कल ऑफिस पहुँचे तो उसके बाद जो बारिश शुरू हुई, तो शाम को घर आने तक चलती ही रही। आने में तो हम रैनकोट पहनकर आये, परंतु फिर भी थोड़ा बहुत भीग लिये थे। घरपर निकलने के पहले ही फोन करके कह दिया था कि आज शाम को तो पकौड़ा पार्टी करेंगे, और बरसात का आनंद लेंगे। घर पहुँचे थोड़ा बहुत ट्रॉफिक था, पर 18 किमी बाईक से चलने में डेढ़ घंटा लगना मामुली बात है। कार से जाना नामुनकिन जैसा है, पहले तो दोगुना समय लगेगा और फिर पार्किंग नहीं मिलेगी, एक बार गये थे तो तीन घंटे जाने में लगे थे, पार्किंग नहीं मिली थी तो घर पर आकर वापिस से पार्किंग करनी पड़ी थी। जिसको बताया वो हँस हँसकर लोटपोट था कि तुमने कार से जाने की हिम्मत कैसे जुटाई।
खैर पकौड़े के साथ ही कुछ हल्का फुल्का देखने की भी इच्छा थी तो अमेजन फायर स्टिक पर यूट्यूब चालू किया और सर्च किया “Hindi Dubbed Movies 2018” बस बहुत सारी “South Indian Movies” जो कि Dubbed थीं, स्क्रीन पर दिखने लगीं। हमने देखा कि कई जगह अललू अर्जुन Allu Arjun वाली फिल्म है, मतलब कि यही नई है, हमने एक वीडियो पर क्लिक करके फिल्म लगा ली, “Superstar Hero” फिल्म वाकई बहुत मजाकिया थी, एक्शन भी था। और हम घरवाली को कहते रहे कि यूट्यूब वालों ने अल्लू अर्जुन की जगह कोई और ही फिल्म अपलोड कर दी, कैसी कैसी मसखरी करते हैं ये लोग।
बेटेलाल ने हीरो को देखते ही बोला था कि ये हीरो तो अपनी कॉलोनी में शूटिंग करने के लिये आया हुआ था, अभी कुछ दिन पहले ही हमारी कॉलोनी में फिल्म की शूटिंग हुई थी, हमें पता चला था क्योंकि 2 वैनिटी वैन सुबह सुबह आई थीं, जब हम दौड़ रहे थे। हमने पूछा कि तुमने देखा, बेटेलाल झट से बोले हाँ देखा, तभी तो कह रहे हैं, पर कोई यहीं की फिल्म थी।
फिल्म देखने के बाद वाकई मनोरंजित महसूस कर रहे थे, परंतु मलाल इस बात का था कि अल्लू अर्जुन नहीं देख पाये, फिर सोचा कि चलो मोबाईल पर ही गूगल में ढूँढ़ लिया जाये, हमने अल्लू अर्जुन टाईप किया तो पाया कि हीरो का नाम ही अल्लू अर्जुन है। अब फिल्में न देखने का यही हश्र होता है। फिल्म देखते रहने से कम से कम हीरो के नाम तो पता होते हैं।
हाँ एक और बात जब से फेसबुक और ट्विटर पर हमने फैसला लिया हे कि राजनैतिक पोस्ट नहीं लिखेंगे, तब से अचानक से बहुत सारा समय हमारे पास आ गया है, अब ट्विटर पर भी तो राजनैतिक पोस्ट ज्यादा होती हैं, तो हमने अब उन सबको अनफॉलो करना शुरू कर दिया है और केवल शेयर बाजार के बारे में जानकारी और मेरे अपने क्षैत्र में जानकारी देने वाले लोगों को ही फॉलो करता हूँ, पहले लगता था कि पढ़े लिखे नेता कुछ अच्छा काम कर पायेंगे, परंतु जब कुछ नहीं हुआ और लोग अपना उन्माद और उत्कंठा जताने लगा, तो सोचा कि बेहतर है कि इन सबसे दूर ही रहा जाये। यह एक बेहद कठिन समय है, जिससे हम गुजर रहे हैं।