काव्य में शब्द शक्ति का महत्व –
काव्य में कवि अपने भावों की अभिव्यक्ति करता है और भावों की अभिव्यक्ति का माध्यम “भाषा” होती है। अत: काव्य में भाषा का अत्यन्त महत्वपूर्ण स्थान है। पाश्चात्य साहित्यशास्त्री एफ़. आर. लेबिस ने भाषा के महत्व पर प्रकाश डालते हुए एक स्थान पर लिखा है –
‘Literature is not merely in a language but of a language.’
अर्थात काव्य भाषा में नहीं होता अपितु भाषा का ही होता है। भारतीय साहित्यशास्त्रियों ने इसलिये भाषा को काव्य का शरीर माना है, अर्थात जिस प्रकार आत्मा बिना शरीर के अस्तित्वहीन है, उसी प्रकार बिना भाषा के काव्य का रसानन्द नहीं हो सकता । इसलिए एक पाश्चात्य विद्वान ने अपनी काव्य की परिभाषा में सुन्दर शब्दों के सुव्यवस्थित रूप को ही काव्य मान लिया है –
‘Poetry is the best words in the best order’.
कवि भावों के प्रकाशन के लिए कुछ शब्दों का चयन करता है और उसके शब्द-चयन का आधार यही रहता है कि वह ऐसे शब्दों का चयन करे जो उसके भावों को पूर्णतया पाठक के समक्ष व्यक्त कर दे और उसके लिए उसे शब्दों में निहित अर्थ के मर्म से अभिज्ञ होना आवश्यक है। एक ही अर्थ वाले कई शब्द भाषा में होते हैं और एक ही शब्द के कई अर्थ भी प्रचलित होते हैं अत: किस शब्द को अभीष्ट अर्थ की अभिव्यक्ति के लिये प्रयुक्त किया जाये, ताकि पाठक उस अर्थ को ग्रहण कर पूर्णतया भावमग्न हो जाये – यह कवि की कुशल प्रतिभा पर निर्भर करता है और इसके लिये कवि को शब्द की शक्तियों से पूर्णतया परिचित होना आवश्यक है। शब्दों के अर्थ से ही काव्य बोधगम्य होता है तथा शब्द और अर्थ के सम्बन्ध को ही शब्द-शक्ति कहा जाता है।
अत: बिना शब्द-शक्ति की जानकारी के न तो कवि ही अपने भावों को अच्छी तरह व्यक्त कर सकता है और न ही पाठक पूर्ण रूप से काव्यानन्द ग्रहण कर सकता है। प्रसिद्ध भारतीय काव्य-शास्त्री का कथन है – शब्द के द्वारा अर्थ-बोध तभी होता है, जब हम ‘वृत्ति’ ज्ञान से पूर्ण रूप से अवगत होते हैं, अत: अमुक शब्द का अमुक स्थान पर क्या अर्थ है – यह ‘शब्द-वृत्ति’ का जानकार ही समझ सकता है। यहाँ पर विद्वान ने ‘शक्ति’ शब्द के स्थान पर यहाँ ‘वृत्ति’ शब्द का प्रयोग किया गया है जो उसका समानार्थी है। इस प्रकार यह स्पष्ट है कि शब्द शक्ति के अध्ययन के बिना काव्य का अध्ययन अपूर्ण है, अत: साहित्य के अध्येता के लिये शब्द शक्ति की जानकारी आवश्यक है ।
पहले के भाग यहाँ पढ़ सकते हैं –
“रस अलंकार पिंगल [रस, अलंकार, छन्द काव्यदोष एवं शब्द शक्ति का सम्यक विवेचन]”
काव्य में शब्द शक्ति का महत्व – रस अलंकार पिंगल
शब्द शक्ति क्या है ? रस अलंकार पिंगल
शब्द-शक्ति के भेद (२) लक्षणा – रस अलंकार पिंगल
शब्द-शक्ति के भेद (२) लक्षणा – 1 – रस अलंकार पिंगल
शब्द-शक्ति के भेद (२) लक्षणा– 2 – रस अलंकार पिंगल
शब्दों की शक्ति समझने के प्रयास में शक्ति से लगे हैं।
बहुत गंभीर लेखन में जुट गए हो विवेक भाई -सब कुछ ठीक तो है ?
आपको शिकायत न हो इसलिए लीजिये हमने भी हाजिरी लगा दी !