बारिश में अपना धंधा बहुत अच्छा चलता है।

रोज ऑफ़िस आना जाना हम ऑटो से करते हैं और ऑटो में बैठते ही अपनी हिन्दी की किताब पढ़ना शुरु कर देते हैं पूरा आधा घंटा मिल जाता है। रोज आधा घंटा या कभी ज्यादा कभी थोड़ा कम समय का सदुपयोग हम हिन्दी साहित्य पढ़ने में व्यतीत करते हैं, शाम को लौटते समय अँधेरा हो जाता है तो शाम का वक्त फ़ोन पर बतियाते हुए अपने रिलेशन मैन्टेन करने मैं व्यतीत करते हैं। इस आधे घंटे में हम शिवाजी सामंत का प्रसिद्ध उपन्यास “मृत्युंजय” पढ़ चुके हैं, जिसके बारे में कभी ओर चर्चा करेंगे। आजकल महाकवि कालिदास का प्रसिद्ध खण्डकाव्य “मेघदूतम” पढ़ रहे हैं।

आज सुबह जब मैं  ऑटो से अपने ऑफ़िस जा रहा था, तो बहुत धुआंधार हवा के साथ बारिश हो रही थी। आटो में दोनों तरफ़ प्लास्टिक का पर्दा गिराने के बाद भी कुछ बूँदे हमें छू ही रही थीं। हम बारिश का मजा ले रहे थे तभी ऑटोवाला बोला कि आप किधर से जायेंगे “मलाड सबवे” से या कांदिवली के नये “फ़्लायओवर” से, हमने कहा कि हमारा रास्ता तो “फ़्लायओवर” वाला ही है क्योंकि यह रास्ता बारिश में सबसे सुरक्षित है, कहीं भी पानी नहीं भरता है। “मलाड सबवे” में तो थोड़ा बारिश होने पर ३-४ फ़ीट पानी भर जाना मामूली बात है।

 

फ़िर ऑटो वाला बोला कि साहब ये बारिश में अपना धंधा बहुत अच्छा चलता है क्योंकि हर आदमी ऑटो में आता जाता है, पैदल चलने वाला भी ऑटो में सवारी करता है। बस की सवारी भी ऑटो में यात्रा करती है  वह भी यह सोचती है कि कहां बस में भीगते हुए जायेंगे। लोकल ट्रेन में पास के स्टेशन पर जाने वाले भी ऑटो में ही यात्रा करते हैं तो कुल मिलाकर यात्री ज्यादा हो जाते हैं और ऑटो कम। अमूमन आधे ऑटो वाले ही बारिश में ऑटो बाहर निकालते हैं क्योंकि बारिश में ऑटो खराब होने का डर ज्यादा रहता है। वह ऑटोवाला शुद्ध हिन्दी भाषा में बात कर रहा था और जौनपुर टच टोन लग रही थी। वैसे यहाँ पर ज्यादातर ऑटो वाले यूपी या बिहार से ही हैं और उनसे ही शुद्ध हिन्दी सुनने को मिलती है, नहीं तो यहां हिन्दी भाषा का विकृत रुप ही बोला जाता है।

12 thoughts on “बारिश में अपना धंधा बहुत अच्छा चलता है।

  1. ऑटो वाले, टैक्सी वाले, दूध वाले सारे भईय्या कितने अपने होते हैं यह अहसास है मुझे बम्बई में कई साल व्यतित कर..दर रोज आधे घंटे साहित्य पढ़कर आप तो चंद महिनों में साहित्यकार हो लोगे..याद रखना भाई जी!!! बस यही गुजारिश है.

  2. यह दिनचर्या -साहित्य चर्या बनी रहे यही शुभकामनाएं !

  3. हामरे यहां तो बारिश ही नहीं हो रही… लगता है बिल्‍कुल मंदा रहेगा अपना धंधा। बहरहाल आप सहैं।मय का सदुपयोग अच्‍छा कर रहे हैं।

  4. भाई आप भाग्यशाली हो जो इतनी अच्छी सडको पर चलते हो कि आटो मे बैठकर मेघदूतम पढ रहे हैं. हमारे यहां तो सडक ऐसी हैं कि दही की हांडी गोड मे लेकर आटो मे बैठ जाओ तो आधे घंटे मे उसमे मक्खन निकल आता है. हम तो इसी तरह बिजली भी बचा लेते हैं. यानि एक पंथ दो काज.:)

    रामराम.

  5. बिलकुल ठीक कहा..बारिश में तो हर कोई ऑटो में ही जाता है..ऑटो वालो का धंधा बढ़ ही जाता है..

  6. सबों को अपने अपने कमाई की पडी रहती है .. आटो वाले बारिश में खुश रहते होंगे .. बाकी को जो भी परेशानी हो !!

  7. बारिश मे आटो मे बैठ्कर मेघदूतम पढने का मजा ही कुछ और है.

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