आत्महत्या क्यों करते हैं और हम उन्हें कैसे बचा सकते हैं, इसके लिए समाज को अथक प्रयास करना होंगे। अब हम किसी भी मुख्य समाचार को ऐसे ही पढ़कर नहीं जाने देंगे। पहले एक जवान लड़का जिसके लिए कहा गया कि उसने UPSC एग्जाम में फेल होने पर आत्महत्या कर ली, फिर उसके बाद एक फैशन डिजाइनर। हमें पता नहीं है कि आत्महत्या करने के पीछे किस तरह की मानसिकता काम करती है, जैसे कि एक व्यक्ति जिसको व्यापार में बहुत घाटा हो गया हो, शराब पीने की भी लंबी आदत रही हो, अपनी पत्नी से समस्या हो, तो जब वे लोग ज्यादा सोचते हैं, तो वह अपनी जिंदगी खत्म करने के बारे में सबसे पहले सोचते हैं।
डब्ल्यूएचओ याने कि वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाईजेशन ने अभी एक सर्वे में बताया कि लगभग 8 लाख लोग हर साल आत्महत्या करते हैं, इसका मतलब कि लगभग हर 40 सेकंड में एक आदमी आत्महत्या कर रहा है और पूरे विश्व में 15 से 29 साल के बीच के जवानों का आत्महत्या करने का अनुपात बहुत ज्यादा है।
भारत में भी आत्महत्या के नंबर बहुत अच्छे नहीं हैं, हर 4 मिनट में एक आत्महत्या होती है। लोग क्यों आत्महत्या करते हैं, उसके पीछे की मानसिकता को मैंने समझने की कोशिश करी, वो इस प्रकार है।
निराशा या अवसाद
डब्ल्यूएचओ यानी कि वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाईजेशन की 2017 की रिपोर्ट में बताया गया है कि निराशा/अवसाद और आत्महत्या में बहुत ही गहरा और नजदीकी संबंध है। अवसाद के गहराने से व्यक्ति आत्महत्या को प्रेरित होते हैं। अवसाद क्या होता है. अवसाद लगभग हर व्यक्ति को होता है। दुख जो हम सब महसूस करते हैं, बस कोई उसे गहराई में अपनी सोच को लेकर चला जाता है, कोई दूसरों से बातें करके उस अवसाद से निकल जाता है।
शराब और ड्रग्स में मदहोश
शराब और ड्रग्स का सेवन हमेशा ही जोखिम है, जो भी व्यक्ति शराब और ड्रग्स का सेवन करते हैं या बहुत अधिक मात्रा में करते हैं, तो उनकी निर्णय लेने की क्षमता बहुत कम हो जाती है और वे उस समय की कमजोर मानसिक स्थिति में ही अपने निर्णय ले लेते हैं, जो भी वे नशे में सोचते हैं। नशे के प्रभाव में अपनी सोच को सही समझकर वे आत्महत्या कर लेते हैं।
व्यक्तिगत या व्यावसायिक तनाव
एनसीआरबी के डाटा के अनुसार भारत में आत्महत्या करने का प्रतिशत लिंग, उम्र और वैवाहिक स्थिती से नहीं नापा जा सकता। भारत में आत्महत्या के जो मुख्य कारण हैं, वे होते हैं – रिश्तों का टूटना, रिश्तों में तनाव, परिवार में कलह, शिक्षा में अच्छा न करना या फिर वित्तीय कारणों से परेशान होना।
बचपन के घाव
बचपन में हुए शारीरिक, मानसिक प्रताड़ना बच्चे के मन में गहरा घाव कर देते हैं। यह प्रताड़ना बच्चों के साथ घर पर हो या स्कूल में हो या घर के बाहर हो, अगर इस तरह की परिस्थितियों को उसी समय ठीक नहीं किया जाता है तो बच्चे के दिमाग में उन परिस्थितियों का बहुत बुरा असर होता है। इन सबके पीछे अभिभावकों के गलत फैसले लेने के कारण भी यह हो सकता है कि अभिभावकों के बीच झगड़े या फिर अभिभावको से ना मिलने वाला प्यार भी बच्चों को बड़े जोखिम में डाल सकता है।
समाज के कारण
समाज में आ रहे बदलावों के कारण भी लोग आत्महत्या को प्रेरित हो रहे हैं। लोग अब संयुक्त परिवार में नहीं रहते हैं। सब अलग-अलग रहते हैं, जिससे आत्मविश्वास की भारी कमी देखी जा रही है। पहले जब परिवार एक साथ रहते थे, तो किसी न किसी का सहारा हमेशा ही रहता था, लेकिन अब अकेले रहने के कारण आत्मविश्वास खत्म होता जा रहा है। लोग अपने कामों में इतना व्यस्त हैं कि उन्हें अपने बारे में और परिवार के बारे में सोचने की फुर्सत ही नहीं है और यही आज के समाज की सबसे बड़ी समस्या है, जिसके कारण हम अकेले और ज्यादा दुखी होते जा रहे हैं। हमें अकेलापन अच्छा लगने लगा है और अकेलापन समाज में ठीक नहीं है। हम अपनी बात किसी को भी कहने में डरते हैं और अपने तक ही अपनी समस्याओं को सीमित रखते हैं। रिश्तों को बनाने में वर्षों का समय लगता है, वैसे ही कैरियर में भी वर्षों का समय लगता है। अगर रिश्ते और कैरियर में कुछ गड़बड़ होती है और उन्हें संभालना मुश्किल होता है, तो सबसे पहले व्यक्ति अपने जीवन को खत्म करने के बारे में सोचने लगता है और सब को ऐसा लगता है कि उनके अलावा बाकी सभी लोग आनंददायी तरीके से जीवन गुजार रहे हैं। धीरे धीरे यह भी लगने लगता है कि जीवन जीने की वजह क्या है।
किसी को प्रेरक बनाना
जब कोई बहुत बड़े ख्यातिप्राप्त व्यक्ति या आपके गुरु या कोई वरिष्ठ, आपके स्कूल में जो जीवन के भरपूर मज़े ले रहे थे, आत्महत्या से अपना जीवन खत्म कर लेते हैं तो बच्चा सोचने लगता है कि मैं भी खुश नहीं हूँ अगर मैं यह भी करता हूँ तो मैं भी बड़ों की तरह निर्णय लेने की क्षमता रखने की सोच रखता हूँ और इस तरह वह गलती से आत्महत्या का निर्णय ले लेता है।
खराब जीवन शैली
व्यायाम, तनाव प्रबंधन, नींद और धूप अगर आपके जीवन में है तो आप स्वस्थ हैं। नहीं है, तो यह आपके मानसिक संतुलन को बिगाड़ सकता है, जब आप व्यायाम करते हैं, अच्छी नींद लेते हैं तो आपके दिमाग का संतुलन ठीक रहता है। व्यायाम से एंडोर्फिन रिलीज होता है और व्यायाम करने से आत्महत्या के जोखिम को बहुत कम किया जा सकता है। जितना अधिक व्यायाम करेंगे, जितनी अच्छी नींद लेंगे और जितना अच्छी तरीके से आप अपने भोजन पर नियंत्रण रखेंगे, आप आत्महत्या की ओर प्रेरित होने से बचेंगे।
खानदानी आदत
जैसे अवसाद और आत्महत्या का गहरा संबंध है, वैसे ही खानदानी आदत और आत्महत्या का गहरा संबंध है। अगर आपके परिवार में आत्महत्या का इतिहास रहा है तो आपको बहुत सतर्क रहना चाहिये। आपके जीन में पहले से ही आत्महत्या की सोच है और वह कभी भी आप पर हावी हो सकती है, साथ ही समाज के दिलो दिमाग में हमेशा ही यह रहता है। सुसाइडल बिहेवियर बहुत खतरनाक है, हमें हमेशा सकारात्मक सोचना चाहिये और सकारात्मक रुख अपनाना चाहिये।
सोशल नेटवर्क
आजकल हम ज्यादा समय सोशल नेटवर्क पर होते हैं, जिससे हम कनेक्टेड तो होते हैं पर डिसकनेक्टेड रहते हैं। हम भौतिक रूप से एक दूसरे से नहीं मिलते हैं और न ही मिलना पसंद करते हैं, जबकि हमारे पास सोशल नेटवर्क में बहुत सारे फॉलोअर्स और बहुत सारे फ्रेंड्स होते हैं, लेकिन अगर आप रविवार को अकेले भोजन नहीं करना चाहते, तो शायद ही आपके कोई फॉलोवर्स या फ्रेंड आपके काम आयेंगे, तो सोशल नेटवर्क के अपने नुकसान और फायदे हैं।
बहुत अच्छा लेख | अब सोशल मिडिया ने दिखावे को ज्यादा बढ़ावा दिया है कि लोगो को अपनी जिंदगी बेकार नीरस लगने लगती है लगता है कितनी कमी है अपने जीवन में दुसरो की देख कर जबकि कई बार लोग गलत और झूठ बाते लिखते है यहाँ पर अपने बारे में |
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन जन्म दिवस – अभिनेत्री सुरैया और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर …. आभार।।