लेना पड़ता है। फिर गुड़गाँव वाली दीदी भी थोड़े समय के लिये बैंगलोर आ गई थीं, तो बस फिर से उनसे ही अचार डलवा लेते थे, या उनसे ही ले आते थे। अब यहाँ बैंगलोर में अचार का मसाला रेडीमेड वाला नहीं मिलता है। तो अब सारे मसालों का अनुपात ख़ुद ही पता होना चाहिये। अब दिल्ली में ट्विटर वाली दी से हमने लिया और इस बार आम का अचार डाला। जी हाँ हमने सोशल मीडिया से भी कई रिश्ते कमाये हैं। केवल ब्लॉगर कम्यूनिटी ही नहीं, बल्कि फ़ेसबुक और ट्विटर से भी। दी की माँ अच्छा अचार डालती थीं, फिर उन्होंने अपनी छोटी भाभी से पूछकर सारे मसाले की सूचि भेजी।

आम का अचार डालने का तरीक़ा –

पहले कैरी अचार के लिये काट लें और सुखा लें।

25 कैरी के लिये यह मसाला बताया है, अगर कैरी ज़्यादा या कम लें तो उसी अनुपात में मसाले बढ़ा लें या कम कर लें।

आम का अचार का मसाला –

मिर्च75 Gram
हल्दी60-70 Gram
सौंफ100-125 Gram
मैथी50 Gram
हींगअंदाज से एक डली
राईदाल (छोटी वाली)750 Gram
लौंग10 Gram
कालीमिर्च10 Gram
तेल1 Liter
नमक125 Gram
आम का अचार का मसाला

पहले तेल को खूब गर्म कर लें (जब धुआँ जैसा छोड़ने लगे) और फिर इतना ठंडा कर लें कि उसमें मसाले भुन जायें।

एक बड़ी थाली में सब मसाले अलग अलग रख लेना है फिर उस तेल को ( उतना गर्म होना चाहिए जिससे मसाले सिक पाएं )

थाली में सबसे पहले मेंथी लौंग और कालीमिर्च पर तेल डालने की शुरआत करिये, इसके बाद हल्दी मिर्च सौंफ और राई पर तेल डालना तेल गर्म इतना रहे कि ये मसाले सभी सिकते जाएं और सबको मिलाते जाना चम्मच से। सबसे आख़िरी में नमक डालिये ( जब मसाले ठंडे हो जाएं तब )

अब इन मसालों में कटी हुई कैरी मिलाकर, एक डब्बे में रख दीजिये, धूप में न रखें, छाँव में ही पकाना है। तेल कम लगे तो फिर से तेल गर्म करके ठंडा होने पर मिला दें।

हमने तो कल अचार डाला था, और आज से ही खाना शुरू कर दिया, बढ़िया स्वाद है। फ़ोटो भी वही लगा दे रहे हैं जो दी ने हमें भेजा था।

आप भी अगर अचार डालें तो स्वाद कैसा आया, ज़रूर बतायें। और अपने मित्रों तक भी इस लिंक को ज़रूर पहुँचायें।

सूखे का अचार (आम)

सूखे का अचार

100 कैरी में 10 कैरी बराबर नमक लें। पहले काटकर अचार की फाँक जैसा काट लें फिर नमक लगाकर दो दिन के लिये सूखने दें। फिर कैरी को निचोड़कर धूप में फैला दें।

नमक वाला पानी कटी हुई कैरी एकदम सोख लें ( एक टब में नमक लगा कर रखना चाहिए और उसको थोड़ा बहुत हिलाना चाहिए )

मसाले –

सरसों का तेल – 2 चम्मच (Table Spoon) पहले गर्म करें, और ठंडा होने के बाद मिलायें।

हल्दी – 250 ग्राम

लाल मिर्च – 100 या 200 ग्राम जितना तीखा चाहिये।

सौंप – 250 ग्राम

धनिया – 250 ग्राम

अजवायन, मैथी इन चारों को सेंक लेना है मतलब कि भून लेना है।

राई – 200 ग्राम

सरसों हर्र, बहेड़ा, आंवला, जावित्री, जायफल, तेजपत्ता, काली मिर्च 50 ग्राम, बड़ी इलायची 50 ग्राम, दखिनि मिर्च 50 ग्राम, काला नमक, सादा नमक, सेंधा नमक, लौंग नग 50, छोटी हरड़, बड़ी हरड़ ये सब मसाले पीसकर मिलाकर अचार में मिलाकर धूप में रख दें।

अचार की रेसिपी ट्विटर मित्र @giri1pra द्वारा शेयर की गई है।

आम पुराण, आम इतना स्वादिष्ट क्यों होता है?

धरती पर आम कैसे आया, क्यों आम फलों का राजा है, आम इतना स्वादिष्ट क्यों होता है?, इसके लिये यह आम पुराण हमारे मित्र देवेन्द्र कौशिक जी की अतिथि पोस्ट है।

💐💐ॐ हरि तत्सत 💐💐

द्वापरयुग और त्रेता युग के बाद धरती पर शुरू हुआ क्रेता युग…क्रेता युग में मनुष्य रस और स्वाद के लिए इतना ज्यादा ईर्ष्यालु हो गया कि स्वर्गलोक की सुख समृद्धि और ऐश्वर्य देख कर भी मनुष्य के मन में ईर्ष्या उठने लगी।
स्वर्गलोक के विरुद्ध मनुष्यों ने जगह जगह धरना प्रदर्शन शुरु कर दिया… देवताओं से ईर्ष्या के कारण धरती पर मनुष्यों द्वारा देवस्थानों के रास्ते रोकना, व्रत उपवास ना करना आदि का प्रचलन हो गया… यहाँ तक की पंडितों ने भी विधिवत पूजा के स्थान पर बिना धूप दीप की सांकेतिक पूजा करनी शुरू कर दी….

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जब हमने दोस्त के साथ आम का डिनर किया

यह वाक़या हमें इसलिये याद आ गया जब हमने दोस्त के साथ आम का डिनर किया। पिछले वर्ष हम 1 सप्ताह के लिये मुंबई गये थे, यही समय था, खूब आम आ रहे थे। हम अपनी रॉ वेगन डाइट पर थे, घर से बाहर इस प्रकार की डाइट पर रहना थोड़ा मुश्किल होता है। परंतु हमने अच्छे से पालन किया।

सुबह ऑफिस जाते समय होटल के रेस्टोरेंट से जहाँ अपना ब्रेकफास्ट कॉम्प्लीमेंट्री था, पर हम ब्रेकफास्ट नहीं करते थे, तो हम अपनी 1 लीटर मिल्टन की बोतल में तरबूजे का ज्यूस ले जाते थे, और दोपहर में भूख लगती थी तो वहीं बीकेसी के बैंक की कैंटीन में मोसम्बी ज्यूस पी लेते थे।

शाम को होटल आते हुए, ककड़ी, गाजर, शिमला मिर्च, प्याज ले आते थे, 1 या 2 दिन हमने सब्जी का सलाद खाया, चाकू, बारीक सलाद काटने की मशीन, थाली सब साथ लेकर गये थे। फिर ठेलों ओर आम दिखने लगे, बढ़िया दशहरी, लँगड़ा।

बस फिर लँगड़े आम का ही शाम का भोज होता था, शाम को आम 2 दिन के हिसाब से लाते और होटल के कमरे में फ्रिज में डाल देते तो अगले दिन बढ़िया ठंडे आम मिलते थे।

हमारे मित्र होटल पर मिलने आने वाले थे, हमने उनसे पूछा कि डिनर साथ करेंगे, वो बोले हाँ करेंगे, वे आये मिलने, तो हमने कहा चलो आओ डिनर कर लो रेस्टोरेंट में, उन्होंने हमसे पूछा और तुम, हमने कहा पका तो खा नहीं रहे हम, हम तो डिनर में आम खाते हैं, मित्र बोले फिर आज हम भी डिनर में आम ही खायेंगे। हम दोनों ने छककर आम खाये।

आम के सीजन में डाइट का मजा है, सुबह 4-5 आम खाओ, फिर पूरी दोपहर तरबूजे का रस पियो और फिर शाम को वापिस से 5-6 आम खा लो। वजन मेंटेन रहेगा।