आज दिनांक २४ नवंबर २०१२ के पेज नंबर ४ पर दैनिक भास्कर उज्जैन में ये दो विज्ञापन देखे, घर बैठे कमाएँ प्रतिमाह ६,००० रू से ३०,००० रू १००% ग्यारन्टेड पेमेन्ट रेटर्न ऑनलाईन जॉब वर्क, कम्प्यूटर पर ऑनलाईन काम करके मात्र कुछ ही मिनटों में कमाएँ २,५०० रूपये प्रतिमाह ।
मैंने दोनों जगह बात भी की, कहते हैं कि दो प्लान हैं
१. ३०,००० रूपये जमा करो और १२ माह हर महीने ६,००० रूपये मिलेंगे, और अगर १८,००० जमा करे तो दो महीने बाद तीसरे महीने से ६,००० रूपये मिलेंगे।
२. १२,००० रूपये जमा करो और १२ माह हर महीने २६५० रूपये मिलेंगे और अगर ७,००० जमा करें तो दो महीने बाद तीसरे महीने से २,६५० रूपये मिलेंगे।
हमने पूछा काम क्या करना है तो बताया गया कि आपको केवल ४० ऐड क्लिक करने हैं जिसमें २ मिनिट लगेंगे।
क्या उज्जैन की जनता को कुछ समझ में नहीं आता या समझना नहीं चाहती, कि ये बिल्कुल शुद्ध पूँजी स्कीम है, लूट स्कीम, हो सकता है कि यह स्कीमें और भी शहरों में चल रही हों, परंतु यह तो तय है कि इससे कमाई तो नहीं होगी, आम जनता की जेब ही कटेगी।
अभी भी पता नहीं ऐसी कितनी ही स्कीमें उज्जैन में चल रही हैं, और जनता केवल इसी में लगी हुई है, कुछ स्कीमें तो पिछले ५-६ वर्षों से चल रही हैं।
क्या इस तरह के लुभावने और लालच वाले विज्ञापन हमारी आज की पीढ़ी को गुमराह नहीं कर रहे हैं।
बेचारे स्कीमिये पढ़ेंगे तो कहेंगे कि विवेकजी हमने आप का क्या बिगाड़ा था? 🙂
काश कि पढ़ें तो सही !!!
बता दिया और बचा लिया..
हमें पता है कि आप बचे हुए हैं ।
इन धोखेबाजों तक पुलिस तब पहुँचती है जब जनता धोखा खाकर उन तक रोते हुए पहुँचती है।
जब जनता रोती है तभी इन लोगों के पास पुलिस पहुँचती है ।
जबकि जनता पुलिस से भी वाकिफ़ है
निवेशकों को आपका ब्लॉग पढ़ना चाहिए
तभी तो उनको ये सब पता चलेगा ।
इन्टरनेट पर तो भरी पड़ी हैं ऐसी धोखेबाज़ साइटें… ज़्यादा लालच लोगों को फँसाती भी खूब हैं
sahi hai logo ki aankhein kholte rahiye
'स्पीक एशिया' के बारे में आपसे ही पता चला था और उसीके प्रिण्ट आउट मैंने, एलआईसी की, रतलाम की तीनों शाखाओं में बॉंटे थे और कई दिनों तक, 'स्पीक एशिया' के विरुध्द अभियान चलया था। आज भी अनेक एजेण्ट मुझे उसके लिए धन्यवाद देते हैं – ''दादा! आपने बचा लिया।'' मैंने तब भी आपका ही नाम लिया था, आज भी उसका श्रेय आपको ही जाता है।
अब आपने यह नई जानकारी दी है। इसे तनिक फुरसत से देखता हूँ कि क्या किया जाना चाहिए और क्या किया जा सकता है। जितने भी बच सकें, उतना ही बहुत होगा।
प्रिय ब्लॉगर मित्र,
हमें आपको यह बताते हुए प्रसन्नता हो रही है साथ ही संकोच भी – विशेषकर उन ब्लॉगर्स को यह बताने में जिनके ब्लॉग इतने उच्च स्तर के हैं कि उन्हें किसी भी सूची में सम्मिलित करने से उस सूची का सम्मान बढ़ता है न कि उस ब्लॉग का – कि ITB की सर्वश्रेष्ठ हिन्दी ब्लॉगों की डाइरैक्टरी अब प्रकाशित हो चुकी है और आपका ब्लॉग उसमें सम्मिलित है।
शुभकामनाओं सहित,
ITB टीम
पुनश्च:
1. हम कुछेक लोकप्रिय ब्लॉग्स को डाइरैक्टरी में शामिल नहीं कर पाए क्योंकि उनके कंटैंट तथा/या डिज़ाइन फूहड़ / निम्न-स्तरीय / खिजाने वाले हैं। दो-एक ब्लॉगर्स ने अपने एक ब्लॉग की सामग्री दूसरे ब्लॉग्स में डुप्लिकेट करने में डिज़ाइन की ऐसी तैसी कर रखी है। कुछ ब्लॉगर्स अपने मुँह मिया मिट्ठू बनते रहते हैं, लेकिन इस संकलन में हमने उनके ब्लॉग्स ले रखे हैं बशर्ते उनमें स्तरीय कंटैंट हो। डाइरैक्टरी में शामिल किए / नहीं किए गए ब्लॉग्स के बारे में आपके विचारों का इंतज़ार रहेगा।
2. ITB के लोग ब्लॉग्स पर बहुत कम कमेंट कर पाते हैं और कमेंट तभी करते हैं जब विषय-वस्तु के प्रसंग में कुछ कहना होता है। यह कमेंट हमने यहाँ इसलिए किया क्योंकि हमें आपका ईमेल ब्लॉग में नहीं मिला।
[यह भी हो सकता है कि हम ठीक से ईमेल ढूंढ नहीं पाए।] बिना प्रसंग के इस कमेंट के लिए क्षमा कीजिएगा।
निश्चित रूप से उपयोगी जानकारी हैं .धन्यवाद.
Me job kar sakata hu